मेरी पहली चुदाई वैशाली के साथ

गौरव 2014-07-29 Comments

दोस्तो, अन्तर्वासना पर मैंने जब कहानियाँ पढ़ीं तो मेरा भी मन हुआ कि मैं भी अपने बारे में अन्तर्वासना के पाठकों को जरूर बताऊँ..! मेरा नाम गौरव है तथा मेरी उम्र 19 साल है। मैं झाँसी का रहने वाला हूँ। मैं आपको अपनी सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ।

बात एक साल पहले की है जब मैंने बारहवीं कक्षा पास की थी तथा कॉलेज में प्रवेश लिया था। मेरे कॉलेज की एक फ़्रैन्ड जिसका नाम था वैशाली। वह दिखने में बहुत ही सेक्सी लगती थी। उसका फ़िगर 34-32-34 था। मैं उसको काफ़ी पसन्द करता था।

बात एक दिन की है कि मैं घर पर अकेला था, घर के लोग शादी में गए हुए थे जो कि रात में करीब 11 बजे से पहले वापस आने वाले नहीं थे।

मैं अकेला बोर हो रहा बैठा टीवी देख रहा था, अचानक दरवाजे की घंटी बजी, दरवाजा खोला तो वैशाली दरवाजे पर थी।
मैं उसको देखता ही रह गया, उसने ब्लू जीन्स और हरा टॉप पहना हुआ था।
क्या मस्त लग रही थी…!
उसने टोका- अन्दर नहीं आने दोगे क्या?

मैं शरमा कर पीछे हो गया और वो अन्दर आ गई। उस समय शाम के लगभग छः बजे थे।
वो अन्दर आकर सोफे पर बैठ गई, मैं भी सामने वाले सोफे पर बैठ गया। हमने थोड़ी देर अपने साथ बिताए कॉलेज के पलों के बारे में बात की।
फ़िर मैंने उससे पूछा- तुम क्या लोगी, ठन्डा या गरम..!
उसने कहा- सिर्फ़ एक कप कॉफ़ी।

फ़िर मैंने उसे कॉफ़ी बना कर दी। हम दोनों कॉफ़ी पीने लगे, मैं उसकी चूचियों को देख रहा था।
फिर वो बोली- क्या तुम मुझसे कुछ कहना चाहते हो?
मैंने शरमा कर ‘ना’ कह दिया। वो मेरी घबराहट समझ गई और मुझसे मेरे पढ़ाई के बारे में पूछने लगी।
फ़िर उसने मुझसे पूछा- तुम्हारी कोई गर्ल-फ्रेंड है क्या?
मैंने कहा- हाँ.. है तो, पर मैंने उससे अभी तक अपने प्यार का इजहार नहीं किया।
उसने पूछा- कौन है.. वह खुशनसीब…! क्या उसकी कोइ तस्वीर है..?
“हाँ.. मेरे बेडरूम में है… पर उसको देखने से पहले तुम्हें अपनी आखें बन्द करनी पड़ेगीं।” मैंने उससे कहा।
उसने कहा- हाँ.. ठीक है।

मैं उसे अपने बेडरूम में ले गया और उसे एक शीशे के सामने खड़ा कर दिया।
मैंने कहा- अब आखें खोलो।
उसने देख कर कहा- यह क्या है?
और मैंने अपने प्यार का इजहार कर दिया, उसने मुस्कुरा कर ‘हाँ’ कर दी।
बस उसके ‘हाँ’ कहते ही मैं उसे चूमने लगा। हमने पाँच मिनट तक एक दूसरे को चुम्बन किया। हम दोनों गरम होने लगे। मैंने देखा कि उसका एक हाथ मेरे लन्ड के ऊपर था।

मैंने फिर हल्के-हल्के उसकी चूचियों को दबाना शुरू किया..! उसे थोड़ा दर्द भी हो रहा था और वो थोड़ी-थोड़ी देर बाद ‘उफ़..उफ़’ किए जा रही थी..! मैंने फिर उसे चूमा और उसका टॉप उतार दिया।
अन्दर का नज़ारा तो बड़ा ही शानदार था.. काली ब्रा में उसके नुकीले निप्पल पता चल रहे थे..!

मैं उसके चूचियों को ब्रा के ऊपर से ही मसलने लगा। उसकी चूची सन्तरे की तरह कड़क हो चुकी थीं। मैंने फिर उसकी ब्रा उतार दी..!
उसके सफ़ेद दूध क्या मस्त लग रहे थे..! खिलती जवानी थी एकदम..!
फिर मैंने उसके निप्पल को पहले प्यार से दबाया, फिर मैं उन्हें जोर से दबाने लगा। उससे भी शायद बर्दाश्त नहीं हो रहा था और मुझसे भी नहीं..!
फिर मैंने जीभ निकाल कर जीभ की नोक उसकी निप्पल की नोक पर लगाई, तो वो एकदम सिहर गई…! मैंने दूसरे निप्पल के साथ भी ऐसे ही किया..।
फिर मैंने उसका एक निप्पल मुँह में लिया और हल्के से चूसा..! वो ‘उफ़..उफ़’ ही करती रही।

मैंने फिर थोड़ी देर उनको हल्के-हल्के चूसा तो वो अपना सर इधर उधर करने लगी.. और उसके मुँह से ‘सी…सी..ईईई..आह्ह्ह्ह्ह..’ निकलने लगी।मैंने फिर उसका निप्पल अपने दांतों के बीच लेकर हल्के से काटा तो उसके मुँह से चीख निकल गई।
फ़िर मैंने दोनों निप्पलों के साथ ऐसा ही किया।

अब मैंने उसकी जीन्स भी उतार दी। मेरे सामने वह केवल पैन्टी में थी। मैंने अपनी जिन्दगी में पहली बार किसी लड़की को सिर्फ़ पैन्टी में देखा था। फ़िर मैंने अपनी भी जीन्स उतार दी। अब मैं उसके सामने सिर्फ़ एक जॉकी में था।
मैंने अपना लन्ड निकाला, तो वह देख कर दंग रह गई। मैंने उसे मेरे लिंग को मुँह में लेने को कहा। पहले तो उसने मना किया, पर मेरे समझाने पर वह मान गई।

पहले उसने मेरे लिंग पर चुम्मी की, फ़िर उसने मेरे लन्ड को मुँह में ले लिया। फिर वो अपने घुटनों पर बैठ कर लण्ड को मुँह में लेकर चूसने लगी। मुझे तो बड़ा मज़ा आया। वो जैसा भी चूस रही थी, मेरे लिए तो पहली बार ही था..! मैंने सोचा अगर अब और चुसवाऊँगा तो झड़ जाऊँगा..!

मैंने उसे उठाया और उसको भी नंगी कर दिया, उसको लिटाया और उसकी योनि में ऊँगली करने लगा।
उसे थोड़ा दर्द भी हो रहा होगा, पर उसने कुछ कहा नहीं और मैं अपनी ऊँगली से उसकी बुर को सहलाता रहा।
थोड़ी देर बाद वो बोली- यार, अब डाल दो अपने लन्ड को मेरी इस बुर में… तड़पाओ मत..!
मैंने बोला- देखो थोड़ा दर्द होगा, सहन कर लेना..!

फिर मैंने वैसलीन को अपने लंड पर और उसकी चूत पर लगाया और अपना लिंग उसकी बुर के मुँह पर रख दिया, वो काँप रही थी। मैंने थोड़ा रुक कर हल्का सा जोर लगाया और हल्के-हल्के अन्दर करने लगा। उसको तकलीफ हो रही थी, यह उसकी बेचैनी से पता चल रहा था। मेरे लिंग में भी कुछ दर्द सा महसूस हो रहा था।

फ़िर मैंने एक जोर का झटका दिया और लंड का सुपाड़ा उसकी बुर की सील को तोड़ता हुआ चला गया। वो एकदम से तड़प उठी और उसकी चूत से खून आने लगा। फ़िर मैंने एक और जोर से झटका लगाया और मेरा 7″ का लण्ड उसकी बुर में पूरा समा गया। उसका मुँह लाल हो गया और उसकी आखों से थोड़े आँसू निकल आए और वो अपना सर इधर-उधर पटकने लगी और मुझे हटाने लगी। लेकिन मैं उसे जोर से पकड़े रहा। उसका दर्द कम होने का इंतज़ार करने लगा।

थोड़ी देर में वो थोड़ी सामान्य हुई तो पहले मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और फ़िर धीरे-धीरे अपने लन्ड को अन्दर-बाहर करने लगा। फिर उसका दर्द हल्का होने लगा तो वो भी हल्के-हल्के ‘सीत्कारने’ लगी, तो मैं भी अब थोड़ा तेज़ हो गया।
अब वो भी मेरा साथ दे रही थी। पूरे कमरे में ‘फ़च-फच’ की आवाज आ रही थी। उसके मुँह से ‘आ… आअह् ह्ह्ह्… ईईई…ऊऊउ’ जैसी आवाजें निकल रही थी। अब वह अकड़ने लगी थी।

मैं भी झड़ने वाला था, मैंने जल्दी से अपने लण्ड को निकाला और उसके स्तनों पर अपना फ़ुव्वारा छोड़ दिया।
फ़िर उसने उसको साफ़ किया, फ़िर हम कुछ देर ऐसे ही लेटे रहे, पर अभी उसकी प्यास नहीं मिटी थी। वो फ़िर से मेरे लण्ड को अपने मुँह में लेकर सहलाने लगी। कुछ ही पलों में मेरा लण्ड एक जवान की तरह सलामी दे रहा था।

फिर मैंने उसे घोड़ी बना दिया। मुझे यही पोजीशन सबसे ज्यादा पसंद है फिर मैं उसके पीछे आकर अपने लंड से उसके चूतड़ों पर थपेड़े मारने लगा। वो भी अपने चूतड़ हिला कर दिखा रही थी। मैंने फिर पीछे से लंड डाला तो वो चिहुंक उठी। एक दो झटकों में ही पूरा मूसल अन्दर हो गया। अब मैं फिर से मस्ती में आगे-पीछे होने लगा। मैं उसकी गांड पर थप्पड़ मार रहा था और वो ‘आह..आह’ कर रही थी।

फिर मैंने उसके मम्मे पकड़ लिए और चोदने लगा। मैं उसकी गर्दन पर चूम रहा था और उसकी कमर पर हाथ फिरा रहा था। उसे गुदगुदी भी हो रही थी। अब वो भी मेरे धक्कों से कदम मिला रही थी। जब मैं आगे होता वो पीछे होकर पूरा लंड लेती।

मैंने दोबारा उसके मम्मे पकड़ लिए और उसका मुँह पीछे करके उसका चुम्बन लेने लगा। मैं बिल्कुल उससे चिपका हुआ था। यह आसन कितना सेक्सी होता है, यह मैं ही जान सकता हूँ दोस्तों..! उसके दोनों मम्मे मेरे हाथों में थे। मेरा लंड उसकी चूत में और दोनों चुम्बन करते हुए। फिर मैं उसको झुका कर दोबारा से धक्के मारने लगा। अब मैं भी बहुत तेज़ धक्के मार रहा था, क्यूंकि मेरा भी होने वाला था।
मैंने उससे पूछा- मेरा होने वाला है, कहाँ निकालूँ..?

उसने कुछ नहीं कहा और मैं दो धक्कों बाद ही उसके अन्दर झड़ने लगा और सपनों की मीठी दुनिया में खो गया।
हम दोनों निढाल होकर बिस्तर पर गिर पड़े और जोर-जोर से साँसें लेने लगे..! थोड़ी देर के बाद हम फ़्रैश हुए फ़िर एक रेस्ट्रोन्ट में खाना खाने चले गए, वहाँ हमने खाना खाया। फ़िर मैं उसको उसके घर छोड़ कर मैं अपने घर चला गया।

जब भी हमें मौका मिलता, हम लोग ऐसे ही प्यार करते और हर बार अलग-अलग पोजीशन से सेक्स करते।
अपनी दूसरी सत्य घटना अपनी अगली कहानी में बताऊँगा।

दोस्तो, आपको मेरी कहानी कैसी लगी, बताइएगा ज़रूर..! अपनी राय अवश्य दें.. अच्छी या बुरी जैसी भी हो.. मुझे आपके मेल का इंतज़ार रहेगा।
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