चुदाई के चाव में कुंवारी बुर की सील तुड़वाई- 1
(Desi Girl Sex Kahani)
देसी गर्ल सेक्स कहानी में पढ़ें कि कैसे लड़की जवान हुई तो उसकी जवानी की उमंग में सेक्स करने की इच्छा भी बलवती होने लगी. कमसिन लड़की की अन्तर्वासना का मजा लें.
दोस्तो, मेरा नाम विनोद है. मैं राजस्थान के अलवर जिले में एक छोटे से गांव में रहता हूं.
गांव में मेरी फुटवियर की दुकान है जिससे मेरा गुजारा चल जाता है.
मेरे परिवार में मेरे मां, बाबा, पत्नी रम्या और मेरी एक मुँह बोली बहन अन्नू रहते हैं.
मेरी शादी अभी 2 साल पहले ही हुई थी.
मेरी दो बहनें और हैं, जिनकी शादी बहुत पहले हो गई थी.
वो अपने ससुराल में रहती हैं.
कहानी शुरू करने से पहले बता दूँ कि ये सेक्स कहानी कोरी कल्पना है, इस कहानी के सभी किरदार भी केवल पसंद के नाम के अनुसार काल्पनिक चुने गए हैं. किसी भी प्रकार की परिस्थिति इस कहानी को सच नहीं बनाती है.
देसी गर्ल सेक्स कहानी को सच्ची प्रतीत करने के लिए ही जीवंत किरदार बनाए गए हैं और बड़ी होने के कारण मैं इसको कुछ भागों में आपके सामने पेश करूंगा.
मेरी मां के एक मुँहबोले भाई हैं, जो यहीं हमारे गांव में काम करते हैं.
आर्थिक तंगी के कारण वो रहते हमारे घर ही हैं. उनकी दो बेटियां शुरू से ही यहीं रहती थीं.
बड़ी वाली का नाम सुमन है और छोटी वाली का नाम अन्नू है.
सुमन स्कूल की पढ़ाई के बाद पुनः अपने गांव चली गई और अन्नू अब भी यहीं रहती है.
दोनों बहनें एक दूसरे से दिखने और स्वभाव में अलग अलग हैं.
सुमन दिखने में भरी पूरी है जबकि अन्नू पतली है, पर देखने में सुंदर है.
सुमन शुरू से बिंदास टाइप है, लेकिन अन्नू उसके उलट शर्मीली है.
मैं, सुमन और अन्नू शुरू से ही साथ ही रहते थे. साथ खाना, साथ खेलना, साथ सोना, यहां तक कि साथ नहाना.
तीनों में मैं बड़ा था तो अक्सर मैं ही उनको नहलाता था.
लेकिन तब इतनी समझदारी नहीं थी.
मैं उनको हर जगह छूता था, लेकिन उससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता था और न ही उन दोनों को.
फिर अब जब हम बड़े हो गए तो सब अलग अलग नहाने लगे.
मैं और सुमन एक दूसरे से बातों में पूरे खुले थे.
अक्सर मैं और सुमन अन्नू को चिड़ाते रहते के लिए एक दूसरे के अंगों को हाथ लगाते थे, तो वो शर्मा कर वहां से चली जाती या फिर नीचे गर्दन कर लेती.
और हम दोनों उस पर हंसने लग जाते.
लेकिन अन्नू किसी को ये सब बताती नहीं थी.
आज जब सोचता हूं तो पता चलता है कि हम तीनों में सबसे समझदार वो ही थी.
छोटी होने के बावजूद उसको ये पता था कि ऐसी बातें किसी को बताते नहीं हैं.
वैसे हम ऐसा सब कुछ इसलिए करते थे क्योंकि इस समय हम ये सब समझते नहीं थे.
अन्नू कुछ ज्यादा ही शर्मीली थी तो उसको चिढ़ाने के लिए ही ये सब करते थे.
अक्सर खेलते टाइम, नहाते टाइम भी हम उसको बहुत चिड़ाते थे.
ये समय बहुत जल्दी आगे बढ़ गया और मेरी मामी जी की तबियत खराब रहने लगी.
जिस वजह से सुमन को अपने गांव ही जाना पड़ा.
आगे की पढ़ाई उसने वहीं से की और अब उसकी शादी भी हो चुकी है. उसको अब एक लड़का भी है.
सुमन और मैं एक दूसरे के साथ सारी बातें शेयर करते हैं.
पहले हम नॉनवेज बातें कुछ लिमिट तक शेयर करते थे, बाद में एक बार ऐसा मौका आया, जिसके बाद हम हर बात बिंदास शेयर करने लगे.
अन्नू अब भी हमारे साथ ही है.
अब घर में हम दोनों ही थे तो हम दोनों साथ रहने लगे.
मैंने उसे चिड़ाना भी बंद कर दिया था. तो वो भी मेरे साथ अच्छे से रहने लगी थी.
अब मैं वो घटना बता रहा हूं, जिसके बाद मैं और सुमन एक दूसरे से सभी बातें शेयर करने लगे थे.
एक बार में देर रात मामा जी के घर गया था, तो वहां खाना खाकर मैं सोने चला गया.
तब सुमन मेरे पास आई.
इस बार मैं कोई चार पांच साल बाद मामा जी के घर आया था तो सुमन से भी अभी मिला था.
वो अब एक जवान भरी पूरी लड़की बन चुकी थी.
मैं तो उसे देखते ही रह गया था.
उसकी छाती इतनी अधिक फूल गई थी कि उसकी कुर्ती से बाहर आने की कोशिश कर रही थी.
उसकी बड़ी बहन भी उस दिन घर आई हुई थी.
उसका नाम संगीता था, दिखने में वो सुमन से ज्यादा गोरी थी, बस पतली थी. उसकी साइज भी औसत थी.
संगीता की शादी 7 साल पहले हो चुकी थी, उसको कोई बच्चा नहीं था; देखने में वो अब भी 18–20 साल की लग रही थी.
वो भी मेरे पास आकर बैठ गई.
हम तीनों बहुत देर तक बातचीत करते रहे.
फिर संगीता को नींद आने लगी तो वो हम दोनों को छोड़ कर सोने चली गई.
मैं भी बिस्तर पर लेट गया और सुमन को भी वहीं सो जाने को बोला लेकिन सुमन ने मना कर दिया.
मैंने कारण पूछा तो वो बोली- अब हम बड़े हो गए हैं, हम दोनों एक साथ नहीं सो सकते.
मैं समझ गया कि ये अब खेली खाई लड़की है.
मैंने उससे अनजान बनते हुए पूछा- ऐसी क्या बड़ी हो गई … उतनी ही तो है.
ऐसा बोलते हुए मैंने उसके हाथ को पकड़ कर मेरे पास खींच लिया.
मैं पीठ के बल लेटा हुआ था और वो मेरे ऊपर पेट के बल आ गिरी.
पहली बार मुझे उसके बूब्स का कोमल अहसास हुआ, लेकिन सुमन को गिरने के कारण दर्द हुआ.
वो धीरे से कराह उठी.
मैंने उससे पूछा- क्या हुआ?
वो बोली- चोट लगी मुझको!
मैंने पूछा- कहां लगी चोट?
तो वो शर्माने लगी.
मैंने जोर देकर पूछा तो उसने अपने बूब्स पर हाथ रख कर बताया.
तो मैं बोला- ला मैं दबा देता हूँ. दर्द अभी ठीक हो जाएगा.
ये कहते हुए मैंने अपने दोनों हाथ उसके दोनों मम्मों पर रख दिए और उनको दबा दिया.
जिंदगी में पहली बार मुझे किसी लड़की के बूब्स दबाने का मौका मिला था.
मेरे लिए वो अहसास बहुत ही कीमती था.
लेकिन फिर भी मैं अनजान बनते हुए बोला- सुमन, तेरे तो ये बहुत ज्यादा बड़े हो गए, पहले तो नहीं थे इतने बड़े.
वो शर्माती हुई बोली- तभी तो बोला था न कि हम बड़े हो गए.
मैं फिर भी अनजान बनते हुए बोला- बड़ा तो मैं भी हुआ हूं लेकिन मेरे तो ये इतने बड़े नहीं हुए हैं.
तो वो शर्माती हुई बोली- तुम्हारे ये नहीं कुछ और बड़ा होता है.
तो मैंने पूछा- तेरे को कैसे पता, तूने कुछ और बड़ा होता है ये देखा है क्या?
अब वो शर्माने लगी और कुछ नहीं बोली.
मैंने फिर से उसको मेरे पास बिस्तर पर सुला लिया.
अब हम दोनों के मुँह आमने सामने थे.
सुमन शर्मा रही थी.
मैं उससे बोला- मुझे सब पता है, बस मैं जानने की कोशिश कर रहा था कि तुम्हें भी इन सब के बारे में पता है या नहीं, लेकिन लगता है तुम तो इस खेल को खिलाड़ी हो गई हो.
इतना सुनते ही उसने शर्म से गर्दन नीचे कर ली.
मैंने अपनी उंगलियों से उसकी ठोड़ी को पकड़ कर उसका चेहरा ऊपर उठाया और कहा- क्या ऐसा कुछ है, जो तुम मुझे बताना चाहो?
तब उसने कुछ संशय से मेरी आंखों में देखा.
मैं समझ गया कि वो डर रही है.
मैंने उससे कहा- हम दोनों बचपन के दोस्त हैं और दोस्तों में सीक्रेट आउट नहीं होते. मैं तुम्हें किसी भी बात के लिए जज नहीं करूंगा.
वो हिम्मत करके बोली- मुझे शर्म आ रही है, तुम किसी से नहीं कहोगे न?
मैंने उससे वादा किया कि मैं किसी को कुछ भी नहीं बताऊंगा.
दोस्तो, यह कहानी भी मैं उसको पूछ कर ही लिख रहा हूं. आगे की कहानी आप उसी की जुबान सुनिए.
दोस्तो, मेरा नाम सुमन है. मेरा पूरा परिचय आपको मेरे भाई ने लगभग दे ही दिया है.
इसके अलावा मैं दिखने में ठीक हूं, फिगर और रूप किसी साधारण इंसान को लंड हिलाने पर मजबूर कर सकता है.
मेरी 10वीं तक की पढ़ाई मेरी बुआ के घर यानि मेरे भाई के घर हुई. उसके बाद की पढ़ाई मेरे गांव में हुई थी.
जब मैं यहां गांव आई, तब सभी दोस्त और जान पहचान वाले पीछे ही छूट गए थे.
मेरे गांव में मेरे लिए सब नए थे क्योंकि मैं शुरू से ही बुआ के घर रही थी.
यहां केवल मेरे जानने वालों में मेरी बहन थी, जिससे मैं बातचीत कर सकती थी.
गर्मी की छुट्टी खत्म होने के बाद पापा ने मेरा एडमिशन गांव के ही एक स्कूल में करवा दिया.
पढ़ने में मैं इतनी अच्छी नहीं थी तो मैंने आर्ट्स सब्जेक्ट लिया था.
शुरू शुरू में मुझे स्कूल में परेशानी हुई … यहां मेरा कोई दोस्त या कोई जान पहचान वाला नहीं था.
बस स्कूल के बाद मेरी दीदी से मिलने के बाद मुझे कुछ सुकून मिलता.
मेरी दीदी उस समय पास के शहर में कॉलेज कर रही थीं.
मेरा घर मेन रोड पर ही खुलता है, सामने ही बाजार है. घर के बाहर बैठने का चबूतरा बना हुआ है.
मैं अक्सर वहीं आकर बैठ जाती हूँ और आते जाते लोगों को व चहल-पहल को देखती रहती हूं.
ऐसे ही एक दिन स्कूल की छुट्टी थी, मैं बाहर बैठी हुई थी तो मुझे देख कर मेरी बहन भी अपना काम पूरा होने के बाद वहीं आकर बैठ गई.
हम दोनों अक्सर वहां बैठ कर बातें करते थे.
हम दोनों शुरू से दूर थीं तो दोनों में पटती भी अच्छी थी और एक दूसरे से लड़कों वाली बातें भी खुल कर कर लेती थीं.
उस दिन वो खुश नजर आ रही थी, तो मैंने उससे खुश होने का कारण पूछा.
उसने बताने में आना कानी की.
मुझे शक था कि मेरी दीदी का कहीं न कहीं चक्कर चल रहा है, लेकिन वो मुझे बताती नहीं थी.
उस दिन मैंने थोड़ा जोर लगाकर पूछा तो भी उसने नहीं बताया.
मैंने उसे चिढ़ाने के लिए यूं ही बोल दिया- मेरा एक ब्वॉयफ्रेंड है और मैंने उसके साथ सब कुछ किया है. तू मुझसे बड़ी है और अभी तक कोई लड़का नहीं पटाया.
वैसे मैं कभी किसी लड़के के साथ नहीं रही.
स्कूल में भी मेरा पहला मौका था.
बुआ के वहां मैं गर्ल्स स्कूल में पढ़ती थी.
मैंने जैसे ही दीदी को ये कहा, तो उसको वो चैलेंज सा लगा.
वो बोली- तेरे को किसने बोला मेरा ब्वॉयफ्रेंड नहीं है और मैंने ये सब कुछ नहीं किया?
मैंने कहा- मुझको किसी ने नहीं कहा मगर किसी ने ये भी नहीं कहा कि तूने सब कुछ किया है.
तब उसने मेरे को अपने बॉयफ्रेंड और उसके साथ सभी रिश्तों के बारे में बताया, जो मैं आपको फिर कभी और बताऊंगी.
उसने मुझसे अपने ब्वॉयफ्रेंड और मेरे रिश्ते के बारे में पूछा, तो मैं कुछ सोच नहीं पाई क्योंकि मेरा कोई ब्वॉयफ्रेंड नहीं था.
तो मैं यूं ही सामने देख रही थी.
सामने की दुकान पर एक लड़का काम कर रहा था. वो दिखने में ठीक ठाक था.
तो मैंने उसी समय एक कहानी बनाई और उस लड़के के लिए बोल दिया.
दीदी ने उसको देखा और पूछा- तू इससे कब मिली?
मैंने बोल दिया- पिछली बार छुट्टियों में जब गांव आई थी, तब मिली थी. तब हमारे बीच दोस्ती हो गई थी.
दीदी ने जिज्ञासु टाइप में सीधे ही पूछ लिया- इसके साथ सेक्स कब किया?
अब मेरे लिए ये भी मुसीबत थी तो बोल दिया कि इस बार जब आई थी, तब हुआ था.
उस टाइम मैंने दीदी को कैसे जैसे करके टाल दिया.
अब उस लड़के को तो मैं जानती भी नहीं थी कि ये कौन है. इसलिए मैंने दीदी को चूतिया बना कर उधर से अन्दर चली गई.
दोस्तो, मैं अपनी सेक्स कहानी के अगले भाग में आपको लिखूँगी कि जिस लड़के को लेकर मैंने दीदी को चूतिया बना दिया था, उससे मैं कैसे मिली और चुदी.
आप मुझे मेल जरूर करें और देसी गर्ल सेक्स कहानी के लिए अपने कमेंट्स करके बताएं कि आपको मेरी चुदाई की कहानी कैसी लग रही है.
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देसी गर्ल सेक्स कहानी का अगला भाग: चुदाई के चाव में कुंवारी बुर की सील तुड़वाई- 2
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