कुंवारी चूत अनुभवी लंड के चंगुल में- 1

(Cute Sex Hot Kahani)

क्यूट सेक्स हॉट कहानी में एक भाभी ने देखा कि कैसे एक सेक्सी प्यारी सी लड़की को एक चालू शातिर लड़के ने वासना के जाल में फंसाया और उसे होटल में ले गया.

प्रिय पाठको,
आप सबने मेरी पिछली कहानी
विवाहित महिला के साथ सम्भोग का मजा
पढी और पसन्द की थी.

उम्मीद है आपको मेरी यह नई सेक्स कहानी भी पसंद आएगी.

आज की सेक्स कहानी कोई साधारण कहानी नहीं है बल्कि एक मीठा गर्म अहसास है जिसे आपको पढ़ कर अपने आपको कहानी के माहौल के अनुसार ढाल कर इसके हरेक शब्द को महसूस करना है.

आप पाएंगे कि आपके संवेदनशील अंगों में भी बदलाव आने लगा है.

यह क्यूट सेक्स हॉट कहानी भारत के एक प्राचीन विकसित और भीड़ भाड़ वाले शहर कोलकाता से शुरू होती है.

अगर कोलकाता नाम सुन कर आपके दिमाग़ में एक कोमल त्वचा, बड़े नयन, नर्म मोटे सोम रस से युक्त अधर और मदहोश कर देने वाली अदा वाली महिला का प्रारूप ना बना हो, तो आप इस कहानी को यहीं रोक सकते हैं.

कोलकाता के बीचों बीच बसा एक तंग गलियों वाला मुहल्ला, जो आगे जाकर एक हाई सोसाइटी से मिल जाता था.

रोज़मर्रा की तरह 28 वर्षीय परी जो अपने पति के साथ रहती है … वह अपना सारा काम निपटा कर अपनी छत पर खड़ी थी.

परी एक जवान सुंदर बदन की महिला है जो विवाहिता तो है पर … अभी उसे बच्चे का सुख नहीं मिला.
हालांकि ऐसा उसकी अपनी मर्ज़ी से हुआ था.

उसका पति उसके यौवन का भोग करता तो है पर उसकी उफनती गर्मी के अनुरूप नहीं.

परी छत पर खड़ी राह से गुज़रते लड़कों और लड़कियों को देखती और अपनी इच्छा के अनुरूर उनकी काम क्रीड़ा को सोच कर मग्न होती रहती.

सामने से एक बड़ा ऑटो रिक्शा आता दिखा, जिसमें एक परिवार के तीन सदस्य बैठे थे.
जबकि उस ऑटो में एक तरफ की सीट पूरी खाली थी.

सामान्य तौर पर एक महिला होने के तौर पर परी की चाह पुरुषों में थी पर उसकी नज़र रिक्शा में बैठी एक दूध सी सफ़ेद मोती सी चमक लिए एक लड़की पर पड़ी … जो कि रिक्शा के कोने में बैठी थी.

ना जाने क्यों … वह लड़की परी को आकर्षित कर गई.
चंद लम्हों के दीदार ने परी के दिमाग़ में उसकी सैकड़ों प्रतिमाएं बना दीं.

आख़िर बने भी क्यों ना … वह लड़की उसी गली के आगे वाली गली में रहने वाली एक भाभी की छोटी बहन थी जो कुछ समय बिताने आयी थी.
उसका नाम साइमा था.

साइमा वर्तमान में जवानी को चूम ही रही थी, जिसके चलते उसके अंग अभी अनछुए और सुडौल थे.
उसके मादक अंग किसी भी लिंग के प्राणी को अपनी ओर आकर्षित करने में सक्षम थे.

साइमा एक असाधारण लड़की थी.

वह अब कॉलेज में आ चुकी थी. वह देखने में जितना सीधी थी, उतनी ही अन्दर से अश्लील भी.
सईमा पहले से ही संभोग व इससे संबंधित सभी बातों में निपुण थी. इसकी मुख्य वजह उसकी सहेलियां और परिवार का स्वतंत्र रहन-सहन था.

जैसे जैसे रिक्शा पास आता जा रहा था, परी को साइमा और भी सुंदर दिख रही थी.
तभी रिक्शा रुक गया और परी ने अपने कदमों की रफ़्तार बढ़ा दी.

परी अपने थिरकते उरोज और मटकते नितंबों के साथ सीढ़ियों से नीचे आने लगी और उसने अपने आपको बहुत जल्दी से आईने में देखते हुए बाहर कदम रखा और गेट बंद किया.
रिक्शा आगे चलने को तैयार था.
उसने रिक्शा को रोका और ना जाने क्यों वह खुद रिक्शा में बैठ गई.

वह एकदम साइमा के सामने बैठी थी.
वह ख्यालों ही ख्यालों में ही साइमा की ख़ूबसूरती से खेल रही थी.

साइमा ने एक सफ़ेद सूती शर्ट पहन रखी थी, नीचे उसने एक चिकन की कढ़ाई वाली स्कर्ट पहन रखी थी जो कि उसके घुटने से थोड़ा ही ऊपर तक की थी.

जैसे जैसे सड़क के गड्डों में से होकर रिक्शा गुज़रता, वैसे वैसे साइमा के वक्ष स्थल थिथरते.
जवानी के कारण उसके स्तन अभी एकदम सामने की ओर उठे हुए थे जो कि एक रेशमी ब्रा के आग़ोश में क़ैद थे.

शर्ट के ऊपर खुले बटनों में से चमकता उसका जिस्म, कपड़े की सफ़ेदी को मात दे रहा था.
जितना सफ़ेद उसका बदन था, उतना ही वह चमकदार भी था.

उसके बदन के अन्दर भरा उसका यौवन उसकी स्निग्ध त्वचा से साफ़ दिखाई दे रहा था.
उसकी आधी बांह की शर्ट से निकलती उसकी बांहें मानो जमाने पर क़हर ढा रही थीं.

कोई भी मर्द उसके स्तनों की बनावट के बीच अपने मन को दबा कर अपना रस कुछ ही पलों में खो सकता था.

सड़क के हर गड्डे के झटके के साथ उसके दोनों स्तन आपस में टकराकर छलकने से लगते थे.
इससे उसके स्तन और भी ज्यादा वासना उत्पन्न कर रहे थे.

उसने अपने बालों का जूड़ा बना रखा था जिसके कारण उसकी पतली, लंबी और सफ़ेद गर्दन उसकी सुंदरता में चार चाँद लगा रही थी.
इसी कारण उसके नयन नक़्श और भी उभर कर आ रहे थे.

जितने ही उसके वक्ष उफान पर थे, उतनी ही उसकी कमर ढाल पर थी. उसका सपाट नाभि वाला पेट उसे अतिकामुक रंभा सी अप्सरा बना रहा था.

नेवी ब्लू रंग पर सफ़ेद चिकन की कढ़ाई वाली स्कर्ट के नीचे दिखती उसकी दूधिया जांघें जमाने पर क़हर ढा रही थीं.

परी अपने ख्यालों में सोच रही थी कि जब किसी मर्द का पहला स्पर्श इन कोमल जांघों को लगेगा, तो सिहरन सिर्फ़ रोम रोम से होते हुए मुँह से आह तक ही सिमटेगी … या उस स्पर्श का असर इसकी जांघों के बीच नमी भी पैदा करेगी!

अब एक बात तो पक्की हो चली थी कि साइमा की ख़ूबसूरती और उफनती जवानी के आग़ोश में परी की जांघों में नमी आ गई थी … अहा हाहा…!

तभी रिक्शा ने ब्रेक लगाया और साइमा के स्तनों ने ऊपर की ओर उफन कर झटका सा लिया.
तभी एक लड़का रिक्शा के पास आया और परी को सरकने का इशारा करते हुए रिक्शा में बैठ गया.

परी उस लड़के को जानती थी.
वह पास के ही बाजार के एक कुशल लेडीज़ दर्ज़ी का लड़का था.
उसका नाम नदीम था.

वह अपनी अय्याशी और लड़कियों के साथ देह संबंध की वजह से मशहूर था.

अब रिक्शा में थोड़ी भी जगह नहीं रह गई थी.
परी का कूल्हा नदीम से छू रहा था और नदीम के एकदम सामने साइमा बैठी थी.
वह नदीम के आने से अपनी सांसों में तेज़ी महसूस कर रही थी.

साइमा जैसी शक्ल से मासूम बदन से भरी मदमस्त लड़की के नज़दीक आने से नदीम कैसे ख़ामोश रह सकता था.
नदीम ने अपने हाथों को उसके पैरों के पास ले जाकर हलचल शुरू की.

नदीम हिलते रिक्शा के साथ अपने हाथों को हिला रहा था और साइमा के कोमल चिकने पैरों को छू रहा था. उसकी यह हरकत मेरी निगाहों से बच नहीं सकी.
उसी वक्त एक बड़ा सा झटका लगा और नदीम ने साइमा के पैरों को एड़ी से ऊपर … और घुटने के नीचे बीच में से जकड़ लिया.

इस अचानक से हुए हमले के लिए साइमा अनजान थी और वह एकदम हड़बड़ा गई.
उसने एक हाथ से रिक्शा की रॉड पकड़ रखी थी और एक हाथ अपनी नाभि के पास रख रखा था. जो कि अब पैरों के पास आ गया.

साइमा थोड़ा सा झुक गई. जिसके परिणामस्वरूप नदीम को साइमा के वक्ष स्थल का पहला दीदार हुआ.
साइमा और नदीम का पहला संपर्क निगाहों ही निगाहों में हुआ.

इस मिलाप में साइमा की आंखों में ग़ुस्से और घबराहट की मिश्रित अदा थी.
दूसरी तरफ नदीम की आंखों में शरारत की अदा थी.

इसी अदा के साथ पहली बार नदीम और साइमा की पहली मुलाक़ात आंखों से हुई.

अब साइमा की सांसें और धड़कन उसकी छाती पर स्पष्ट रूप से देखी जा सकती थीं.
यह बढ़ता हुआ रक्तचाप साइमा की छाती को ऊपर नीचे करता हुआ उसकी वासना को बढ़ा रहा था.

इसी का भोग नदीम अपनी आंखों से कर रहा था.
नदीम बहुत ही ज़्यादा मंजा हुआ युवक था.
वह इतनी आसानी से इस धधकती आग को ऐसे नहीं छोड़ सकता था.

अब इस ना के बराबर विरोध के बाद नदीम के हौसले और आगे बढ़ चुके थे.
उसने अपनी उंगलियों से नाज़ुक सा स्पर्श साइमा की मख़मली टांगों के बीच देना शुरू किया.

यह अहसास साइमा को आनन्द प्रदान कर रहा था, जो कि धीरे धीरे जिस्म में गर्मी पैदा करने लगा था.
इसका असर साइमा की आंखों की चमक से दिख रहा था.

साइमा बीच बीच में विरोध करने का भी दिखावा कर रही थी.
वह बार बार नदीम के हाथों को हटा रही थी और पूरी कोशिश में थी कि रिक्शा में बैठे लोग इस हरकत से अनजान रहें.

तभी नदीम ने ऐसा पैंतरा अपनाया कि जिसके चलते साइमा की सिसकारी निकलने से बच ही न पायी.
नदीम के पास एक हाथ का बना थैला था, जिसका सहारा लेकर नदीम ने साइमा के घुटने के ऊपर और योनि के नीचे मतलब एकदम बीच जांघ पर मांसपेशियों को अपने मज़बूत पंजे से पकड़ लिया.

इससे साइमा थोड़ा कसमसाई.

तभी उसके साथ बैठी उसकी अम्मी ने पूछा- क्या हुआ?
साइमा- कुछ नहीं ऐसे ही पैरों में कुछ चुभा सा है!
आंटी- ठीक है, ध्यान से बैठो.

अब नदीम की शरारती आंखों में साइमा ने ग़ुस्से से देखा और वह उसे मना करने का इशारा करने लगी.

परी इन सब हरकतों से पूरी तरह वाक़िफ थी और अपने पुराने समय को याद करती हुई वह अन्दर ही अन्दर क्यूट सेक्स के लिए मचलने लगी थी.

अब तक साइमा भी समझ चुकी थी कि इस अवसर का पूरी तरह भोग करना इस उम्र में ही सही है.
वह अपने विरोध को ना के बराबर ही प्रयोग कर रही थी.

रिक्शा फिर से रुक गया और साइमा का परिवार उतरने लगा.
साइमा भी उतरने लगी.

साइमा को उतरता देख नदीम भी उतरने लगा.
इन दोनों के उतरते देख मैंने भी रिक्शा वहीं छोड़ दिया.

अब साइमा के सामने एक चुनौती थी कि वह अपने अम्मी अब्बू के सामने नदीम से कैसे मिलती.
साइमा जितनी शरीफ़ दिखती थी, शायद अन्दर से उतनी ही चुलबुली और शातिर दिमाग़ वाली लड़की थी.

उसने फ़ोन कान पर लगाया और चंद मिनटों बाद अपनी अम्मी से बोली कि मेरी सहेली मेरा इंतज़ार कर रही है. आप सब ख़रीददारी करो, मैं उसके पास से आती हूँ.
ऐसा बोल कर साइमा वहां से रफ़ूचक्कर हो गई.

साइमा के पीछे नदीम और उन दोनों के पीछे परी लगी थी.

साइमा की चाल बाज़ार में सबसे अनोखी दिख रही थी.
वह नादान हरकतों वाली एक लड़की, जिसकी बलखाती जवानी उसके नितंबों से हिलती हुई साफ़ झलक रही थी.
उसके बाहर की ओर निकले गोलाकार नितंबों ने उसकी स्कर्ट को जांघ से ऊपर उठा रखा था. जिसकी वजह से उसका बहुत सा चिकना हिस्सा साफ़ दिखाई दे रहा था.

वह अपने टखने आपस में रगड़ती हुई बल खाकर चल रही थी जिससे उसके कौमार्य यौवन का प्रदर्शन हो रहा था.

कुछ दूर होने पर नदीम ने उसके दाहिने हाथ को पकड़ा और उससे निगाह मिलाई.
दोनों के मन की इच्छा साफ़ दिखाई दे रही थी.

नदीम ने उसे एक रेस्तरां में चलने का निवेदन किया और साइमा ख़ानापूर्ति वाले विरोध के साथ चल पड़ी.

दोनों एक टेबल पर जाकर आमने सामने बैठ गए.
नदीम ने गर्मजोशी से हाथ आगे बढ़ा कर अपना नाम बोला- नदीम.

साइमा ने हाथ बढ़ा कर हैंड शेक किया लेकिन बोली कुछ नहीं.
नदीम ने हाथ को छोड़ा नहीं बल्कि थामे रखा.

उसका अंगूठा साइमा की हथेली के पिछले हिस्से को सहलाने लगा.

साइमा ने आंखें उठा कर और मुख पर जबरदस्ती की मुस्कान लाकर बात की.

नदीम- आपको पता ही होगा कि आप बला की खूबसूरत हैं. आपसे निगाह हटती ही नहीं है. मैं तो केवल यही चाहता था कि आप गुमसुम न बैठी रहें और आप भी मेरा साथ दें.

किसी महिला की कोई तारीफ करे और वह खुश न हो … यह तो सम्भव ही नहीं हो सकता.

साइमा का चेहरा सहसा खिल गया.
उसने कहा- तारीफ के लिए शुक्रिया. मैं यह बात जानती हूँ!

अभी भी वह उचित दूरी बनाए हुए थी किंतु उसके हाथ पर फिरते नदीम के अंगूठे में कुछ तो कशिश थी कि वह हाथ झटक ही नहीं पाई थी.

अब साइमा का अंगूठा भी नदीम के हाथ को हिलाने और सहलाने लगा था.

क्या वह अनजाने ही उसके प्रभाव में आने लगी थी?

साइमा का हाथ अभी भी नदीम के पास ही था.
अंतर था तो यह कि अब उसके दोनों हाथ उसे दोनों तरफ से सहला रहे थे.

साइमा बोली- आप मेरा हाथ क्यों पकड़ कर बैठे हैं?
नदीम- जैसे आपकी खूबसूरती में चुम्बक है, वैसे ही मुझमें भी है. कोई लड़की मेरे साथ से भागती नहीं है. और हां … यह तो मैं इसलिए पकड़े हुए हूँ कि कहीं आप मेरे गाल पर इन उंगलियों का निशान न बना दें.

उसके शैतानी भरे शब्द और आवाज से साइमा की मुस्कान ऐसे खिल गयी, जैसे कोई बच्चा किसी अजनबी के सामने खिलखिलाने लगता है.

नदीम ने अगले पल पुन: पूछा- नाम तो बताएं हुजूर!
‘साइमा’
‘आप अपने नाम के अनुरूप ही सुंदर हैं. साक्षात स्वर्ग से उतरी अप्सरा हैं. आपका रूप मोहक और मादक है. आप गजब की हॉट हैं. आप पूरी तरह से अपने नाम को सार्थक कर रही हैं, साइमा जी!’

अब उसने क्यूट गर्ल साइमा का हाथ ऊपर उठा कर उसको अंग्रेजी स्टाइल में चूम लिया.

फिर मुस्कुरा कर तिरछी नजर से देखता हुआ कहने लगा- वैसे साइमा जी, आप जैसी अप्सरा क्या केवल निगाह डालने के लिए ही?
अपना वाक्य अधूरा छोड़ कर उसने अल्पविराम लिया और आगे बोलना चाहा कि साइमा बोल पड़ी- नदीम जी, तारीफ तक तो ठीक है, किंतु अपनी भाषा पर नियंत्रण रखिए आप!

वह बोला- आय एम सॉरी! मुझे लगा कि हल्का मजाक चलेगा! आपकी बात नोट कर ली गयी है मी लॉर्ड!
कह कर उसने अदब से सिर झुकाया और आगे बोला- एक और बात … आपकी आवाज और आपकी सादगी भी आपके नाम के अनुरूप ही है. यदि मेरा अनुमान सही है तो सही थाप पड़ने पर आपका यह बेइंतिहा सुंदर, सुगढ़ और कोमल बदन और स्निग्ध त्वचा भी बेहतरीन संगीत पैदा कर सकते हैं.

साइमा बच्चों की तरह खिलखिलाई- आप बातें बहुत मीठी करते हैं.
‘जर्रानवाजी के लिए शुक्रिया!’

‘लेकिन जनाब, बदन से संगीत कैसे पैदा हो सकता है भला? आप तो फ्लर्ट करने की कोशिश कर रहे हैं. बिल्कुल चाँद सितारे तोड़ कर लाने जैसे वायदे के साथ!’
‘तो क्या मैं अपना पिछला वाक्य पूरा कर सकता हूँ?’
नदीम ने फिर शरारत की.

साइमा- बिल्कुल भी नहीं … आपके आधे वाक्य ने ही समझा दिया कि आप कहां पहुंच रहे हैं!
यह कहते हुए साइमा के चेहरे पर मुस्कुराहट के साथ ही लाज भी उतर आई थी.

नदीम समझ गया था कि उसने आधा रास्ता पार कर लिया है.

नदीम- आप बिल्कुल सही समझ रही हैं साइमा जी. आपकी समझ की और खुलेपन की मैं दाद देता हूँ. सुंदर और सरल लड़कियां मुझे खींच ही लेती हैं. यह मेरी कमजोरी हैं, आगे क्या कहूँ मैं … और क्या करूँ … बस ऐसा ही हूँ मैं!

एक पल रुक कर साइमा को देखने के बाद नदीम आगे बोला- आपके साथ भी मैं केवल कोशिश नहीं, वास्तव में फ्लर्ट ही कर रहा हूँ. बल्कि उससे भी कहीं आगे … और कहीं ज्यादा. सही बताऊँ तो मैं आपका केवल साथ नहीं … बल्कि ‘पूरा साथ’ चाहता हूँ.’

पूरा साथ शब्द पर अत्यधिक बल देते हुए उसने कहना जारी रखा- आप समझ ही रही हैं न मेरा आशय! यदि आप इसमें सहज हों और अनुमति दें, तो मैं न केवल आपको ऐसा संगीत निकाल कर दिखा सकता हूँ अपितु आपको आपके जीवन के सर्वाधिक सुंदर, अलौकिक, देव-अप्सराओं सरीखे मैथुन का अनुभव भी करवा सकता हूँ. साक्षात कामदेव और रति की उपस्थिति होगी आज वहां. मैं प्रतिज्ञा कर आपको विश्वास दिलाते हुए कह सकता हूँ कि ऐसा संसर्ग आपने अभी तक अनुभव न किया होगा. आप इसको केवल जी सकती हैं, शब्दों में बयान कर पाना सम्भव नहीं है.

साइमा- बस बस …
ऐसा बोल कर साइमा ने अब बाहर जाने की इच्छा ज़ाहिर की.

नदीम ने उसे प्यार का झूठा हवाला देते हुए बैठा लिया और पांच मिनट की बोल कर ग़ायब हो गया.

दोस्तो, साइमा की सील बंद चुत की चुदाई की क्यूट सेक्स हॉट कहानी पढ़ कर आपको कैसा लग रहा है, प्लीज मुझे बताएं.

इसके अगले भाग में मैं चुदाई की कहानी को विस्तार से लिखूँगा.
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क्यूट सेक्स हॉट कहानी का अगला भाग: कुंवारी चूत अनुभवी लंड के चंगुल में- 2

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