चालू पड़ोसन की चालू बेटी की चुत की चुदाई का मजा

(Chalu Padosan Ki Chalu Beti Ki Chut Ki Chudai Ka Maja)

मेरा नाम योगेश है, मैं कई सालों से अन्तर्वासना का एक नियमित पाठक हूँ। मैंने कई बार सोचा कि मैं भी अपनी कहानी लिखूं, पर समय की कमी के कारण कभी लिख नहीं पाया। आज मौका मिला.. तो मैंने इसे जाने नहीं दिया और आज अपनी कहानी के साथ आप सभी के सामने हाजिर हूँ।

यह तब की बात है.. जब मैंने कॉलेज में एडमिशन लिया था। उस समय मैं और मेरा परिवार किराए के मकान में ही रहते थे। उन्हीं दिनों हमारे मकान की ऊपर वाली मंजिल में एक फैमिली रहने आई। उस परिवार में चार लोग थे.. 42 वर्षीय पति राजेश, उनसे तीन साल छोटी यानि 39 वर्ष की पत्नी मंजू.. और उनके बच्चे जिनमें 16 साल का लड़का राहुल और 19 साल की लड़की शिल्पा थे।

उनकी लड़की शिल्पा मेरे ही साथ पढ़ती थी और लड़का 10वीं में था। पति महोदय और लड़का नोएडा में रहते थे.. जो कि एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करते थे और कभी-कभी ही इधर आते थे। इधर ऊपरी मंजिल में सिर्फ मंजू और शिल्पा ही रहते थे। मंजू ने हमारे शहर में एक कोल्ड्ड्रिंक की एजेंसी ले ली थी.. वो उसी काम में व्यस्त रहती थी।

अपने पाठकों को मैं इस परिवार के बारे में एक बात बता दूँ कि राजेश बहुत ही सीधा और अच्छा व्यक्ति था.. जबकि वहीं उसकी पत्नी बहुत चालाक किस्म की औरत थी। उसका चक्कर अपने ही ड्राइवर के साथ था और वो भी उसके साथ ही रहता था। इस बारे में शिल्पा भी जानती थी.. पर राहुल और राजेश ये सब जानते थे या नहीं, इस बारे में मैं नहीं जानता।

देखने में उनका पूरा परिवार बहुत ही ज्यादा खूबसूरत था, शिल्पा और मंजू दोनों ही किसी अप्सरा से कम नहीं थीं। बस मंजू अपनी उम्र के कारण थोड़ी मोटी हो गई थी.. पर शिल्पा की खूबसूरती तो लफ्जों में बयां करना मुश्किल है।

चूंकि मैंने और शिल्पा ने साथ ही कॉलेज में एडमिशन लिया था, वो बी.ए. कर रही थी और मैं बी.एस सी. कर रहा था।
हम दोनों ही कॉलेज बहुत कम जाते थे, पर साथ का होने के कारण मेरी और उसकी दोस्ती जल्द ही हो गई और मैं उसे पहली नजर से ही चाहने भी लगा था, पर उसके दिल में मेरे लिए क्या था, मैं नहीं जानता था।

हम घंटों छत पर कड़ी धूप में भी बातें करते रहते थे.. वो अपने दुपट्टे से मुँह को ढक कर साथ में खड़ी रहती थी। हम आपस में धीरे-धीरे काफी खुल गए थे और सेक्स जैसे विषय पर भी बात कर लेते थे।

एक बार मैं अपने रूम के दरवाजे पर कुर्सी बैठा था और दोनों फ्लोर के बीच में पड़े जाल से मैं ऊपर भी देखता जा रहा था कि तभी वो झाड़ू लगाती हुई आई और जाल के पास झुक कर खड़ी हो गई.. जिससे मुझे उसके गुलाबी निप्पल वाले उरोज साफ़ दिखने लगे। मैं उनसे अपनी नजरें हटा ही नहीं पा रहा था, मैं उनमें खो सा गया था।

तभी वो एक जोर की हंसी हंसी.. जिससे मेरा ध्यान भंग हो गया।

शाम को जब मैं छत पर गया तो वो भी थोड़ी देर में आ गई.. पर हम दोनों ने ही उस बात के बारे में कोई बात नहीं की।

एक दिन क़ी बात है.. उसने कहा कि उसका एक दोस्त आशीष अगले दिन उससे मिलने आ रहा है.. जो कि उसके यहाँ आने से पहले उसके साथ ही पढ़ता था।

अगले दिन एक हट्टा-कट्टा सा लड़का हमारी बिल्डिंग में आया और उसने मेरी माँ से शिल्पा का रूम पूछा.. तो मेरी माँ ने उसे बता दिया। मैं अपने कमरे से ये सब देख रहा था.. मैं समझ गया कि ये शिल्पा का वही दोस्त आशीष है।

थोड़ी देर बाद मैं छत पर जाने के बहाने से ऊपर गया तो देखा कि शिल्पा और आशीष कमरा बंद करके अन्दर हैं, पर उनकी कोई आवाज सुनाई नहीं दे रही थी।
ये सब देख मुझे गुस्सा आ रहा था क्योंकि मैं उसे एक अच्छी लड़की समझ रहा था.. पर मुझे अब ये उसकी माँ जैसी ही लग रही थी, पर मैं कर भी क्या सकता था।

लगभग 3-4 घंटे के बाद वो जाने लगा.. मैं अभी भी छत पर ही था। मैंने छत से देखा कि आशीष ने शिल्पा को गले लगाया और ‘बाय..’ बोल कर चल दिया। सड़क पर पहुँच कर उसने बालकनी में खड़ी शिल्पा को फ्लाइंग किस दिया।

अब मैं समझ गया था कि ये फ्रेंड नहीं बल्कि इसका बॉयफ्रेंड है।

शाम को मैंने शिल्पा से जब इस बारे में पूछा तो उसने खुद ही बता दिया कि वो उसका बॉयफ्रेंड है।
यह सुन कर तो दोस्तों मेरी झांटें सुलग गईं और मैंने छत पर जाना और उसके रूम की तरफ देखना भी बंद कर दिया।

एक दिन शिल्पा मेरी माँ से मिलने मेरे घर पर आई.. उस वक़्त मैं दूसरे रूम में था। वो मेरी माँ से काफी देर तक गपशप करती रही। कुछ देर बाद माँ ने मुझे भी चाय पीने के लिए बुलाया और मैं न चाहते हुए भी आ गया।

शिल्पा ने ही माँ से बातें करते हुए एक चाय का कप मेरी तरफ बढ़ाया और मैंने भी चुपचाप से उठा लिया। वो बीच-बीच में मेरी तरफ भी देख रही थी। जाते वक़्त उसने माँ से आँख बचाकर मुझे आने का इशारा किया। फिर मैं पता नहीं क्यों.. उसके पीछे चल दिया।

छत की सीढ़ियों के पास उसने मुझसे पूछा कि मैं उससे बात क्यों नहीं कर रहा हूँ? मैं गुस्से में तो था ही सो मैंने भी कह दिया- मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ, पर जब मैंने तुम्हें आशीष के साथ देखा तो मैं तुम्हारे और आशीष के बीच में नहीं आना चाहता। मैं अगर तुमसे मिलता रहूंगा.. बात करता रहूँगा तो तुम्हें भूलना मेरे लिए मुश्किल होगा।

वो मेरी बात को ध्यान से सुन रही थी। मेरी बात ख़त्म होने के बाद बोली- मुझे भी तुमसे कुछ कहना है।
उसने मुझे अपनी बांहों में भर के मेरे कान के पास आकर बोला- आई लव यू..
यह कह कर अपने रूम को भाग गई।

कुछ पल तक मेरी समझ में कुछ नहीं आया कि ये क्या हुआ और मुझे क्या रिएक्शन देना चाहिए.. जब होश आया तो मैं उसके रूम में गया वो टीवी देख रही थी।

मैंने कहा- अभी तुमने जो मुझसे कहा, वो कहीं कोई मजाक तो नहीं है..! क्योंकि मुझे ऐसा मजाक बिलकुल पसंद नहीं है।
वो सीरियस होते हुए बोली- तुम्हें लगता है कि तुम्हारे साथ मैं ऐसा मजाक कर सकती हूँ क्या?
मैंने कहा- फिर आशीष का क्या?
उसने कहा- मैं जानती हूँ कि अब मैं और आशीष कभी मिल नहीं सकते क्योंकि अब मैं यहाँ रहती हूँ और वो वहाँ रहता है। इसलिए वो उस दिन अंतिम बार मुझसे मिलने आया था।

इतना कहने के बाद वो मेरी तरफ प्यार भरी निगाह से देखने लगी और मैं भी अपने आपको रोक नहीं पाया। मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया और उसके होंठों को चूमने लगा।

आह.. क्या नर्म और मुलायम होंठ थे उसके.. उसके जिस्म से बहुत ही मदहोश कर देने वाली खुशबू आ रही थी.. जो मुझे और भी कामुक कर रही थी।
यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

किस करते-करते मैं उसके ऊपर पूरा छा गया और उसके गोरे-गोरे गालों को चूमने लगा। गालों को चूमने के बाद धीरे-धीरे मैं उसके गले को चूमने लगा और इसी के साथ मेरा एक हाथ उसकी गांड को भी मसल रहा था।

वो मेरा दिल से साथ दे रही थी। उसने मुझे अपनी ओऱ इतनी ताकत से खींचा.. मुझे ऐसा लगा कि वो मुझे अपने अन्दर ही समेटना चाहती हो। एक पल को मुझे अपनी जान जाती लगी.. पर फिर भी मैंने उस पल को एन्जॉय किया और उसके उरोजों को उसके शर्ट के ऊपर से ही अपने मुँह में लेने लगा।

फिर मैंने अपने दोनों हाथों से उसके दोनों उरोजों को दबाया तो वो कामुक सिसकारियां लेने लगी.. साथ ही उसको चूचे दबवाने में मजा आया तो वो मेरे हाथों पर अपने हाथ रख कर और तेजी से दबाने को कहने लगी।

मैंने भी उसका कहना मानते हुए और तेज-तेज दूध दबाने लगा। उसके बाद मैंने उसके सूट को ऊपर करके उसके पेट और नाभि को चूमना भी चालू कर दिया। अब तो वो मदहोश होने लगी.. उसकी और भी अधिक नशीली सिसकारियां मुझमें और जोश भर रही थीं।

फिर मैं उसके शर्ट को ऊपर खींच कर उसके मम्मों चूसने लगा.. तो उसने खुद ही अपना शर्ट निकाल दिया। उसने अन्दर ब्रा या समीज कुछ नहीं पहनी थी।

अब वो मेरे सामने ऊपर से पूरी नंगी हो गई थी। मैंने उसके एक चूचे को अपने मुँह में भर लिया। उसके गुलाबी निप्पल वाले गोरे-गोरे मम्मों को देख कर मेरी हालत ख़राब हो रही थी।

तभी उसने मेरी टी-शर्ट निकाल दी और मुझे अपनी तरफ खींच कर मुझमें समाने लगी। मैं भी उसकी पीठ पर हाथ फेरते हुए उसे किस करने लगा।

मैंने उसे किस करते हुए ही एक तरफ होकर उसके मम्मों को दबाने लगा और इसी के साथ उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया।
उसकी सलवार ढीली हुई तो मैं उसकी छोटी सी काली पेंटी के अन्दर हाथ डाल कर उसकी चुत को रगड़ने लगा।

वो मुझे अपनी बांहों में भर कर अपनी तरफ खींच रही थी.. और मेरे लोअर को नीचे खींचने लगी। उसकी चुत गीली हो चुकी थी और चुत का पानी मेरे हाथों में को भी गीला कर चुका था।

फिर मैंने अपना लोअर और अंडरवियर निकाल दिया.. मेरा लौड़ा तन कर एकदम खड़ा था और घड़ी के 12 जैसे बजा रहा था।

तभी मेरी नजर दरवाजे पर गई जो कि अभी तक खुला ही था.. मैंने झट से जाकर दरवाजा बंद किया और वापस आ कर उसकी सलवार और पेंटी को निकाल कर एक बिस्तर के एक तरफ फेंक दिया।

इसी के साथ मैंने उसे बिस्तर पर चित लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़ कर उसे किस करने लगा। कुछ देर किस करने के बाद मैं उसकी टाँगों की तरफ आ गया और उसकी चुत से निकल रहे पानी को चाटने लगा। गर्म चुत पर मेरी जीभ लगते ही शिल्पा तेजी से सिसकारियां लेने लगी उम्म्ह… अहह… हय… याह… उसकी ये कामुक आवाजें मुझे और भी मजा दे रही थीं।

जैसे-जैसे मैं उसकी चुत चाट रहा था.. वैसे-वैसे वो अपने हाथों से बेडशीट को भींच रही थी।
फिर वो इशारे से चुत में लंड डालने के लिए कहने लगी.. तो मैंने अपना लंड उसकी चुत में लगा दिया। चुत में रस की चिकनाई की वजह से मेरा लंड पहले शॉट में ही आसानी से चला गया और मैं आगे-पीछे करके शॉट लगाने लगा।

कुछ देर के बाद वो झड़ गई.. पर मैंने अपने शॉट जारी रखे, जब तक कि मैं न झड़ गया। मैंने अपना सारा माल उसकी चुत में ही छोड़ दिया था और मैं उसके ऊपर ही गिर कर उसे फिर से किस करने लगा। वो भी तृप्त होकर मेरे बालों में हाथ फेरने लगी।

हम दोनों ही बिलकुल नंगे एक-दूसरे से चिपके पड़े रहे। कुछ देर यूँ ही लेटे रहने के बाद वो उठी और अपने कपड़े पहन कर किचन में चाय बनाने चली गई। फिर हम दोनों ने चाय पी और उसके बाद मैं भी अपने कपड़े पहन कर अपने रूम पर आ गया।

इस चुदाई के बाद मेरे दिल में एक ख़ुशी और डर सा माहौल था.. मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था।

तभी नीचे से माँ ने पूछा- कहाँ गए थे?
मैंने कहा- एक फ्रेंड के घर गया था।

उसके बाद मैंने और शिल्पा ने कई बार चुदाई अलग-अलग तरीके से भी की.. जो कि उसी ने बताए थे।

यह मेरी पहली चुत की चुदाई थी.. दोस्तो, आपको मेरी सेक्स स्टोरी कैसी लगी.. प्लीज मुझे जरूर लिखना।
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top