जरा इस चूत को भी चूम लो जी

(Real Sex Story: Jara Is Chut Ko Chum Lo Ji)

हाय दोस्तो मेरा नाम राजीव है, मैं आपको अपने जीवन की एक गहरी सच्चाई, रियल सेक्स स्टोरी बताने वाला हूँ.. जो आपको बेचैन कर देगी. ये एक ऐसी कहानी है, जो आपके लंड को खड़ा कर देगी और आपके जिस्म में आग लगा देगी.

मैं आपको एक ऐसी सेक्सी लड़की के बारे में बता रहा हूँ.. जिसका नाम दीपिका है. मेरी और दीपिका की कहानी शुरूआत हमारे कॉलेज से हुई थी. तब मैं और वो दोनों फर्स्ट ईयर में थे. इस वक्त मेरी और दीपिका की उम्र 19 साल की थी.

कॉलेज में सबकी नज़रें दीपिका की जवानी पर थीं. दीपिका किसी स्वर्ग की अप्सरा से कम नहीं थी. सब उसे पाना चाहते थे, उसके गोरे बदन पर बड़े बड़े खरबूजे के साइज के चूचे किसी को पागल कर देने में सक्षम थे.

मेरी और दीपिका के बीच गहरी दोस्ती थी. हम दोनों में कोई राज की बात तक नहीं छुपती थी. हम दोनों कभी कभी तो सेक्स की बातें भी शेयर कर लेते थे.

एक दिन की बात है, दीपिका ने मुझे कहा- राजीव मेरी एक मदद करोगे?
तो मैंने पूछा- कैसी मदद, बोलो ना!
चूंकि हम दोनों में किसी बात को लेकर कोई पर्दा नहीं था इसलिए दीपिका निर्भय होकर बोली- मेरी एक फ्रेंड दिल्ली से मेरे साथ ही रहने आई है. उसने मुझसे ब्लू फिल्म मँगवाई है. क्या तुम ला दोगे प्लीज़?
मैंने बोला- अरे ये क्या बड़ी बात है, ले आउँगा.

उस दिन से वो रोज मुझे अपने मोबाइल से फिल्म ला देने की कहने लगी और मैं भी उसके लिए नई नई ब्लू पिक्चर लाने लगा. हम दोनों की दोस्ती और ज़्यादा बढ़ गई. वो रोज मेरे घर आकर पढ़ाई करने लगी.

हम दोनों साथ मिल कर हमारे घर में पढ़ते थे. उस वक्त लगभग रोज ही मेरी मम्मी बाजार चली जाती थीं.

एक दिन मुझे पता चला कि वो सारी ब्लू पिक्चर किसी दोस्त के लिए नहीं बल्कि खुद के लिए लेती थी. उस दिन से मेरा तो उसको देखने का नज़रिया ही बदल गया. मैं उसे सेक्सी नज़रों से देखने लगा. मैंने सोचा कि मुझे तो इसकी चूत मिलनी ही चाहिए. मैं रोज रात को दीपिका की चूत याद करके मुठ मार के सोने लगा. लंड हिलाते समय मुझे चारों तरफ़ उसका खूबसूरत चेहरा नज़र आता था.

आज भी दीपिका पढ़ाई के लिए आने वाली थी. मैं उसके बारे में सोचकर मुठ मार रहा था. “आआआहह..” मेरा माल निकलने ही वाला था कि अचानक कॉल बेल बजने लगी. मैंने सोचा शायद मम्मी बाजार से आ गई हैं, लेकिन मम्मी नहीं, दीपिका आई थी.

दीपिका “हाय..” बोली, उसको देख कर मेरा दिल खुश हो गया. दीपिका ने आज एक सेक्सी जींस और टी-शर्ट पहनी थी. वो रोज की तरह आकर सोफे पर बैठ गई. मैं भी उसके पास बैठ गया. वो अपनी किताब लेकर बैठी थी, मैं भी अपनी किताब लेकर बैठ गया. बातचीत करते करते हम दोनों पढ़ते रहे. मैं उसे देखता रहा.

जिस सोफे पर हम बैठे थे, उसके आगे एक बड़ी सी टेबल रखी थी, जब वो आगे किताब की तरफ़ झुकती तो मैं उसकी टी-शर्ट के अन्दर देखता. क्या मस्त गोरे गोरे मम्मे दिख रहे थे.
दीपिका जितनी बार नीचे झुकी, मैं उसकी चूचियों को देखता रहा. तभी वो फिर कुछ ज्यादा सी झुकी, मैं फिर उसकी चूचियों को तिरछी नज़र से देखने लगा.

अचानक उसकी नज़र मुझ पे पड़ी तो वो शर्मा गई. उसने अपना हाथ अपनी टीशर्ट पर रखा और फिर से झुकी. इस बार उसकी चूचियों नहीं दिखीं. उसने मेरी तरफ देख कर स्माइल की तो मैं समझ गया कि वो भी गर्म हो रही है.

मैं उसके थोड़ा पास को हो गया. मेरा कंधा से उसके कंधे से टकराने लगा था. जैसे ही दोनों के कंधे टकराए, मेरे लंड में अजीब सी सिहरन सी महसूस हुई. मेरे बदन में करेंट सा दौड़ गया. उसकी भी साँसें धीरे धीरे से रुक रुक कर चलने लगीं.

मैंने अपना हाथ उसकी जाँघ पर डाल दिया, उसकी कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई. मैं उसकी जाँघ को धीरे धीरे से सहलाते हुए दबाने लगा. उसने कोई विरोध नहीं किया तो मैं अपना हाथ उसकी दोनों जाँघों के बीच में घुसेड़ने लगा.
वो सिहर उठी और उसने मेरे हाथ को निकाल कर दूर कर दिया. वो मुस्कुरा कर धीमी आवाज़ में बोली- ये क्या हो रहा है?

कुछ देर के बाद जब वो लिखने के लिए झुकी, तो मुझे उसकी कमर के नीचे एक ख़ास जगह का गोरा अंग दिखाई दिया. उसकी बेल्ट के पास वो अंग उसकी गांड थी. उसकी गांड के कुछ हिस्सा आगे झुकने पर दिख रही थी. मैंने पानी की बॉटल उठाई और आगे झुकने पर उसकी गांड का जो हिस्सा दिख रहा था, उसके अन्दर मैंने पानी डाल दिया.

पानी की कुछ बूँदें जींस के अन्दर जाते ही दीपिका ने मेरी तरफ मुड़ कर देखा और मुस्कुरा दी. मेरा दाहिने कंधा दीपिका के बाएँ कंधे से टकरा रहा था. मैं दीपिका के बाएँ कंधे से टी-शर्ट को को नीचे को खींचा, दीपिका तनिक सिकुड़ गई, जैसे उसे ठंड सी लग रही हो.

अब मेरा एक हाथ उसकी जांघ पर आ गया था. दीपिका ने अपने हाथ से मेरे हाथ को थाम रखा था. मैंने उसके कंधे पर एक लंबा क़िस किया.
दीपिका के मुँह से सिसकारी सी एक आवाज़ आई “आँह.. आ.. आँ…”

मैं उसके कंधे को चूमता रहा. चूमते चूमते उसके कान की लौ तक चूमता चला गया. फिर मैंने अपनी जीभ से उसके कान की लौ को सहलाया. उसे बड़ा मजा आ रहा था. दीपिका हौले से बोली- आह.. कान भी कोई चूमने की जगह है, किस करना है तो यहाँ करो..
दीपिका ने अपने होंठ मेरी ओर कर दिए.

आह.. दीपिका के क्या होंठ थे, उसके होंठ थोड़े भीगे हुए लग रहे थे, मैंने धीरे धीरे अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए. होंठ का स्पर्श पाते ही दीपिका ने अपनी आँखें बंद कर लीं. मैं उसे चूमता रहा, वो भी मेरी साथ देती रही.

मैंने धीरे से उसके गले के नीचे के हिस्से को चूमने लगा. दीपिका ने अपने दोनों हाथों से मेरे सर को और नीचे झुका दिया. मैंने भी उसकी टी-शर्ट को के गले को नीचे को किया, उसके मम्मों की कुछ झलक दिखाई दी और मैं उसकी चूचियों के ऊपरी भाग को चूमने लगा.

दीपिका की टी-शर्ट में गले के पास तीन बटन थे, उसने अपने तीनों बटन खोल दिए, फिर वो बोली- तुम मेरे दोस्त हो राजीव, अगर तुम ये चाहते हो तो मैं मना नहीं कर सकती.

उसकी बात सुनते ही मेरा लंड तो जोश में आ गया. अब मैंने उसकी दाहिनी चूची को टी-शर्ट से बाहर निकाल लिया. उसका वो मस्त खजाना देख कर मेरे तो मानो होश उड़ गए.. गोरे चूचे पर लाल निप्पल.. लंड आन्दोलन करने लगा. मैं उसके गोरे चूचे पर लाल रंग के निप्पल को देखता रहा. फिर मैंने उसके लाल रंग के निप्पल अपने होंठों में दबा लिया और चूसने लगा.

“उउउ.. माँ..उम्म्ह… अहह… हय… याह…” उसके मुँह से आवाज आने लगी.
दीपिका ने अपनी दूसरी चूची को भी बाहर निकाल दिया, तो मैं उसे भी चूसने लगा, ज़ोर ज़ोर से मसलने लगा.
दीपिका बोली- उई माँ रे.. धीरे करो न.. दर्द हो रहा है.

मैंने उसके दोनों मम्मों को टी-शर्ट से पूरी तरह से बाहर निकाल लिया और एक चूचे के निप्पल को मुँह लगा के चूमा, फिर निप्पल के साथ मम्मे के कुछ भाग को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा. साथ ही दूसरे चूचे के निप्पल को मसलने लगा. उसे बड़ा मजा आ रहा था.
फिर उसने मुझे ऊपर की ओर खींचा और मेरे होंठ पर अपने होंठ रख कर चूमने लगी. मैंने अपनी जीभ को उसके मुँह के अन्दर डाल दिया. दीपिका ने भी अपनी जीभ से मेरे जीभ को चूसना शुरू कर दिया. हम दोनों के होंठ ही नहीं, जीभ भी एक दूसरे से टकरा रही थीं, चुम्मी ले रही थीं.

मैंने उसके होंठ चूमते चूमते एक हाथ उसकी नाभि पर रख दिया और उसकी नाभि को उंगली से सहलाया, वो हड़बड़ा गई. मैं समझ गया कि वो उत्तेजित हो गई थी.
अब दीपिका धीमी आवाज़ में बोली- राजीव, ज़रा इसे भी चूम लो ना..

मैंने देखा कि वो अपनी बेल्ट खोल कर जींस के अन्दर हाथ डाल कर अपनी बुर को सहला रही थी. ये देखते ही मैं समझ गया कि साली की चूत गर्म हो गई है.

मैं बिना देर किए सीधा उसकी जींस को खोलने लगा. जींस को खोलने के बाद देखा कि साली ने एक छोटी से चड्डी पहन रखी थी. उसको मैंने सोफे पर बिठाया और उसकी बुर को देखने लगा उसकी चूत उसकी चड्डी के अन्दर से ही काफी उभर के ऊपर को दिख रही थी. मैंने उसकी चड्डी पर हाथ रख दिया. तो दीपिका की बुर की गर्मी मुझे महसूस हुई. दीपिका की चड्डी के ऊपर से ही मैं उसकी बुर को ज़ोर ज़ोर से मसलने लगा.

अब दीपिका मादक सिसकारियां लेने लगी थी. “आ.. अँ.. उँ.. राजीव ज़रा मेरी बुर को चूम लो..” ऐसा बोल कर उसने अपनी दोनों टांगें फैला दीं और बोली- चूस लो मेरी चूत को..

मैंने भी उसकी दोनों जाँघों को चूमा.. साली बड़ी जोर से छटपटाई और खुद ही अपनी चड्डी खींच कर खोल दी. जब उसने अपनी चड्डी खोल दी तो मैंने भी अपना पेंट उतार दिया. उसकी बुर थोड़ी पिंक कलर की सी दिख रही थी.

मैं दीपिका से बोला- साली, तेरी बुर तो कमाल की है.
दीपिका बोली- राजीव इसलिए तो बोली कि चूम ले मेरी बुर को.

मैंने दीपिका की बुर में अपना मुँह रख कर कुत्ते की तरह चूमा, दीपिका आँखें बंद किए हुए सिसिया रही थी- आं.. उँह.. आह.. आह..
उसकी बुर में एक अजीब मस्त सी खुशबू थी, उसे सूंघ कर मुझे बड़ा मजा आया.

थोड़ी देर उसकी चूत चूमने के बाद मैंने उसे इशारा किया तो दीपिका ने अपनी टी-शर्ट को उतार दिया. मैंने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए. अब हम दोनों बिल्कुल नंगे थे.
मैंने दीपिका को अपनी बांहों में उठा कर सोफे के सामने टेबल पर लिटा दिया.
दीपिका बोली- राजीव क्या चोदने का इरादा है?
मैं बोला- हाँ, मैं आज तुम्हें चोदूँगा.

वो एक हाथ से अपनी चूचियों को दबा रही थी और एक हाथ से अपनी बुर को सहला रही थी. अब मैं उसे चोदने के लिए बिल्कुल तैयार हो गया था, मैंने अपने लंड को उसकी बुर के ऊपर रख कर फांकों में दबा दिया और ज़ोर से घिसने लगा.

दीपिका बोली- साले क्यों तड़पा रहे हो.. मुझे अब चोद दो मुझे.
उसकी ये बात सुनते ही मैं जो उसकी चूत के ऊपर अपना लंड घिस रहा था, एकदम से धक्का दे मारा और मेरा लंड अन्दर चला गया.
दीपिका चिल्लाई- आह.. मैं मर.. गई..

जबकि अभी तक मेरे लंड का सिर्फ़ टोपा ही अन्दर गया था. मैंने दीपिका के होंठ पर अपने होंठ रख दिए और उसे किस करने लगा. कुछ ही पलों में दीपिक़ा मस्त हो गई. मैंने उसके निप्पलों को भी मसला और फिर से अपना लंड का ज़ोर का झटका लगा दिया. कुछ देर पीड़ा हुई लेकिन चूत ने लंड से रिश्ता बना लिया.

अब दीपिका को मजा आ रहा था. दीपिका अपनी गांड उठा कर बोली- जानू और अन्दर मत डालो.. अन्दर और जगह नहीं है क्या?
मैं बोला- साली मेरा तो अभी आधा लंड ही गया है और आधा जाना बाकी है.
ये कह कर मैंने एक ज़ोर का झटका दिया, उसकी भीगी बुर में मेरा पूरा लंड जड़ तक घुस गया.
वो चिल्लाई- आह.. मेरी चूत फट गई राजीव आह..

वो अपने दाँत के नीचे होंठ दबा कर दर्द से तड़फ उठी. मैंने भी मौके का फ़ायदा उठाया और लंड पूरा पेल कर रुक गया. कुछ पल रुक कर मैंने लंड आगे पीछे करके दीपिका को चोदना चालू कर दिया. कुछ ही पलों में अब वो भी साथ कमर उठा कर आगे पीछे आगे पीछे करते हुए लंड का दे रही थी- उफ़.. आह.. हाँ.. और ज़ोर से राजीव बड़ा मजा आ रहा है.. और ज़ोर से.. और ज़ोर से.. हाँ…उँह.. उफ्फ़!

करीब बीस मिनट के बाद उसकी बुर में मुझे चिपचिपा सा महसूस हुआ. तभी वो मुझसे लिपट गई, मेरी पीठ पर उसके नाख़ून के निशान पड़ गए.
मेरे लंड में भी तरंग सी महसूस हुई.. मैं उसको ज़ोर ज़ोर चोदने लगा.
वो चिल्लाई- राजीव और चोदो.. चोदो.. फाड़ दो मेरी चूत को आह.. आह आह आह…

वो झड़ गई थी और अब मेरी मलाई भी उसकी चूत में निकलने लगी. उसकी भी मलाई मुझे लंड पर महसूस हुई.
मैं कुछ देर उसके ऊपर ही चढ़ा रहा.. हम दोनों पसीना पसीना हो गए थे. फिर मैं उसके ऊपर सें हट गया.
हम दोनों ने कपड़े पहन लिए.
दीपिका मुझे चूमते हुए बोली- राजीव तुमने मुझे खुश कर दिया..

अचानक कॉलबेल बजी, शायद माँ आ गई थीं.

उस दिन के बाद हम रोज पढ़ाई के बहाने चुदाई करते थे. तीन महीने के बाद दीपिका के फादर का तबादला हो गया. वो दिल्ली छोड़ कर चले गए. दीपिका ने कहा था कि वो मुझे फ़ोन करेगी लेकिन शायद भूल गई.

मैंने भी भूलना चाहा लेकिन भूल नहीं पाया. आज मैं अपना लंड पकड़ कर उसे याद करके मुठ मार लेता हूँ.
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