बहन का लौड़ा -48
(Bahan Ka Lauda-48)
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अभी तक आपने पढ़ा..
दिलीप जी- अरे मेरी बच्चियों.. तुम दोनों का प्यार देख कर मेरा दिल ख़ुशी से भर गया। तुम मेरी बात पूरी तो सुनो पहले.. मैंने भी विनोद को यही कहा कि अभी तो राधा आई है.. और उसकी उमर ही क्या है.. कुछ साल बाद बड़ी धूम-धाम से उसकी शादी करूँगा.. मगर अभी फिलहाल मैं पहले अपनी बेटी को उसके हिस्से की ख़ुशी दूँगा।
इतना सुनते ही दोनों के चेहरे पर ख़ुशी के भाव आ गए और दोनों पापा से गले लग गईं।
यह प्यार भरा नज़ारा कुछ देर चला.. उसके बाद नॉर्मल बातें हुईं और दिलीप जी ने सफ़र की थकान कह कर.. सोने का बोल दिया.. वो दोनों भी अपने कमरे में चली गईं।
मीरा ने दरवाजा बन्द किया और बिस्तर पर जाकर बैठ गई।
अब आगे..
राधे कुछ नहीं बोला और चुपचाप सीधा बाथरूम चला गया और कुछ देर बाद अपना रूप बदल कर पजामा पहन कर बाहर आ गया।
मीरा- क्या बात है पतिदेव.. आज नंगे नहीं आए.. ये कौन सी लीला है आपकी?
राधे- अरे कुछ नहीं यार.. आज थकान सी हो रही है.. तो सोच रहा हूँ.. आज तुम्हें भी थोड़ा रेस्ट दे ही देता हूँ.. रोज रोज चुदवाओगी तो बीमार हो जाओगी..
मीरा- अच्छा यह बात है मेरी इतनी फिकर है आपको.. या यूँ कहो कि डबल शिफ्ट से तुम थक गए हो.. हा हा हा..
राधे- अब ऐसा ही समझ लो यार.. इंसान हूँ.. कोई जानवर नहीं.. जो दिन-रात चोदता ही रहूँ.. मुझे भी कुछ तो आराम मिलना चाहिए ना..
मीरा- हाँ सही है.. वैसे भी अब पापा आ गए हैं तो ख़तरा उठाना ठीक नहीं.. आराम से ही सब कुछ करना होगा.. वैसे आज तुम बच गए..
राधे- बच गया क्या.. मैं कुछ समझा नहीं?
मीरा- अरे पापा तुम्हारी शादी करवा देते तो.. उस लड़के से क्या अपनी गाण्ड मरवाते हा हा हा..
राधे- मीरा तुम बहुत शैतान हो गई हो.. मैं क्यों मरवाता.. उस साले की गाण्ड ही न मार देता मैं?
मीरा- हाँ ये बात भी है.. तुम्हारा लौड़ा देख कर वो डर जाता।
आधे घंटे तक इन दोनों में बातें होती रहीं और उसके बाद दोनों चिपक कर सो गए।
सुबह का दिन हमेशा की तरह ही था.. बस आज दिलीप जी अपने अख़बार में मस्त थे और ममता अपने काम में.. और अपनी हीरोइन मीरा.. स्कूल के लिए तैयार हो गई थी।
राधे को भी सुबह-सुबह लड़की बनकर पापा के सामने आना पड़ा..
मीरा के स्कूल जाने के बाद करीब 9 बजे दिलीप जी भी बाहर चले गए। तब कहीं जाकर ममता की जान में जान आई.. क्योंकि उसकी चूत तो लौड़े के लिए तड़प रही थी और दिलीप जी के रहते यह मुमकिन ही नहीं था।
ममता- मेरे राजा.. आप ऐसे उदास क्यों बैठे हो.. क्या हुआ?
राधे- अरे होना क्या था.. पापा के रहते मुझे लड़की बन कर रहना पड़ता है।
ममता- अब लड़की बनो या लड़का.. मुझे तो हर हाल में आप अच्छे लगते हो मेरे राजा..
राधे- लगता है.. कल की ठुकाई भूल गई हो.. जो आज ऐसी बात कर रही हो..
ममता- नहीं मेरे राजा.. कल की क्या.. मैं तो शुरू से अब तक की सब बात याद रखे हूँ.. आह्ह.. सुबह से चूत पानी-पानी हो रही है.. अब जल्दी से इसको ठंडा कर दो.. नहीं तो साहब जी आ जाएँगे..
राधे- अब तेरे लिए ये सब निकालूँ क्या.. एक काम कर.. नंगी हो जा.. मैं बस यह सलवार निकाल देता हूँ.. तुझे तो लौड़ा लेना है ना.. अब बाकी कपड़े निकालने का क्या फायदा..
ममता- आह्ह.. मेरे राजा.. जो निकालना है.. निकाल दो.. उफ़.. मुझे तो बस चुदना है.. लो आह्ह.. घुसा दो अब..
ममता स्पीड से नंगी हो गई थी.. उसको देख कर राधे का भी मन मचल गया और उसने झट से लौड़ा उसकी चूत में घुसा दिया।
ममता दीवार के सहारे खड़ी हुई चुद रही थी।
राधे स्पीड से उसको चोदने लगा था। रात को आराम के बाद अब उसके लौड़े में गजब का कड़कपन आ गया था।
ममता- आह्ह.. उइ.. आह्ह.. उइ.. चोदो.. आह्ह.. मज़ा आ रहा है.. उफ़फ्फ़ आह्ह..
लगभग 35 मिनट तक राधे ममता को चोदता रहा.. इस बीच वो 2 बार ठंडी हो गई थी। तब कहीं जाकर राधे के लौड़े ने पानी उगला..
चुदाई के बाद ममता वापस अपने काम में लग गई और राधे टीवी देखने लगा।
दोस्तो, मीरा से लेकर रोमा तक सब चुद चुकी हैं.. अब कहानी को ख़त्म करने का वक़्त आ गया है.. तो थोड़ा स्पीड से आपको क्लाइमैक्स तक ले जाती हूँ।
दोस्तो, यह रोज का सिलसिला हो गया दिन में राधे.. ममता को.. और रात को मीरा को चोदता.. उसकी लाइफ में इन दोनों का मज़ा लिखा हुआ था। उधर रोमा की चूत की आग दिन पर दिन बढ़ती जा रही थी। वो किसी ना किसी बहाने नीरज के पास चली जाती और अपनी चूत को ठंडा करवा के आती थी।
हाँ… आपको एक बात बताना भूल गई रोमा ने खुलकर टीना को अपने और नीरज के प्यार के बारे में बता दिया था मगर सिर्फ़ प्यार के.. हाँ.. चुदाई के बारे में नहीं बताया था। अब वो कई बार स्कूल से सुबह ही गायब हो जाती और पूरा दिन चुदाई करवाती।
रोमा की मॉम को शक ना हो.. इसलिए रोमा ने टीना को अपने घर बुलाया ताकि उसकी माँ टीना से पूछ सके कि हर रोज शाम को टीना उसके घर जाती है या नहीं..
टीना तो पहले ही तैयार थी.. सो उसने वही कहा जो रोमा चाहती थी।
करीब 20 दिन तक यही सिलसिला चलता रहा।
एक रात नीरज को उसके दोस्त ने कहा- गाड़ी और फ्लैट का किराया कहाँ है.. अब ज़्यादा दिन वो पैसे के बिना नहीं रह पाएगा।
तब नीरज को अहसास हुआ कि पैसे के बिना वो कुछ नहीं कर पाएगा। अभी तो बस रोमा के मज़े ले रहा है.. उसको तो और बहुत सी कुँवारी लड़कियों को चोदना है।
दोस्तो, उम्मीद है कि आप को मेरी कहानी पसंद आ रही होगी.. मैं कहानी के अगले भाग में आपका इन्तजार करूँगी.. पढ़ना न भूलिएगा.. और हाँ आपके पत्रों का भी बेसब्री से इन्तजार है।
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