लंड चुत गांड चुदाई का रसिया परिवार- 14

(College Lovers Sex Kahani)

This story is part of a series:

कॉलेज लवर्स सेक्स कहानी में पढ़ें कि कुछ स्टूडेंट्स घूमने गए तो वो जोड़ियाँ बनाकर मस्ती करने लगे. ऐसी ही कुछ मस्ती भारी बातें इस भाग में पढ़ें.

दोस्तो, मैं सोनिया कमल एक बार फिर से आपको सेक्स कहानी के दरिया में डुबोने आ गई हूँ.

अब तक आपने जाना था कि चलती बस में पल्लवी विराज के सीने से लग कर उससे अपना प्यार जता रही थी.

अब आगे कॉलेज लवर्स सेक्स कहानी:

उधर दूसरी तरफ आकाश और स्नेहा आपस में बात कर रहे थे.

आकाश- क्या बात है स्नेहा, आज तुम बहुत सुंदर लग रही हो.
स्नेहा ने मुस्कुराते हुए कहा- शुक्रिया शुक्रिया.

आकाश- हा हा हा हा सच में … यार मैं मजाक नहीं कर रहा.
स्नेहा- रियली?
आकाश- यस.

इन दोनों की कथा गर्म होने दीजिए फिर बाद में देखते हैं कि क्या खेल होता है. अभी एक तरफ चिराग और ज्योति बैठे थे.

ज्योति- जानते हो चिराग, आज मैं तुम्हारे साथ अकेले बैठ कर बहुत खुश हूँ.
चिराग- ये बात है … तो इसी बात पर फटाफट एक पप्पी दे दे.

ज्योति- हट बेशर्म … सब लोग हैं यहां बस में … कोई देखेगा तो क्या सोचेगा?
चिराग- बस इतना प्यार करती है मुझसे? और रही बात किसी के देखने की … तो कोई हमें नहीं देख रहा. सब अपने में बिजी हैं.

ज्योति ने अचानक चिराग का चेहरा दोनों हाथ से पकड़ा और उसके होंठों से अपने होंठ चिपका दिए.

उमम्माह …

थोड़ी देर एक दूसरे के होंठ चूसते रहे. अंत में दोनों अलग हुए तो ज्योति ने शर्माते हुए चिराग की गोद में मुँह छुपा लिया.

चिराग- आई लव यू ज्योति … मजा आया!
ज्योति- बहुत … आज पहली बार कोई अच्छा काम किया तुमने … आई आल्सो लव यू जानू.

चिराग ने धीरे से अपना एक हाथ उसके छोटे छोटे मम्मों पर लगा दिया.

इससे ज्योति के दिल की धड़कन तेज हो गई. आज पहली बार उसकी चूची पर किसी मर्द ने हाथ लगाया था.

चिराग ने उसकी एक चूची को सहला दिया, जिससे उसको भी करंट लगा.

‘ज्योति?’
ज्योति- हूंउउउ.

चिराग- आज कुछ तूफानी हो जाए?
ज्योति- क्या?
चिराग- वही जो शादी के बाद होता है?

ये कह कर चिराग ने धीरे से ज्योति के निप्पल मसल दिए.

ज्योति- आआह सीईईई … सब देख रहे हैं.

ये उसका बस नाम मात्र का विरोध था. वो खुद ये सब चाहती थी.

चिराग- कोई नहीं देख रहा मेरी जान.
ज्योति- कोई आ गया तो?

वो चिराग की गोद में लेटी हुई थी. पर अचानक उसके गाल पर कुछ चुभने लगा.
उसने मुँह नीचे की तरफ किया, तो जींस के ऊपर से चिराग का खड़ा लंड उसके होंठों पर छू गया.

उसने अपने होंठ खोले और पेंट के ऊपर से ही विराज के कड़क होते लंड पर दांत गड़ा दिए.

चिराग- आआआह जान … ऐसा जुल्म मत करो … इस बेचारे पर अंडरवियर के साथ पैंट भी गीली हो जाएगी.

उसने ज्योति की जींस की जिप पकड़ कर नीचे सरका दी और हाथ अन्दर घुसा कर पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत मुट्ठी में भर कर मसलने लगा, पर तभी एक झटके से बस रुक गई. मगर तब तक ज्योति की पैंटी गीली हो चुकी थी. बस के रुकते ही चिराग ने जल्दी से हाथ बाहर निकाल लिया और ज्योति ने भी उठ कर चैन बंद की.

बाहर देखा तो बस मुल्सी झील पहुंच चुकी थी. सबने मिलकर पहले मस्ती मजाक करते हुए खूब एन्जॉय किया.

अबकी बार ज्योति सबके सामने खुल कर चिराग के साथ, कभी उसके गले में बांहे डाल कर सेल्फी ले रही थी … तो कभी हग करके फुल एंजॉय कर रही थी.
स्नेहा और पल्लवी सब मुँह फाड़े उन दोनों को ही देख रही थी.

फिर पल्लवी ने वो किया, जिससे समीर के साथ साथ ज्योति भी हैरान हुए बिना नहीं रह सकी. पल्लवी ने आगे बढ़ कर विराज का चेहरा पकड़ कर उसके होंठ पर अपने होंठ रख दिए और उसका मुँह चूमने लगी.

इसी प्रकार की मस्ती करते हुए एक जगह से दूसरी जगह … फिर लंच के लिए एक अच्छे से रेस्टोरेंट में आ गए. उधर बहुत ही उम्दा लंच किया … फिर अगली लोकेशन की तरफ बढ़ गए.

इसी तरह शाम 7 बजे सब वापिस रिसॉर्ट आ पंहुचे. सब थके हारे थे.

स्नेहा- क्यों री मेरी चंपाकली … आज तो तूने कमाल कर दिया. साली सबके सामने कभी यहां … कभी वहां बड़ी फुदक रही थी.
ये बोलते हुए स्नेहा ने उसकी चूची पकड़ कर दबा दी.

ज्योति हंसने लगी.

स्नेहा- और बता साली … बस में क्या क्या किया?
ज्योति- तुझे क्यों जानना है. वो मेरा है … कुछ भी कर सकता है मेरे साथ … तुझे क्या. और तू भी तो आकाश से चिपकी हुई थी उसका क्या?

स्नेहा- यार मजबूरी थी मेरी, नहीं तो आकाश क्या तन्वी के साथ बैठता. उधर तूने देखा कैसे पल्ली ने सरेआम विराज को हग करते हुए फ्रेंच किस किया, वो भी समीर के सामने ही.

ज्योति ने आश्चर्य से पूछा- क्या बात कर रही है … उसने किस किया और वो भी समीर के सामने?
स्नेहा- यस मेरी जान, तू जब भाई के साथ पेड़ के पीछे अपनी मां चुउऊऊऊ ….

ज्योति ने बात काटते हुए कहा- चुप साली रंडी … कुछ भी बोलती है. तू तो जैसे बिना मां चुदाये पैदा हुई होगी. तेरे चक्कर में पता नहीं आंटी की भोसड़ी को कितनी बार गपागप अंकल का लंड खाना पड़ा होगा … तब तू उनके भोसड़े निकली होगी.

ज्योति आज एकदम बिंदास हो गई थी. उसने फटाफट अपने सारे कपड़े उतारे और एक सिंगल पीस बिकनी पहन ली. जो उसके घुटने से थोड़ी सी ऊपर थी. उसने ऊपर से एक बाथरोब डाल लिया.

स्नेहा- ये ऐसी ड्रेस पहन कर कहां जा चली … और ये तेरी पैंटी इतनी गीली क्यों है साली!

स्नेहा उसकी उतारी हुई पैंटी को चूत वाली जगह को देखती हुई बोली.

ज्योति- तुझे इससे क्या लेना देना? ये हमारी मियां बीवी के बीच की बात है.
वो जोश जोश में बोल तो गई … पर.

स्नेहा ने ज्योति की पैंटी सूंघते हुए कहा- ओ हो मियां बीवी … क्या बात है.

उसने चिढ़ाते हुए ज्योति की चुटकी ली- कब से … खुशबू तो अच्छी आ रही. लगता है डिस्चार्ज हो गई थी तू … हम्म मामला गम्भीर है.

ज्योति- चल छोड़, मैं स्वीमिंग करने जा रही हूँ. तुझे आना हो तो आ जाना, मैं चलती हूँ.

ये बात स्नेहा को नहीं पता थी कि चिराग ने ज्योति को बुलाया है और दोनों का मिलन होने की पूरी सम्भावना है.

ज्योति चलते हुए पीछे पूल तक गई, तो वहां पहले से चिराग पूल में पैर लटकाए बैठा ज्योति का इंतजार कर रहा था.

ज्योति ने पीछे से झुक कर अपनी दोनों बांहें चिराग के गले में डाल दीं और उसके गाल से गाल रगड़ने लगी.
‘आई लव यू.’

चिराग ने भी अपने दोनों हाथ ऊपर करके ज्योति का चेहरा आगे की तरफ खींच कर एक बार फिर से उसके होंठ से अपने होंठ मिला दिए.
दोनों इसी तरह किस करते रहे.

फिर चिराग ज्योति को लेकर पूल में गिर गया. पानी में जाते ही चिराग, ज्योति से लिपट गया. उसने अपना एक हाथ नीचे ले जाकर उसकी पैंटी में डाल दिया.

ज्योति तो चिराग का हाथ लगते ही कांप उठी … और उसने एकदम से चिराग को जकड़ लिया.

चिराग कुछ सेकंड चुप रहा. फिर एक उंगली ज्योति की चूत की दरार पर ऊपर नीचे करने लगा.

ज्योति के लिए बस इतना ही काफी था. वो झटके खाते हुए अपनी लाईफ का पहला ओर्गास्म कर बैठी.

‘आआह चिईईराग य..ये क्या हो रहा म..मुझे म..मैं हवाआआ में उड़ रही हूँ.’

इतना बोलती हुई ज्योति कटे वृक्ष के जैसे चिराग की बांहों में झूल गई.
पर इन दोनों को पता नहीं चला कि स्नेहा छुप कर ये सब तमाशा देखते हुए अपनी चूत पर उंगली फेर रही थी.

फिर वो वहां से चुपचाप खिसक गई और इधर पूल में जल्दी ही होश में आने के बाद.

चिराग- जानेमन तुमने मुझे दो बार गर्म करके आज पानी गंदा करवा दिया.
ज्योति- छी: कितने गंदे हो तुम.

चिराग- अच्छा मैं गंदा … पानी खुद ने गंदा करवाया और इल्जाम मुझ पर? अब इसका मैं क्या करूं?

ज्योति खड़े लंड को देखने लगी.

चिराग अपने लंड की तरफ इशारा करते हुए बोला- इसका कुछ कर दो जान वरना ये फट जाएगा.

ज्योति लजाते हुए- पागल कहीं के … लाओ मैं इसे हाथ से ठंडा कर देती हूं.
चिराग- हाथ से करना होता तो मैं ही कर लूंगा. थोड़ा मुँह में ..
ज्योति- खुली आंखों से सपने अच्छे देख लेते हो.

इतना कह कर वो पूल से बाहर निकली और साईड में बने शॉवर रूम की तरफ चली गई.

चिराग भी पीछे पीछे आ गया और उसको गोद में उठा कर चेंजिंग रूम में ले गया.
रूम में अन्दर जाते ही भूखे भेड़िए की तरह वो उस पर टूट पड़ा. होंठ, गाल, गला और गर्दन सब जगह चूमने चाटने लगा.

ज्योति अपना आपा खोती चली गई और उसका साथ देने लगी. वो एक बार फिर से गर्म हो गई.

इस बार चिराग ने ज्योति की चड्डी नीचे खिसका दिया. वो ज्योति की क्लीन शेव गीली चूत पकड़ कर मसलने लगा.

ज्योति- आआह सीईईई ओह मां … मेरे नीचे ये कैसी आग लगी है. चिराग कुछ करो इसका … नहीं तो मैं मर जाऊंगी.
उसने हाथ बढ़ा कर चिराग का लंड पकड़ लिया और लंड मसलने लगी.

फिर तो चिराग एकदम से आगे बढ़ गया और वो अपनी एक उंगली ज्योति की चूत में घुसेड़ने लगा.

तभी किसी के आने की आहट हुई, चिराग ने तुरंत ज्योति को छोड़ दिया.

वो मन में सोचते हुए बड़बड़ाने लगा- पता नहीं किसकी बहन चुद गयी …

चिराग चल कर बाहर निकला, तो देखा स्नेहा अन्दर की तरफ आ रही थी.

चिराग- तू … तू … यहां क्या कर रही है?
स्नेहा- भैया ज्योति कहां है … और तुम यहां क्या कर रहे हो?

चिराग- व..वो शॉवर ले रही है. उसको अकेले डर लग रहा था … इसलिए मैं बाहर खड़ा हुआ था.
स्नेहा- ठीक है, तुम जाओ. मैं उसे अपने साथ ले आऊंगी.

चिराग मन ही मन खीजते हुए बुदबुदाया क्या यार … थोड़ी देर बाद आती तो आज ज्योति को चोद ही देता, पर स्नेहा की भी ना.
बस यही सब सोचते हुए चिराग अपने कमरे की तरफ चला गया.

इधर …

स्नेहा चेंजिंग रूम में ज्योति से मस्ती करने लगी- आज तो लगता है काम हो गया तेरा?
ज्योति चिढ़ते हुए बोली- घंटा काम हो गया … साली छिनाल पूरा काम खराब कर दिया. क्या जरूरत थी आने की … काम बस होने ही वाला था और तूने तेरी मां चुदवा ली.

स्नेहा थोड़ा गुस्से में बोली- ओ हैलो माइंड योर लेंग्वेज … रंडी की भोसड़ी में बड़ी आग लगी हुई है. एक बार बुझा ली थी ना पूल में … फिर यहां क्यों मां चुदाने लाई थी भाई को?
ज्योति- त…तूने देखा था?

वो मन में सोचने लगी कि साली कुतिया एक नंबर की रांड है कमीनी. इससे बच कर रहना पड़ेगा.

स्नेहा ने मुस्कुराते हुए कहा- पूरा खेल.

तब तक ज्योति ने शॉवर लेकर बाथरोब वापस पहन लिया और दोनों रूम की तरफ चल दीं.

रूम में आने के बाद ज्योति ने स्नेहा को पीछे से हग करते हुए कहा- सॉरी यार … मैं गुस्से में कुछ ज्यादा बोल गई … माफ कर दे यार प्लीज.

स्नेहा ने हंसते हुए कहा- हाय जानेमन … लगता है आग दोनों तरफ बराबर लगी है.

वो ज्योति की चूत पैंटी के ऊपर से मसलते हुए आगे बोली- एक शर्त पर माफ करूंगी.
ज्योति- सीईईई छोड़ दे रंडी … और कैसी शर्त?

स्नेहा- आज तुझे अभी अपनी चूत खोल कर दिखाना पड़ेगी?
ज्योति हंसती हुई बोली- चल चल, बड़ी आई चूत देखने वाली.

वो बिकिनी उतार कर नाईटी पहनते हुए बोली- अच्छा एक बात तो बता?
स्नेहा- कौन सी बात मेरी चुद्दो?

ज्योति- तूने अपनी लाईफ में कुल कितनी चूतें देखी होंगी?
स्नेहा- ज्यादा नहीं. तुम सबकी तो कॉलेज के टायलेट में देखी हैं, पर ठीक से देख नहीं देख पाई. पर सबसे ज्यादा अपनी नेहा दीदू की चुत बचपन से देखती आ रही हूं. साथ साथ नहाना … घर में कपड़े चेंज करते … या मॉल के ट्रायल रूम में … और लास्ट टाईम दीदू जीजू की चुदाई भी देख ली. हमारे बीच कुछ भी नहीं छुपा.

उसने मुस्कुराते हुए सब कह डाला.

ज्योति उसकी तरफ मुँह फाड़े देख रही थी- तूने अपनी दीदी की चुदाई भी देख ली?
स्नेहा- हां … और मैंने अपनी बुआ की बेटी की चूत भी कई बार देखी है.

ज्योति- साली तूने चुदाई भी देख ली? तू तो बड़ी बहन चोद निकली. जानती है स्नेहा … मैं अपने भाई बहनों को बहुत तरसती हूं, काश कि मेरी भी छोटी या बड़ी बहन होती … या छोटा भाई होता, तो उन सबको इतना ही प्यार देती.

ये सब कहते कहते उसकी आंखें नम हो गईं.

स्नेहा- तू ये नहीं बोल सकती … और तू भूल रही है कि हमारा ग्रुप भाई बहनों से कम है क्या. और मैंने तुझे हमेशा अपनी बहन से कम नहीं समझा है … इसलिए बार बार तेरी चूत देखने की कोशिश करती हूं … अपनी नेहा दीदू की तरह.

स्नेहा ने माहौल को हल्का करते हुए मुस्कुरा कर कहा- एक बार तो तेरी चूत फैला कर देख कर रहूंगी.

ज्योति ने अपनी नाईटी उठा कर कहा- ये ले देख ले … फैला कर देख, चाट कर देख … चाहे जैसे भी देख.
स्नेहा- क्या यार … ये तो पनिया गई है.

ज्योति ने हंसते हुए कहा- हां तू जब चेंजिंग रूम में आई थी, तो चिराग मेरी चूत की क्लिट मसल ही रहा था. साली तेरी दीदू चुद गई थी … जो तू आ गई थी … नहीं तो आज मेरी सुहागरात ही हो जाती जानेमन.
स्नेहा ने उसकी नाईटी नीचे करते हुए कहा- ओह सो सॉरी यार … मेरी वजह से तेरा काम खराब हो गया. अभी इसको ढक ले, किसी दिन फुर्सत से इस मुनिया का काम तमाम करूंगी.

स्नेहा ने ये कह कर चूत की तरफ देखा और पुच की आवाज निकाल दी.

ज्योति- यार जोर की भूख लगी है, चल देखते हैं कुछ इंतजाम हुआ या नहीं.

दोनों कपड़े बदल कर नीचे चली गईं, जहां पहले से सब बैठे डिनर का वेट कर रहे थे.

समीर- आओ आओ इतनी देर कहां लगा दी थी?
ज्योति- हम दोनों फ्रेश हो रही थीं. डिनर का क्या हुआ?
चिराग- आर्डर कर दिया है … बस आता ही होगा.

सभी टीवी देख रहे थे. तभी डोर बेल बजी.

आकाश- लगता है डिनर आ गया.
उसने उठते हुए कहा और उठ कर गेट खोला, तो डिलिवरी बॉय ही था … वो सबका खाना लाया था.

सबने मिलकर डिनर किया. उसके बाद सब एक साथ आइसक्रीम खाते हुए दूसरे दिन की प्लानिंग करने लगे.

दोस्तो, अब इस कॉलेज लवर्स सेक्स कहानी को अगले भाग में लिखूंगी. आपके मेल मिल रहे हैं … बड़ा मजा आ रहा है. आपके ईमेल से ही मुझे कहानी लिखने की ताकत मिलती है.
सोनिया वर्मा
[email protected]

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