गरबा में मिली गर्लफ्रेंड

बड़ौदा बॉय 2008-12-26 Comments

कैसे हो दोस्तो! मैं बड़ौदा, गुजरात का रहने वाला हूँ, मेरी उम्र 22 साल है। मैं अन्तर्वासना का एक नियमित पाठक हूँ, मैंने आपकी बहुत सी कहानियाँ पढ़ी हैं।

गुजरात में नवरात्र (गरबा) का त्यौहार बहुत धूमधाम से मनाया जाता है, पूरे संसार में मशहूर है। मैं अपने दल के साथ यूनाइटेड वे ऑफ़ बरोदा में खेलने जाता था। उसी समय मेरे निगाह एक लड़की पर पड़ी। पता नहीं पहली नज़र में ही मुझे उससे प्यार हो गया।
एक दम निर्दोष मगर मस्त लड़की दिख रही थी। पहले तो मैंने उसके साथ बात करने की कोशिश की मगर वो भाव ही नहीं दे रही थी। 2-3 चक्कर लगाये तब वो मेरे साथ बात करने लगी। पहले तो मैंने उसे अपने साथ गरबा खेलने के लिए आमंत्रण दिया। उसने स्वीकार किया और मेरे दल में आ गई।

दो दिन तो बस ऐसे ही गुजर गए। रात के बारह बजे तक गरबा खेलते, बाद में फ़ूड कोर्ट में खा-पी कर घर चले जाते।

4-5 दिन के बाद मुझे लगा कि वह मुझसे बहुत खुलने लगी है, हर वक्त मेरे हाथ पकड़ा करती, कभी मुझे गाल पर मारती, मेरे पेट पर चिमटी भरती।

उसके चूचे बहुत ही मस्त थे, मैं भी कभी-कभी उसके वक्ष को बहाने से दबा देता। गरबा के आठवें दिन वो बाद में दिखाई दी। वो चुनिया-चोली पहन कर आई थी मगर लग रहा था कि उसने अन्दर ब्रा नहीं पहनी थी क्योंकि उसके चुचूक एकदम साफ-साफ दिख रहे थे।

मेरा लंड काबू से बाहर हो रहा था। वह जानबूझ कर मध्यांतर के समय मेरे पास आई और मुझे रस्सी से मारने लगी। मैं धीरे धीरे उसके बदन को हाथ से छूने लगा। वो गर्म होने लगी थी, मैंने उसको चूम लिया तो जवाब में उसने मुझे मेरे होंठों पर चूमा।

आग दोनों तरफ से बराबर लगी थी। वो अपने आप पर काबू नहीं कर पा रही थी, तुरंत उसने मुझे गरबा-मैदान से बाहर निकलने को कहा। मैं भी उसको पाने के लिए बेताब था।

हम दोनों दोस्तों को यह कह कर निकल गए कि हम कुछ खाने जा रहे हैं।

मैदान के सामने ही वदोदरा का लवर-गार्डन (सरदार बाग) है। बरोदा के अधिकतर प्रेमी अपनी प्रेमिका को मिलने वहीं जाते हैं। हम दोनों वहाँ जाकर बैठ गए और एक-दूसरे को चूमने लगे।

थोड़ी ही देर में हम इतने आगे बढ़ गए कि वो मेरा लण्ड मसल रही थी और मैं उसकी चूत में उंगली कर रहा था।

उस दिन तो हमने एक-दूसरे को इससे ही शांत कर दिया।

हम दोनों चुदाई का कार्यक्रम बनाने की फ़िराक में रहने लगे। उसके बाद अन्तिम दो दिन मैं उसके बदन को छू कर मस्ती लेता और उसको चुम्बन सुख भी देता रहा।

उसके बाद हम घंटों तक रात को मोबाईल सेक्स चेट करते रहते।

एक बार उसने रविवार को लोंग-ड्राइव का कार्यक्रम बनाने को कहा। मैं उसको लेकर आजवा गार्डन घूमने गया।

वहाँ पार्क में हमने बहुत ही मस्ती की वो भी मस्ती के मूड में आ गई, वो बोली- आओ चलो, अब हम थोड़ा फ्रेश होने के लिए एक कमरा लेते हैं।

मैं भी पूरे दिन पार्क में चलते-चलते थक गया था, हमने एक कमरा ले लिया।

मैं जैसे ही फ्रेश होने बाथरूम गया, वो पीछे-पीछे मेरे साथ आ गई और हाथ को मेरी पैंट पर रख दिया और मेरे लंड से खेलने लगी।

मैंने भी आज तय कर लिया कि आज इसे चोदे बिना जाना ही नहीं है। हम साथ में नहाने लगे। मैंने उसकी टी-शर्ट उतार दी, उसने काले रंग की ब्रा पहनी हुई थी। उसके बाद मैंने उसकी जींस उतरवा दी। वो भी मेरे कपड़े हटाने लगी। अब हम दोनों पूरे नंगे होकर एक-दूसरे को देख रहे थे। मैंने उसके कान के नीचे चूमा तो वो सिसकारने लगी। एक उंगली मैंने उसकी चूत में डाल दी और अंदर-बाहर करने लगा। वो गर्म-गर्म सांसें फेंकने लगी।

मैंने उसके चूचे चूसने के लिए जैसे ही उसके वक्ष पर झुका, वो चूसने को मना करने लगी।

वो बोली- जितना दबाना हो दबाओ मगर इनको मुंह से मत चूसना।

मैं थोड़ा हैरान हुआ। मैंने अभी तक उसके वक्ष को दबाया था मगर कभी चूसा नहीं था।

मैंने पूछा- चूसने को क्यों मना कर रही हो?
वो बोली- कोई मेरे स्तन चूसे, मुझे पसंद नहीं है।
मैंने सोचा कि अजीब लड़की है; मैंने बोला- ओ के ! कोई प्रॉब्लम नहीं, मगर चोदने तो दोगी ना?
वो हंस कर बोली- कमरा किराये पर सिर्फ़ चूमने के लिए नहीं लिया..

मैंने उसकी चूत में जीभ लगाई तो वो वहाँ काफ़ी गर्म-गर्म लगी।

अब मैं उसकी लाल चूत में अपनी जीभ से चोदने लगा। जीभ के अग्र-भाग से उसकी चूत को कुरेदने लगा, उसके दाने को चाटता और होंठों से खींचने लगा।

वो तड़प रही थी, मेरा सिर हाथों से चूत में घुसड़ने लगी। बहुत ही तड़प रही थी वो, इतना जोर लगा रही थी कि पूरा सिर उसकी चूत में घुस जाए।

लग रहा था कि वो झड़ गई थी, मस्त खुशबू वाला पानी निकल रहा था। पूरा पानी मैं चाटने लगा। मजा आ गया।

यह मेरी पहली चुदाई का अवसर था। धीमे से उसकी मैंने उसकी मस्त लाल चूत में अपना आठ इन्च लम्बा लंड रख दिया। लंड का सुपारा उसकी चूत में फिसलने लगा। उसकी चिकनी चूत कुछ ज्यादा ही चिकनी हो गई। मेरा लंड आराम से अन्दर जाने लगा। आधा लंड जाने तक वो कुछ नहीं बोली मगर जैसे ही एक जोरदार धक्का लगाया, वो थोड़ी चीखने लगी। मैं उसके होंठ चूसने लगा। धीमे-धीमे मेरा पूरा लंड उसने ले लिया। अब वो मजे से मेरा लंड के आवागमन के मजे लेने लगी।

फ़िर एकदम से वो मुझे जकड़ने लगी, बोली- मैं पानी निकालने वाली हूँ।

और वो निहाल हो गई। मेरी धक्कम-पेल और तेजी से चल रही थी। अब मेरा भी पानी निकलने वाला था। जैसे ही मेरा पानी निकलने को हुआ, मैंने लंड बाहर निकाल लिया। 15 मिनट हम दोनों ऐसे ही पड़े रहे।

बाद में हमने वो कमरा खाली कर दिया । उसने ही कमरे का किराया दिया और मेरे बाइक में पेट्रोल भी भरवा दिया। मैंने सोचा- अच्छी गर्लफ्रेंड मिली है।

उसके बाद हमने कई बार सेक्स के कार्यक्रम बनाए मगर उसने कभी भी अपनी चूचियां मुझे नहीं चूसने दी।

मेरे मन में एक ही प्रश्न था कि वो चूचियाँ चूसने को क्यों ना बोल रही थी।

बाद में मुझे मालूम हुआ कि वो कोई कुंवारी लड़की नहीं थी, एक विवाहित भाभी थी और उसकी दो साल की बच्ची भी है। उसका पति गुजरात से बाहर जॉब करता है और पनी प्यास बुझाने के लिए उसने मेरे साथ प्यार का नाटक किया था।
उसकी दूसरी भाभी और उनकी किट्टी पार्टी की सहेली ने मेरे साथ सामूहिक चोदन किया। वो मैं अगली कहानी में लिखूँगा।

अगर आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी, जरूर लिखना।
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