मेरी कुंवारी बुर की पहली चुदाई कैसे हुई- 2
(College Girl Chudai Kahani)
कॉलेज गर्ल चुदाई कहानी में पढ़ें कि आधा अधूरा सेक्स करने के बाद मेरी कामवासना बहुत बढ़ गयी थी. मैं किसी भी तरह से लंड का मजा चखना चाहती थी.
यह कहानी सेक्सी आवाज में सुनकर मजा लें.
हैलो, मैं आपकी सुहानी चौधरी!
अपनी कॉलेज गर्ल चुदाई कहानी के पहले भाग
बॉयफ्रेंड के साथ कमरे में सेक्स करने गयी
में मैं आपको बता रही थी कि मैं अपने ब्वॉयफ्रेंड सूरज से चुदने के लिए राजी हो गई थी.
मगर मेरे यार का लंड चुत में घुसने से पहले ही झड़ गया था. फिर खड़ा भी नहीं हुआ. इससे मैं बहुत मायूस हो गई थी.
अब आगे की कॉलेज गर्ल चुदाई कहानी:
आखिरकार 2-3 घंटे बाद हम दोनों वहां से ऐसे ही निकल गए.
वापसी में सूरज ने मुझसे कुछ ना कर पाने के कारण माफी मांगी … और ये बात किसी और को ना बताने की गुजारिश की.
मैंने ये बात निशी को भी नहीं बताई.
इसके बाद भी हमने 3-4 बार सेक्स के लिए कोशिश की, पर हर बार सूरज शुरू में झड़ जाता था … और मुझ तक जवानी की धूप पहुंच ही नहीं पा रही थी.
अब मैं मायूस भी होने लगी और सेक्स के लिए उतावली भी!
क्योंकि सूरज हर बार मुझे गर्म करके छोड़ देता था. सूरज को भी अब अपने पर शर्मिंदगी होने लगी.
एक दिन निशी ने भी पूछा- और बता, कैसी चल रही है तेरी सेक्स लाइफ?
शुरू में तो मैंने ऐसे ही झूठ बोल दिया कि सब बहुत बढ़िया चल रहा है.
पर निशी भांप गयी कि कुछ गड़बड़ है.
उसने पूछा- चल सब बता, क्या प्रॉब्लम है, कोई सेक्स करने के बाद इतना रूखा सा जवाब तो नहीं देता!
आखिर मेरा भी सब्र जवाब दे गया और मैं ऊंचे स्वर में बोल पड़ी- सेक्स हुआ ही कहां अभी तक!
निशी चौंक कर बोली- क्या मतलब … इतनी बार तुम दोनों कॉलेज बंक करके गए तो थे. क्या पार्क में घूमने गए थे? मुझे लगा कि तुम जम कर सेक्स कर रही होगी.
मैंने बोला- यार क्या बताऊं करने तो सेक्स ही जाते हैं, पर सूरज शुरू में ही आउट हो जाता है. जैसे ही मैं उसके लंड को हाथ लगाती हूँ, उसका वीर्यपात हो जाता है. हम दोनों 3-4 बार कोशिश कर चुके हैं … पर हर बार यही हो रहा है और फिर दुबारा खड़ा भी नहीं होता. अब तू ही बता यार … ऐसे कैसे सेक्स हो सकेगा.
निशी बोली- ओह … मतलब सेक्स करना उसके बस की बात नहीं है.
मैंने पूछा- कैसे!
निशी मुझे समझाने लगी- देख मैंने इंटरनेट पर पढ़ा था … और उसके हिसाब से सूरज का या तो लिंग कमजोर है … या उसे जल्दी झड़ने की बीमारी है. ऐसे में तो वो कभी सेक्स कर ही नहीं पाएगा. चल कोई बात नहीं, तू भी तो सेक्स करना नहीं चाहती थी. अब क्यों दुखी है?
मैंने कहा- यार, वो तब की बात थी, अब तो बहुत मन करता है … पर अब मेरा बॉयफ्रेंड कुछ नहीं कर सकता. समझ नहीं आ रहा क्या करूं?
निशी बोली- मेरी मान तो उससे ब्रेकअप कर ले और नया बॉयफ्रेंड बना ले.
मैंने कहा- नहीं यार … बॉयफ्रेंड तो अच्छा है, हैंडसम है, ख्याल भी रखता है … और अमीर भी है. बस सेक्स ही तो नहीं कर सकता, पर बाकी सब सही है.
निशी ने बोला- देख बॉयफ्रेंड नहीं बदल सकती … तो किसी और से सेक्स कर ले. आखिर सेक्स तो सेक्स है.
पर उस वक़्त मेरा मन नहीं माना तो मैंने निशी को मना कर दिया.
फिर एक दिन मैंने और सूरज ने फिर कोशिश की सेक्स की … और जैसा मुझे डर था, वही हुआ. आज भी सूरज फिर जल्दी झड़ गया.
इस बार मेरे सब्र का बांध टूट गया और थोड़ा चिढ़ कर कहा- यार सूरज ऐसे तो काम नहीं चलेगा … एक तो तुमने खुद शुरूआत की … और अब खुद ही कुछ नहीं कर पा रहे हो. या तो अपना इलाज़ कराओ, या फिर मुझे किसी और के साथ सेक्स करना पड़ेगा, क्योंकि अब मैं और इंतज़ार नहीं कर सकती.
जब थोड़ी देर बाद दिमाग शांत हुआ, तो हम दोनों ने फिर से बैठ कर बात की.
सूरज मेरे से ब्रेकअप नहीं करना चाहता था, क्योंकि ऐसा होने पर कॉलेज में उसकी बदनामी हो जाती.
उसने मुझसे बहुत प्रार्थना कि मैं ब्रेकअप ना करूं, फिर चाहे और कुछ रास्ता निकालना पड़े, चाहे मैं किसी और के साथ सेक्स करके अपनी वासना को पूरी कर लूं.
मुझे उम्मीद नहीं थी, पर थोड़ी देर बाद सूरज इस बात के लिए मान गया.
अब मुझे अपनी सेक्स की इच्छा को पूरी करने की मुझे एक उम्मीद दिखने लगी.
मैंने उससे पूछा- तो अब क्या करना है?
सूरज बोला- देखो गर्लफ्रेंड तुम मेरी ही रहोगी दुनिया की नज़र में, पर सिर्फ तुम्हारी खुशी के लिए मैं इस बात की इजाजत दे रहा हूँ कि तुम किसी और के साथ सेक्स कर सकती हो.
मैंने बोला- ओके मुझे सब मंजूर है.
अब सवाल ये था कि मैं सेक्स किसके साथ कर सकती हूँ.
मैंने सूरज को उसके दोस्तों के नाम सुझाए तो उसने तुरंत मना कर दिया.
क्योंकि ऐसा करने से सबको पता चल जाता कि सेक्स करना सूरज के बस की बात नहीं है और सब जगह बात फैल जाती.
जब कोई फैसला नहीं हो पाया … तो सूरज ने बोला कि अभी चलते हैं. मैं तुम्हारे लिए किसी ना किसी का बंदोबस्त करता हूँ.
हम दोनों अपने अपने घर चले गए.
अगले दिन मैंने ये खुशखबरी निशी को भी दे दी तो वो भी खुश हो गयी.
उधर सूरज मेरे लिए एक ऐसा लड़का ढूंढ रहा था जो मुझे तबियत से चोद सके.
करीब एक हफ्ते बाद मुझे सूरज ने बोला- चलो, तुम्हारे लिए लंड का इंतजाम हो गया है. आओ तुम्हें एक ऐसे आदमी से मिलवाता हूँ … जो तुम्हारी सारी हवस को पूरा कर सकता है.
हम दोनों सूरज की बाइक से निकल पड़े और एक बड़े से पार्क में आ पहुंचे. पार्क में ज्यादा भीड़ नहीं थी … और सब लोग दूर दूर बैठे हुए थे.
फिर सूरज मुझे एक आदमी के पास ले गया. वो आदमी उम्र में काफी बड़ा था, लगभग 40 साल का.
सूरज ने हमारा परिचय करवाया और मेरी तरफ इशारा करते हुए बोला- इससे मिलिए ये है मेरी मोहब्बत … और मेरी गर्लफ्रेंड सुहानी. और सुहानी … ये हैं मेरे सबसे अच्छे दोस्त और रिश्तेदार, यानि कि मेरे चाचा जी.
मैं चाचा जी नाम सुनकर एकदम से सकपका गयी और हकला कर बोलने लगी- नमस्ते चाचा जी.
उन्होंने मेरे दूध देखते हुए कहा- नमस्ते नमस्ते बेटा … बड़ी खूबसूरत हो.
सूरज बोला- अरे सुहानी इनसे शर्माने की कोई जरूरत नहीं है, ये भले ही मेरे चाचा हैं … पर हमारा रिश्ता बहुत अच्छे दोस्त का है. चाचा जी ही हमेशा मेरा साथ देते हैं … और मैं इनसे खुलकर हर बात साझा कर सकता हूँ. मैंने इन्हें सब बता दिया है कि हम दोनों क्या चाहते हैं.
इसके आगे सूरज ने बताया कि इनकी बीवी यानि मेरी चाची को गुजरे 7 साल हो गए हैं, लेकिन इन्होंने फिर दुबारा शादी नहीं की और ना ही इनकी कोई औलाद है. इसलिए मुझे ही अपने बेटे की तरह प्यार करते हैं.
चाचा जी ने देखा कि मैं थोड़ा असहज सा महसूस कर रही हूँ.
तो चाचा जी बोले- देखो बेटा जी, इसमें कोई शर्माने की बात नहीं है. तुम डरो मत … मैं तुम्हारी सारी ख़्वाहिश पूरी कर दूंगा.
शुरू में मुझे बहुत अजीब लग रहा था, पर मेरे पास और कोई रास्ता नहीं था, तो मैंने भी दोनों पर भरोसा कर लिया और हामी भर दी.
फिर हम तीनों एक मॉल में घूमने आ गए.
चाचा जी ने मुझे एक बहुत खूबसूरत और सेक्सी ड्रेस उपहार स्वरूप दी.
वो बोले- ये लो सुहानी बेटा, इस संडे को इसे पहन कर मेरे यहां आना.
मैंने शर्मा कर वो ड्रेस ले ली और फिर हम सबने बाहर ही खाना खाया.
कुछ ही देर में मेरी भी उनसे अच्छी ख़ासी दोस्ती हो गयी.
अब मैं बहुत उत्सुक थी क्योंकि मेरी जवानी को अब एक नयी दिशा मिलने वाली थी.
सूरज ने मुझसे बोला- अच्छे से तैयार होकर आना, चाचा जी बड़े रंगीन मिजाज के आदमी हैं … कुंवारी लड़कियों के दीवाने हैं.
मैंने कहा- चिंता मत करो, मैं चाचा जी के सारे शौक पूरे कर दूंगी.
आखिर संडे का दिन भी आया.
मैंने घर पर कह दिया कि निशी का बर्थडे है, तो मैं पार्टी में जा रही हूँ और शाम को ज्यादा लेट हुआ … तो उसी के यहां रुक जाऊंगी.
मेरे घर वाले भी मान गए.
फिर मैं अपने कमरे में चली गयी और नहा धोकर तैयार होने लगी. सबसे पहले तो मैंने अपनी चूत के बाल साफ करके उसे बिल्कुल चिकनी बना लिया और हाथों पैरों की वैक्सिंग करके उन्हें भी बिल्कुल चिकना और कोमल बना लिया.
आखिर मैं पहली बार सेक्स करने जा रही थी ना.
चाचा जी की फरमाइश के अनुसार ही मैंने उनके द्वारा दी हुई वही सेक्सी ड्रेस पहन ली और बाल खोल कर कर्ल कर लिए और स्टाइल से बांध लिए.
जैसा कि चाचा जी फमाइश थी, मैंने मेकअप भी उसी अनुसार कर लिया. लाइनर यानि काजल, लाल लिपस्टिक, नेलपॉलिश, फ़ेस पाउडर वगैरह सब लगा कर अच्छे से सेक्सी मेकअप करके तैयार हो गयी.
थोड़ी देर बाद सूरज का फोन आया कि मैं गाड़ी लेकर आ गया हूँ, फटाफट आ जाओ.
अब क्योंकि मैंने कपड़े थोड़े अश्लील से पहने थे … इसलिए मैं सबकी नज़र बचा कर घर से निकल गयी और चुपचाप सूरज की गाड़ी में आकर बैठ गयी.
फिर सूरज सीधा चाचा के यहां ले गया. हम दोनों गाड़ी से उतरे और उसने घर की डोरबेल बजाई.
चाचा जी निकल कर बाहर आए और मुझे देखते ही एकदम सन्न रह गए.
सूरज ने बोला- चाचाजी चाचाजी … क्या हुआ!
तो वे वापस अपने होश में आए.
फिर हम तीनों अन्दर चले गए.
चाचा जी की दबी हुई हवस उमड़ उमड़ कर बाहर आ रही थी.
अब क्योंकि चाचा जी मेरे से दुगनी से भी ज्यादा उम्र के थे, तो मुझे भी हल्की हल्की शर्म आ रही थी. मैं उस छोटी ड्रेस को एक हाथ से नीचे खींच के अपने घुटनों तक सरकाने की कोशिश कर रही थी.
चाचा ने हल्के फुल्के नाश्ते का इंतजाम कर रखा, तो हम तीनों ने नाश्ता किया.
चाचा जी बोले- सुहानी बेटा, आप तो बहुत ही ज्यादा खूबसूरत लग रही हो, इतनी सुंदर लड़की मैंने आज तक असलियत में नहीं देखी. बिल्कुल हीरोइन लग रही हो.
सूरज बोला- चाचा जी ये आखिर मेरी गर्लफ्रेंड है आखिर.
मैंने भी हल्के से मुसकुराते हुए नीचे देखते हुए ‘थैंक्यू चाचा जी ..’ कहा.
फिर थोड़ी देर बैठ कर हमने इधर उधर की बातें कीं. मैं मन ही मन सोच रही थी कि सूरज कब जाएगा और कब मैं उसके चाचा से चुदवाऊँगी.
जब हमें ऐसे ही एक घंटे के करीब हो गया, तो मैंने सूरज को हल्के से पैर मार कर इशारा किया.
सूरज ने तुरंत इशारा समझ लिया और बोला- ठीक है चाचा जी, मैं चलता हूँ. मेरी गर्लफ्रेंड का ख्याल रखना, उसकी सारी इच्छाएं पूरी कर देना.
चाचा जी बोले- बिल्कुल बेटा जी, तेरी गर्लफ्रेंड आज के बाद कोई शिकायत नहीं करेगी. और तू कहां जा रहा है, यहीं बैठ कर देख ना … मैं कैसे तेरी गर्लफ्रेंड के साथ सेक्स करता हूँ. तू देख भी लेना और सीख भी लेना. बाद में तो तू ही तो इसे चोदा करेगा ना.
चाचा के मुँह चोदा शब्द सुना तो मेरी चुत में सनसनी होने लगी.
उधर चाचा जी की बात सुनकर सूरज भी मान गया और रुक गया.
चाचा जी बोले- सुहानी बेटा, इधर आओ मेरे पास.
मैं उनके पास सोफ़े पर बैठ गयी और सूरज सामने वाले सोफ़े पर बैठ कर हम दोनों को देखने लगा.
चाचा जी मुझे समझाने लगे- देखो बेटा सुहानी सेक्स का पूरा लुत्फ लेना हो, तो सभी को बिल्कुल बेशर्म बनना पड़ता है, ऐसे डर के और शर्मा कर रहोगी, तो ना तुम सेक्स का पूरा मजा ले पाओगी और ना ही मैं.
मैंने कहा- जी चाचा जी, मैं कोशिश करूंगी.
चाचा जी बोले- देखो बेटा, मैं मानता हूँ कि तुम्हारी और मेरी उम्र में बहुत फर्क है, फिर भी मैं तुमसे गुजारिश करूंगा कि अगर मैं सेक्स के दौरान गाली गलौच करूं … तो तुम बुरा नहीं मानना. तुम भी मुझे गाली दे कर बोलोगी, तो मुझे भी अच्छा लगेगा.
मैंने कहा- ठीक है चाचा जी मैं ऐसा ही करने की कोशिश करूंगी.
फिर वो बोले- चल फिर आज तेरी ढंग से चुदाई करता हूँ. बहुत दिन हो गए किसी कच्ची कली को चोदे, तैयार हो जा.
मैंने कहा- मैं तैयार हूँ चाचा जी.
मैं और चाचा जी एक दूसरे की आंखों में देखने लगे.
चाचा जी बोले- सुहानी तुम्हारी आंखें बहुत खूबसूरत हैं.
इतना कह कर वो मेरी अधखुली जांघों पर अपनी हथेली फिराने लगे.
उनकी इस छुअन से मेरे पूरे जिस्म में करंट सा दौड़ गया और मैंने ज़ोर की ‘उन्हह ..’ करके सिसकारी ली.
चाचा जी मेरी कोमल जांघों पर ऊपर नीचे हाथ फिराने लगे और प्यार से सहलाते रहे.
फिर धीरे धीरे चाचा जी अपने होंठ मेरे लाल होंठों की तरफ लाने लगे और धीरे धीरे हमारे होंठ मिल गए.
मैं उनकी आंखों में देख रही थी और वो मेरी आंखों में!
फिर मेरी आंखें बंद हो गईं.
हम धीरे धीरे एक दूसरे के होंठों आपस में दायें बाएं रगड़ते रहे. फिर ज़ोर से होंठों में होंठ घुसा कर इधर उधर रगड़ने लगे.
मेरी लिपस्टिक की वजह से हमारे होंठों के बीच काफी चिकनाई हो गई थी और हम दोनों मजे से एक दूसरे के होंठ चूसने लगे.
कभी मैं उनके ऊपर और नीचे के होंठ को चूसती, तो कभी वो मेरे ऊपर नीचे के होंठों को बारी बारी चूस रहे थे.
उधर सूरज ये सब आश्चर्य से देख रहा था.
करीब 2 मिनट तक चुंबन करने के बाद हमारे होंठ अलग हुए.
अब मैं बहुत खुश थी और हल्की हल्की हंस भी रही थी. उधर सूरज मुँह बाए देख रहा था.
चाचा जी सूरज से बोले- देखा बेटा जी, ऐसे करते है किस.
मैं सोच रही थी कि सच में इतनी अच्छी तरह तो किस सूरज भी नहीं करता था.
फिर चाचा जी बोले- अब आगे की ब्लू फिल्म भी देख.
चाचा जी ने मुझसे बोला- चलो बेटा सुहानी, अपने ऊपर के कपड़े उतार दो और दिखाओ अपना मुझे अपना खूबसूरत जवान नंगा जिस्म.
मैं मुस्कुरा कर खड़ी हो गयी और अपना टॉप ऊपर को करके उतार दिया.
अन्दर मैंने सिर्फ जालीदार काली ब्रा और पैंटी पहनी थी.
मेरा पूरा दूध की तरह गोरा जिस्म दोनों के सामने आ गया.
कमाल की बात थी कि सूरज मेरा बॉयफ्रेंड था, पर फिर भी आज तक मैं उसके सामने नंगी तक नहीं हुई थी क्योंकि बात वहां तक पहुंचने से पहले ही वो झड़ जाता था.
मेरे आधे नंगे जिस्म को देख कर चाचा जी ने तुरंत मुझे अपने पास खींच लिया और मेरे पेट पर बेहताशा चुंबन करने लगे.
बाद में वे जीभ से मेरी नाभि को भी चाटने लगे.
मैं अपने बालों को पकड़ कर ऊपर को देख कर बस ‘उंहहह … उंहहह … आहह..’ की सिसकारियां भर रही थी और उस चाचा जी होंठों के स्पर्श का भरपूर आनन्द ले रही थी.
फिर धीरे धीरे चाचा जी के हाथ मेरे स्तनों यानि बूब्स की तरफ बढ़ने लगे और वो उन्हें ब्रा के ऊपर से हल्के हल्के भींचने लगे.
मुझे ऐसे में बहुत मजा आ रहा था और उत्तेजित हुई जा रही थी.
फिर चाचा जी ने मेरी ब्रा एक झटके में मेरे शरीर से अलग करके सूरज के मुँह पर फेंक दी और बोले- ये ले सूरज, सुहानी के आम के छिलके तू रख ले और मैं आम खाऊंगा.
मुझे हल्की सी हंसी आ गई.
चाचा जी बोले- तेरी गुठली भी सूरज ही चूसेगा.
मुझे समझ नहीं आया कि गुठली क्या हुई.
ये तो मुझे बाद में समझ आया था कि चाचा जी ने गुठली किस बात के लिए कहा था.
वो तो बाद में किसी तरह चाचाजी ने सूरज के लंड को मेरी चुदी हुई चुत यानि गुठली में डलवा दिया था.
तब मेरी समझ में आया था कि गुठली चूसने की बात का क्या मतलब था.
खैर … आपको मेरी इस कॉलेज गर्ल चुदाई कहानी में कितना मजा आ रहा है, प्लीज़ मुझे मेल करके बताएं.
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कॉलेज गर्ल चुदाई कहानी जारी है.
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