चूत एक पहेली -11

पिंकी सेन 2015-10-04 Comments

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अब तक आपने पढ़ा..

पुनीत- वाह.. बहुत अच्छे ऐसे मालिश हो रही है हाँ..

पुनीत की आवाज़ सुनकर रॉनी पर तो कोई फ़र्क नहीं पड़ा.. लेकिन मुनिया बहुत घबरा गई और जल्दी से बिस्तर पर पड़ी चादर अपने ऊपर डाल लेती है.. जिसे देख कर दोनों भाई हँसने लगते है।
पुनीत- अरे क्या यार मुनिया.. रात को तो बड़ा खुलकर मज़ा ले रही थी.. अब ऐसा क्या है तेरे पास.. जो मुझसे छुपा रही है?
मुनिया- बाबूजी आप दोनों एक साथ होते हो.. तो मुझे शर्म लगती है।
रॉनी- अरे यार जो मज़ा साथ मिलकर करने का है.. वो अकेले में कहाँ.. चल आज तुझे जन्नत की सैर कराते हैं.. हटा दे कपड़ा और देख दोनों भाई कैसे तुझे मज़ा देते हैं।

अब आगे..

रॉनी की बात मुनिया को समझ आती है या नहीं.. यह तो पता नहीं.. मगर उसकी चूत में बड़ी खुजली हो रही थी और वो चाहती थी कि कैसे भी उसको मिटाया जाए.. तो बस वो उनकी बात मानकर चादर हटा देती है।
पुनीत- वाह.. ये हुई ना बात.. जानेमन तू बहुत कमाल की है.. अब तू हमारा कमाल देख..

दोनों अब मुनिया के आजू-बाजू लेट गए और उसकी एक-एक चूची को चूसने लगे.. जिससे मुनिया की उत्तेजना बढ़ने लगी.. वो सिसकारियाँ लेने लगी।
मुनिया- आह्ह.. बाबूजी.. उफ़फ्फ़ काटो मत.. आह्ह.. दर्द होता है सस्स आह्ह..
दोनों बस अपने काम में लगे हुए थे धीरे-धीरे पुनीत उसके पेट से होता हुआ उसकी चूत तक पहुँच गया।

रॉनी- उफ्फ.. क्या रस है भाई.. इसके मम्मों में मज़ा आ रहा है.. वैसे इसका मुहूरत कौन करेगा.. ये अभी सोचा कि नहीं आपने?
पुनीत- सोचना क्या था.. तेरा ट्रक बाद में चलाना.. बड़ा है.. पहले मैं अपनी कार चलाऊँगा।
‘वाह मतलब भाई आप इसको नेशनल हाईवे बनाने के मूड में हो.. हा हा हा..’
‘और क्या.. देखना.. कितने वाहन इस नेशनल हाईवे पर दौड़ेंगे.. हा हा हा हा..’

मुनिया तो मस्ती में खोई हुई थी.. इन दोनों की बात उसके दिमाग़ के बाहर थी वो तो बस अपनी धुन में थी।

पुनीत- मुनिया रानी.. कभी चाँद पर गई हो क्या?
मुनिया- आह.. इससस्स.. क्या बात करते हो.. बाबूजी.. उहह.. आह.. हम गरीब शहर ना जा सके.. चाँद पर कहाँ से जाएँगे..
पुनीत- मेरी जान.. आज तुझे चाँद क्या सारे ब्रम्हाण्ड की सैर करवा दूँगा.. बस तू जरा हिम्मत रखना।

इतना कहकर पुनीत ने मुनिया के पैरों को मोड़ दिया और उसके बीच खुद बैठ गया और अपने लौड़े को चूत पर रगड़ने लगा।

मुनिया- याइ.. यह.. आप क्या कर रहे हो बाबूजी.. नहीं नहीं.. भगवान के लिए ऐसा मत करो.. मैंने मना किया था ना.. मैं ये नहीं करूँगी.. बस ऊपर से जो करना है..कर लीजिए..
पुनीत- अरे क्या ये.. ये.. लगा रखा है बोल.. चुदाई नहीं करवानी और मैं कौन सा तेरी चुदाई कर रहा हूँ.. बस लौड़ा चूत पर रगड़ कर तुझे मज़ा दे रहा हूँ.. बता मज़ा आ रहा है ना?

पुनीत की बात सुनकर मुनिया का डर थोड़ा कम होता है.. वहीं रॉनी उसके चूचुकों को बड़े आराम से चूस रहा था.. तो मुनिया को मज़ा आ रहा था।

मुनिया- आह्ह.. हाँ बाबूजी.. आह्ह.. मज़ा तो बहुत आ रहा है.. लेकिन अन्दर मत डालना.. नहीं तो मैं मर जाऊँगी..
पुनीत- अरे डर मत.. कुछ नहीं होगा.. बस ऊपर से मज़ा दूँगा.. थोड़ा अन्दर टच करूँगा.. तू डर मत.. हाँ बस आँख बन्द करके मज़ा लेती रह.. समझी..

पुनीत ने लौड़े को मुनिया की चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया.. जिससे उसकी चूत की आग और भड़क गई।

मुनिया- कककक.. आह.. बाबूजी.. आह्ह.. आप जैसा कर रहे हो.. उससे आह्ह.. बहुत अच्छा लग रहा है.. आह्ह.. थोड़ा जल्दी इससस्स.. आह्ह.. जल्दी करो ना..
रॉनी मुनिया के निप्पल को चुटकी में दबाता हुआ कहता हैं भाई लोहा गर्म है.. मार दो हथौड़ा..

इतना सुनकर पुनीत की आँखों में वासना दिखने लगती है.. वो लौड़े को चूत पर सैट करता है.. और हाथ से दबाव बनाता है.. मगर मुनिया की चूत बहुत टाइट थी.. लौड़ा आगे जाने का नाम ही नहीं ले रहा था.. तो पुनीत ने ढेर सारा थूक लौड़े पर लगाया।

मुनिया की चूत तो पानी-पानी हो ही रही थी.. उसको गीला करने की जरूरत नहीं थी.. बस इस बार पुनीत ने मुनिया की चूत को एक हाथ से फैलाया और सुपारे को उसमे फँसा दिया।

मुनिया- इससस्स.. आह.. बाबूजी उफ़फ्फ़ मेरी फुद्दी में कुछ हो रहा है.. आह्ह.. ज़ोर से रगड़ो ना.. आह्ह..
ये पहली बार था कि मुनिया ने ‘नीचे’ की जगह ‘फुद्दी’ कहा था.. अब वो गरम हो कर चरम पर आ गई थी.. किसी भी पल उसका बाँध टूट सकता था और पुनीत को इसी मौके की तलाश थी।
पुनीत ने थोड़ा दबाव बढ़ाया तो लौड़ा फिसल कर ऊपर को निकल गया।

मुनिया कमर को झटके देने लगी.. उसकी चूत से पानी बहने लगा.. वो मदहोशी में झड़ रही थी.. बस तभी पुनीत ने चूत को सहलाया.. सुपारा वैसे ही सैट किया और अबकी बार हाथ हटाए बिना ज़ोर से धक्का मारा..

मुनिया अभी झड़ कर पूरी भी नहीं हुई थी कि ये काण्ड हो गया.. वो बेचारी तो जन्नत में घूम रही थी.. अचानक दहकता हुआ अंगार के समान पुनीत का लौड़ा चूत को फैलाता हुआ 3″ अन्दर घुस गया और खून की एक लकीर लौड़े से चिपक कर होते हुए चूत से बाहर आने लगी।

मुनिया को एक ही पल में जन्नत से दोजख की याद आ गई.. वो इतने ज़ोर से चीखी कि पूरे फार्म पर उसकी ये चीख सुनाई दी होगी।
मुनिया- आआअ… आआआअ… बा..बू..जी.. आहह्हह्ह… मैं मर गई रे.. अहह.. मम्मी रे..
पुनीत- अरे क्या सुन रहा है.. साली ने कान के पर्दे हिला दिए.. बन्द कर मुँह..

रॉनी मुनिया के सर के पास उकड़ू बैठा और अपना लौड़ा उसके मुँह में घुसा दिया।
अब उसकी चीखें तो बन्द हो गई थीं.. मगर उसकी आँखों से आँसुओं का सैलाब उमड़ पड़ा।

पुनीत- आह.. उहह.. क्या गर्म चूत है रे.. मुनिया तेरी.. आह.. लौड़ा जलने लगा है उफ़फ्फ़…
रॉनी- चूस ना साली.. क्या कर रही है.. उफ्फ.. दाँत मत लगा रे आह्ह..

पुनीत लौड़े को चूत में बहुत कसा हुआ महसूस कर रहा था.. वो धीरे-धीरे लौड़े को आगे पीछे कर रहा था और मुनिया बस रोए जा रही थी, उसकी आँखें एकदम लाल हो गई थीं.. रॉनी का लौड़ा मुँह में होने के कारण उसको सांस लेने में दिक्कत हो रही थी।

तभी पुनीत ने एक जोरदार धक्का मारा और पूरा लौड़ा चूत को फाड़ता हुआ अन्दर घुस गया।

इस ख़तरनाक प्रहार को मुनिया सह नहीं पाई और अपना होश खो दिया.. जिसे देख कर रॉनी घबरा गया और जल्दी से मुँह से लौड़ा बाहर निकाल लिया।
रॉनी- भाई ये मर गई क्या.. कुछ बोल नहीं रही.. देख इसकी आँखें कैसे फटी हुई हैं..

पुनीत- अरे कुछ नहीं हुआ इसे.. पूरा लौड़ा अन्दर गया तो ये ऐसी हो गई.. थोड़ा हिला इसको.. आह्ह.. मज़ा आ गया क्या टाइट चूत है।

रॉनी ने मुनिया के चेहरे को थोड़ा हिलाया तो वो होश में आई और रोने लगी कि उसको बहुत दर्द हो रहा है।
पुनीत- अरे रानी.. बस थोड़ी देर दर्द होगा.. उसके बाद तुझे मज़ा आएगा.. आह्ह.. बस थोड़ा सहन कर ले आह्ह.. उहह..

पुनीत चूत में झटके देने लगा और मुनिया हर धक्के के साथ ‘आह’ भरती।
करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद मुनिया का दर्द कुछ कम हुआ।

रॉनी उसके पास बैठा हुआ.. उसके गालों को सहला रहा था.. उसे तसल्ली दे रहा था।
मुनिया- आह्ह.. ईसस्स.. आह.. बाबूजी ये आपने क्या कर दिया.. उउउहह.. मुझे कहीं का नहीं छोड़ा.. ओह्ह..
पुनीत- अरे पगली रोती क्यों है.. तुझे रानी बना कर रखूँगा.. आह्ह.. ले.. अब आह्ह.. चुदाई का मज़ा ले आह्ह.. उहह..

पुनीत की ठुकाई से अब मुनिया की चूत में दर्द के साथ एक मीठा अहसास भी होने लगा था.. उसकी कामवासना फिर से जाग उठी थी।

मुनिया- आह उईई.. बाबूजी उफ़फ्फ़ आह.. मर गई.. आह्ह.. ज़ोर से करो आह.. उईई…

अब पुनीत स्पीड से लौड़े को अन्दर-बाहर करने लग गया और कुछ ही देर में उसके लौड़े ने वीर्य की धार मुनिया की चूत में मारी.. जिससे चूत पानी-पानी हो गई और धारा से धारा मिल गई यानि मुनिया भी झड़ गई।

पुनीत ने जब चूत से लौड़ा बाहर निकाला तो सफेद और लाल रंग का मिला-जुला पानी लौड़े के साथ बाहर आया।
पुनीत- आह मुनिया.. तेरी चूत तो आग की भट्टी थी रे.. साला लौड़ा देख कैसे लाल हो गया है।
मुनिया कुछ ना बोली और बस उसी हालत में पड़ी रही।

रॉनी- यार तेरा तो हो गया.. मेरा लौड़ा वैसे का वैसा तना खड़ा है।
पुनीत- तुझे किसने रोका है.. कर दे इसका मुहूरत तू भी..

रॉनी- मुहूरत तो आपने कर दिया.. अब मैं क्या खाक करूँ.. और चूत का हाल तो देखो.. कैसे पानी और खून से भरी पड़ी है.. इसमें कौन लौड़ा पेलेगा..

मुनिया- आह्ह.. आह्ह.. बाबूजी.. मुझ पर रहम करो.. आह्ह.. मेरी फुद्दी में बहुत दर्द है.. मैं अब सह नहीं पाऊँगी.. आह्ह.. मर जाऊँगी..
रॉनी- अरे साली.. कुछ नहीं होगा तुझे.. अभी तो सील टूट गई.. अब क्या होने वाला है तुझे..
पुनीत- तुझे करना है तो कर.. मैं तो चला कमरे में.. पूरा गंदा हो गया हूँ.. जाकर नहाऊँगा..

आप तो बस जल्दी से मुझे अपनी प्यारी-प्यारी ईमेल लिखो और मुझे बताओ कि आपको मेरी कहानी कैसी लग रही है।
कहानी जारी है।
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