शहरी लड़की की देहाती लड़कों से चुदवाने की ख्वाहिश
(Shehari Ladki Ki Dehati Ladko Se Chudwane Ki Khwahish)
मुझे देहाती लड़कों से चुदाई का मन था. एक बार मेरी जॉब लगी. वहां पर मुझे गांव का दौरा करना होता था. उस गांव में मैंने अपनी ख्वाहिश कैसे पूरी की?
दोस्तो, मैं सिमरन हूं, मुझे पता है कि आपको मेरी कहानियाँ बहुत पसंद आती हैं.
मेरी पिछली कहानी थी: पति के साथ दर्द और आनंद भरा बीडीएसएम सेक्स
इसलिए मैं आपके लिए एक और गर्म कहानी लेकर आई हूं. आपको आज अपनी एक फेंटेसी बताना चाहती हूं कि मैं हमेशा से खेती करने वाले देहाती मर्दों से चुदने की इच्छा रखती थी.
चूंकि मैं हमेशा से ही शहर में रही हूं इसलिए मुझे कभी मौका ही नहीं मिला कि मैं खेत में काम करने वाले लड़कों के लंड का मजा ले सकूं.
मगर फिर मुझे एक एन जी ओ में जॉब मिली.
वहां मुझे मौका मिला गांव की जिन्दगी जीने का और खेत वाले लड़कों के कसरती जिस्म का मजा लेते हुए चुदने का!
ये लोग वाकयी में ही बहुत मजबूत और सख्त होते हैं.
काम के चलते मैं कई गांवों में यात्रा करने लगी. मुझे एनजीओ के काम से किसी न किसी गांव में जाना ही होता था.
लॉकडाउन के दौरान मैंने गांव के लोगों को खाना और पानी पहुंचाने में मदद की क्योंकि इनके लड़कों के पास कोई नौकरी या आय का अन्य कोई साधन नहीं था.
एक बार, मैं मुंबई के बाहरी इलाके में एक छोटे से गाँव में थी।
मुझे कुछ दिनों तक वहाँ रहना था.
इसी के चलते मुझे एन जी ओ की ओर से एक किसान के घर पर रहने की अनुमति दी गई।
उस दिन मैंने नॉर्मल जीन्स पहनी हुई थी. एक टी-शर्ट और एक श्रग पहना हुआ था.
मेरी क्लीवेज की गहरी घाटी काफी बाहर दिख रही थी.
मेरे 34डी के उठे हुए और मोटे बूब्स किसी भी मर्द को उकसा सकते थे.
मैं गांव में पहुंची जहां पर लोग मेरा इंतजार कर रहे थे.
पहले मुझे अपना काम खत्म करना था.
वहां पर दो लड़के मेरी मदद करने लगे क्योंकि हम गांव वालों को खाना बांट रहे थे.
दोनों ही एकदम से सुडौल और कसे हुए बदन के थे. काफी मजबूत लग रहे थे दोनों.
हमको वहां पर लगभग पूरा ही दिन लग गया.
मैं उनको जानबूझकर अपने आस पास रखना चाह रही थी. मैं बार बार उनके सामने झुक कर अपनी चूचियों का प्रदर्शन कर रही थी ताकि उनका ध्यान मेरी तड़पती जवानी पर जाये.
अब वो दोनों आपस में कुछ खुसर फुसर करने लगे थे.
मैं भी जान गयी थी कि ये हो न हो जरूर मेरे ही जिस्म के बारे में बातें कर रहे हैं.
वितरण होने के बाद हर कोई खुश नजर आ रहा था. सबको एन जी ओ की ओर से राशन और खाना दे दिया गया.
गांव वालों को खुश देखकर मुझे भी बहुत खुशी हो रही थी.
फिर मैंने उन दोनों लड़कों को कहा कि मुझे तुम्हारा गांव देखना है.
वो दोनों भी ये बात सुनकर खुश हो गये.
मैंने गांव में एक पुराना मंदिर देखा. वहां पर एक खूबसूरत सरोवर भी था.
वहां पहुंचकर मैंने उन दोनों को मेरी कुछ फोटो लेने के लिए कहा.
वो बहुत खुशी खुशी मेरी फोटो लेने लगे.
मैंने उनको बहुत सारी सेक्सी पोज दी- घास में लेटकर, घास काटने वाली मशीन को पकड़ कर, गायों के साथ, बैलगाड़ी को पकड़ कर भी फोटो खिंचवाई.
वो दोनों ये देखकर हंसने लगे कि जीन्स और टीशर्ट पहनने वाली लड़की बैलगाड़ी के साथ फोटो खिंचवा रही है!
मगर मैं उन दोनों को पागल कर देना चाहती थी ताकि फिर वो मुझे जी भर कर प्यार करें.
ऐसे ही होते होते बिल्कुल अंधेरा होने को हो गया.
गांव वालों ने रात में कुछ संगीत नृत्य का इंतजाम किया.
मैं गांव के मुखिया के साथ बैठी थी और मुझे बहुत अच्छा लग रहा था.
रात का टाइम था और बल्ब की रोशनी जैसा वहां कुछ नहीं था. वो लोग लालटेन और मशाल का प्रयोग करते थे. उस अंधेरे में मैं देख सकती थी कि गांव के जवान लड़के मुझे घूर रहे थे.
उनका कार्यक्रम रात 9 बजे तक चलता रहा.
फिर मैंने उन लड़कों से बीयर के बारे में पूछा.
वो बीयर का नाम सुनकर हैरान हो गये.
मुझे पता था कि आज तक किसी औरत या लड़की ये उनसे ऐसे बेबाकी से बीयर कभी मांगी ही नहीं होगी.
वो दोनों बोले- हां, बीयर तो है लेकिन वो गांव से बाहर एक दुकान पर ही मिलती है. यहां गांव में नहीं मिलेगी.
मैंने उनको पांच-पांच सौ के दो नोट थमा दिये और उनको कहा कि जाकर बीयर ले आएं.
मैं बोली- जल्दी जाओ, मेरे साथ तुम भी पी लेना. सबकी पार्टी हो जायेगी.
उन दोनों को मेरी बातों पर जैसे यकीन ही नहीं हो रहा था.
वो हैरान थे.
अब मुझे नहाना था. मैं घर से बाहर बने बाथरूम में अंदर गयी और अपनी जीन्स और टीशर्ट निकाल दी.
उसके बाद मैं नहाई और नहाकर मैंने अपनी स्कर्ट पहन ली जो कि मेरी जांघों तक ही थी.
उसके ऊपर मैंने एक टॉप डाल लिया.
फिर मैंने अपना श्रग पहन लिया और बालों को सुखाने लगी.
इतने में ही एक लड़का बीयर के साथ आ पहुंचा.
मैंने उसको बीयर स्टूल पर रखने को कहा.
मेरे रूम के अंदर एक कोने में एक चारपाई रखी हुई थी और दूसरी तरफ भूसे का एक गद्दा सा बनाया गया था.
ये मेरे लिए बहुत ही उत्तेजना पैदा करने वाला नजारा था क्योंकि मैंने कभी इस तरह के माहौल में रात नहीं गुजारी थी.
मैं हमेशा ही अपने आप को उस स्थिति में सोचती थी जब डीडीएलजे फिल्म में काजोल जब शाहरूख के नीचे ऐसे ही भूसे पर चुदी थी.
मैंने उन लड़कों को बीयर फर्श पर रखने को कहा.
फिर वो दोनों जाने लगे तो मैंने उनको रोका.
मैं बोली- तुम दोनों कहां चले? बीयर नहीं पीनी है क्या मेरे साथ तुम्हें?
ये कहते हुए मैंने उन दोनों के सामने अपनी जांघें खोल दीं.
उनकी नजर मेरी जांघों से होकर मेरी चूत को जैसे ढूंढने के मकसद से एक जगह जाकर टिक गयी.
वो दोनों जैसे बुत बनकर खड़े हो गये.
मैं बोली- अरे आओ भी अब … बीयर खोलो चलो!
फर्श पर हमने एक दरी बिछा ली.
हम तीनों उस पर बैठ गये. मेरी टांगें मेरी स्कर्ट से पूरी बाहर आ गयी थीं बैठने के बाद। मेरी चिकनी गोरी टांगें उन दोनों के लिए जैसे एक ख्वाब थीं.
फिर हम बीयर की घूंट लेने लगे. मेरी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी.
फिर मैं उनसे उनकी फैमिली के बारे में पूछने लगी.
पूछते हुए मैंने उनके हाथों को बहाने से कई बार टच किया.
पहले तो वो दोनों बहुत शर्मा रहे थे और हिचक भी रहे थे लेकिन कुछ हंसी मजाक और बीयर का हल्का नशा होने के बाद वो दोनों खुल गये.
उसके बाद मैं उठी और उठकर नाचने लगी. वो दोनों भी मेरा साथ देने लगे. उन्होंने नाचते हुए मुझे छूना शुरू कर दिया.
मैं जान गयी कि ये काफी वाइल्ड पार्टी होने वाली है.
कुछ देर के बाद हम तीनों को पूरा नशा हो चुका था. अचानक मैंने उन दोनों के लंड पकड़ लिये. उनको भी पता था कि आज उनको असली रस मिलने वाला है.
बिना देर किये मैं अपने घुटनों पर आ गयी और उनके लौड़ों को बाहर निकाल लिया.
मैं उन दोनों के लंड को पकड़ कर हिलाने लगी. उनकी मुठ मारने लगी.
अब मैं एक को हिलाती रही और दूसरे को चूसने लगी.
उन देहाती लड़कों के लंड से कमाल की गंध आ रही थी.
उनके बदन और लंड के आसपास बहुत सारे बाल थे और ये मुझे सबसे अधिक उत्तेजित कर रहा था.
लंड चुसवाने का वो भी पूरा मजा ले रहे थे. उन्होंने मेरे चूचों पर अपने हाथ रख लिये. मेरी चूचियों पर थपकी देते हुए वो उनको भींचने लगे.
वो मेरे ऊपर हावी होना चाहते थे लेकिन मैं उनको अपना कंट्रोल उनके हाथ में नहीं देना चाहती थी बल्कि उन पर खुद राज करना चाहती थी.
मैंने कड़े स्वर में कहा- मेरी परमिशन के बिना तुम कुछ नहीं करोगे. अगर तुम्हें मुझको कहीं से छूना है तो पहले मुझसे पूछना होगा.
उसके बाद मैं फर्श पर लेट गयी और मैंने एक को चूत चाटने के लिए बोला.
दूसरा मेरे बगल में आ बैठा और मैं उसका लंड चूसने लगी.
नीचे वाला लड़का मेरी चूत को बहुत जोर से चाट रहा था.
उसने जैसे मेरी पूरी चूत को ही मुंह में ले लिया था.
वो उसको जोर से काट रहा था और इसी उत्तेजना में मैं उस दूसरे वाले लड़के के लंड पर तेजी से मुंह चला रही थी.
कमरे में बहुत गर्मी हो गयी थी और हम तीनों को ही पसीना आने लगा था. मेरी चूत पूरी गीली हो चुकी थी.
फिर मैंने दूसरे वाले को चूत चाटने के लिए कहा और पहले वाले का लंड चूसा.
कुछ देर के बाद मैंने एक लड़के से एक रस्सी लाने को कहा. वो रस्सी लाया और फिर मैंने उन दोनों को बांध दिया. उनके हाथ और पैर अब बंध चुके थे. वो दोनों अब फर्श पर एक दूसरे के अगल बगल लेटे थे.
एक के ऊपर जाकर मैंने अपनी चूत को उसके मुंह पर रख दिया. जबकि वो दूसरे वाला पहले वाले के लंड को चूसने लगा.
मैं साथ में दोनों का मजा ले रही थी.
अब मैंने दूसरे वाले को चूत चटवाने की सोची. मैं दूसरे वाले के पास गयी और उसके मुंह पर चूत टिका दी. वो मेरी चूत को चाटने लगा और पहले वाला अब दूसरे वाले के लंड को चूसने लगा.
उन दोनों के ही लंड बहुत सख्त थे. मैंने शहरी मर्दों में इतने टाइट और इतनी देर तक तनाव बनाये रखने वाले लंड कभी नहीं देखे.
फिर मैंने अपनी सांस रोकी और लंड को हिलाते हुए काउगर्ल की पोजीशन में उसके लंड पर बैठ गयी.
मेरी चूत उस वक्त तक पूरी गीली हो चुकी थी. फिर मैंने एक बार फिर से उसके लंड को बाहर खींचा और दोबारा से अंदर ले लिया.
उसके बाद मैं उसके लंड की सवारी करने लगी.
अब मैं दूसरे लड़के के लंड को हाथ से मुठ मार रही थी.
उसके बाद मैंने पांच मिनट तक उससे चूत चुदवाई और फिर उठ गयी.
अब मैंने दूसरे लड़के को नीचे लिटाया और उसके लंड पर जा बैठी. ऐसे ही कूदते हुए मैंने उससे भी चूत मरवायी.
फिर मैंने कुछ देर चुदने के बाद उन दोनों को खोल दिया.
अब उनकी बारी थी मुझे चोदने की.
उन्होंने फिर मेरे भी हाथ और पैर बांध दिये.
एक ने मुझे कुतिया की पोजीशन में कर लिया. मैं उन दोनों देहाती लड़कों के सामने कुतिया बनकर खड़ी थी.
फिर उनमें से एक ने मेरी गांड को थामा और पकड़कर मुझे चोदने लगा.
दूसरे वाले ने मेरे मुंह में लंड दे दिया और मेरे गले में फँसा दिया.
मेरी सांसें रुकने लगीं.
उसके बाद पता नहीं कब मेरी गांड में एक मोटा लंड घुस गया. मैंने देखा तो पीछे वाले ने मेरी गांड में लंड दे दिया था. अब वो अपनी असली ताकत का इस्तेमाल करने लगे.
वो मशीन की तरह मेरी गांड चोदने लगा. वो इतनी तेज चोद रहा था कि मेरे मुंह से मेरी लार भी बाहर आकर गिरने लगी थी और दूसरे वाला मेरे मुंह में लंड को पेले जा रहा था.
उसके बाद उन्होंने पोजीशन बदल ली.
दूसरे वाले लड़के ने फिर मेरी गांड मारी और पहले वाले के लंड को मैंने चूसा.
मुझे चुदाई का मीठा दर्द हो रहा था लेकिन मजा बहुत आ रहा था.
फिर उन्होंने मुझे मिशनरी पोजीशन में कर लिया.
अब मैं उनकी आंखों में एक शैतानी हवस देख रही थी.
वो उस रात मुझे छोड़ने के मूड में नहीं लग रहे थे.
मेरा मुंह छत की ओर था. एक ने मेरी टांगों को खोल दिया और मेरी चूत को खोल लिया.
उसने मेरी चूत पर थूका और फिर अपना लंड उसमें घुसा दिया.
दूसरे वाले का लंड भी वैसा ही तना हुआ था. मैं हैरान थी कि अभी भी उनका माल नहीं निकला था.
उसके बाद फिर से मेरे मुंह में लंड दे दिया गया.
मैं चुदाई का मजा लेने लगी.
एक लंड मेरी चूत को चोदने लगा और दूसरा मुंह को चोदने लगा.
फिर बारी बारी से मेरी चूत चोदने के बाद वो मेरे मुंह के पास लौड़े लाकर खड़े हो गये.
फिर अपने हाथ से मुठ मारते हुए वे अपना माल मेरे ऊपर गिराने की तैयारी में थे.
मैंने अपना मुंह खोला हुआ था.
उन दोनों ने मेरे पूरे चेहरे को अपने सफेद गाढ़े माल से भर दिया.
मैंने उनका सारा माल चाट लिया.
हम तीनों ने ही इस मजेदार थ्रीसम का लुत्फ उठाया.
उन देहाती देसी लड़कों के साथ मेरी ये सबसे यादगार थ्रीसम चुदाई थी.
तो फ्रेंड्स, मैं उम्मीद करती हूं कि आपको मेरी ये देसी गांव वाली चुदाई की कहानी पसंद आई होगी.
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