दोस्त की कमसिन गर्लफ्रेंड की चिकनी चूत की पहली चुदाई
(Dost Ki Kamsin Girlfriend Ki Chikni Choot Ki Pahli Chudai)
अन्तर्वासना के पाठकों को मेरा नमस्कार, मैं इस हिंदी सेक्स स्टोरी की इस अलबेली साईट की कहानियों को पांच सालों से पढ़ता आ रहा हूँ, तो सोचा कि क्यों ना मैं भी अपनी स्टोरी आपके साथ शेयर करूँ।
मेरा नाम सलमान है, मैं यूपी के हरदोई जिले का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 30 साल है और हाईट 5 फुट 8 इंच है। मैं दिखने में भी ठीक ठाक हूँ.. मुझे घूमने का बहुत शौक है।
मुझमें जो सबसे ख़ास बात है, वो ये कि पहली मुलाकात में ना सही.. लेकिन दो चार मुलाकातों में किसी भी लड़की को पटाने की काबिलियत है। इसके चलते मैं अब तक बहुत बार चुदाई कर चुका हूँ। मैंने कुंवारी लड़की से लेकर 45 साल की आंटी तक को चोदा है।
मेरे लंड का साईज़ भी औसत से बड़ा है और ये बचपन से ही मेरी उम्र के हिसाब से काफी बड़ा हो गया था.. क्योंकि मेरी दोस्ती अपनी उम्र से बड़े लड़कों से हो गई थी.. जिसकी वजह से मुझे मुठ मारने की आदत पड़ गई थी। मैं मुठ मारने लगा था, उस वक्त कम उम्र होने के कारण लंड से कुछ निकलता तो नहीं था, पर एक अजीब सा मजा ज़रूर आता था।
मैं छोटा था.. तब मेरे घर वाले दिल्ली शिफ्ट हो गए थे। मेरे फैमिली में बस तीन ही लोग हैं, मेरे मम्मी-पापा और मैं.. इसलिए मुझे थोड़ी ज्यादा छूट मिली हुई थी।
दिल्ली में मेरे नए दोस्त बन गए थे, लेकिन उनमें मैं सबसे बड़ा था और सब मुझे खान भाई बुलाते थे। मेरी डिक्शनरी में डर नाम की कोई चीज नहीं है.. इस वजह से मेरा रोब अपने दोस्तों पर जम गया था। उन्हें कोई भी काम होता.. तो उन सब कामों में मैं शामिल होता, फिर वो चाहे लड़ाई-झगड़ा होता या लड़कियों को छेड़ना या कोई और मस्ती, सब में मेरी मर्ज़ी ही चलती थी।
मेरे दोस्तों में मोहसिन, पप्पू, प्रमोद, बिल्लू, मनोज और मैं सब मिला कर हम 6 लोग थे। हम सब लोग उत्तम नगर के जीवन पार्क के एरिये में रहते थे, हम सब किराये पर रहते थे।
बिल्लू की एक गर्लफ्रेंड थी, उसका नाम रजिया था, वो पंजाबन थी और बिल्लू भी पंजाबी था। मैंने कई बार बिल्लू को रजिया से मजा लेते देखा था.. रजिया थी भी मस्त माल!
मेरा लंड तो उसको देख कर ही लंड खड़ा हो जाता था और साला बिल्लू मेरे सामने उसको किस करता, उसके संतरे जैसे चूचों को दबाता, तो मेरा दिल करता कि मैं उसे अभी चोद दूँ, पर वो मेरे दोस्त की गर्लफ्रेंड थी, बस यही सोच कर मैं चुप रह जाता और अपना लंड पकड़ कर मुठ मार लेता।
एक दिन मैंने बिल्लू से पूछा- रजिया के साथ तूने कुछ किया भी है या नहीं बिल्लू?
‘नहीं यार मेरी गांड फटती है कि कहीं कुछ गड़बड़ न हो जाए।’
मैंने कहा- मैं हूँ ना.. तू उसको बुला मैं सब संभाल लूँगा।
रजिया भी हमारे पड़ोस में ही रहती थी।
मैंने बिल्लू को राज़ी कर लिया।
बिल्लू- लेकिन करेंगे कब और कहाँ?
मैंने कहा- उसकी फ़िकर मत कर.. मैं सब बताता हूँ।
हमारे घर के पास हर हफ्ते सोमवार को हाट (बाजार) लगती थी। मैंने बिल्लू को बताया- तू रात को 8 बजे रजिया को राज़ी करके बाज़ार घूमने के बहाने ले आना। वो बाहर आ जाए, तो मुझे बता देना।
हमारे घर के सामने एक प्लाट खाली पड़ा था। उसके चारों तरफ बाउंड्री थी.. अन्दर जाने के लिए एक गेट बना था। वहाँ एक पुरानी ट्राली खड़ी थी, जिसको हम खेल के लिए इस्तेमाल करते थे। कभी-कभी हम लोग उसके नीचे बैठ कर एक-दूसरे के लंड भी हिलाते थे। रात को वहाँ काफी अँधेरा रहता था, बिल्लू को मैंने उसको वहीं लाने को कहा।
सब कुछ सही हो गया था.. बस रजिया को चुदते हुए देखना था।
मैं अगले दिन का बड़ी बेसब्री से इंतज़ार कर रहा था। रात होते-होते मैं 3 बार मुठ मार चुका था। मैंने अपने बाकी दोस्तों को पहरेदारी के लिए राज़ी कर लिया था।
रात को हम सब रजिया के आने का इंतज़ार कर रहे थे.. मगर साले 8 बज ही नहीं रहे थे। इधर मेरा लंड था कि शांत होने का नाम ही नहीं ले रहा था।
खैर.. जैसे-तैसे हमें रजिया आती देखाई दी। बिल्लू से ज़्यादा मैं खुश हो गया था, आज चुदाई जो देखने को मिलने वाली थी, पर मुझे क्या पता था कि किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर है और किस्मत मुझ पर मेहरबान होने वाली है।
मैंने बिल्लू से कहा- तू रजिया को लेकर प्लाट में ट्राली के नीचे चल.. मैं देखता हँ कि कोई आ तो नहीं रहा!
मोहसिन और प्रमोद को बाहर नज़र रखने का बोल कर मैं अन्दर आ गया और ट्राली के पास खड़े होकर देखने लगा कि क्या हो रहा है।
बिल्लू उसे किस कर रहा था और चूची दबा रहा था। रजिया ने स्कर्ट और शर्ट पहना हुआ था और इस वक्त वो मजा ले रही थी।
फिर बिल्लू ने उसे वहीं घास पर लिटा दिया और उसकी शर्ट के बटन खोलने लगा।
रजिया की आवाज़ सुनाई दी- नहीं मत खोलो.. ऊपर से ही करो, कोई आ जाएगा।
बिल्लू- नहीं कोई नहीं आएगा.. मेरे दोस्त बाहर हैं, कोई आएगा.. तो वो बता देंगे।
अब बिल्लू ने उसकी शर्ट के बटन खोल दिए, उसने अन्दर बनियान टाइप का कुछ पहना हुआ था।
बिल्लू ने अन्दर हाथ डाला और चूची मसलने लगा.. इधर मेरा हाल ख़राब हो रहा था। मेरा लंड साला पैंट फाड़ने को तैयार था और मैं बार-बार अपने लंड को रगड़ रहा था।
बिल्लू ने रजिया को लिटा दिया और उस की समीज़ को ऊपर कर दिया और दोनों चूचियों को सहलाने लगा। हल्के अँधेरे की वजह से साफ़ तो नहीं दिख रहा था, मगर जो दिख रहा था.. वो बड़ा ही मस्त सीन था।
ये सब देख कर पता ही नहीं चला कि कब मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया और हाथ में पकड़ कर सहलाने लगा।
उधर बिल्लू ने रजिया की स्कर्ट को ऊपर कर दिया और अब वो उसकी चूत को रगड़ रहा था। रजिया कभी उसका हाथ पकड़ती.. तो कभी अपनी टांगों को चलाती।
मेरी आँखें भी अब अँधेरे में काम करने लगी थीं.. उधर मेरा हाथ मेरे लंड पर था। रजिया भी ये देख रही थी कि मैं क्या कर रहा हूँ।
बिल्लू को उसे लेटाए हुए देर हो गई.. तो मैंने कहा- बिल्लू जल्दी कर, कोई आ जाएगा।
बिल्लू- कर रहा हूँ.. रुक तो!
और बिल्लू उसकी एक चूची को मुँह में लेकर चूसने लगा और मैं खड़ा हुआ लंड हिला रहा था।
रजिया बार-बार मेरी इस हरकत को देख रही थी.. उसे मेरा लंड रोशनी में साफ़ दिखाई दे रहा था और मेरी हरकत भी समझ में आ रही थी।
पांच मिनट बाद मैंने फिर कहा- जल्दी करो यार!
बिल्लू बोला- कर तो रहा हूँ।
अब मेरी बर्दाश्त जवाब दे गई थी, मैं भी ट्राली के नीचे पहुँच गया। मैंने बिल्कुल पास से रजिया को नंगी घास पर लेटा देखा.. तो मैं पागल हो गया।
उसके संतरे जैसे चूचे और चिकनी नंगी चूत साफ़ नज़र आ रही थी।
मैं बोला- क्या हुआ.. कर ना, क्या सोच रहा है?
बिल्लू- यार खान.. डर के मारे गांड फट रही है और ये खड़ा भी नहीं हो रहा है, करूँ कैसे?
बिल्लू सच में डर से काँप रहा था, रजिया लेटी मुस्कुरा रही थी। मैंने बिल्लू को गुस्से से बोला- भोसड़ी के तुझ से कुछ नहीं होता है.. हट, मैं करता हूँ।
यह कहते हुए अब तक मेरा हाथ रजिया की चिकनी जांघ पर चलने लगा था।
रजिया मेरा हाथ हटाती और मैं फिर रख देता।
बिल्लू- छोड़ न, जाने दे.. फिर कभी करेंगे!
उधर मेरा हाथ रजिया की नंगी चूत पे पहुँच गया था.. आह्ह.. क्या चिकनी और मस्त चूत थी.. झांटों का तो नाम तक नहीं था। मैंने दूसरा हाथ रजिया की छाती पर रख दिया.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… क्या मस्त दूध थे, एकदम टाइट, अब मैं रजिया के दूध दबा रहा था।
मेरा लंड तो पहले से ही पैंट से बाहर था जो झटके पे झटके मार रहा था।
मैंने बिल्लू को बोला- तू बाहर जा.. मैं अभी आता हूँ।
बिल्लू- नहीं मैं नहीं जाऊँगा.. मैं भी यहीं रुकूँगा।
मैं- तो ठीक है.. रुक!
इस बीच रजिया का हाथ मैंने अपने लंड पर रख दिया था.. जिसे उसने डरते हुए पकड़ लिया। मैं एक हाथ से उसकी चूत और दूसरे हाथ से छाती को सहला रहा था, रजिया भी मेरा साथ देने लगी थी।
मैंने उसकी टांगों को फैला दिया और उंगली चूत के अन्दर डालने लगा। उसकी चूत तो एकदम गीली हो गई थी। उस वक्त मैंने सोचा कि शायद चूत अन्दर से ऐसी ही होती होगी। मैं उंगली को थोड़ा सा चलाने लगा, तो मुझे इसमें मजा आने लगा और रजिया को भी मजा आ रहा था, वो भी मेरे लंड को सहलाए जा रही थी।
अब मैं और नहीं रुक सकता था, मैंने रजिया की टांगों को और चौड़ा किया और उसकी टांगों के बीच आकर लंड को चूत पर रख कर दबाने लगा।
पर वो कहते है ना.. कि अनाड़ी को गाड़ी दोगे, तो ठुकेगी ही..!
सूखा लंड उसकी टाइट चूत में कैसे जाता..!
मैं लंड हाथ में पकड़ के चूत के बीच में डाल कर चलाने लगा, मुझे इसमें भी मजा आ रहा था, तभी मैंने सोचा क्यों न लंड गीला कर लूँ, थोड़ा बहुत तो गीला हो ही गया था, तभी मैंने लंड पर थूक लगाया और फिर से ट्राई किया, पर मुझे चूत का छेद नहीं मिला। मैंने फिर लंड को चूत पर रखा और हाथ से ऊपर-नीचे किया.. तभी लंड की टोपी चूत में फंस गई और रजिया भी थोड़ा सा ऊपर को सरक गई। इस बार लंड निशाने पर लगा था, तभी मैंने रजिया की कमर पकड़ ली और अपने लंड पर थोड़ा सा दबाव बनाया, तो लंड थोड़ा सा और अन्दर घुस गया।
पर अब रजिया मचलने लगी थी, क्योंकि मेरी उम्र के हिसाब से मेरा लंड काफी बड़ा और मोटा था और रजिया चूत अभी कमसिन ही थी।
मैं रजिया के ऊपर लेट गया और उसको किस करने लगा। मैं एक हाथ से उसकी चूची मसल रहा था और दूसरी चूची को मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया था।
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मेरे लंड की टोपी अभी भी उसकी चूत में ही फंसी थी। तभी मैंने एक धक्का लगाया और मेरा करीब आधा लंड चूत के अन्दर चला गया।
रजिया ने रोना स्टार्ट कर दिया था.. शायद उसकी छोटी सी चूत में मेरा हब्शी लंड फंस गया था। मुझे भी अपने लंड में दर्द महसूस हो रहा था।
तभी मैंने एक झटका और मारा, तो मेरा पूरा लंड रजिया की चूत में समां गया। रजिया मुझे धक्के देकर हटा रही थी और रो रही थी।
उसकी हालात देख कर बिल्लू भी बोला- रहने दे खान.. बस कर!
मैंने कहा- अब क्या बचा है.. ओपनिंग तो हो ही गई है.. बस समझो हो गया।
मैं लेटे-लेटे ही अपने लंड को अन्दर-बाहर करने लगा।
कुछ ही पलों में रजिया भी थोड़ा शांत हो गई थी।
अब मैं उठ कर बैठ गया और रजिया की कमर पकड़ कर ज़ोर-ज़ोर से अपना लंड रजिया की चूत में अन्दर-बाहर करने लगा।
मुझे बहुत मजा आ रहा था और रजिया को भी मजा आने लगा था, तभी तो उसने अपने पैरों को मेरी कमर में लपेट लिया था।
मैं धक्के के साथ उस चूची भी मसल रहा था। बेचारा बिल्लू अपनी गर्लफ्रेंड को चुदते हुए देख रहा था और मैं मज़े से रजिया को चोद रहा था। तभी मुझे लगा के मेरे लंड में सनसनाहट हो रही है.. मैंने धक्के तेज़ कर दिए और मैं रजिया के ऊपर ही ढेर हो गया।
चूंकि ये मेरे जीवन का पहला सेक्स था, तो मैं आपको बता नहीं सकता कि मैं कैसा महसूस कर रहा था। मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे मैं हवा में उड़ रहा हूँ।
थोड़ी देर तो मैं ऐसे ही पड़ा रहा.. फिर उठ कर रजिया को देखा तो वो भी मुस्कुरा रही थी।
मैंने पूछा- कैसा लगा?
वो बोली तो कुछ नहीं.. बस मुस्कुरा दी।
मैंने अपनी पैंट चढ़ाई और रजिया को पहले जाने को बोला।
मैं और बिल्लू बाद में बाहर आए, अब तो मैं बराबर रजिया को चोदने लगा था और बिल्लू से भी रजिया को अपने सामने चुदवाया।
यह था मेरा पहला सेक्स.. आपको कैसा लगा दोस्तो, जैसा हुआ था मैंने वैसा ही लिख दिया है। तब से अब तक बहुत चुदाई कर चुका हूँ।
दूसरी कहानी फिर कभी बताऊँगा कि कैसे मोहसिन की बहन सना को पटा कर चोदा।
प्लीज़ मुझे मेल करके बताएं कि मेरी सेक्स स्टोरी आपको कैसी लगी।
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