आए थे घूमने, चोद दी चूतें-2
(Aaye The Ghumne, Chod Di Chute Part-2)
कहानी का पिछला भाग: आए थे घूमने, चोद दी चूतें-1
अब तक की चुदाई की कहानी में आपने मेरी गर्लफ्रेंड की सहेली नेहा को मेरे सामने नंगी होते हुए पढ़ लिया था.
अब आगे..
फिर मैंने धीरे धीरे अपने होंठों को नेहा के मम्मों के पास किया और उसके बिल्कुल पास करके गर्म सांस छोड़कर कहा- क्यों साली, बता आज पी लूँ तेरी जवानी का दूध?
तो नेहा मचलती हुई बोली- उई जीजू आह उफ़..
उसने मेरे सर को ऊपर से नीचे को दबा दिया, जिससे मेरे होंठ अपने आप उसके निप्पल पे जा लगे. मैं नेहा की चूचियों को निप्पल से चूसने लगा और साथ ही उसके मम्मों को चाट चाट कर चूस रहा था. कभी कभी मैं उसके मम्मे को जीभ से गोल गोल घुमा कर चाटता, कभी निप्पल मुँह में भर के चूसता.
इसी तरह मैं उसके दोनों मम्मों को चूस और चाट रहा था. फिर मैंने कुछ ही देर में उसको घुमा दिया और उसकी पीठ को भी चूमने और चाटने लगा.
अब नेहा को भी बहुत मजा आ रहा था और उसकी शर्म भी दूर हो चुकी थी.
तभी मैंने उसे फिर से घुमाया और उसके होंठों पे एक गहरा सा चुम्बन किया. फिर उसकी जाँघों को भी चूमा और उसके मम्मों को फिर से चूसा. इसके बाद मैंने बड़ी बेताबी से फिर से उसके पेट को चूमा और उसकी टांगों तक जीभ फिराता हुआ नीचे तक उसको जीभ से सहलाता चला गया, जिससे वो तड़प उठी.
फिर मैंने उसकी ब्लैक पैंटी को अपने दांतों में पकड़ा और बिना पैंटी को हाथ लगाए, उसकी पैंटी को चुत से खींच कर टाँगों से बाहर कर दी. अब उसकी क्लीन और साफ़ चूत मेरे सामने एकदम नंगी पड़ी थी और नेहा का अल्फ नंगा जिस्म मेरे लौड़े को खड़ा कर रहा था.
मेरे पैंटी खोलने के अंदाज़ को देखकर पास खड़ी सोनिया बोली- मैं तो आपके पैंटी उतारने के इस अंदाज़ पे ही फ़िदा हूँ जानू.
मैंने नेहा की चूत पे एक गहरा चुम्बन किया और उसकी चूत की दोनों फांकों को अलग अलग करके उसके अन्दर अपनी जीभ डाल दी. चुत को जीभ से सहलाते हुए फांकों को चाट चाट कर चूसने लगा, जिससे नेहा और सिहर उठी.
अब मैं जोर जोर से नेहा की चूत चूस रहा था, जिससे नेहा सिसक रही थी और हमें देखकर सोनिया भी उत्तेजित हो गई थी. उसने भी अपनी कमीज़ ऊपर उठाई और अपने मम्मों को मेरे आगे कर दिया. मैंने अपने एक हाथ से उसका एक मम्मा पकड़ लिया.
नेहा और सोनिया दोनों मज़े ले रहीं थीं. नेहा की चूत में मैं अपनी जीभ लगातार चला रहा था और नेहा बहुत जोर जोर से सिसक रही थी. हम तीनों काम वासना के मज़े में मस्त थे कि अचानक हमारे दरवाजे पे दस्तक हुई, हम दरवाजा लॉक करना भूल गए थे और मनोज खाने का सामान लेकर अन्दर दाखिल हुआ.
इससे पहले कि हम अपने आपको सम्भाल पाते मनोज बिल्कुल हमारे बिस्तर के पास आ गया था.
हम तीनों खड़े हुए और अपने आपको सम्भालने लगे और नेहा अपने कपड़े उठा कर बाथरूम में भाग गई.
तभी मनोज बोला- ओह सॉरी, यहाँ तो मज़े चल रहे हैं, कहो तो मैं चला जाता हूँ, बाय..
ये कह कर मनोज जाने लगा, तो मैंने उसे रोक लिया और कहा- अरे कोई बात नहीं, तुम्हें जाने की जरूरत नहीं, चाहो तो तुम भी मज़े हमारे में शामिल हो सकते हो यार.
तो मनोज बोला- अच्छा जी, सोच लो!
मैंने कहा- सोचने की क्या बात है, मैं कह रहा हूँ न, चाहो तो सोनिया से पूछ लो यार..
तभी सोनिया बोली- हाँ जी, आप नेहा से कर लेना.
मैंने फिर कहा- क्यों साली, अब नेहा का नाम ले रही है, शर्म छोड़ो. वैसे मनोज यार बात ये है कि तुम्हारे बाद हमने प्लान बनाया है कि हम चारों आज एक साथ मज़े करेंगे.
तब तक नेहा भी कपड़े पहन कर आ गई थी, परन्तु वो थोड़ा शर्मा रही थी और मनोज से आँखें बचाते हुए उसके पीछे खड़ी थी.
मैंने नेहा को बाजू से पकड़ा और मनोज के सामने खड़ा करते हुए उसे कहा- साली साहिबा, अब क्यों शर्मा रही है यार.. ये भी हमारा ही दोस्त है, आ जा कोई बात नहीं, हमने इसे सब बता दिया है, अब हम चारों एक साथ मजा करेंगे. आओ पहले कुछ खा पी तो लो, देखें तो क्या लेकर आया है मनोज?
तो मनोज ने सभी सामान बिस्तर पे रखा और किचन से कुछ बर्तन ला कर भी रख दिए और सोनिया स्नेक्स वगैरह सर्व करने के लिए प्लेट में डालने लगी. मैंने देखा उस सामान में एक केक भी था.
तो मैंने केक को देखकर कहा कि आज हम यह केक अपनी दोस्ती के नाम एक साथ काटेंगे.
नेहा चाकू ले आई और किचन का सभी काम दोनों लड़कियों ने सम्भाल लिया. मैं और मनोज बातें करते हुए सामान को सैट करने लगे. सभी सामान बिस्तर पे लगा दिया था और हम चारों उसके आस पास बैठ गए थे. केक को सेंटर में रखा हुआ था और हम चारों एक साथ केक काटने लगे थे. फिर ‘हैप्पी फ्रेंडशिप’ बोलते हुए हम केक काट रहे थे और जैसे ही केक काटा गया तो मैंने केक का एक पीस उठाया और नेहा के गाल पर लगा दिया. तभी मनोज ने भी सोनिया के गाल पे एक पीस मलते हुए लगा दिया. इसी तरह उन्होंने भी हम सभी की गाल और गर्दन पे एक एक पीस लगा दिया. मैंने कुछ केक नेहा के टॉप के अन्दर डाल दिया और अब हम सभी केक से खेल रहे थे.
हमने कुछ केक टेस्ट किया. फिर हम सभी ने कुछ स्नेक्स, कोल्ड ड्रिंक और चाय ली और फ्रेश हुए. फिर बिस्तर की चादर को चेंज किया, जो वहीं से मनोज ने निकाल कर दी.
अब बारी थी आगे के प्लान की.
जैसे ही हम सभी फिर से बिस्तर पे एक साथ हुए तो मैंने कहा- यार, अब शर्म और झिझक का कोई काम नहीं, दोनों लड़कियां हमारे पास आओ.
सोनिया मेरे पास आ गई और नेहा पीछे खड़ी थी, तो मैंने नेहा को पकड़ कर आगे कर दिया और बोला- पहले हम तीनों मिल कर इस साली को थोड़ा खोलते हैं. ये ज्यादा ही शर्मा रही है, अरे अब तो तू आधी चुद चुकी है, अभी भी शर्म?
फिर मैंने नेहा का टॉप उतार दिया और मनोज को इशारा किया तो उसने नेहा की जीन्स का बटन खोल दिया. इस बार नेहा ने नीचे कुछ भी नहीं पहना था और वो ज़ल्दी में कपड़े पहन कर आई थी, तो उसने पैंटी और ब्रा नहीं पहनी थी. जैसे ही हमने उसके दोनों कपड़े उतार दिए तो वो अल्फ नंगी हो गई.
मनोज को मैंने इशारा किया. उसने सोनिया को हाथ लगाना चाहा तो सोनिया पीछे को हट गई.
मैंने कहा- साली, ये क्या बदमाशी है?
तो सोनिया अपने आप हंसते हुए मनोज की गोद में आ गिरी. मैंने नेहा की चूत में उंगली डाल कर आगे पीछे करना शुरू कर दिया था.
अब नेहा फिर से उत्तेजित हो गई थी और मेरे पास ही मनोज सोनिया को नंगी भी कर रहा था और उत्तेजित भी कर रहा था.
तभी मैंने नेहा के मम्मों को अपने मुंह में ले लिया और उसकी चूचियां चूसने लगा. अब नेहा के मम्मों को मैं बदल बदल कर चूस रहा था और उसकी चूत में उंगली भी कर रहा था. मनोज सोनिया को अल्फ नंगी कर रहा था, मनोज ने सोनिया के जिस्म से सलवार कमीज़ उतार दिए थे और उसके जिस्म को चूम रहा था.
मैंने देखा कि सोनिया ने पिंक पैंटी पहनी थी और वाइट ब्रा पहनी थी, तो मैंने कहा- वाओ साली.. सोनिया तो पहले ही चुदने का प्लान बना कर आई लगती है, ऐसी पैंटी जो पहनी है.
तो सोनिया मुझसे बोली- ज्यादा मत बोला करो..
मनोज बोला- यार रवि, तुम्हारी सोनिया तो है ही बहुत मस्त यार, इसे तो देखते ही लौड़ा खड़ा हो जाए.
मैंने मजाक में कहा- क्यों मैं क्या कुछ कम हूँ?
नेहा बोली- नहीं जीजू उफ़.. आप भी बहुत मस्त हैं.. उई तभी तो हम आपके नीचे दबे पड़े हैं.. आह्ह..
नेहा और सोनिया के दूधिया जिस्म रूम को जैसे रोशन कर रहे थे. अब तक मनोज ने सोनिया की ब्रा भी उतार दी थी और उसके जिस्म पे सिर्फ पैंटी बची थी, उसे देखकर मैंने फिर कहा- अब साली की पेंटी उतारने मैं आऊं क्या?
तो मनोज ने सोनिया की दोनों टांगें ऊपर को उठाईं और एक झटके में पैंटी को उतार दिया. अब सोनिया भी अल्फ नंगी थी. इधर मैंने अपने कपड़े भी उतार दिए थे और मेरे जिस्म पे सिर्फ मेरा अंडरवियर ही बाकी था.
मैंने नेहा की दोनों टांगों को फैलाया और नेहा उसकी चूत की फांकों को अलग अलग करके एक गहरा चुम्बन लिया और कुछ देर तक उसकी चूत को चूसा.
इधर मेरे पास ही मनोज भी बिल्कुल नंगा हो चुका था और मनोज ने अपना लौड़ा सोनिया को पकड़ा दिया था. सोनिया मनोज के लौड़े को पकड़ कर कुछ देर तक उसे सहलाती रही और फिर उस पर अपनी जीभ रख दी. मनोज इससे सिहर सा गया. अब सोनिया मनोज के लौड़े को धीरे धीरे मुंह में ले रही थी और मनोज को भी मजा आ रहा था. तो मनोज अपने हाथों से सोनिया के मम्मों को मसल रहा था.
मैंने अपना एक हाथ निकाला और सोनिया की चूत में उंगली डाल दी और कहा- सालों, तुम तो हम से भी आगे चल रहे हो.
तो मनोज बोला- तुम जीजा साली कौन सा कम हो, हम तो अब शुरू हुए हैं और तुमने तो सबसे पहले शुरूआत भी कर दी थी.
मैंने नेहा को बिठाया और मैंने भी अपना लंड नेहा को पकड़ा दिया. नेहा ने भी मेरा लौड़ा पकड़ लिया. उसने सबसे पहले मेरे लौड़े की नोक पे अपनी जीभ को नुकीली बना कर रख दिया. फिर उसने मेरे लौड़े के सुराख के बिल्कुल ऊपर अपनी नुकीली जीभ रख दी.. और फिर अपने होंठों को धीरे धीरे नीचे को किया. फिर लंड के ऊपर के हिस्से, मतलब लंड के टोपे को अपने होंठों में अच्छे से भींच लिया. अपनी जीभ को टोपे के चारों ओर घुमाया और फिर अपने होंठों को मेरे लंड के नीचे किया. फिर तो नेहा ने ऐसे करते हुए मेरा पूरा लंड अपने मुंह में निगल लिया, जिससे मुझे बहुत मजा आया और मेरी आह निकल गई.
नेहा मेरे लंड के साथ ऐसे ही खेलने लगी. उसने धीरे धीरे फिर पूरा लंड बाहर निकाल लिया. जब तक लंड बाहर आया, तो मेरा पूरा लंड नेहा के थूक से गीला था. नेहा की इस अदा से मुझे बहुत मजा आ रहा था.
मैंने सिसकारते हुए नेहा को कहा- उफ़… उई.. जान निकल गई.. साली बहुत एक्सपर्ट है तू बेबी..
कुछ देर ऐसे ही लौड़ा ही चुसवाने के बाद मैंने नेहा की दोनों टांगों को अपने कन्धों पर रखा और नेहा की गोरी गांड के नीचे तकिया रख कर उसकी गांड को थोड़ा ऊँचा कर दिया.
मैंने नेहा को कहा- संभाल कर रहना साली, आज अपनी जवानी का केक अपने जीजू से कटवा ले.
मैंने अपना लौड़ा साली की चूत के साथ टच किया और धीरे से एक झटका लगाया और अपने लौड़े का टोपा नेहा की चूत के अन्दर ऊपरी हिस्से में फिट कर दिया. फिर थोड़ा सा रुक कर मैंने एक झटका और लगाया और मेरा आधा लंड नेहा की चूत में उतर गया.
नेहा थोड़ा सा कसमसाई और उसकी मेरे लंड का एहसास जैसे ही अपनी चूत में हुआ तो उसे मजा सा आ गया और वो अपने मुंह से सिसकती हुई बोली- अहह उई…उम्म्ह… अहह… हय… याह… सी सी सी.. जीजू.. और..अन्दर..
फिर मैंने एक और झटका लगाया और नेहा की चूत में मेरा पूरा लंड चला गया, ऐसे ही मैंने दो तीन और झटके लगाए तो मेरा पूरा लौड़ा नेहा की चूत के अन्दर मज़े देने लगा था.
नेहा और सोनिया की देसी चुदाई की कहानी पर आपके मेल का इन्तजार रहेगा.
[email protected]
कहानी जारी है.
कहानी का अगला भाग : आए थे घूमने, चोद दी चूतें-3
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