चूत एक पहेली -9

(Chut Ek Paheli-9)

पिंकी सेन 2015-10-01 Comments

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अब तक आपने पढ़ा..

मुनिया एकदम सहमी हुई कोने में बैठ गई थी.. बाबूजी मुझे सच में बहुत अजीब लग रहा है.. आपका शहर तो बड़ा अजीब है। आपका भाई सामने खड़ा और आप नंगे आराम से बैठे हैं.. मुझसे तो ऐसे नहीं होगा।

रॉनी- रहने दे.. नहीं करवानी मुझे मालिश.. भाई जल्दी कमरे में आओ.. तुमसे कुछ बात करनी है।

अब आगे..

इतना कहकर रॉनी वापस चला गया।
पुनीत- अरे पगली.. ऐसा क्यों बोली.. वो भाई है मेरा.. और कई बार तो हम साथ में मालिश करवाते हैं। अब सुन अभी तू सो जा.. कल से इस सबकी आदत डाल लेना.. समझी.. वरना नौकरी पक्की नहीं होगी।

मुनिया कुछ ना बोली और बस पुनीत को देखती रही.. जब तक वो कपड़े पहन कर चला ना गया, वो ऐसे ही बैठी रही.. उसके बाद कहीं उसकी जान में जान आई।

कमरे में जाकर रॉनी बिस्तर पर बैठ गया और उसके पीछे पुनीत भी आ गया।
रॉनी- वाउ यार.. तुमने तो कमाल कर दिया.. एक ही दिन में उस लड़की को इतना खोल दिया.. मान गया भाई तुमको..
पुनीत- तूने अभी मेरा कमाल देखा कहाँ है.. साली को दो बार अमृत पिला चुका हूँ। अब तीसरी बार उसकी जवानी का मज़ा लेता.. तो तू आ गया।

रॉनी- नहीं यार.. आज के लिए इतना काफ़ी है.. और वैसे भी मुझे तुमसे एक जरूरी बात करनी थी।
पुनीत- कैसी जरूरी बात.. क्या हुआह्ह?
रॉनी- कुछ देर पहले सन्नी का फ़ोन आया था.. वो साला टोनी है ना.. उसके दिमाग़ में कुछ चल रहा है। हमें ध्यान से रहने को कहा है।
पुनीत- वो तो कल यहाँ आ रहा है ना.. उसके दिमाग़ में क्या चल रहा है? साला जानता नहीं क्या हमें?
रॉनी- भाई शनिवार के लिए उसने बुलबुल गेस्ट हाउस को बुक किया है.. वहाँ ‘हँसों’ को जमा करने वाला है साला।

दोस्तो, अगर आप समझ ना पा रहे हो तो बता देती हूँ.. यह बुलबुल गेस्ट हाउस एक ऐसी जगह है.. जहाँ अमीर घर के लड़के और लड़कियाँ जमा किए जाते हैं और उन्हीं को ‘हंस’ कहा जा रहा है और पार्टी के नाम पर वहाँ नशे का कारोबार होता है।

आप समझ गए होंगे यह आज की नस्ल को बिगाड़ने का नया तरीका है.. तो प्लीज़ आप ऐसी किसी जगह जाने से अपने आप को बचाएँ।

पुनीत- अच्छा उस साले फटीचर के पास इतने पैसे कहाँ से आए.. जो वो इतना उछल रहा है?
रॉनी- ये तो मुझे पता नहीं.. सन्नी कल आएगा तो बाकी की बात बता देगा.. मगर उसने खास तौर पर कहा है कि कल सबके सामने ज़्यादा बात नहीं हो पाएगी। तो आपको बता दूँ कि किसी भी तरह उस टोनी की बातों में मत आना.. वो जरूर कुछ प्लान कर रहा है।

पुनीत- अबे मैं कोई बच्चा हूँ क्या.. जो उसकी बातों में आ जाऊँगा? ये सब जाने दे.. ला बियर पिला.. साली ने सारी बियर लौड़े से चूस कर निकाल दी है।
रॉनी ने पुनीत को बियर दी और खुद भी बोतल लेकर बैठ गया।

चलो दोस्तो.. अरे नहीं नहीं.. कहीं और नहीं ले जा रही हूँ.. मैं तो यह कहने आई हूँ कि अब रात बहुत हो गई.. तो सो जाओ.. कल सुबह ही मिलेंगे।

हाँ जाते-जाते इतना बता देती हूँ कि मुनिया दो बार झड़ कर एकदम सुकून महसूस कर रही थी। उसने कपड़े पहने और सबसे पहले उसको ही नींद आई।
ओके.. तो चलो सुबह ही मिलेंगे.. जहाँ से नये ट्विस्ट की शुरूआत होगी और कहानी को एक मोड़ मिलेगा।

सुबह के सात बजे गर्ल्स हॉस्टल में काफ़ी हलचल थी, छुट्टियों के चलते ज़्यादातर लड़कियों के रिश्तेदारर उनको ले आ गए थे और जो कुछ बाकी थीं.. वो भी धीरे-धीरे जा रही थीं।
पूजा अपने कमरे में बैठी बाल बना रही थी.. तभी पायल वहाँ आ गई।

पायल- हाय पूजा.. कैसी हो.. रात को कहाँ चली गई थीं तुम? और वापस कब आईं.. मुझे तो पता ही नहीं चला?
पूजा- हाय.. मैं ठीक हूँ.. तू सुना क्या हाल है तेरा.. और तूने तो मुझे मना कर दिया था.. मगर गॉड ने एक ऐसा तगड़ा लौड़ा भेजा.. कि बस मज़ा आ गया.. बस तो मैं चुद कर ही वापस आ गई थी। तो तू बेसुध होकर घोड़े बेच कर सो रही थी, तेरी नाईटी भी खुली हुई थी।

पायल- ओ माय गॉड.. क्या बोल रही हो? कौन मिल गया? यहाँ तो सिर्फ़ लड़कियाँ ही हैं.. मैं तो ऐसे ही सोती हूँ.. सोने के बाद मुझे कुछ पता नहीं चलता.. कि क्या हो रहा है! नाईटी का क्या है.. खुल गई होगी..

पूजा- पता नहीं कौन था.. मगर था बहुत प्यारा.. और तू ऐसे ना सोया कर.. नहीं सोते में कोई तेरी चुदाई कर जाएगा.. हा हा हा हा..
पायल- मेरी तो समझ के बाहर है.. तुम कुछ भी मत बोलो और किसकी मजाल है.. जो मुझे छेड़े.. मेरे पापा को जानती नहीं क्या तुम?
पूजा- हाँ हाँ.. जानती हूँ तेरे पापा को.. और तेरे भाई को भी.. बड़े गुस्से वाले हैं। यार.. ये सब जाने दे.. तू मेरी बात सुन..

पूजा ने उसको कहा कि वो सच बोल रही है.. उसके बाद रात की पूरी बात बताई.. जिसे सुनकर पायल के होश उड़ गए।
पायल- हे भगवान.. तुम कैसी हो यार.. किसी के भी साथ छी: छी:..

पूजा- ओ सती सावित्री.. बस कर हाँ.. मुझे ऐसे जलील मत कर.. तूने तो मना कर दिया था और वो कोई ऐरा-गैरा नहीं था.. कोई खास ही था.. समझी.. और तू जो ये ‘छी: छी:’ कर रही है ना.. देख लेना.. एक दिन तू ऐसी बन जाएगी कि लोग तुम पर थूकेंगे.. जो लड़की ज़्यादा शरीफ़ बनती है ना.. उनको कभी ना कभी ऐसा लड़का मिलता है.. जो उसको कहीं का नहीं छोड़ता.. समझी.. ये जवानी बड़ी जालिम होती है.. तू कब तक इसे संभाल कर रखेगी.. एक ना एक दिन कोई आएगा और तेरे मज़े लूट लेगा और तू उस दिन मुझे याद करेगी कि कोई थी पूजा..

पायल- नहीं ऐसा कुछ नहीं होगा.. और मैंने कब कहा कि मैं कभी किसी को अपना नहीं बनाऊँगी.. हाँ.. मैं अपना जिस्म दूँगी.. मगर सिर्फ़ अपने पति को.. वो भी शादी के बाद.. समझी..
पूजा- शादी… हा हा हा हा.. अरे मेरी जान.. अभी शादी को बहुत समय है.. तब तक कोई मंजनू आएगा और तुझे ‘लैला-लैला’ बोलकर अपना लोला दे जाएगा हा हा हा हा..

उसकी बात सुनकर पायल भी हँसने लगी।

पूजा ने पायल को कहा- तुम्हें लेने कोई आएगा क्या?
पायल- अरे नहीं यार.. मैं कौन से दूसरे शहर की हूँ.. यहीं की तो हूँ.. खुद ही चली जाऊँगी।
पूजा- यार तू इसी शहर की होकर हॉस्टल में क्यों रहती है?
पायल- बस ऐसे ही यार.. घर पर पढ़ाई ठीक से नहीं होती।

पायल ने पूजा को टालते हुए ये बात कही.. उसके माथे पर शिकन भी आ गई थी.. उस समय उसके बाद दोनों बस नॉर्मली यहाँ-वहाँ की बातें करने लगी।

उधर बाहर गेट के पास बबलू यहाँ का चौकीदार और रामू जो साफ-सफ़ाई करता है.. दोनों बातें कर रहे थे।

दोस्तो, हॉस्टल के कैम्पस में एक कमरा बना हुआ है.. जहाँ ये दोनों साथ में रहते हैं। बबलू रात को एक राउंड लगा कर कमरे में आ जाता है.. मगर वो बीती रात को काफ़ी लेट आया था।

रामू- अरे बबलू भाई.. रात को बड़े देर से आए तुम.. भाई कहाँ रह गए थे?

बबलू- अरे का बताएं भाई.. जब से यहाँ आया हूँ.. साली नींद ही नहीं आती है.. कैसी सुन्दर-सुन्दर लड़कियाँ है यहाँ पर.. देख कर बहुत मज़ा आता है।

रामू- ओये.. चुप कर ओ पगले.. कोई सुन लेगा और ये रात को तू ऐसे गैलरी में मत घूमा कर.. किसी दिन पकड़ा गया ना.. तो नौकरी तो जाएगी साथ में पिटाई भी खूब होगी..
बबलू- अबे हट.. कौन ससुरा हमको पकड़ेगा.. और साला मैं कौन सा किसी के साथ ज़बरदस्ती करता हूँ.. बस देख कर मज़ा ही तो लेता हूँ.. तू जानता नहीं है.. यहाँ की लड़कियों की बुर बहुत फड़फ़ड़ाती है.. साली आपस में रगड़वा कर मज़ा लेती हैं.. एक से बढ़कर एक हैं।

रामू- हाँ मैं सब जानता हूँ.. मगर ये सब बड़े घर की छोकरियाँ हैं.. अपना कुछ नहीं हो सकता यहाँ..
बबलू- तेरा तो पता नहीं.. पर मेरा बहुत कुछ होगा.. तू नहीं जानता मैंने रात कितना मज़ा किया है यार..
रामू- ओह्ह.. क्या बात करता है? किसी को पटा लिया क्या.. भाई बता ना.. कौन है वो लड़की..? और क्या किया रात को?
बबलू- अभी नहीं.. फिर कभी बताऊँगा अभी मुझे ऑफिस में जाना है.. ठीक है चलता हूँ।

ओके फ्रेंड्स.. यहाँ कुछ खास नहीं हुआ.. वैसे आपको कुछ सोच में जरूर डाल दिया मैंने.. कि रात को पूजा के साथ कोई और था या ये बबलू था.. चलो इसका भी पता लग जाएगा। अभी आगे देखते हैं कि फार्म पर क्या हुआ?

दोनों भाई रात को देर तक पीते रहे थे.. तो अब तक सो रहे थे।
इधर मुनिया जल्दी उठ गई और नहा कर बाकी नौकरों के पास रसोई में पहुँच गई.. उसको जोरों की भूख लगी थी।

वहाँ किसी ने उससे ज़्यादा बात नहीं की और उसको नाश्ता दे दिया। वैसे मुनिया को भी उनसें बात नहीं करनी थी.. क्योंकि पुनीत ने मना किया था।
वो अपने कमरे में आ गई और सोचने लगी कि रात जो हुआ.. वो सही था या नहीं..? बस इसी सोच में वो वहीं बैठी रही.. कुछ देर बाद उसको कुछ समझ आया तो वो पुनीत के कमरे की तरफ़ गई।

आप तो बस जल्दी से मुझे अपनी प्यारी-प्यारी ईमेल लिखो और मुझे बताओ कि आपको मेरी कहानी कैसी लग रही है।
कहानी जारी है।
[email protected]

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