मेघा को होटल में चोदा-2

(Megha Ko Hotel Me Choda-2)

सुशान्त चन्दन
फिर मैंने अपना काम जारी रखा और उसको जीभ से चोदने लगा, अचानक मैंने महसूस किया कि उसके जिस्म में एक अकड़न आने लगी है।
मैं समझ गया कि ये झड़ने वाली है और मैंने अपने जीभ की गति बढ़ा दी।

कुछेक मिनट के बाद वो झड़ गई और उसका सारा जिस्म ढीला पढ़ गया और मैं उसकी चूत से निकला सारा रस पी गया।

इसके बाद मैं मेघा के बगल में आकर लेट गया।

वो बोली- मज़ा आ गया, ऐसा मजा उसको आज तक कभी नहीं आया। मैं कभी हाथ से भी नहीं करती थी और ये मेरा पहली बार था।

मैंने कहा- अभी तो शुरुआत है.. आगे तो देखो… कितना मजा आने वाला है।

अब मुझे उसकी आँखों में वासनामय उत्तेजना दिखने लगी थी।

मैं- चलो अब तुम्हारी बारी।

मेघा- बारी.. क्या मतलब? मेरी बारी?

मैं- बारी मतलब.. अब तुम वही करो जो मैंने तुम्हारे साथ किया।

मेघा- क्या… मैं इसे अपने मुँह में नहीं ले सकती हूँ।

मैं- क्यूँ?

मेघा- छि:… कितना गंदा है.. नहीं बाबा नहीं..!

मैं- अरे मैंने नहीं किया अभी।

मेघा- अरे तुम्हारी बात और है।

मैं- मेरी बात क्यूँ और है.. देखो ना कैसा मुरझा गया है, इसमें जान डाल दो..।

मेघा- नहीं.. नहीं.. मुझसे नहीं होगा।

मैं- डार्लिंग ऐसे ना करो, एक बार कोशिश तो करो, क्यूँ हनीमून खराब कर रही हो।

मेघा- हनीमून… क्या मतलब?

मैं- हाँ.. ये हमारा शादी से पहले का हनीमून है, देखो मेरी जॉब लग गई है, एक बार तुम्हारी और लग जाए, फिर कॉलेज खत्म होते ही मैं तुम्हारे घर वालों से तुम्हारा हाथ माँग लूँगा।

मेघा- सच्ची?

मैं- मुच्ची…

मेघा- ओह सुशान्त, आई लव यू।

मैं- आई लव यू टू मेघा.. अब चालू करें।

मेघा- सिर्फ़ एक बार।

मैं- हाँ.. बाबा सिर्फ़ एक बार..।

मेघा- ओके, लाओ।

इसके बाद उसने मेरा लंड अपने मुँह में लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसना चालू कर दिया, धीरे-धीरे मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा, पहले तो वो बहुत नाक सिकोड़ कर मेरा लंड अपने मुँह में ले रही थी लेकिन बाद में शायद उसे मजा आने लगा और वो पूरा मज़ा लेकर मेरा लंड चूसने लगी।

काफ़ी देर चूसने के बाद उसने पूछा- कब तक चूसना है?

मैंने कहा- जब तक तुम्हारी तरह मेरा पानी नहीं निकल जाता।

ये सुन कर वो फिर से अपने काम पर लग गई और मैं उसके सिर को पकड़ कर

उसके कंठ तक लंड को पहुँचा रहा था। इस बार वो मेरा लंड और अन्दर तक ले रही थी।

कुछ आधे घंटे चूसने के बाद मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ तो मैंने पूछा- मेरा निकलने वाला है… क्या करूँ।

उसने कहा- मेरे मुँह में ही छोड़ दो।

ये सुन कर तो जैसे मैं स्तब्ध हो गया और मैं जोश में आकर उसके मुँह को चोदना चालू कर दिया, कुछ 10-15 झटकों के बाद मैंने उसके मुँह में ही झड़ गया।
और वो मेरा सारा माल पी गई और थक कर बिस्तर पर गिर गई। उसके बिस्तर पर गिरते ही मुझे उसकी चूत दिख गई और मैं फिर उस पर टूट पड़ा।

वो बोली- ये क्या कर रहे हो?

मैंने कहा- ये मेरी बात मानने का तोहफा है।

वो बस मुस्कुराई और मैंने उसकी चूत चाटनी चालू कर दी।
कुछ देर बाद उसने फिर से मना करना शुरू कर दिया और करीब 15 मिनट के बाद वो ‘आहह’ के साथ झड़ गई और मैंने एक बार फिर से उसका पानी पी लिया और उसके साथ बिस्तर पर आकर लेट गया।

मेघा- थैंक्स सुशान्त.. आई लव यू मैं वास्तव में बहुत हल्का महसूस कर रही हूँ।

मैं- अच्छा लगा ना?

मेघा- हाँ बहुत, इससे पहले इतना अच्छा कभी नहीं लगा।

मैं- इससे भी अच्छा लग सकता है, अगर मेरी बात मानो तो।

मेघा- अब क्या बचा है।

मैं- वही.. जो शुरुआत में करने के लिए तुमने मना किया था।

मेघा- सुशान्त नहीं।

मैं- प्लीज़ मेघा.. हमारा हनीमून है यार, ऐसा मौका फिर कब मिलेगा?

मेघा- मिलेगा ना, शादी के बाद।

मैं- यार.. उसमें बहुत वक्त है, मुझसे इतना इन्तजार नहीं होगा… प्लीज़.. बहुत मज़ा आएगा आई प्रॉमिस यू..!

मेघा- मज़ा.. मैंने तो सुना है बहुत दर्द होता है।

मैं- वो तो बस पांच मिनट तक ही होता है, उसके बाद जो मज़ा आता है उसके आगे ये मज़ा कुछ नहीं है।

मेघा ने एक शरारती अन्दाज में कहा- ऐसा क्या.. पर तुम्हारे पास तो कंडोम भी नहीं है।

मैं- यार पति-पत्नी में कंडोम की क्या ज़रूरत है और मुझे एड्स नहीं है।

मेघा- वो बात नहीं है, फिर भी हमें सुरक्षित रहना ही होगा।

मैं- यार.. तुम एक कंडोम के पीछे इतना रोमांटिक मौका खराब करोगी और सुरक्षा का क्या है, किसी भी समस्या के लिए सुबह एक आई-पिल खा लेना।

मेघा मुस्कुरा कर देखने लगी।

मैं- अब आज्ञा है मेरी होने वाली श्रीमती जी।

मेघा (शरमाते हुए)- हाँ।

मैं फ़ौरन उठ कर गया और टेबल पर पड़ी तेल की शीशी उठा लाया और खूब सारा तेल उसकी चूत पर लगाया और फिर अपने लंड पर भी खूब मला।

उसके बाद मैंने उसकी गाण्ड के नीचे एक तकिया लगाया और अपने लंड को उसकी चूत के मुँह पर रखा। उसकी चूत से मानो आग निकल रही थी। मैंने थोड़ी देर लंड को उसकी चूत पर रगड़ा, मेरे ऐसा करने शायद वो बेचैन होने लगी और छटपटाने लगी और कहने लगी- जल्दी करो..

मैंने सोचा यही मौका है और मैंने उसको बोला- थोड़ा दर्द होगा.. सहन करना।

उसने ‘ओके’ बोला, लेकिन मुझे पता था कि जब मेरा लौड़ा उसकी सील तोड़ेगा तो वो ज़रूर चिल्लाएगी।

इसलिए मैंने उसको चुम्बन करना आरम्भ कर दिए और जब उसका ध्यान नहीं था, तो मैंने पहला धक्का लगाया। उसने मेरी पीठ पर अपने नाख़ून मारने चालू कर दिए और मुझे छोड़ने को कहने लगी।

लेकिन मैंने उसको चूमना जारी रखा और एक ज़ोर का झटका मारा और मेरा लंड उसकी सील तोड़ता हुआ पूरा का पूरा अन्दर चला गया।
सील टूटते ही मानो उसकी जान गले तक आ गई और उसने अपने आप को छुड़ाने की बहुत कोशिश लेकिन मैंने उसको चूमना जारी रखा।

थोड़ी देर बाद वो शांत हुई और उसने अपनी गाण्ड हिलानी चालू कर दी। मैं समझ गया कि ये चुदने के लिए तैयार है और मैंने अपने होंठों को उसके होंठों से हटा लिया और धीरे-धीरे धक्के लगाने चालू किए। पहले तो मैंने हल्के-हल्के धक्के लगाए, फिर धीरे-धीरे मैंने अपनी गति बढ़ा दी।

वो भी अपनी गाण्ड हिला-हिला कर मेरा साथ दे रही थी और साथ-साथ ये भी बोल रही थी- ओह.. सुशान्त.. बहुत मजा आ रहा है।

यह सुन कर मेरी गति और बढ़ जाती थी। करीब आधे घंटे बाद मुझे लगा मैं झड़ने वाला हूँ, इस दौरान वो 4 बार झड़ चुकी थी।

मैंने उससे पूछा- कहाँ झड़ना है?

उसने कहा- अन्दर नहीं।

मैंने कहा- क्या हुआ आई-पिल तो ले रही हो… क्या दिक्कत है?

उस वक्त वो बहस करने की हालत में नहीं थी, वो बस ‘आहह.. उहह.. ओह’ कर रही थी।

कुछ 5 मिनट बाद मेरा बदन अकड़ गया और मैंने अपना सारा माल उसकी चूत में छोड़ दिया।
हम दोनों इसी हालत में कुछ आधा घंटा पड़े रहे। उसके बाद मैं उठा और गुसलखाने में जाकर अपना लंड साफ़ किया। जब मैं वापस आया देखा कि बिस्तर पर खून ही खून है और मेघा लगभग बेहोशी की हालत में पड़ी कराह रही है।

उसकी चूत शायद फट गई थी, इधर मेरे अन्दर की भूख अभी शांत नहीं हुई थी।

मैं उसके पास गया- मज़ा आया?

तो उसने ‘हाँ’ में अपना सिर हिलाया बस। मैंने पूछा- और मज़ा करना है?

यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
उसने बस हल्की सी मुस्कान बिखेर दी। वो बेचारी बार-बार गिर रही थी, तो मैंने उसको कस कर पकड़ लिया।

इसके बाद मैंने मेघा को उठाया और गुसलखाने में ले गया क्योंकि उससे खुद तो चला भी नहीं जा रहा था।

वहाँ जाकर मैंने उसकी चूत साफ़ की और उसको अपने हाथ से नहलाया तो थोड़ी देर बाद उसमें थोड़ी जान आई।

हम लोग साथ नहाए, जब वो नहा कर मेरे आगे निकल रही थी तो मेरी नज़र उसके चूतड़ों पर पड़ी, गोल-गोल उसके चूतड़ और उस पर पानी की बूंदें और भी कयामत लग रही थीं।

जब वो चल रही थी, तो उसके दोनों चूतड़ आपस में खुल-बंद हो रहे थे और जब खुल रहे थे तो मुझे उसके गाण्ड का छेद दिख रहा था, जिससे मेरा लंड एक बार फिर से खड़ा हो गया और मैंने मन में सोचा कि अब तो इसके गाण्ड भी मारूँगा, सो मैं उसके पीछे से गया और उसके दोनों चूतड़ों को पकड़ कर मसल दिया और उसकी कमर को पकड़ कर ऊपर उठा दिया।

मैं उसके चूतड़ों पर चुम्बन करने लगा और उसको बिस्तर पर पेट के बल लिटा दिया और उसके चूतड़ों पर चुम्मियां करने लगा और उन्हें दबाने लगा।

कुछ देर बाद उसकी गाण्ड के छेद के पास ऊँगली को फिराने लगा और धीरे से एक ऊँगली को उसके गाण्ड में डाल दिया।

उसकी गाण्ड एकदम तंग थी, कुछ देर में फिर एक और ऊँगली भी डाल दी।जब उसकी गाण्ड थोड़ी खुल गई तो मैंने उसको घोड़ी बना दिया और फिर मैंने ढेर सारा तेल उसकी गाण्ड के छेद पर लगाया और खूब सारा अपने लंड पर लगाया और उसके गाण्ड पर लंड को घुमाने लगा।

कुछ देर तक ऐसा करने के बाद लंड को गाण्ड के छेद के पास लगा कर हल्का सा अन्दर को धकेला तो वो कराही, तो फिर मैंने अपने एक हाथ से उसके मुँह को ढंका और दूसरे हाथ से उसकी चूची को पकड़ लिया और एक ही झटके में पूरा लंड उसकी गाण्ड में डाल दिया।

लंड डालते ही मानो उसमें नई जान आ गई और उसने मेरा हाथ काटना चालू कर दिया।

मैंने भी अपना हाथ नहीं हटाया और तसल्ली से उसकी गाण्ड मारता रहा, थोड़ी देर बाद वो शांत हुई और उसने भी मेरा साथ देना शुरू कर दिया।

कुछ 15 मिनट तक उसकी गाण्ड मारने के बाद मैं उसकी गाण्ड में ही झड़ गया।

अब मैं इतना थक चुका था कि मुझसे कुछ हो नहीं रहा था इसलिए हम दोनों नंगे ही सो गए।

हम दोनों कुछ 3-4 घंटे ऐसे सोते रहे होंगे, फिर जब हमारी नींद खुली तो दोनों एक-दूसरे को देखा और मुस्कुरा कर हमारे होंठ एक-दूसरे से जुड़ गए।

हमने अपने-अपने कपड़े पहने और खाना मंगाया और साथ-साथ खाया। फिर उस दिन दो बार और चुदाई की।

शाम को मैंने एक आई-पिल लेकर उसे दे दी और उसको होस्टल छोड़ आया।

उस दिन के बाद मुझे जब भी मौका मिलता था तो उसको चोद देता था और मैंने मेघा को लंड की ऐसी आदत लगा दी कि वो खुद भी चुदने को बेकरार रहती थी।

अगर मैं नहीं चोदता था तो कॉलेज में बिना ब्रा-पैंटी के कपड़े पहन कर आ जाती थी और वहाँ से सीधे मेरे कमरे पर आ जाती थी और चुद कर चली जाती थी।

कभी-कभी तो वो दो-तीन दिन तक मेरे कमरे में ही रह जाती थी और जब तक वो मेरे कमरे में रहती थी, मैं उसको नंगी ही रखता था। आप लोग मुझे ज़रूर बताईए कि आपको मेघा की चुदाई कैसी लगी।

अगर आप के कुछ सवाल हों तो आप मुझे ईमेल भी कर सकते हैं।
आप मुझसे फेसबुक पर भी जुड़ सकते हैं।
http://www.facebook.com/shusant.chandan?ref=tn_tnmn

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top