कॉलेज गर्ल बनी एक रात के लिये रंडी- 1

(Desi Ladki Sex Kahani)

देसी लड़की सेक्स कहानी में एक लड़की कॉलेज फीस को मौज मस्ती में उड़ाकर मुसीबत में फंस गयी. वह एक अमीर लड़की के पास मदद मांगने गई तो उसने क्या रास्ता दिखाया.

मेरे प्यारे दोस्तो, कैसे हैं आप सब!
उम्मीद करती हूँ कि मजे में ही होंगे।

और अगर मजे में नहीं हैं तो आज की कहानी पढ़ कर मजा जरूर आयेगा।

मैं सुहानी चौधरी आप सबका अपनी इस नयी देसी लड़की सेक्स कहानी में स्वागत करती हूँ।

उम्मीद करती हूँ कि आप में से ज़्यादातर लोगों ने मेरी पिछली कहानी
कुंवारी लड़की की पहली चुदाई की लालसा
पढ़ी होंगी और मेरे बारे में जानते ही होंगे।
और अगर नहीं पढ़ी तो अब पढ़ लीजिएगा।

अब आपका ज्यादा समय न लेते हुए देसी लड़की सेक्स कहानी में आगे बढ़ते हैं।

जैसा कि आप सब जानते हैं मैं एक छोटे शहर से दिल्ली में पढ़ने आई थी।
और कुछ ही महीनों में मुझे दिल्ली की हवा भी लग गयी।

मैंने एक बॉयफ्रेंड भी बना लिया था पर क्यूंकि वह दूसरे शहर में रहता था तो मुझ पर ज्यादा रोक-टोक नहीं थी।

समय के साथ मैं थोड़ा बिगड़ने भी लगी थी और मेरे खर्चे भी बहुत बढ़ गए थे।
हालांकि मेरा थोड़ा बहुत खर्चा बॉयफ्रेंड उठा लेता था पर मैं फिर अपने शौक ज्यादा पूरे नहीं कर पाती थी.

मेरे घर वाले भी बड़ी मुश्किल से सब खर्चा उठा पाते थे और काफी सख्त थे तो मुझे सोच समझ कर खर्च करना पड़ता था।

मेरी ही क्लास में एक लड़की और थी निशा … वह भी सामान्य परिवार से ही थी.
पर शायद उसने कोई मोटा मुर्गा यानि बॉयफ्रेंड फंसा रखा था तो वह खूब खर्च करती थी.

मुझे मन ही मन उससे जलन होती थी.
हालांकि जलती वह भी थी मुझसे क्योंकि मैं उससे बहुत ज्यादा सुंदर हूँ।

खैर समय बीत रहा था पर मुझे जिंदगी में मजा नहीं आ रहा था।
मेरा भी मन होता था घूमने फिरने का, मजे करने का, कॉलेज लाइफ का आनन्द लेने का!

धीरे धीरे मुझे समझ आने लगा कि मुझे भी कोई छोटी मोटी नौकरी पकड़नी पड़ेगी जिससे मैं आपने फालतू के खर्चे निकाल सकूँ।
दूसरी तरफ मेरी पक्की सहेली तन्वी ने तीन चार लड़के बॉयफ्रेंड बना रखे थे तो उसका खर्चा चल जाता था।

एक बार कॉलेज के कुछ दोस्तों ने कहीं घूमने जाने का प्लान बनाया.
मेरा मन तो बहुत था पर पैसे की कमी के चलते मैं जा नहीं सकती थी।

इत्तेफाक से मेरे घर वालों ने कॉलेज की फीस भिजवाई थी 40000 रुपए.
पर मैं उन्हें खर्च नहीं कर सकती थी।

मेरे सब दोस्त मुझ पर दबाव डालने लगे चलने के लिए.
पर पैसे की कमी के चलते मैंने मना कर दिया था।

मेरे एक दोस्त ने सुझाव दिया कि अभी फीस के पैसे खर्च कर लूँ, 1-2 हफ्ते बाद कॉलेज में एक स्कॉलरशिप प्रतियोगिता है, अगर मैंने जीत ली तो मेरी सारी फीस माफ हो जाएगी।

मैं पढ़ाई में अच्छी तो थी ही … तो मैं इतना खतरा उठा सकती थी.
क्योंकि पहले भी मैं काफी प्रतियोगिता जीत चुकी थी।
थोड़ा डर तो था ही … पर मुझे अपने ऊपर भरोसा था कि मुझे स्कॉलरशिप मिल ही जाएगी.

तो मैंने भी ट्रिप पर जाने के लिए हाँ कर दी।
मैंने ख़रीदारी करी, अच्छे कपड़े और बाकी सामान खरीदा और हम सब 4-5 दिन के लिए घूमने चले गए।

वहाँ हम सब ने खूब मजे करे।
मैंने खूब ख़रीदारी करी, बहुत मजे करे।

फिर हम सब कॉलेज वापस आ गए और पढ़ाई में लग गए।

स्कॉलरशिप के लिए परीक्षा आने वाली थी तो मैं पूरी तैयारी से पढ़ रही थी।
मैंने बहुत मेहनत की और परीक्षा दी।

परीक्षा काफी कठिन थी पर मुझे पूरी उम्मीद थी कि मैं पास हो जाऊँगी।

पर इस बार मेरी किस्मत ने मुझे सबसे बड़ा धोखा दे दिया और मैं मात्र कुछ अंकों से फ़ेल हो गयी।
स्कॉलरशिप का मौका मेरे हाथ से निकल गया।

ऊपर से मैंने फीस के सारे पैसे घूमने फिरने में खर्च कर दिये थे।
मुझे फ़ेल होने का उतना दुख नहीं था पर अब मैं फीस कहाँ से जमा करूंगी, इस टेंशन में थी।

मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था.
और घर वालों से दुबारा पैसे क्या बोल के लूँ, ये सोच सोच के मेरी आंखों के आगे अंधेरा छा रहा था।

मैं अपने कमरे में बैठी थी और रोने को हो रही थी।

तभी तन्वी आई और पूछा- कैसा रहा रिज़ल्ट?
मेरे जज़बातों का बांध टूट गया और मैं उससे लिपट के रोने लगी।

मैंने रोते हुए उसे बताया- मैं फ़ेल हो गयी हूँ और अब फीस जमा करने को पैसे नहीं हैं।

जब मैं थोड़ा शांत हुई तो तन्वी ने मुझे समझाते हुए कहा- देख रोने से कुछ नहीं होगा, तू टेंशन मत ले कुछ जुगाड़ कर लेंगी हम दोनों!

मुझे उसकी बातों से थोड़ी हिम्मत तो आई.

पर हम दोनों के पास ही एकदम से इतने पैसे लाने का कोई रास्ता नहीं था।

मैंने कुछ दोस्तों से बात भी की उधार लेने की … पर किसी के पास भी इतना पैसे नहीं थे सबके मिला के फीस जमा कर सकूँ.
क्योंकि सब लोग साथ में घूम के आए थे तो पैसे खर्च हो चुके थे।

मैंने कॉलेज के अधिकारियों से भी बात करी पर वहाँ से भी निराशा ही हाथ लगी।
तन्वी ने बोला- निशा से मदद मांगें? वह तो अमीर है, खूब खर्चा करती है, शायद मदद कर दे।

हालांकि मैं उससे थोड़ा जलती थी … पर मुझे कोई चारा नहीं दिखा तो हम दोनों उसके कमरे में गई।
मैंने उसे अपनी परेशानी बताई।

शुरू में तो निशा भी थोड़ी उखड़ी उखड़ी सी थी क्योंकि वह भी मुझे ज्यादा पसंद नहीं करती थी.
क्योंकि एक तो मैं उससे काफी सुंदर थी, दूसरा जिसे वह पसंद करती थी, उसे मैं पसंद थी और उसने मजे लेने के लिए उसे फंसा के रखा हुआ था।

आखिर जब काफी देर तक बात करने का कोई निष्कर्ष नहीं निकला तो निशा बोली- देख सुहानी, मैं इतने पैसे तो नहीं दे सकती. पर हाँ … तू चाहे तो मैं अपनी आंटी से बात कर सकती हूँ. वे शायद तेरी मदद कर दें. वे बहुत दयालु हैं।
मैंने कहा- कुछ भी कर दे … पर काम करवा दे, तेरा जिंदगी भर एहसान मानूँगी।

फिर हम तीनों शाम को उसकी आंटी से मिलने गई।

निशा की आंटी एक आलीशान घर में रहती थी, बड़ा घर, नौकर चाकर।
मुझे उम्मीद जगी कि शायद यहाँ काम बन जाएगा।

निशा ने पहले आंटी से अकेले में बात करी और मेरी समस्या बताई।
फिर मैं तो तन्वी आंटी के पास गयी।

शुरू में तो आंटी ने हम से बड़े अच्छे से बात करी.
उन्होंने मेरे चेहरे को अपने हाथो से पकड़ा और प्यार से हाथ फेरते हुए कहा- सुहानी बेटा, बहुत सुंदर हो तुम तो!

आंटी ने आगे कहा- मुझे बताया निशा ने तुम्हारी समस्या के बारे में! मैं तुम्हारी मदद कर सकती हूँ पर मेरा क्या फायदा होगा?
मैंने कहा- आंटी, प्लीज हेल्प कर दो, आप जो बोलोगी मैं वह करूंगी।

आंटी बोली- सोच लो बेटा, बाद में मुकरना मत!
मैंने कहा- नहीं आंटी।

आंटी अंदर गयी और हाथ में 50000 रुपए लेकर आ गयी।
उन्होंने मेरे हाथ में पैसे दिये और कहा- ये लो. और मेरा काम कब करोगी, यह बताओ?

मेरे दिमाग में एक बार भी नहीं आया कि एक बार पूछ तो लूँ कि क्या काम करना है।
निशा ने कहा- सुहानी एक बार सुन तो ले क्या काम है।

मैंने पूछा- आंटी, बताईए क्या काम करना है?
आंटी बोली- यह बात तो निशा बताए तो ही अच्छा है।

मैंने निशा की तरफ मुंह करके कहा तो वह बोली- इन पैसों के बदले तुझे एक रात अमीरों की एक पार्टी में जाना है।

पर मैंने ऐसा पहले कभी नहीं सुना था तो पूछा- मतलब, मैं समझी नहीं?
निशा ने समझाया- देख, ये मेरी आंटी नहीं हैं, ये बिज़नस करती हैं और अमीर लोगों को हाइ प्रोफ़ाइल, खूबसूरत सेक्सी लड़कीयों की सप्लाइ करती हैं।
मैंने पूछा- मतलब?

निशा आगे बोली- मतलब अमीरों को लड़कियां भेजती हैं रात बिताने के लिए। अपनी इज्ज़त नीलाम करने को, अपनी चुदाई करवाने को, रंडी बनने को! और खुल के बताऊँ क्या?

यह सुन कर तो मानो मेरे पैरों तले जमीन खिसक गयी।
मैंने कहा- मतलब आंटी धंधा करवाती हैं?

आंटी ने थोड़ा गुस्से से बोला- जबान संभाल लड़की!

निशा बोली- पागल है क्या? ऐसा नहीं बोलते. आंटी बिज़नस करती हैं।

इतने में आंटी बोली- देख लड़की, सीधी बात है कि इन पैसों के लिए तुझे मेरे लिए खुद को एक रात के लिए नीलाम करना पड़ेगा, अपनी चुदाई करवानी पड़ेगी एक अमीर ग्राहक से!

मैं बिलकुल चुप हो गयी और कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं।
अगर पैसे छोड़ती तो फीस कैसे भरती, फीस नहीं भर पाती तो कॉलेज भी छोड़ना पड़ सकता था।
घर पर भी पता लग जाता कि मैंने फीस के पैसे घूमने फिरने में उड़ा दिये. और अगर पैसे ले लेती तो मुझे एक रात की रंडी बनना पड़ता।

आंटी बोली- सोच ले लड़की, एक रात और सिर्फ ये 50000 ही नहीं, वहाँ से जो भी कमाई होगी उसमें 80% तेरा, तुझे क्या पता तेरी खूबसूरती की क्या कीमत है. मंजूर है तो पैसे उठा और ले जा, वरना चुपचाप निकल जा!

मैंने तन्वी को साइड में ले जा के कहा- यार चल यहाँ से, ये औरत तो कोठे पे बैठा देगी, कहीं और से जुगाड़ कर लेंगे।
तन्वी ने कहा- रुक ना पागल, कहीं और से जुगाड़ नहीं हुआ इसलिए तो यहाँ की नौबत आयी है। मेरी मान तो कर ले एक बार, किसी को क्या पता चल रहा है? देख निशा भी कर रही है पता नहीं कब से! आज तक किसी को कुछ नहीं पता चला। एक रात में कुछ नहीं बिगड़ेगा. लेकिन अगर मना कर दिया तो सब खत्म हो जाएगा।

मैंने काफी सोचने के बाद एक बार आँख बंद की और खुद से जो करने जा रही थी उसके लिए माफी मांगी और तन्वी से कहा- चल!

फिर हम दोनों आंटी के पास आयी और पैसे उठाकर बोली- ठीक है आंटी, जैसा आप कहो!
आंटी ने हंसते हुए कहा- ठीक है, जाओ और कर लो अपने काम! निशा बता देगी कब आना है यहाँ!

फिर हम तीनों अपने हॉस्टल आ गयी।

रास्ते में मैंने निशा से कहा- मुझे नहीं पता था कि तू इतनी अमीर कैसे बनी।
निशा बोली- तू भी बन जाएगी, चिंता मत कर!

अगले दिन मैं कॉलेज गयी और फीस जमा कर दी।
मेरे सिर से एक बोझ तो उतार गया था.
पर अभी इसका कर्जा चुकाना बाकी था।

2-3 दिन तक तो मैं कॉलेज में व्यस्त रही।

फिर शुक्रवार की रात को निशा मेरे कमरे में आई।
उसे देखते ही मैं समझ गयी कि अब समय आ गया है कर्जा चुकाने का।

उसने बताया- कल कॉलेज मत जाना, मेरे साथ चलना है।
मैंने कहा- ठीक है, चल दूँगी, तूने मेरी इतनी बड़ी समस्या सुलझा दी तो अब ये तो करना ही पड़ेगा।

निशा ने समझाया- तू टेंशन मत ले, कोई तुझे जान से नहीं मार रहा, तेरी पलंगतोड़ चुदाई होनी है बस!
मैंने कहा- हाँ! पर पता नहीं किस चूतिये के साथ?
निशा ने बोला- उससे क्या फर्क पड़ेगा, लंड मिलेगा जी भर के! और ऐसे मुंह मत बना, लोग मरते है सेक्स के लिए … और तुझे तो मिल रहा है, ऊपर से पैसे भी। कुछ ज्यादा मत सोच, कल बस खुल के चुदवा, बाकी सब भूल जा! कुछ सही नहीं, कुछ गलत नहीं। बस एक रात की बात है, फिर तू आज़ाद। बस आज रात कल रात के लिए तैयारी कर ले. कल तेरे खूबसूरत जिस्म की नुमाइश है, इस जिस्म को इसकी सही कीमत मिलेगी।

इतना सब बोल के वह चली गयी अपने कमरे में!

मैं अब थोड़ा निश्चिंत सी हो गयी क्योंकि मुझे उसकी बात थोड़ी थोड़ी सही लग रही थी।

अगले दिन मैं, तन्वी और निशा उसकी आंटी के यहाँ पहुँच गयी।

मैंने देखा उस दिन वहाँ 10-15 लड़कियां और भी थी और सब ठीक-ठाक घर से ही लग रही थी।

निशा बोली- देख … ये सब भी ऐसे ही साइड इनकम के लिए कभी कभी करती हैं!
मैंने कहा- बात तो तेरी सही है. और एक बार से क्या फर्क पड़ जाएगा।

अब मैं भी उस माहौल में घुल मिल गयी थी।
वह आंटी आई और बोली- चलो लड़कियो, तैयार हो जाओ. 1 घंटे में गाड़ी आ जाएगी, आज जा के अपने हुस्न से लूट लो इस दुनिया को!

सब लड़कियां तैयार होने में लग गयी।

मुझे भी निशा ने एक बहुत सेक्सी नीले रंग की ड्रेस लाकर दी जिसमें मेरे बूब्स काफी बड़े और चमक रहे थे. ऊपर से मेरी भरी भरी जांघें भी आधी से ज्यादा दिख रही थी।

मैंने ब्रा पैंटी के ऊपर वे कपड़े पहने और फिर हम सब सेक्सी मेकअप कर के अपनी चुदाई के लिए तैयार हो गयी।

दोस्तो, वहाँ कमरे में एक से एक सेक्सी लड़की तैयार हो रही थी.
अगर कोई सामान्य लड़का वहाँ आ जाता तो उसका पानी निकल जाता देखने देखने में ही!

फिर हम सबको आंटी ने बताया कि वहाँ तुम्हें सतेन्द्र जी मिलेंगे और मेरी सहेली भी मिलेगी जो तुम्हारी मदद करेगी।

हम सब 3-4 गाड़ियों में बैठ गयी और शहर से बाहर के लिए चल पड़ी.

यह कहानी 3 भाग में चलेगी.
देसी लड़की सेक्स कहानी के इस भाग पर अपनी राय मेल और कमेंट्स में लिखें.
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देसी लड़की सेक्स कहानी का अगला भाग: कॉलेज गर्ल बनी एक रात के लिये रंडी- 2

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