मस्तानी लौन्डिया-5
(Mastani-Laundia- Part 5)
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निशु जब बाहर आई तब कमर के नीचे का हिस्सा पानी से भीगा हुआ था, जिसे देख सुनित आगे बढ़ा और निशु के टॉप से उसके बदन को सुखाने लगा।
निशु की लम्बी लम्बी झाँटों को देख बोला- कितने दिन से नहीं काटा इनको, निशु?
निशु भी बोली- आज तक सिर्फ़ एक बार कैंची से काटी थी, 15 साल की थी, जब नौवीं क्लास में थी। मम्मी ने बहुत डांटा था बाद में! उसके बाद फ़िर नहीं काटी।
मैंने तब पूछा- तुम मामी को बताया था क्या कि तुमने झाँट साफ़ की है?
वो बोली-नहीं, पर मम्मी सुबह झाड़ू लगाते समय मेरे कमरे में बड़े-बड़े बाल देख समझ गई और मुझसे पूछा कि ये सब बाल कैसे हैं तो मैंने इशारे से बताया।
फ़िर तो वो बहुत गुस्सा हुई और मेरा सलवार खुलवा कर देखा। मुझे तब बहुत शर्म आई, पर वो मेरे चूत को देख काफ़ी गुस्साई और कहा कि अगर ऐसे करने में कोई कट-छिल गया तो कितनी परेशानी होगी, कैसे डाक्टर के पास जा कर ऐसे दिखाओगी?
तब से फ़िर हिम्मत नहीं हुई ऐसा कुछ करने की!
सुमित बोला- तभी तुम यहाँ हम लोग से खूब मजे से चुदवा रही हो, अब तुम्हारी मम्मी अगर तुमको नंगा करके तुम्हारी चुदी हुई बुर देखेगी तब क्या होगा?
निशु अब अपने रंग में आने लगी थी, बोली- होगा क्या, चिल्लाएगी खूब! उन्होंने मुझे कितना दबा कर रखा है, सिर्फ़ मैं ही जानती हूँ। मम्मी का ये न करो, वो न करो भी तब से शुरु हुआ और आज तक चल रहा है। मुझे याद है, एक बार वो अपने खिड़की से सड़क पर एक कुत्ते के जोड़े को देख रही थी। एक कुत्ता कुतिया के उपर चढ़ कर खूब तेजी से उसको चोद रहा था। मम्मी को पता नहीं चला कि मैं पीछे खड़ी हूँ और उनको कुत्ते-कुतिया को मस्ती करते देख रही हूँ।
फ़िर जब पास के एक लड़के ने एक पत्थर उनकी तरफ़ फ़ेंका तब कुत्ता पलट गया और उसका लण्ड कुतिया की भीतर था, और जैसे ही कुत्ता पत्थर से डर कर इधर-उधर जाने लगा, कुतिया भी साथ साथ खिंची जा रही थी। मुझे तब यह देख हँसी आ गई और मम्मी ने तब देखा कि मैं भी वहीं साथ ही सब देख रही हूँ। वो बहुत गुस्साई और मुझे 3-4 थप्पड़ लगा दिए।
जब मैंने कहा कि क्या हो गया अगर मैंने देखा, आप भी तो देख रही थी।
तब गुस्से में वो बहुत बोली।
तभी मैंने सोच लिया कि जब मौका मिलेगा, तब वो सब करुँगी जो मम्मी नहीं करने देती। इसीलिए उस दिन जब आप लोग ताश खेलने को बोले तो मैं तैयार हो गई कि अब मुझे वो सब कर लेना है, जो मम्मी के साथ रहते नहीं कर सकती।
मुझे मामी के मिजाज के बारे में पता था। पर यह सब सुन सुमित बोला- ठीक है, फ़िर आज देखो कैसे तुमको मजा देते हैं। आज तुम्हें एक रन्डी मान के पूरा पैसा वसूल चुदाई करुँगा।
और फ़िर उसने निशु को अपने गोद में खींच लिया। दोनों ने एक दूसरे के साथ चुम्मा चाटी शुरु दी। सुमित धीरे-धीरे निशु के होंठ से शुरु करके उसकी चूचियों पर ध्यान दे रहा था और निशु उसके लण्ड को सहला रही थी।
सुमित का लण्ड अब कड़ा हो गया था। उसने निशु को बेड पर सीधा लिटा दिया और टाँगें खोल कर उसकी चूत के बाहर के होंठ फ़ैला कर जीभ से चूत की चटाई शुरु कर दी। निशु अब गीली होने लगी थी। उसने सिसकी निकालनी शुरु कर दी। तब सुमित उसके चूत की चमड़ी को और फ़ैला कर उसकी टीट(भगनासा) को चूसने लगा।
फ़िर उसने निशु को अपने मुँह से भी पूरा बेचैन करने के बाद अपना लण्ड एक धक्के में ही निशु की चूत में पेल दिया अर जोरदार चुदाई शुरु कर दी। निशु के पूरे जिस्म में जैसे आग लगी थी और वो खूब जम कर सुमित के धक्के से धक्का मिला कर चुदवा रही थी।
आह आह की आवाज से मेरे और अनवर का लण्ड ठनक गया था। निशु का बदन थरथरा कर थोड़ा ढीला हुआ, वैसे ही सुमित ने अपना लण्ड उसकी चूत से बाहर निकाल लिया, फ़िर उसको पलटने को कहा। निशु अभी और चुदाना चाहती थी पर मैं समझ गया कि अब निशु की गांड मारी जानी है।
सुमित ने उसको फ़िर कहा- पलट और गाण्ड मरवाने को तैयार हो जा!
निशु अब समझ गई कि आज की असल चुदाई तो अब शुरु होगी।
वो चुदाने के लिए बेचैन थी, बोली-‘ठीक है, आज यह भी हो जाए! जब चुदवाना ही है तो पूरी रन्डी बना दीजिए मुझे।
वो मुझे देख के बोली- आज भैया मुझे आप दोनों भी चोदिए, मेरे बदन का पूरा मजा लूटिए!
सुमित को देर बर्दाश्त हो नहीं रही थी, वो खीज कर बोला- चल इधर साली कुतिया, पहले मेरे से गाण्ड मरवा फ़िर अपने भाई से चुदाना!
वो बेशर्म की तरह बोली- ओह साले कुत्ते हो क्या तुम सुमित भैया! कि इस कुतिया को चोदने के लिए तड़प रहे हो?
और उसने पलट कर अपनी गाण्ड उभार दी। सुमित भी मजा लेने के लिए अपने दाँए हाथ के अँगूठे को भीतर घुसा उसकी गाण्ड खोलने लगा, साथ ही बोला- हाँ रे निशु बहना, जब तुम्हारे जैसी रन्डी सामने कुतिया बन के गाण्ड खोल दे तब मुझे कुत्ता बनने में कोइ परेशानी नहीं है, अपने बाकी दोनों भाइयों से पूछ लो, वो बहनचोद बनेंगे या कुत्ते?
वो जब तक हम लोगों से कुछ कहे, सुमित उसकी गाण्ड में लण्ड पेलना शुरु कर दिया। एक इन्च लौड़ा भीतर गया होगा कि निशु के चेहरे पे शिकन दिखने लगी और जब करीब तीन इन्च भीतर घुसा तो उसने परेशानी महसूस करके ना ना करना शुरु किया।
सुमित ने उसको पुचकारा और फ़िर हल्के से दबा दिया। वो अब बिस्तर के करीब हो गई थी और थोड़ा शांत थी। तभी सुमित ने अपने दोनों हाथों से उसकी कमर को पकड़ थोड़ा ऊपर उठाया और अपना सबसे जोरदार धक्का लगाया।
निशु जोर से चीखी पर सुमित का लण्ड पूरा सात इन्च का उसकी गाण्ड के भीतर चला गया। वो दर्द से परेशान थी पर बोले जा रही थी- चोदो, गाण्ड मारो मेरी, रुको मत! पेलो पूरा! आज तुम्हारी कुतिया हूँ मैं।
सुमित चुपचाप उसकी गाण्ड मारे जा रहा था और थोड़ी देर में ही निशु भी उसका साथ देने लगी।
अनवर से अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था, वो अपने कपड़े खोलने लगा, तो निशु ने मुझे भी आने को कहा। फ़िर उसने हम दोनों के लण्ड को बारी बारी से चूसना शुरु किया। तभी सुमित उसकी गाण्ड में ही झड़ गया।
निशु की गाण्ड से उसका माल बह रहा था। वो अभी नहीं झड़ी थी और बिना सुमित की चिन्ता किए वो हम दोनों के लण्ड मजा दे रही थी। फ़िर उसने मुझे कहा कि मैं अब उसकी चूत में पेल कर चोदूँ।
मैंने तुरन्त पीछे जा उसकी बूर की चुदाई शुरु कर दी।
वो बोली- आप मेरे मुँह में झाड़िएगा।
मैंने तेजी से उसकी चूत चोदी। उसकी चुदाई और गाण्ड मराई देखकर वैसे भी मैं आधा मजा पा चुका था, इसलिए जल्दी ही मैं झड़ने की स्थिति में आ गया और लण्ड उसकी चूत से निकाल सामने की तरफ़ चला गया।
निशु अब बिस्तर पर सीधा लेट गई, अनवर अब ऊपर से उस पर चढ़ गया और उसको चोदने लगा।
मैंने उसके मुँह में अपना माल निकाल दिया, तभी अनवर भी उसकी चूत में झड़ गया।
निशु मेरा माल खा गई और बोली- वाह, मजा आ गया, भाई लोगो! आज मेरे तीनों छेदों में लण्ड का माल गिरा!
हम सब अब थक गये थे। निशु अपनी चूत से अनवर का माल अपने उँगली से निकाल निकाल कर चाट रही थी, सुमित से बोली- सॉरी भैया, आपका बाद में कभी खा लूंगी, गाण्ड में से निकाल कर मैं नहीं खा सकती!
सुमित खुश हो कर बोला- ओए जी, कोइ गल नई!
हम सब हंसने लगे। तभी निशु बोली- अब मम्मी को फोन करती हूँ, कई दिन हो गये बात किए!
मैं थोड़ा अचकचाया- क्या बात करोगी अभी निशु?
वो मुस्कुरा कर बोली- कहूँगी कि उनकी लाडली बेटी को उनके प्यारे भांजे ने एक दम रण्डी बना दिया और अपने दोस्तों के साथ मिल कर रोज दो घन्टा चोदता है!
मेरी घिग्गी बंध गई पर तभी वो हँस दी। हम सब उसकी बदमाशी समझ गए और हमारी जान में जान आई। वो मोबाईल पर बात करने लगी। सुमित और अनवर कपड़े पहनने लगे।
वो नंगी ही थी और मैं देख रहा था कि वो अपने माँ से कितने भोलेपन के साथ बात कर रही थी। बीच बीच में अपने बुर में उँगली डाल कर उसको चाट भी रही थी।
सच आज उसको देख लग रहा था कि 4-5 महीने में ही कैसे वो एक छुई-मुई सी लड़की से कैसी चुदक्क्ड़ लौन्डिया बन गई थी- एकदम बेशर्म और बिंदास।
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