सहपाठिका को बाज़ार में चोदा

नमस्कार दोस्तो, मैं हूँ अभिषेक और मैं 18 साल का लंबा, हट्टा-कट्टा पंजाबी लड़का हूँ।

मैंने यहाँ काफ़ी कहानियाँ पढ़ीं हैं, पर अपना अनुभव आज पहली बार लिखने जा रहा हूँ। वैसे मैं कोई चुद्दकड़ तो नहीं हूँ… पर लड़कियाँ मुझ पर काफ़ी लट्टू रहती हैं…

आगे बढ़ते हैं, मैं अपने स्कूल में सबसे फिट लड़का हूँ ऐसा लड़कियाँ बोलतीं हैं… इनके इलावा मैं अपने स्कूल की फुटबॉल टीम का कप्तान भी हूँ… जिस वजह से मैं सभी लड़कियों का ड्रीम ब्वॉय भी हूँ…

बात उस दिन की है, जब मैं और मेरी दोस्त, जो मेरी कक्षा में ही है, हम दोनों चंडीगढ़ के 17 सेक्टर के बाज़ार में गए।

उस दिन रविवार था… हम दोनों… घूम रहे थे… अचानक ही कुछ मेरे पीछे आकर लगा… और मेरा हाथ उसकी गाँड पर जा टकराया।
पहले उसने मुझे घूरा, पर बाद में जब मैंने बताया कि गलती से लग गया, तो वो मुस्कुरा कर बोली… ‘कोई बात नहीं।’

और हम 5-10 सेकंडों तक एक दूसरे की आँखों में ही देखते रहे… फिर वो शरमाई… और आगे चल पड़ी…

उसकी बड़ी बड़ी गांड देख कर मेरा लंड सलामी देने लगा और मेरी जींस ऊपर से थोड़ी गीली हो गई, जिसे मैंने अपने हाथ से साफ़ कर दिया।

हम थोड़ा आगे गए और हमने कोल्ड ड्रिंक्स ली फिर आगे चल दिए।

अचानक फिर कुछ हमारे पीछे लगा जिससे मेरी कोल्ड ड्रिंक उसके टॉप के ऊपर गिर गई।

उसका टॉप गीला हो गया और उसकी सफेद रंग की ब्रा साफ़ दिखने लगी।

उसके गोरे गोरे मम्मे और उस पर काला तिल देख कर मेरा लंड जीन्स फाड़ने की कोशिश करने लगा।

मैंने अपना लंड अपने हाथ से दबा दिया। ये देख कर वो शरमा गई और मुझे तिरछी निगाहों से देखने लगी।

मैं भी हँस पड़ा। हमने आँखों ही आँखों में सब कुछ एक दूसरे को समझा दिया।

वो बोली, ‘अपनी जीन्स को हाथ से क्यों छुपा रहे हो?’

तो मैंने कहा, ‘अगर न छुपाया तो हम दोनों किसी को मुँह दिखने के लायक नही होंगे।’

ऐसे सुनते ही वो ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगी और उसने मेरे गालों पर ज़ोर से चुम्मा दे दिया।

इससे मेरी उत्तेजना में और भी वृद्धि हो गई और मैंने वहीं पर उसके हाथों को चूम लिया।

सभी हमें देखने लग गए थे। तभी हम सँभले और आगे चल दिए।

चलते-चलते मैंने उसकी गाँड पर हाथ मारा और वो मुझे देख कामोत्तेजक मुस्कुराहट बिखेरने लगी।

मैंने पूछा, ‘रेशमा, क्या मैं तुम्हें पसंद हूँ?’

वो आँख मार कर बोली, ‘हाँ, मैं हर रोज़ तुम्हें देखती हूँ… टीशर्ट में तुम्हारी चौड़ी छाती… मुझे दीवाना बना देती है।’

तो मैंने कहा, ‘आज चुदने का इरादा है?’

‘है तो सही,पर कैसे?’

‘ऊपर वाली दुकानें आज बंद हैं, क्यों न हम सीढ़ियों पर जाकर चुदाई करें?’

तो वो खुशी खुशी बोली ‘चलो…’

हम साथ ही ऊपर चले गए। वहाँ एकदम अँधेरा था और कोई भी नहीं था।

उसके चेहरे पर खुशी आ गई और उसने मुझे आँख मारी और तुरन्त ही मेरे होंठ चूसने शुरू कर दिए।

मैं तो पहले से ही उत्तेजित था, मैंने उसकी चूतड़ दबानी शुरु कर दी।

तभी मैंने महसूस किया कि पीछे कुछ है। बाद में पता चला कि वो रेशमा के हाथ ही हैं, जो मेरी गाँड में ऊँगली डाल रही थी।

वो पागलों की तरह मेरे होंठ चूस रही थी और मेरी गांड दबा रही थी।

मैं भी भरपूर जोश में आ गया था। मैंने उसकी जीन्स उतार दी और उसकी पैन्टी के ऊपर से ही अपनी ऊँगली घुमाने लगा।

वो सिसकारियाँ भर रही थी।

तभी उसने मेरी जीन्स उतार दी और मेरे लंड के सुपाड़े के ऊपर से अपनी ऊँगली घुमाने लगी।

मैं पागल होता जा रहा था। मैंने उसकी टॉप उतारी और उसकी ब्रा को मरोड़ दिया।

तभी उसकी ब्रा की हुक अपने-आप खुल गई और मैंने पागलों की तरह उसके मम्मों को चूसना शुरू कर दिया।
साथ ही वो मेरा लंड भी मसल रही थी।

हम दोनों एक-दूसरे को रगड़ रहे थे। मैंने उसके एक निप्पल को अपने मुँह से लगाया और चूसना शुरू कर दिया।

वो ‘अह्ह्ह आया…आ…आई…वू…’ करने लगी।

जिससे मुझे और मज़ा आने लगा। मैं अपनी जीभ उसके निप्पल के आगे गोल-गोल घुमा रहा था।

उसके गोरे-गोरे मम्मे मुझे धन्यवाद कर रहे थे।

वे एक दम लाल हो गए थे, नीचे मेरा लंड भी लाल हो चुका था।

तभी वो झुकी और मेरे लौड़े को चूसने लगी।
उसने हर एक जगह से मेरे लौड़े को चूसा और पूरे का पूरा लौड़ा अपने मुँह में डाल लिया।

उसका अपने ऊपर क़ाबू नही रहा था और वो मेरा लंड लगभग चबाने लगी, जिससे मुझे मीठा दर्द होने लगा और मज़ा भी आ रहा था।

तभी मैंने उसे उठाया और उसे चूसने के बाद उसे नीचे लिया और उसकी चूत को चूसना शुरू कर दिया।

उसका दाना अपनी जीभ से रगड़ना चालू कर दिया और वो भी मेरा साथ देने लगी और अपना हाथ मेरे सिर पर रख कर अन्दर की ओर धकेलने लगी।

वह मुझे बहनचोद और मादरचोद जैसी गालियाँ देने लगी।

तभी उसकी टाँगें सीधी हो गईं और वो मेरे मुँह में ही झड़ गई।

मैं उसका सारा पानी पी गया।

फिर मैंने उसे अपनी नीचे लिटाया और अपना लंड सीधा उसकी चूत के द्वार पर रख दिया और धीरे-धीरे मसलने लगा।

वो चिल्ला उठी, ‘बहनचोद, अब चोद भी दे।’

मैंने एक ही झटके में अपना पूरे का पूरा लंड घुसा दिया और फलचच्च करके एक दम से आवाज़ आई और फिर वो चिल्ला उठी… ‘आआआआआआआअ..’

मैंने झटके एक दम से तेज़ कर दिए।

‘रंडी आज तो तेरी चूत फाड़ कर ही घर वापिस जाऊँगा…’

और वो बोली ‘हाँ बहनचोद… आज अपनी रंडी… की चूत का भोसड़ा बना दे… आह आआ… आई… साले चोद… आह्ह आआआआह’ और वो पागलों की तरह मुझसे लिपट गई।

वो मेरे निप्पल चूसने लगी…

ऐसे करते-करते हम दोनों झड़ गए और एक-दूसरे की ओर देख कर मुस्कुराये… और.. एक दूसरे के होंठों पर चुम्बन लिए, फिर कपड़े पहन लिए।

ये सिलसिला अब रोज़ की तरह चल पड़ा। मैं रोज़ उसे चोदता और वो रोज़ चुदती। इसी प्रकार हमें एक-दूसरे से प्यार हो गया और हम अब गर्लफ्रेंड और ब्वॉयफ्रेण्ड हैं।

आपको मेरी ये कहानी कैसी लगी? आप मुझे ज़रूर ईमेल करें..
0753

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top