दो सहेलियाँ चुद गई बॉयज हॉस्टल में-3

(Do saheliyaan Chud gai Boys Hostel me-3)

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मैं अपने रूम पर गई, दरवाज़ा खुल हुआ था, बेड पर ज़ीनत सो रही थी, उसके जिस्म पर एक उसकी सफ़ेद शर्ट था जो देखने से मालूम पड़ रहा था कि किसी लड़के का था।

नीचे जीन्स का एक शॉर्ट्स था बाकी सलवार कुर्ती दुपट्टा उसकी वहीं कुर्सी पर पड़ी थी।

मैंने धीरे से मुंह ले जाकर देखा तो उसके मुंह से शराब की बदबू आ रही थी, मतलब उन लोगों ने उसको शराब पिला कर चोदा था।
मैं वहीं उसके पास ही सो गई।

सुबह देर तक मैं और ज़ीनत सोती रही, दिन में दो बजे हम सोकर उठे।

‘क्या हुआ ज़ीनत? मैंने ज़ीनत की लड़खड़ाती चाल को देखकर पूछा।

‘मत पूछ यार मादर चोदों ने गांड भी मारी थी. लेकिन तू क्यों पेट पकड़े है?’
‘पेट में दर्द हो रहा है! आपके साथ क्या हुआ था बताओ न?’ मैंने ज़ीनत को कुरेदा।

‘जब वह तुमको कमरे में लेकर गए थे तो सबसे पहले उन्होंने हॉल को अन्दर से बंद कर लिया. मोबाइल पर सांग चलाकर मुझे डांस करने को बोला। मैं डांस करती रही, वे लोग मुझे यहाँ वहाँ पकड़ते छूते रहे।

फिर उन्होंने खाना और ड्रिंक करना शुरू किया मैं उनके साथ सोफे पर बैठी थी।
सामने ब्लू फिल्म चल रही थी, बार-बार उनके छुए जाने से मेरी चूत तो ब्ल्यू फ़िल्म देख कर पूरी ही गीली हो चुकी थी।

फिर खाना खत्म होने के बाद उन्होंने मुझे बेड पर खींच लिया।
‘तू इतना क्यों डर रही है, तू तो खेली खाई लड़की है!’ उसने मेरी टांगों को ऊपर उठाते हुए कहा।

‘पहले सलवार खोल इसकी!’ कहते हुए एक लड़के ने मेरी कुर्ती ऊपर करके कमरबंद खींच दिया।
दूसरे लड़के ने मेरी सफ़ेद सलवार पकड़कर खींच दी।

‘नहीं प्लीज़ जाने दो न सर..’ मैं उनके सामने हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाने लगी।
दिल ही दिल में हां थी लेकिन नाटक न करती तो रांड समझी जाती।

‘तेरी जैसी पटाका माल को जाने दूँ?’ कहते हुए उसने मेरे पैरों को खोल दिया।
‘क्या कयामत चूत है यार…’ इसकी बोलते हुए उन्होंने मेरी लाल चड्डी पैरों से खींचकर निकाल दी।

मैंने मुस्कुराते हुए अपने पैर चौड़े कर दिए ‘प्लीज चोद दो मुझे!’

‘बहन की लौड़ी अब आई तू अपने असली रंग में… तेरी चूत बता रही है कि तू एक नंबर की चुदक्कड़ लौंडिया है।’
विवेक ने एक जोरदार थप्पड़ मेरे चूतड़ों पर जड़ दिया, मैं आह.. करती हुई मचल उठी।

फिर उसने मेरे पैरो के बीच में बैठ कर अपना लण्ड मेरी चूत के मुंह पर रखा और एक जोरदार धक्का मारा लेकिन लंड फ़िसल गया। उसने दोबारा कोशिश की, मैं सांस रोके हुए पड़ी थी।

बाकी के दो लड़के मेरे चूचियो को मसल रहे थे तो कभी पी रहे थे।

‘तकिया लगा इसकी गांड के नीचे!’ बोलते हुए उसने मेरे चूतड़ ऊपर उठाकर उसके नीचे तकिया लगा दिया।

‘है तो तू अभी भी टाइड माल ज़ीनत!’ इस बार उसने अपने लंड के सुपारे पर थूक लगाया और एक ही झटके में आधा लण्ड चूत में डाल दिया।
मेरे मुंह से ‘आईईईई.. अम्मी… मर गई मैं!’ निकल गई।
उसका लंड बहुत मोटा था।

‘क्यों क्या हुआ रंडी.. अभी तो आधा लण्ड बाकी है।’ यह कह कर एक झटका और लगाया और अपने हाथ मेरी चूचियों पर ले जाकर जोर-जोर से धक्के लगाने लगा।

मेरी हालत तो तू समझ ही गई होगी कि मैं कैसे उसकी चंगुल में फँसी हुई थी और उसका मोटा लण्ड मेरी चूत में घुसा हुआ था।
मैं दर्द से बिलबिला रही थी।

सब लोग बिल्कुल नंगे थे, मुझे समझते देर ना लगी कि आज पक्का मेरी चुदाई कई लौड़ों से होने वाली है। वैसे तो मैं कई बार चुदवा चुकी थी लेकिन एक साथ तीन तीन लेने का सौभाग्य पहली बार मिला।

वह झटके देने लगा, मेरे मुंह से ‘आआअहह.. अइय्आ आआ ऐययईया.. आहह मैं मर गई..अम्मी…’ निकलता रहा।

‘बहुत आह आह कर रही? हाँ? यह ले इसको चूस!’ तभी एक ने उठ कर मेरे मुंह में लण्ड डाल दिया और मेरी आवाज़ बंद हो गई।

अब सारे के सारे खड़े लड़के मेरे ऊपर ऐसे टूट पड़े जैसे मैं कोई रंडी हूँ।
‘यह ले पी इसको!’ उन्होंने शराब की बोतल मेरे मुंह को लगा दी, मैंने मुंह फेर लिया।

‘पी इसको मादरचोद रांड!’ विवेक ने बोतल मेरे मुंह में उलट दी, मैं गटगट करती पी गई।
‘हाँ यह बात… और पी!’ मैंने इससे पहले अकरम अंकल के साथ शराब पी थी, वे मुझे चोदने से पहले शराब ज़रूर पिलाते थे. लेकिन यह बहुत कड़वी थी।

मुझ पर नशा छाने लगा था तब मैंने पूछा- मेघा कहाँ है?
तो उसने कहा- तू टेंशन मत ले.. तेरी रूम मेट भी एक रूम में चुद रही है, वह तेरी चुदाई के बाद ही आएगी।

वह हँसते हुए मेरे मुंह के आगे लण्ड हिलाने लगा. शराब के नशे में अब मैं उनके बीच चुदने को तैयार थी लेकिन झूठा विरोध करके उनको भड़काना चाहती थी जिससे कि वे मुझे और तकलीफ देते, मेरी चुदाई करते!

मैं फिर नखरे करने लगी, मैं भी समझ गई कि मुझे अब क्या करना है, मैंने मुंह खोला और पालतू कुतिया की तरह झुककर बारी-बारी से सब का लण्ड चूसने लगी।

‘बहुत नखरे करती है, आह्ह्ह… चूस मादरचोद… तुझे तो हम कालेज की रांड बनायेंगे!’ मैं जिसका लंड मुह में लेती वह लड़का मुझे बुरी बुरी गालियाँ देता!
यही मैं चाहती थी।

‘अब नहीं चूसूंगी, मेरी चूत में अब डाल दो!’
‘साली कुतिया.. मेरे आगे शर्तें रख रही है।’

उसने इतना कह कर लण्ड वापस मेरे मुंह में पेल दिया और मेरा सिर पकड़ कर मुंह की चुदाई शुरू कर दी।
फिर सब ने बारी-बारी से मेरे मुंह की चुदाई की।

‘आह्ह ह्हहह्हह… ज़ीनत तू मस्त माल है यार… अन्दर तक ले गले तक!’ उसने मेरे सिर को पकड़कर अपनी तरफ दबाया, उसका मोटा लम्बा लंड मेरे गले तक जा रहा था।

‘खड़ी हो जा और मेरे लंड पर बैठ.’ एक लड़के ने मुझे बाल पकड़ कर उठने को कहा और बिस्तर पर लेटा कर मुझे अपने लण्ड पर बैठने को कहा।
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मैं खड़ी होकर लड़खड़ाते हुए उसके लण्ड पर बैठ गई, उसका लण्ड विवेक के लण्ड से थोड़ा छोटा था.. तो मुझे चूत में लेने में कोई दिक्कत नहीं हुई. मैं आराम से पूरा लण्ड खा गई।

फिर विवेक ने मुझे उसके ऊपर लेटा दिया और गोरे चूतड़ों को खोल कर मेरी गाण्ड चाटने लगा।
मैं समझ चुकी थी कि आज मेरी गांड भी मारी जाएगी।

‘अब पीछे मत डालो यार!’ मैं एक बार फिर उनसे नखरे चोदने लगी।
मैं जानती थी कि मर्द के सामने जितना भोली बनो, वो उतना ही वाइल्ड हो जाते हैं।

‘तेरी जैसी रांड लड़की की अगर गांड न मारी तो फिर सेक्स का मज़ा ही नहीं है।’ कहते हुए मेरी गाण्ड को पूरी तरह गीली करने के बाद अपना लण्ड मेरी गाण्ड के छेद पर रखा और ज़ोर के झटके के साथ लण्ड का टोपा मेरी गाण्ड में घुस गया।

‘आह्हह्ह ह्हह्हह… अम्मी…’ आँखें भिचते हुए मैं दर्द से बिलबिला उठी थी।

‘लगता है तुझे आज तक किसी ने पीछे से नहीं पेला है।’
‘नहीं यार… पहला मौक़ा है. मैंने कभी गांड नहीं मरवाई।’

तभी दूसरे लड़केने अपना लण्ड मेरे मुंह में डाल दिया।
मैं कुतिया बनी हुई थी, अब मेरे मुंह.. गाण्ड.. और चूत में लण्ड फंसे हुए थे और मैं दर्द से तरह तड़प रही थी।

सब ने पूरे लण्ड मेरे सभी छेदो में दिए हुए थे, मेरी आँख से आँसू आने लगे, सब ने बारी बारी से मुझे जानवरों की तरह चोदा।

ओह्ह.. क्या बताऊँ. मेघा.. इतना मजा आ रहा था.. आहह… वो मेरी पीठ चाट रहा था, फिर थोड़ा नीचे आकर मेरी गाण्ड चाटने लगा…
उफफ्फ़… मेरी चूत इतनी गीली हो गई कि कामरस की एक-दो बूँदें भी गिर रही थीं।

उन्होंने बारी बारी से पलट कर एकदम से पूरा लंड मेरी चूत में पेल दिया ‘आहह… 6 इंच लंबा 3 इंच मोटा लंड चूत में था…’

‘आह…आह…’ मैं घोड़ी बनी थी और वो मुझे मिल कर चोद रहे थे- ‘चोदो…चोदो. और चोदो आहह… अहह… फाड़ दो इस चूत को… उम्म्म्म…’

वो चोदते हुए मेरी गाण्ड सहलाते… मम्मों को दबाते।

मैं चिल्लाती रही- फक.. फक फक.. आह… रंडी बना दो मुझे!
उन्होंने मुझे फिर पलट दिया… मेरी चूत में पानी आ गया था।

एक लड़का फ़िर से मेरी चूत चूसने लगा ‘आहह… क्या मस्त चूत है ऊह्ह… ज़ीनत… मेरी जान… उम्म्म… उम्म्म्म… जितनी मस्त तुम हो उतनी ही तुम्हारी चूत भी.. मस्त है।’

‘चाटो…और चूसो… उम्म्म्म…’
वो फिर से लंड चूत में डाल कर चोदने लगे, मैं सिसकारियाँ लेती हुई फिर झड़ गई।

करीब सुबह के पांच बजे वह लोग मुझे चोद-चोद कर थक कर बेहाल हो चुके थे, मेरी हालत बहुत खराब थी, मैं बेड पर बेसुध नंगी पड़ी हुई थी। फिर उन्होंने मुझे उठा कर कपड़े पहनाए और वापस यहाँ पीछे के रास्ते से रूम में छोड़ दिया।

अपनी चुदाई की कहानी सुनाकर ज़ीनत ने मुझे अपने गले से लगा लिया- और तेरे साथ क्या हुआ था?
‘मैं भी कली से फूल बनकर आई हूँ!’ जवाब देकर हम दोनों खिलखिला कर हंस पड़ी।

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