चूत एक पहेली -8

(Chut Ek Paheli-8)

पिंकी सेन 2015-09-30 Comments

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अब तक आपने पढ़ा..

पुनीत ने आँखों से इशारा किया कि आने दो.. और दोबारा वो चूत को रसमलाई की तरह चाटने लगा, कुछ ही देर में मुनिया झड़ गई, अब वो शांत हो गई थी.. मगर उसकी साँसें तेज-तेज चल रही थीं।

इधर पुनीत के लौड़े में दर्द होने लगा था क्योंकि वो बहुत टाइट हो गया था और वीर्य की कुछ बूँदें उसके सुपारे पर झलक रही थी। अब बस उसको किसी भी तरह चूत में जाना था.. मगर ये सफ़र इतना आसान नहीं था, एक कच्ची चूत को फाड़कर लौड़े को चूत की गहराई में उतारना इतना आसान नहीं होगा.. यह बात पुनीत जानता था।

अब आगे..

वो ऐसे अनमोल नगीने को जल्दी से तोड़ना नहीं चाहता था।

पुनीत- क्यों मेरी जान.. मज़ा आया ना.. अब तू तो ठंडी हो गई। देख मेरे लौड़े का हाल बुरा हो गया.. चल जल्दी से इसको चूस कर ठंडा कर.. मेरी जान निकली जा रही है।
मुनिया की आँखें एकदम लाल हो गई थीं जैसे उसने 4 बोतल चढ़ा ली हों और उसका जिस्म इतना हल्का हो गया था कि आपको क्या बताऊँ.. वो तो बस हवा में उड़ रही थी।

पुनीत- मुनिया.. अरी ओ मुनिया.. कहाँ खो गई.. उठ ना यार.. जल्दी से आ जा..
पुनीत उसके पास सीधा लेट गया था उसकी आवाज़ के साथ मुनिया उसके पैरों के पास बैठ गई और लौड़े को हाथ में लेकर सहलाने लगी। कुछ देर बाद उसको अपने मुँह में भर कर चूसने लगी।

पुनीत ने अपनी आँखें बन्द कर लीं और बस मज़ा लेने लगा।
मुनिया अब लौड़े को बड़े प्यार से चूस रही थी.. पहली बार तो उसको कुछ अजीब लगा था.. मगर इस बार वो बड़े अच्छे तरीके से चूस रही थी।

कुछ देर तक ये चुसाई चलती रही, अब पुनीत के लौड़े की सहन-शक्ति ख़त्म हो गई थी.. वो झड़ने को तैयार था, इस अहसास से पुनीत ने मुनिया के सर को पकड़ लिया।

पुनीत- आआ.. आह.. ज़ोर से चूस आह्ह.. मेरी जान.. आह्ह.. बस थोड़ी देर और आह्ह.. मेरा पानी बस निकलने ही वाला है।

दोस्तो, पुनीत का पानी निकालता.. इसके पहले कमरे का दरवाजा ज़ोर से खुला.. जैसे कोई बड़े गुस्से में खोला गया हो।

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पुनीत और मुनिया तो ऐसे मोड़ पर थे कि उनको यह अहसास भी नहीं हुआ कि कौन आया है, बस मुनिया स्पीड में लौड़ा चूस रही थी और पुनीत उसके मुँह को चोद रहा था।
कुछ पल बाद लौड़े से पिचकारी निकली.. जो सीधी मुनिया के हलक में उतरती चली गई। इस बार मुनिया ने जल्दी से पूरा पानी गटक लिया और लौड़े पर से आख़िरी बूँद तक चाट कर साफ की।

उफ़फ्फ़ दोस्तो.. यहाँ का माहौल तो बहुत गर्म हो गया और यह बीच में कौन आ गया। मगर देखो मैंने सीन को रोका नहीं और पुनीत को ठंडा करवा दिया ना..
अब बारी आपकी है.. ना ना.. गलत मत समझो.. यह कौन आया ये अभी नहीं बताऊँगी। वैसे भी इस बार शुरू में ही मैंने कहा था कि यह कहानी बहुत घूमी हुई है.. तो थोड़ा घूम कर आते हैं।
चलो यहाँ से कहीं और चलते हैं।

दोस्तो, आप सोच रहे होंगे कि कितने पार्ट हो गए.. मगर यह रात ख़त्म नहीं हो रही.. तो दोस्तो, कहानी में कुछ रहस्य है और इसके लिए रात से बेहतर क्या होगा.. तो चलो एक नई जगह ले चलती हूँ।

रात के 11 बजे हाइवे पर एक बाइक बड़ी तेज़ी से जा रही थी.. उस पर जो शख्स बैठा था.. उसका नाम है टोनी.. उसकी उम्र लगभग 22 साल है। बाकी का इंट्रो बाद में.. तो चलिए.. आगे देखते हैं।

वो बाइक एक घर के पास जाकर रुकी और टोनी बाइक से उतरा और सीधा उस घर में चला गया। वहाँ कुछ अंधेरा था.. टोनी ने लाइट चालू की.. तो उसके सामने एक आदमी काले सूट में खड़ा था। जिसने चेहरे पर नकाब लगाया हुआ था और उसके हाथ में एक पैकेट था.. जिसे देख कर टोनी के चेहरे पर मुस्कान आ गई।

दोस्तो, यह कौन है.. इसके बारे में अभी नहीं बता सकती.. बस कुछ सस्पेंस है।
टोनी- वाह.. भाई.. आप तो ज़ुबान का एकदम पक्का निकला.. मेरे से पहले ही आप इधर आ गया.. क्या बात है?
भाई- मेरा यही फंडा है.. कि अगर तुम वक़्त के साथ चलोगे तो वक़्त तुम्हारा साथ देगा.. नहीं तो वो आगे निकल जाएगा और तुम पीछे रह जाओगे.. समझे?
टोनी- मान गया भाई.. ये टोनी आपको सलाम करता है।

भाई- ठीक है ठीक है.. वो दोनों कहाँ हैं और कुछ इंतजाम किया या नहीं तुमने?
टोनी- लड़की मिल गई भाई.. वो दोनों के साथ है.. मैं खुद जाकर उसको समझाने वाला था.. मगर आपने यहाँ बुला लिया तो अब वो लोग उसको समझा देंगे।

भाई- गुड.. लेकिन वो लड़की एकदम हॉट लगनी चाहिए.. नहीं तो मेरा काम अधूरा रह जाएगा।
टोनी- अरे भाई.. वो ऐसी-वैसी नहीं है.. एक कॉलेज गर्ल.. कॉल-गर्ल है यानि पैसों के लिए कुछ खास लोगों से ही चुदवाती है और एक्टिंग भी अच्छी करती है.. आप टेन्शन मत लो..

भाई- देख कल वहाँ इस बार के गेम के लिए सिर्फ़ लड़के जमा होंगे.. मैंने तुमको बड़ी मुश्किल से फिट किया है। तुम वहाँ उसको साथ लेकर जाना.. प्लान याद है ना.. कैसे ले जाना है?
टोनी- हाँ भाई.. अच्छी तरह याद है..

भाई- बस कुछ भी हो.. तुम तीनों को जीतना ही चाहिए.. फिर उस साली को दिखा देंगे कि हम क्या चीज़ हैं.. समझे! बहुत बोलती थी कि तुम जैसे नामर्द से लड़की होना अच्छा है, अब साली रोएगी जब उसको अपनी मर्दानगी दिखाएँगे..
टोनी- हाँ भाई.. यह बात तो मैं भूले नहीं भूल सकता.. उसने आपकी बहुत बेइज़्ज़ती की.. मगर भाई आप कौन हो और उससे आपकी क्या दुश्मनी है.. क्या उसको आप प्यार करते थे?

भाई- मैंने बताया था ना.. उसने मुझे नामर्द कहा था.. बस मैं उससे इसी बात का बदला लूँगा।
टोनी- इतनी सी बात के लिए इतना बड़ा गेम.. ना ना भाई.. आप कुछ छुपा रहे हो.. बात कुछ और ही है।
भाई- हाँ टोनी.. बात इससे भी बड़ी है.. सब बता दूँगा टोनी.. सब्र करो.. बस सही वक़्त आने दो।

क्यों दोस्तो, कुछ समझ आया यहाँ भी किसी का जिक्र हो रहा है। अब यह कौन लड़की है और उसने ऐसा क्या किया था जो सभी उसके पीछे पड़े हैं और वो कहाँ है ये फार्म.. जहाँ पर ये गेम खेलने वाले हैं। अब उस लड़की का इस गेम से क्या सबन्ध है?

यह सब जानना चाहते हो.. तो चलो इनकी आगे की बात सुनो सब समझ जाओगे।

टोनी- भाई आप टेन्शन ना लो.. उस साली को अच्छा सबक़ सिखा देंगे और उसके साथ उस हरामजादे को भी सब समझ आ जाएगा हा हा हा हा!

भाई- ठीक है ठीक है.. ये ले पैसे.. और मज़े करो.. कल वहाँ समय से पहुँच जाना..

टोनी- थैंक्स भाई.. वैसे एक बात पूछनी थी.. आप ये चेहरा छुपा कर क्यों रखते हो.. मैं तो आपका ही आदमी हूँ.. मुझे तो आप चेहरा दिखा ही सकते हो ना?
भाई- वक़्त आने दो.. चेहरा भी दिखा दूँगा और नाम भी बता दूँगा। अब ज़्यादा सवाल मत कर.. मैंने तुझे एक खास काम के लिए यहाँ बुलाया है.. वो सुन..
टोनी- जी बोलो भाई.. अपुन हर समय रेडी है आपके लिए..

भाई- तू अभी बुलबुल गेस्ट हाउस जा.. और शनिवार के लिए उसको बुक करवा दे.. उसके बाद सलीम गंजा के पास जाना और उसको कहना कि बुलबुल गेस्ट हाउस में पार्टी है.. अपना जादू दिखा.. ‘हँसों’ को जमा कर समझा।
टोनी- समझ गया भाई क्या कोड में बोला आप.. ‘हँसों’ को हा हा हा.. मज़ा आ गया। अब तो पक्का धमाल होगा भाई.. कई दिनों से ऐसी पार्टी में नहीं गया.. अब तो मज़ा आ जाएगा।

इतना कहकर टोनी वहाँ से निकल गया और अपने काम को अंजाम देने के लिए दोबारा बाइक पर चल पड़ा।

बस दोस्तो, अब इसके साथ जाकर क्या करोगे.. आगे पता लग ही जाएगा कि कैसी पार्टी होनी है और क्यों होनी है..?
हम पुनीत के पास चलते हैं वहाँ कौन बीच में आ गया था.. देखते हैं।

अरे रूको.. पहले कोमल का हाल और बताए देती हूँ.. उस बात के बाद दोनों ने दोबारा कोमल को चोदना चाहा.. मगर वो नहीं मानी और सुबह की तैयारी का बोल कर वहाँ से निकल गई।

चलो अब पुनीत के फार्म पर चलते हैं।

मुनिया ने जब लौड़े को चाट कर साफ किया और पुनीत के बराबर में लेटी.. तो दरवाजे पर रॉनी खड़ा हुआ था.. जिसे देख कर मुनिया घबरा गई और जल्दी से उकड़ू बैठ कर अपना बदन छुपाने लगी।

पुनीत- आओ आओ.. रॉनी.. कहाँ थे अब तक.. कसम से ये मुनिया तो कमाल की है यार.. खूब मज़ा देती है..
रॉनी- हाँ देख रहा हूँ.. वैसे कमाल तो आपने किया है.. इतनी जल्दी इसको मनाया कैसे?

पुनीत- अरे इसमें मनाना क्या था.. ये यहाँ आई ही मालिश के लिए है.. बस इसको शहर में कैसे मालिश होती है यही सब समझाया.. और ये सब सीख भी गई.. आओ तुम भी मालिश करवा लो।

मुनिया एकदम सहमी हुई कोने में बैठ गई थी.. जिसे देख कर पुनीत ने कहा- अरे मुनिया ऐसे डर क्यों रही है.. ये मेरा भाई है.. तुमको इसकी भी ऐसे ही मालिश करनी होगी।

मुनिया- बाबूजी मुझे सच में बहुत अजीब लग रहा है.. आपका शहर तो बड़ा अजीब है। आपका भाई सामने खड़ा और आप नंगे आराम से बैठे हैं.. मुझसे तो ऐसे नहीं होगा।
रॉनी- रहने दे.. नहीं करवानी मुझे मालिश.. भाई जल्दी कमरे में आओ.. तुमसे कुछ बात करनी है।

आप तो बस जल्दी से मुझे अपनी प्यारी-प्यारी ईमेल लिखो और मुझे बताओ कि आपको मेरी कहानी कैसी लग रही है।
कहानी जारी है।
[email protected]

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