दो दिलों की प्रेम भरी सेक्सी कहानी-2

(Do Dilo Ki Prem Bhari Sexy Kahani- Part 2)

दो दिलों की प्रेम भरी सेक्सी कहानी-1
आपने अब तक इस प्रेम भरी सेक्सी कहानी में पढ़ा कि पूजा मुझसे चुदना चाहती थी इसलिए उसने मुझसे कहा था कि इस बार हम दोनों के बीच में कंडोम होगा।
अब आगे..

मैं तुरंत केमिस्ट की दुकान पर गया और एक कंडोम का पैकेट खरीद लाया और बाथरूम में जाकर एक कंडोम को अपने लंड पर लगा कर ट्राई किया और मुट्ठी मारी।

इसके बाद मैं रात का इंतजार करने लगा। जैसे ही एक बजा, मैं पूजा के घर गया। उसने गेट पहले ही खोल रखा था मैं उसको लेकर अन्दर चला गया। अन्दर बहुत ही अंधेरा था और मैं जाते ही उसे चूमने लगा। वो भी मुझे खूब चूम रही थी।

मैंने उससे कहा- मैं तुमको देखना चाहता हूँ।
उसने तुरंत लाइट जला दी, मैं हैरान हो गया कि कुछ दिन पहले यही लड़की मुझसे इतना शर्मा रही थी और आज खुद ही मेरे लिए लाइट जला रही है। इसके बाद मैंने उसको अपनी बांहों में भर लिया और खूब चूमा, चूचे दबाए।

दोस्तो, यह 24 सितंबर 2012 की रात थी। उसको खूब चूमने के बाद मैंने बिना कुछ कहे उसके हाथ ऊपर किए सूट उतारने के लिए, इस बार उसने बिना कुछ कहे हंस कर हाथ ऊपर कर दिए।

मैंने बहुत ही प्यार से उसका शर्ट उतारा और उसे अपने सीने से चिपका लिया। इसके बाद मैंने भी अपने हाथ ऊपर कर दिए ताकि वह भी मेरी बनियान उतार सके।
उसने बिना कुछ बोले मेरी बनियान उतार दी।

अब मैं ऊपर से नंगा था और वो ब्रा में थी। मैंने उसकी ब्रा भी बड़े प्यार से उतारी और उन प्यारे-प्यारे चूचों को लेकर हाथों से सहलाता रहा।
फिर मैंने उसको गोद में उठाया, बेड पर लिटा दिया और मैं उसके ऊपर चढ़ गया। उसने अभी भी नीचे सलवार पहनी हुई थी। मैं कोई जल्दबाज़ी नहीं करना चाहता था क्यूंकि हम एक-दूसरे से बहुत प्यार करते थे और हर काम तसल्ली से करना चाहते थे।

मैंने उसको लिटा कर ही खूब चूमा, कभी मैंने उसके नीचे वाले होंठों को चूमता तो कभी वो मेरे नीचे वाले होंठों को मुँह में भर कर चूस लेती।

लड़कों को मैं यहाँ एक बात बताना चाहता हूँ, कि तुम खुद कुछ मत करो.. बस अपने होंठों को लड़की के मुँह में डाल दो, बाकी का काम वो खुद कर देगी। लड़की के होंठ चूसने से ज्यादा मज़ा चुसवाने में आता है। इसका मज़ा में बता नहीं सकता, जिसने किया है बस वही समझ सकता है।

मैं लगातार उसके चूचों पर भी हाथ चला रहा था। मैं जितनी तेज से चूचे दबा सकता था, दबाया मगर उसके मुँह से सिर्फ़ कामुक सिसकारियाँ ही निकल रही थीं।

उसके एक चूचे को मैंने मुँह में भर लिया और दूसरे को हाथों से दबाने लगा। वो भी बहुत ही ज्यादा गर्म हो चुकी थी और मुझे अपने से चिपकाए जा रही थी। ऐसा लग रहा था मानो वो मुझे अपने से कभी अलग ही नहीं होने देना चाहती हो। हम दोनों पसीने से भीग गए थे।

फिर मैं उससे अलग हुआ और उससे पूछा- क्या तुम सच में सेक्स करना चाहती हो?
मैं उसकी राय जानना चाहता था, बेशक हम एक-दूसरे से बहुत प्यार करते थे पर फिर भी मैं यह सब उसकी मर्ज़ी से करना चाहता था।
उसने जैसे ही ‘हाँ’ कहा, मैंने सलवार का नाड़ा खोल दिया और उसने पैरों को उठा लिया, मैंने झट से सलवार उसके बदन से अलग कर दिया और उसके ऊपर आ गया।
उसने अभी नीचे पेंटी पहनी हुई थी और मैं उसको ऐसे ही कभी पेट पर तो कभी जाँघों पर चूम रहा था।

फिर मैंने उसके ऊपर आकर उसके चूचों को मुँह में भर लिया और खूब जोर-जोर से अन्दर खींचने लगा। ऐसा करने में मुझे बहुत ही मज़ा आ रहा था और वो भी मेरा भरपूर साथ दे रही थी।
जब मैं चूचों को चूसने के लिए आगे बढ़ता तो वो मेरा सिर पकड़ कर अपने सीने पर दबा लेती।

अब और ना तो मुझसे ही सब्र हो रहा था.. ना ही मेरी जान से। तो मैं उसके ऊपर से उठा और उसकी पेंटी को उसकी टांगों से अलग कर दिया।
अब पूजा मेरे सामने एकदम नंगी लेटी थी। शायद उसने आज ही बुर के बाल साफ किए थे, वो भी मेरे लिए।

यह देख कर तो मैं पागल सा हो गया और फिर से उसको चूमने लगा। उसके रसभरे चूचों को फिर से खूब चूसा और ऊपर से धीरे-धीरे नीचे आने लगा। पहले मैंने उसकी आँखों को चूमा। जब मैंने उसकी पेंटी अलग की थी, उसने शर्म से आँखें बंद कर ली थी।

मैंने उससे कहा- पूजा, आँखें खोलो।
तो उसने मुस्कुरा कर आँखें खोल दीं।

वो हर काम मैं मेरा भरपूर साथ दे रही थी मानो जैसे मेरी पत्नी ही हो.. और हाँ वो मुझे अपना पति ही मानती थी। तभी मैं यह सब कर पा रहा था।

मैंने होंठों को चूमा और गर्दन से होते हुए मम्मों पर आ कर रुका। मैंने उसके एक चूचे को मैंने हाथ से संभाला दूसरे को मुँह में भर लिया। फिर दस मिनट तक दूध चूसने के बाद पेट पर चूमना शुरू किया और फिर नीचे सीधा जाँघों पर चला गया और जाँघों से चूमता हुआ धीरे-धीरे ऊपर आने लगा।

मैंने उसकी जाँघों को भी खूब चूमा और अब बारी थी उस खजाने को लूटने की, जिसको वो सिर्फ मुझे ही देना चाहती थी।

पूजा की बुर ऊपर की तरफ से थोड़ी फूली हुई थी। मैंने हल्के हाथों से उस पर हाथ फेरा और अपने दोनों हाथों से बुर के होंठों को खोल कर देखा, अन्दर से एक गुलाबी सा माँस का टुकड़ा बाहर आ गया। शायद यह लड़कियों की मूतने की जगह थी। उसके नीचे एक छेद था, जहाँ से सारी दुनिया आई है।

मैं देख कर हैरान हो गया जो बुर देखने में इतनी बड़ी और फूली हुई है.. उसमें इतना छोटा सा छेद था।

मैंने हल्के हाथों से बुर को खूब सहलाया और फिर कंडोम निकाल कर लंड पर चढ़ा लिया। अब मैं पूजा के ऊपर लेट गया, उसे थोड़ा चूमने के बाद मैंने लंड के आगे वाले हिस्से को बुर के छेद से सटा कर हल्का सा जोर लगाया। पूजा की मानो जान ही निकल गई हो, उसके मुँह से बस हल्की-हल्की सिसकारियाँ निकलने लगीं।

लेकिन ना तो उसने मुझे आगे करने से रोका और ना मैं खुद रुका। वो खुद भी चुदाई के मूड में थी, पर उसको दर्द बहुत हो रहा था, फिर भी उसने मुझे रोका नहीं।
मैं खुद ही एक मिनट के लिए रुका और फिर धीरे-धीरे अन्दर की ओर जोर लगाने लगा। अचानक उसके मुँह से एक दर्द भरी आवाज़ आई और मैं थोड़ा रुक कर उसको फिर से चूमने लगा और चूचों को पीने लगा। जब उसकी साँसें थोड़ी शांत हुईं तो मैंने फिर दबाव बनाया और हल्का-हल्का लंड अन्दर डालने लगा।

ऊपर मैं चोद रहा था और मेरी पूजा नीचे दर्द से तड़प रही थी। मुझे लगा कहीं इसके मुँह से तेज आवाज़ ना निकल जाए इसलिए मैंने अपने हाथों से उसका मुँह बंद किया और लंड को बुर में पूरा घुसा दिया। जब वो थोड़ा शांत हुई तो मैंने अपना हाथ हटाया और उसको चूमने लगा और हल्के-हल्के चूचे दबाए।

कोई 5 मिनट बाद मैंने लंड को हल्का सा बाहर खींच कर वापस अन्दर डाल दिया। अब उसकी मजे से युक्त दर्द भरी सिसकारियाँ निकलने लगीं। जैसे-जैसे मेरा लंड अन्दर जाता, उसकी सिसकारियाँ निकलतीं। मुझे हल्का-हल्का मज़ा आने लगा था और फिर धीरे-धीरे धक्कों की स्पीड बढ़ने लगी।

उसकी सिसकारियों की भी अब मैं उसके होंठ चूस रहा था और हाथों से चूचे दबा रहा था और नीचे लंड से बुर चोद रहा था। धीरे-धीरे लंड की स्पीड बढ़ने लगी। मुझे इतना मज़ा आ रहा था कि इसको बता पाना असंभव है। मेरा लंड पूजा की बुर की पूरी गहराई तक जाता और आता।

ऐसे ही धक्कों की स्पीड बढ़ती गई और वो टाइम आ गया, जब मुझे लगा कि मेरा माल निकलने वाला है। मैंने पूरी ताक़त लगा कर लंड पूजा की बुर में पेला और निकाला। कुछ देर की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद मेरा माल निकलने को हुआ तो उस वक्त मैं और तेजी से पूरा लंड पूजा की बुर से निकालता और पूरा घुसाता, फिर पूरा निकालता और फ़िर घुसाता।

आख़िर में मेरे लंड ने पूजा की बुर में फंसे कन्डोम में अपना सारा वीर्य निकाल दिया। कुछ पल मैं वैसे ही उसके ऊपर लेटा रहा और फिर उठ कर उसको खूब चूमा, खूब प्यार किया। उसने भी मुझे गले से लगा कर प्यार किया। फिर मैंने कन्डोम हटा दिया।

थोड़ी देर हम यूँ ही एक-दूसरे की बांहों में लेट कर बातें करते रहे। इस बार वो खुद अपने हाथों से मम्मों को पकड़ कर मुझे दूध पिला रही थी।

थोड़ी देर बाद हम फिर गर्म हो गए और एक दौर चुदाई का और चला। इस बार देर तक चुदाई चली। लंड का माल निकालने के बाद मेरा ध्यान जब घड़ी की तरफ गया तो 3 से ज़्यादा बज रहे थे.. मैंने कपड़े पहने और अपने घर चला आया।

इसके बाद 29 सितंबर 2012 का दिन था, इस बार मैंने पूजा से कहा- मुझे तुमसे मिलना है।
और फिर हमारा रात का प्रोग्राम बन गया।

उस रात को मैं पूजा के घर 12 बजे के बाद पहुँचा यानि की 30 सितंबर 2012 और मैंने जाते ही उसके माथे को चूम लिया और उसको जन्मदिन की शुभकामनाएँ दीं। उसका जन्मदिन था, शुभकामनाएँ देने पर वो इतनी खुश हुई कि मुझे गले लगा कर चूमने लगी। मैंने पहली बार उसे इतना खुश देखा था।

उसने कहा- आपको याद था?
मैंने कहा- मैं मेरी जान का जन्मदिन कैसे भूल सकता हूँ!

और फिर शुरू हुआ चुदाई का खेल.. जो पूरे दो घंटे चला। जब पूजा कलाइमेक्स पर पहुँची तो उसने मुझे इतनी तेज अपनी तरफ जकड़ा कि मैं हिल भी नहीं पाया। उसने अपने हाथ को मेरी कमर में डाल कर अपने सीने से इतनी जोर की दबाया कि मुझसे हिला भी ना गया। ऐसा लगा मानो वो मुझे अन्दर ही घुसा लेना चाहती हो। मुझे उस दिन लड़की की ताक़त का अंदाज़ा हुआ।

इस बार उसको चुदाई में बहुत मज़ा आया और हमने 2 बार चुदाई की।

चुदाई के बाद मैंने पूछा- कैसा लगा?
तो उसने बताया- जब पहले दिन तुमने किया था तो बहुत दर्द हो रहा था.. मुझे मज़े का पता ही नहीं चला था, मगर आज बहुत मज़ा आया। उस दिन बस दर्द हो रहा था।

उसको पहली बार में खून भी नहीं निकला था। इसको लेकर वो खुद कहने लगी कि पता नहीं खून क्यूँ नहीं निकला। तब मैंने उसको समझाया कि ज़रूरी नहीं हर लड़की को पहली खून निकले।

दोस्तो, रिश्ते में भरोसा ज़रूरी है, खून निकलना या सील का टूटना जरूरी नहीं.. इसके बाद मैं अपने घर चला आया।

दोस्तो, मैं यह कहानी लिखना तो नहीं चाहता था, पर कुछ दिन पहले मैंने डॉ. दलबीर सिंह की कहानी तुझको भुला ना पाऊँगा पढ़ी। उसे पढ़ा कर ऐसा लगा कि मुझे भी अपनी प्रेम कथा लिखनी चाहिए। मेरी कहानी एकदम सच्ची है।

अगले दिन उसने मुझे फिर अपने घर बुलाया और हमने फिर प्यार किया।

उसके 2 ही दिनों बाद एक सड़क दुर्घटना में उसकी मौत हो गई और वो मुझे अकेला छोड़ कर चली गई। मुझे आज भी उसकी बहुत याद आती है, इसलिए नहीं कि मैं उसको बहुत प्यार करता था बल्कि इसलिए वह मुझे अपनी जान से ज़्यादा प्यार करती थी। बेशक आज वो इस दुनिया में नहीं है, लेकिन मेरे दिल में हमेशा रहेगी, मरते दम तक।

मैं भगवान से बस यही प्रार्थना करता हूँ, वो जहाँ भी हो खुश रहे। मेरे दिल मैं आज भी उसके लिए वही प्यार और सम्मान है, जो पहले था।

एक औरत के दिल में कितना प्यार होता है, यह मैंने उससे ही जाना है। औरत जिससे प्यार करती है। उस पर जान लुटाने को तैयार रहती है। दोस्तो नारी का सम्मान करें.. अगर नारी नहीं है तो दुनिया में कुछ नहीं है। एक नारी पुरुष को हर मोड़ पर प्यार देती है, कभी माँ बनकर, कभी बहन कभी बेटी.. तो कभी पत्नी या प्रेमिका बन कर।

यह सेक्स वेबसाइट है इसीलिए मैंने अपनी सेक्स स्टोरी को उत्तेजक बना कर प्रस्तुत करने की कोशिश की है.. उम्मीद है आपको पसंद आई होगी।
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