दोपहर में पूजा का मजा-4

राज कौशिक 2011-03-17 Comments

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“क्या चूत के बाल साफ कर रही थी जो कट गई?”

“ह हाँ भाभी।”

“तो इसमें शर्माने की क्या बात है? मैंने भी आज सुबह ही बनाये हैं, दिखाओ, मैं साफ करती हूँ।”

“नहीं भाभी, मैं कर लूगीं।”

“नहीं क्या ! मैं भी तो देखू मेरी ननद की चूत कैसी है !” और कहते हुए सलवार पकड़कर खींची।

तो सलवार खुल गई।

“अरे यह तो पहले ही खुली है !” बोलकर घुटनों पर बैठ कर चूत देखने लगी।

पूजा बाल तो वैसे ही हैं और यह सूज क्यों रही है? खून भी अन्दर से निकल रहा है, क्या कर रही थी?

पूजा चुप बैठ गई। शायद भाभी समझ गई थी कि पूजा चुदी है।

“और कौन है यहाँ?”

“भाभी कोई नहीं है।”

“नहीं है तो यह चूत किस पर फटवाई है?” कहते हुए खड़ी हुई और इधर उधर देखने लगी।

अब मेरी फटने लगी और लण्ड भी शान्त हो गया क्यूँकि भाभी मेरी तरफ ही आ रही थी।

“ओ ! यहाँ है महाशय जी !” और मेरा हाथ पकड़कर बाहर खीँचा।

मैंने पूजा की तरफ देखा, वो बिल्कुल रोने वाली हो रही थी।

तभी भाभी बोली- पूजा, कहाँ से ढूंढ कर लाई हो इन्हें? और अकेले मजा ले रही हो? अपनी भाभी के बारे में नहीं सोचा।

यह सुनकर हम दोनों की साँस में साँस आई क्यूँकि हम समझ गये कि भाभी क्या चाहती है।

“वाह जनाब ! मेरी कुँवारी ननद की चूत फाड़ कर यहाँ छिपे हो? मैं भी तो देखू कैसा लण्ड है जिसने मेरी ननद की चूत का भौसड़ा बना दिया?” भाभी ने यह कहते हुए मेरा तौलिया खींच दिया।

लण्ड सोया हुआ था, भाभी ने लण्ड को हाथ से ऊपर किया तो देखा कि अगले भाग पर खून लगा है।

“देखो, मेरी ननद की चूत का खून पीकर कैसे शान्त बैठा है? अभी देखती हूँ कितना बड़ा और कितना जोर है इस लण्ड में !” कहते हुए भाभी ने लण्ड मुँह में ले लिया।

मैंने पूजा की तरफ देखा तो उसने चुप रहने का इशारा किया और मुस्कुरा दी।

भाभी लण्ड मुँह में लेकर चूसने लगी जिससे मेरा लण्ड जल्द ही पूरा 8 इन्च का हो गया। भाभी ने कुछ देर बाद मुँह से निकाला और बोली- वाह पूजा, इसका कितना बड़ा और मोटा लण्ड है, तेरे भाई का तो इससे लगभग आधा होगा। तूने इसे कैसे सहन कर लिया। पहली बार में तो तुम्हारे भाई के छोटे लण्ड से ही मेरी जान निकल गई थी और तुमने यह मोटा डण्डा सहन कर लिया।

पूजा बोली- भाभी, एक बार यह लण्ड चूत में ले लो, फिर देखो कितना मजा आता है ! तुम भईया के लण्ड को न भूल जाओ तो कहना।

मैंने पूजा की हाँ में हाँ मिला दी।

“अच्छा इतना घमण्ड है अपने लण्ड पर?”

मैं बोला- घमण्ड नहीं विश्वास !

“अच्छा, तो अभी देख लेती हूँ ! हाथ कंगन को आरसी क्या? और अपनी साड़ी, ब्लाऊज और पेटीकोट फ़टाफ़ट से उतार दी। वो केवल अब गुलाबी रँग की ब्रा और पेन्टी में थी।

भाभी को इन कपड़ों में देखकर मुझसे नहीं रुका गया। मैंने भाभी को पकड़ा और चूमने लगा और उसकी मोटी चूचियों को दबाने लगा। भाभी मेरे लण्ड को सहला रही थी। मैंने जल्दी ही उनको ब्रा और पैन्टी से आजाद कर दिया। उनकी चूत पर एक भी बाल नहीं था और चूत पूजा की चूत से ज्यादा खुली थी।

फिर मैंने चूचियों को बारी-बारी से खूब चूसा और दबाया।भाभी बहुत गर्म हो गई थी और सिसकारियाँ ले रही थी, बड़बड़ा रही थी- कुत्ते अब इन्हें ही दबाते रहोगे या कुछ और भी करोगे?

और अपनी चूत में खुद उंगली डालकर अन्दर-बाहर करने लगी।

मैं बोला- कमीनी, इतनी जल्दी क्या है, थोड़ा रुक ! फिर तेरा चुदने का सारा नशा उतारता हूँ।

फिर मैंने भाभी को हाथों के बल सोफ़े पर झुका दिया। भाभी ने पैर खोल लिए और मैं घुटनों पर बैठकर जीभ चूत पर फिराने लगा। उनकी चूत से पानी निकलने लगा।

भाभी मचल उठी- आँह… सी… ओ… आ… अ..पूजा… आ… इसे तो पूरा तजुर्बा है, ऐसा तो तुम्हारे भाई ने कभी नहीं किया आँह सी ई इ…

फिर मैं खड़ा हुआ और लण्ड को पकड़कर उसकी चूत और गाण्ड के छेद पर फिराने लगा।

पूजा भी देखकर गर्म हो गई थी और वो अपनी चूत को मसलते हुए सिसकारियाँ भर रही थी।

भाभी बोली- कुत्ते अब डाल भी दे अपना लण्ड ! क्यूँ तड़पा रहा है?

मैंने भाभी का एक पैर सोफ़े पर रखा।

“अच्छा घोड़ी बनाकर चोदेगा तू मुझे?”

“नहीं मैं कुत्ता हूँ ना साली ! कुतिया बनाकर चोदूँगा तुझे !” और कमर से पकड़कर लण्ड गाण्ड पर रखा।

भाभी कुछ बोलती उससे पहले मैंने एक झटका मार कर लण्ड उसके चूतड़ों के बीच गाण्ड में ठोक दिया। मेरा 2-3 इन्च लण्ड उसकी गाण्ड में चला गया।

भाभी की चीख निकल गई- मार दिया ! कुत्ते निकाल बाहर। गाण्ड फाड़ने के लिए किसने बोला था कमीने !

उसकी गाली सुनकर मैंने दो झटके और मारे और पूरा लण्ड गाण्ड में डाल दिया।

मैं बोला- कुतिया, तेरी चूत तो पहले ही फटी पड़ी है उसे फाड़ने का क्या फायदा? मजा तो तेरी गाण्ड फाड़ने में है !

और तेज तेज धक्के मारने लगा। भाभी तड़प रही थी और बोल रही थी- छोड़ दो मुझे ! प्लीज ! बहुत दर्द हो रहा है, छोड़ दो प्लीज ! आ मर गई औ…आऊच ई ऊ..

पूजा यह देखकर हँस रही थी और अपनी चूत में उंगली डालकर आगे-पीछे कर रही थी।

मैं बिना रुके लगातार झटके मारे जा रहा था। धीरे-धीरे भाभी का चिल्लाना सीत्कारों में बदलने लगा और गाण्ड खुद आगे पीछे करने लगी। मैंने लण्ड गाण्ड से निकाला और चूत में ठोक दिया।

लण्ड थोड़ा जोर लगाने से अन्दर चला गया। भाभी फिर चिल्लाने लगी- मार डालोगे क्या… आ… आ…अ..जरा धीरे ! बहुत बड़ा और मोटा है ! आ धीरे… !

मैं बोला- बड़ा उछल रही थी चुदने के लिए? कुतिया ले अब तेरी चूत का बनाता हूँ चित्तौड़गढ़ ! ले !

और पूरा जोर लगा कर झटके मारने लगा। थोड़ी देर में वो मेरा साथ देने लगी। फिर मैंने भाभी को नीचे लिटाया और थोड़ा तिरछा करके एक पैर कन्धे पर रखकर चोदने लगा। फिर सीधा लिटाकर तकिया गाण्ड के नीचे रखी और चूचियों को पकड़कर झटके मारने लगा।अब भाभी भी गाण्ड उछाल उछाल कर पूरा साथ दे रही थी, चिल्ला रही थी- अब लगा जोर कुत्ते ! ले फाड़ मेरी चूत और गाण्ड ! ले ! आ… सी… आ… ऊच… आ..मार… फाड़… बना भोसड़ा….

कहते हुए 10-15 मिनट बाद मुझसे चिपक गई और पैर मेरी कमर में लपेट कर झड़ गई, बोली- बस अब निकाल लो।

यह सुनकर पूजा आ गई और बोली- राज, अब मुझे चोदो !

और जमीन पर गाण्ड ऊपर करके लेट गई।

मैं खड़ा हुआ और पूजा के दोनों तरफ पैर करके झुक गया और चोदने लगा। भाभी बगल में आकर बैठ गई और बोली- अगर झड़ो तो अपना लण्ड बाहऱ निकाल लेना। मैं तुम्हारा वीर्य देखना और पीना चाहती हूँ।

कुछ देर बाद मैं झड़ने वाला था और पूजा झड़ गई थी। 4-5 झटके मारे और लण्ड बाहर निकाल लिया।भाभी ने मुँह खोल लिया और मेरी पिचकारी छुट गई। भाभी पूरा वीर्य पी गई और लण्ड मुँह में लेकर चूसने लगी। मैंने लण्ड निकाला और जमीन पर लेट गया। भाभी मेरे ऊपर आ गई, मुझे चूमने लगी और मेरे पसीने चाटने लगी।

भाभी ने मेरा नाम, गाँव आदि पूछा, बोली- राज, आज पहली बार चुदने में इतना मजा आया है ! वास्तव में ही तुम्हारा लण्ड कोई चीज है, मन करता है कि बस चुदती रहूँ। और हाँ चुदी तो मैं बहुत हूँ पर आज दोपहर की चुदाई का मजा जिन्दगी भर याद रहेगा।

उसके बाद मैंने एक बार और दोनो को चोदा और जब भी मौका मिलता उनके घर जाकर चुदाई करता।

पूजा डाक्टरी का कोर्स करने लगी। उसे कई बार घर से बाहर भी चोदा। फिर एक दिन हम पकड़े गये और हमारी पोल खुल गई। जिससे हम दोनों दूर हो गये।

मेरी और भी बहुत सी कहानियाँ हैं चुदाई की जो मैं आपको लिखता रहूँगा।

फिलहाल आप जरूर बताना कि मेरी यह कहानी आपको कैसी लगी?

राज कौशिक

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