चूत की महक से मदहोश हो गया

(Chut Ki Mahak Se Madhosh Ho Gaya)

दोस्तो.. मैं राकेश पाटिल आपकी सेवा में हाजिर हूँ। मैंने अपनी पिछली कहानी में आपको बताया था कि कैसे मैंने अपनी पहली गर्लफ्रैंड को पटाया।
अब एक ही लड़की के पीछे भला कब तक भाग सकता था.. कल्याणी के बाद जैसे मुझे लड़की के साथ सेक्स करने का चस्का लग गया था। मैं हर लड़की या औरत को चोदने की नजर से ही देखता था।
ऐसा कई दिनों तक चलता रहा।

एक दिन मैं अपने किसी रिश्तेदार के यहाँ पर किसी काम से गया हुआ था। उनके घर उनकी बेटी आई थी.. उसका नाम जयश्री था।
मैंने उसे देखा तो बस देखता ही रह गया।
मैंने उसे बचपन में देखा था.. उसके बाद वो गाँव चली गई थी।
अब वो बहुत खूबसूरत लग रही थी। मैं उस समय उससे ज्यादा बात नहीं कर सका और वहाँ से निकल आया।

दो तीन दिन बाद मैंने उसके घर फोन किया.. उसी ने उठाया।
थोड़ी बहुत इधर-उधर की बातें करने के बाद मुझे समझ में आ गया कि वो बहुत ही चालू लड़की है। मैंने उसे बातों-बातों में प्रपोज कर दिया.. और जैसा मैंने सोचा था.. उसने थोड़ा भाव खाते हुए आखिर में ‘हाँ’ कर दिया।
उसके बाद तो हमारी घंटों फोन पर बातें होती रहती थीं।

उन्हीं दिनों हमने अपनी सामने वाली सोसायटी में नया घर लिया था.. तो नए घर की पूजा में हमने सभी रिश्तेदारों को बुलाया था।
मैंने अपनी तरफ से उसे भी निमंत्रित किया।

पूजा के दिन जब वो आई.. तो मेरे मामा के और मौसी के लड़के उसे ही देख रहे थे। वो बहुत हॉट और सेक्सी दिख रही थी, उसने कुर्ती सलवार पहना हुआ था, पीछे से उसकी कुर्ती बहुत खुली हुई थी.. उसकी गोरी-गोरी पीठ देखकर तो मेरी हालत खराब हो गई।

हमारे पुराने घर की चाभी मेरे पास ही थी, मैंने उसे इशारा करके वहाँ पर बुलाया।

वो थोड़ी ही देर में ऊपर आ गई, मैं तो पहले से वहाँ जाकर उसका इंतजार कर रहा था।

जैसे ही वो आई.. मैंने दरवाजा बंद कर लिया.. और कुछ भी बात किए बिना उसे अपनी बाँहों में भर लिया और चुम्बन करने लगा।
सच में दोस्तो, बहुत ही रसीले होंठ थे उसके..

थोड़ी देर चूमाचाटी करने के बाद मैंने कुर्ती के ऊपर से ही उसके चूचों को दबाना चालू किया.. तो वो मादक सिसकारियाँ निकालने लगी।

मुझसे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था.. मैंने उसकी कुर्ती उतार दी।
अब वो सिर्फ ब्रा में थी, मैंने उसकी ब्रा भी उतार दी।

उसके बड़े-बड़े चूचे और उस पर गुलाबी रंग के नट्स देखकर मेरी हालत पतली हो गई, मैंने उसके चूचुकों को मुँह में लेकर चूसना शुरू किया। बीच-बीच में मैं वहाँ पर काट भी लेता था।
अब वो भी काफी हद तक गर्म हो गई थी, वो मेरे बालों में हाथ फ़ेर रही थी।

मैंने धीरे-धीरे उसकी सलवार के ऊपर से ही उसकी चूत को छुआ, उसकी चूत गीली हो चुकी थी।
अब मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया।
सलवार एकदम से नीचे गिर गई और अब वो सिर्फ चड्डी में खड़ी थी।
उसकी दूधिया टाँगें बहुत ही खूबसूरत लग रही थीं।

मैं धीरे-धीरे नीचे बैठता चला गया।
उसकी चड्डी के ऊपर से ही उसकी चूत को चूमने लगा।
मेरे चूमने से वो पागल होने लगी.. वो मेरे बाल खींच रही थी।
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मैंने जरा भी देर ना करते हुए उसकी चड्डी भी उतार दी।
उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था, उसकी चूत बड़ी ही प्यारी लग रही थी, मुझसे रहा नहीं गया और मैंने अपना मुँह उसकी चूत पर लगा दिया और चूत को चूमना शुरू किया।
उसकी चूत से आने वाली महक से मैं मदहोश होने लगा।

मैंने उसकी चूत में अपनी जीभ घुसा दी.. तो वो मेरा सर पकड़ कर अपनी चूत पर दबाने लगी।
मैंने उसको जमीन पर लिटाया.. और फिर से उसकी चूत चाटने लगा।
वो तड़प रही थी.. उसकी चूत से बहुत सारा पानी निकल रहा था।

मैंने फिर से उसके चूचे पकड़ लिए और चूसने लगा।
वो मुझे अपने ऊपर खींच रही थी, मैं समझ गया कि यही सही वक्त है.. मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखा और धीरे-धीरे रगड़ने लगा। वो अपनी कमर ऊपर नीचे करने लगी।
मैंने अपने लंड से उसकी चूत पर निशाना लगाया और धीरे-धीरे उसकी चूत के अन्दर लंड डालने लगा।
उसकी आँखें बंद हो रही थीं और उसका मुँह धीरे-धीरे खुल रहा था, मैंने उसके मुँह के अन्दर जुबान डाल दी और लौड़े को एकदम से चूत में जड़ तक ठूँस दिया.. उसकी एक ‘आह्ह..’ निकली और वो मेरे लौड़े को गड़प कर गई।

मैं जोर-जोर से अपना लंड उसकी चूत के अन्दर-बाहर करने लगा।
उसको भी बहुत मजा आ रहा था.. उसके नाखून मेरी पीठ पर लग रहे थे और वो कमर उचका-उचका कर मेरा साथ दे रही थी।
थोड़ी देर में मैं और वो एक साथ झड़ गए। गर्मी से हम दोनों को पसीना आ गया था।

कुछ देर हम ऐसे ही चिपक कर पड़े रहे।
थोड़ी देर मे मेरे भाई का फोन आया- तू किधर है.. सब तुझे पूछ रहे हैं.?

तो हमने जल्दी से कपड़े पहन लिए और नीचे चले गए। घर में काफी भीड़ होने की वजह से किसी को हम पर शक नहीं हुआ।

उसके बाद मैंने उसे बहुत बार चोदा.. अब उसकी भी शादी हो गई है.. शादी के बाद मैंने उसकी तरफ ज्यादा ध्यान नहीं दिया।

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