चाचा और पड़ोसन लड़की की आँखों देखी चुदाई की सेक्सी स्टोरी

(Chacha Aur Padosan Ladki Ki Aankhon Dekhi Chudai Ki Sexy Story)

अन्तर्वासना पर हिंदी सेक्सी स्टोरी पढ़ने वाले मेरे प्यारे दोस्तो, आशा करता हूँ कि आप सब अच्छे ही होंगे।
मैं सन्दीप गोस्वामी हिसार से एक बार फ़िर अपनी नई सेक्सी स्टोरी के साथ आप सबके सामने हाजिर हूँ। मेरी पिछली कहानी
मेरी गर्लफ्रेंड की फ्रेंड की चूत की चुदाई
आपने पढ़ी, जिसके लिए आपके बहुत से लाइक और कमेन्ट मुझे मिले, मैंने उन सभी का यथा संभव जवाब भी दिया।

मैं समय की कमी के कारण जिन दोस्तों को जवाब नहीं दे पाया, उन सबसे माफ़ी चाहता हूँ। आपके प्यार के लिए आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद!

अपनी पहली कहानी को आप लोगों के साथ साझा करके एक बात तो पता चली है कि अपनी वो बातें जो हम हर किसी से छुपाते हैं, उन्हें अनजान दोस्तों के बीच बांटने का मज़ा ही कुछ और है।

आप लोगों का ज्यादा समय ना लेते हुए अपनी कहानी पर आता हूँ। आज मैं आपको अपनी जिन्दगी के एक ऐसे सेक्स अनुभव के बारे में बताना चाहता हूँ, जिसे मैं ना तो आज तक भुला पाया हूँ और ना ही कभी भुलाना चाहता हूँ।
किसी ने सच ही कहा है कि जिन्दगी का पहला प्यार और पहला अनुभव भुलाना इतना आसान नहीं होता।

यह कहानी मेरे बचपन के साथ शुरू हुई थी। उस समय मेरी उम्र छोटी थी, मेरे पड़ोस में मेरी उम्र के बहुत से बच्चे हुआ करते थे। हर रोज स्कूल से छुट्टी होने के बाद वही होता था, जो बच्चे बचपन में करते हैं, खेलना-कूदना हमारी रोज की आदत थी।

मेरे घर के सामने वाले घर में एक लड़की हुआ करती थी, जिसका नाम सुमन था, वो मेरे से एक साल छोटी थी।
हम दोनों अक्सर साथ में ही रहा करते थे.. चूंकि दोनों एक ही क्लास में पढ़ते थे, तो सारे काम साथ में ही करते थे।

स्कूल से आने के बाद खाना खाकर सबसे पहले अपना स्कूल का काम पूरा करते और उसके बाद खेलने के लिए निकल जाते थे। यह हमारा रोज का काम था। हम सब मिलकर छुपा-छुपाई बहुत खेलते थे, जो कि हम सबको बहुत पसन्द था।

हमारे साथ में मेरे चाचा जी और पड़ोस में रहने वाली रोशनी नाम की लड़की भी खेलते थे, उनकी उम्र उस समय 18 साल के आस-पास थी।

चाचा मुझे हर रोज बोलते थे कि जहाँ पर मैं छुपूं, वहाँ पर किसी को भी नहीं छुपना है। चाचा हमेशा एक कमरे में ही छुपते थे। अगर हम उस कमरे में या उसकी तरफ़ छुपते तो हमें बहुत डांट पड़ती थी।

इसी डर के कारण हम उधर कभी भी नहीं छुपते थे।

एक दिन ऐसे ही खेलते हुए मैं उस कमरे के पास वाले कमरे में छुप गया, जिसमें चाचा छुपे हुए थे। मुझे उस कमरे से कुछ अजीब सी आवाजें सुनाई दीं। कुछ देर तो मैं खेल में पकड़े जाने के डर से चुपचाप छुपा रहा, लेकिन जब आवाज आनी बन्द नहीं हुई, तो मैंने उस कमरे में झाँक कर देखने की कोशिश की।

काफ़ी देर के बाद मुझे दीवार में एक होल मिला, जिसमें से मैं दूसरे कमरे में देख सकता था। जब मैंने दूसरे कमरे में देखा तो मैं कुछ समझ ही नहीं पाया कि ये हो क्या रहा है। इस वक्त तक मुझे सेक्स के बारे में कुछ भी पता नहीं था।

दूसरे कमरे में चाचा और रोशनी दोनों बिल्कुल नंगे थे। रोशनी ने अपने दोनों हाथ आगे दीवार पर टिका रखे थे और चाचा उसके पीछे अपनी लुल्ली डाल कर जोर-जोर से झटके मार रहे थे।

अपने से छोटे बच्चों को तो बहुत बार नंगा देखा था, लेकिन अपने से बड़े लड़के को और लड़की को नंगा पहली बार देख रहा था।

चाचा की लुल्ली बहुत बड़ी और मोटी थी और रोशनी की चूचियां भी बहुत बड़ी थीं.. जो चाचा के हर झटके के साथ झूल रही थीं।

रोशनी के मुँह से ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ करके तेज-तेज आवाज निकल रही थी और चाचा अपनी आँखें बन्द करके तेज-तेज धक्के मार रहे थे।

ऐसा लग रहा था कि दोनों ही इस दुनिया से दूर किसी दूसरी दुनिया में आनन्द के सागर में तैर रहे हों। चाचा अपने हाथ कभी रोशनी की कमर पर फ़िराते, तो कभी अपने हाथों से उसकी चूचियां दबाते और कभी दोनों हाथों से कमर को पकड़कर अपनी ओर खींचकर धक्के लगाते।

उनका यह खेल लगभग 15 मिनट तक चलता रहा। उसके बाद चाचा ने अपनी लुल्ली को एकदम से बाहर निकाला। लुल्ली के बाहर निकलते ही रोशनी भी एकदम से नीचे बैठ गई और लुल्ली को अपने हाथ में पकड़कर जोर-जोर से आगे-पीछे करने लगी।

मैं उनकी हरकतों को देख कर हैरान था कि वो ऐसा क्यों कर रहे हैं। मैं ये तो नहीं जानता था कि वो क्या कर रहे हैं, लेकिन उनकी हरकत देखकर और ऐसे छुप-छुप कर ऐसा काम करने से मुझे एक बात साफ़ थी कि वो जरूर कोई गलत काम कर रहे हैं।

रोशनी के द्वारा लगभग 2 मिनट लुल्ली को आगे-पीछे करने से उसमे सफ़ेद रंग का पानी निकलना शुरू हो गया, जो रोशनी की चूचियों पर और उसके मुँह पर गिरा। सफ़ेद पानी रोशनी के पूरे चेहरे और चूचियों पर फ़ैल गया था। वो दोनों एक-दूसरे को देखकर मुस्कुरा रहे थे। कुछ देर तक ऐसे ही चलता रहा। फ़िर चाचा ने अपने हाथ से उस पानी को रोशनी की चूचियों पर रगड़ दिया और फ़िर पास में पड़े कपड़े से सब साफ़ कर दिया।

वे दोनों एक-दूसरे को देख कर बहुत खुश नजर आ रहे थे। बीच-बीच में चाचा रोशनी के होंठों पर किस भी करते जा रहे थे। कपड़े से पोंछने का और किस करने का खेल काफ़ी देर तक चलता रहा। उसके बाद दोनों अलग हुए और अपने कपड़े पहनने लगे। कपड़े पहनने के बाद दोनों ने एक-दूसरे के होंठों पे एक लम्बा सा किस किया और कमरे से निकलने को हुए। मैं चुपचाप कोने में छुप गया ताकि उन दोनों को शक न हो पाए।

जब वे दोनों चले गए तो मैं भी चुपके से निकल कर दूसरी जगह पर छुप गया। इसके बाद हम एक घन्टे तक खेलते रहे। लेकिन मेरा ध्यान अब खेल में नहीं था। मेरे दिमाग में अब बस एक ही बात घूम रही थी कि दोनों आखिर कर क्या रहे थे।

रात को सोते वक्त भी दिमाग काबू में नहीं था, दूसरे दिन स्कूल में भी मन नहीं लग रहा था। उनका वही खेल दोबारा देखने का मन हो रहा था। सोच रहा था कि जल्दी से जल्दी छुट्टी हो जाए और उनका वही खेल दोबारा देखने को मिल जाए।

घर आकर मैंने और सुमन ने खाना खाया और स्कूल का काम करने बैठ गए। तभी मेरे दिमाग में एक ख्याल आया कि क्यों ना ये खेल सुमन को दिखाया जाए, शायद उसे इसके बारे में कुछ पता हो।

मैंने सुमन से कहा- सुमन मुझे तुझसे कुछ पूछना है।
सुमन- तो मैं क्या करूँ.. पूछना तुझे है तो इसमें मैं क्या कर सकती हूँ?
मैं- हाँ पूछना मुझे है.. पर पूछना तो तेरे से है ना।
सुमन- तो पूछ ना.. क्या पूछना है?

मैं- देख जब हम शाम को खेलते हैं.. तो चाचा और रोशनी भी हमारे साथ खेलते हैं।
सुमन- हाँ!
मैं- लेकिन तुने कभी ध्यान दिया है कि जब हम खेलना शुरू करते हैं.. वो दोनों तभी हमारे साथ होते है बस उसके बाद वो दोनों एक जगह छुप जाते हैं और आखिर में ही निकलते हैं।
सुमन- हाँ ये बात तो सही है। वो सिर्फ़ हमारे साथ खेलना शुरू करते हैं, पर खेलते नहीं हैं।

मैं- हाँ और जहाँ वो छुपते हैं, उन्हें वहाँ कोई ढूँढता भी नहीं है।
सुमन- हाँ क्योंकि चाचा ने उधर किसी को भी छिपने से मना किया है और अगर कोई उधर ढूँढने भी जाता है तो डांट पड़ती है। इसलिए उधर कोई जाता भी नहीं है।
मैं- क्या तू आज मेरे साथ चलेगी.. मुझे तेरे को कुछ दिखाना है।
सुमन- कहाँ पे चलना है?
मैं- वो मैं तुझे बता दूँगा, पर तू इस बारे में किसी से भी कुछ मत कहना।
सुमन- ठीक है नहीं कहूँगी।
मैं- तो फ़िर जल्दी से अपना काम पूरा कर.. फ़िर चलते हैं।

उसके बाद हम दोनों ने अपना स्कूल का काम पूरा किया और चाय पी कर घर पर खेलने का बोल कर चले गए और सीधे उसी कमरे में छुप गए, जिसमें पहले दिन मैं अकेला छुपा हुआ था।

सब बच्चे अपने खेल में मस्त थे, लेकिन हमें तो किसी और ही खेल का इन्तजार था।

लगभग 20 मिनट बाद वही हुआ, जिसका हमें इन्तजार था। हम खिड़की से छुप कर बाहर देख रहे थे। सब बच्चे इधर-उधर छिप रहे थे। तभी रोशनी भी आकर पास वाले कमरे में छिप गई, लेकिन चाचा नहीं आए। कुछ देर बाद मुझे खिड़की में से चाचा आते हुए दिखाई दिए। मैं और सुमन होल में से देखने लगे।

रोशनी जो पहले बैठी थी, चाचा के आते ही खड़ी हो गई। चाचा ने उसे अपनी बांहों में भर लिया। दोनों एक-दूसरे की बांहों में जकड़े हुए थे और एक-दूसरे के होंठों को बड़ी बेरहमी से किस करने में लगे हुए थे। हम दोनों चुपचाप उन दोनों का खेल देखने लगे।
चाचा ने रोशनी को कन्धों से पकड़कर घुमा कर उसका मुँह दीवार की ओर कर दिया। रोशनी को पीछे से पकड़कर चाचा उसकी चूचियों को दबाने लगे।

रोशनी के मुँह से दर्द भरी आवाज निकल रही थी, शायद चाचा चूचियों को जोर से दबा रहे थे। रोशनी ने भी अपने हाथ पीछे ले जाकर चाचा के लुल्ले को पकड़ लिया और जोर-जोर से दबाने लगी।

मैंने सुमन से पूछा- ये क्या कर रहे हैं?
उसने बताया- ये दोनों चुदाई कर रहे हैं।
मैंने पूछा- तुझे कैसे पता?
तो बोली- घर में रात को मम्मी-पापा को कई बार करते देखा है। पापा अपने लंड को मम्मी की चुत में डालकर धक्के लगाते थे और जब पापा के लंड से पानी निकल जाता तो दोनों सो जाते थे। ये सब करते वक्त मम्मी-पापा दोनों गन्दी-गन्दी बातें भी करते थे।
मैंने पूछा- ये लंड क्या होता है?
तो उसने बताया कि जिसे तुम लुल्ली बोल रहे हो, उसी को लंड बोलते हैं।

उधर उन दोनों का दबाने वाला काम ज्यादा देर नहीं चला। रोशनी ने चाचा की पैंट को खोलकर नीचे कर दिया और लंड को पकड़कर बाहर निकाल लिया। पहले उस पर किस किया और फ़िर लंड को आगे-पीछे करने लगी।

चाचा ने रोशनी की कमीज को पकड़कर निकाल दिया, उसने अन्दर ब्रा नहीं पहनी थी। फ़िर चाचा ने रोशनी को खड़ा किया और उसकी सलवार का नाड़ा पकड़कर खोल दिया और बाहर निकाल दिया। चाचा का लंड खड़ा हो चुका था और वो बहुत बड़ा लग रहा था।

चाचा वहीं पर रखे एक छोटे से स्टूल पर बैठ गए और पीछे दीवार से अपनी कमर को लगा लिया। रोशनी ने अपने दोनों पैरों को खोल लिया और चाचा के ऊपर आ गई। रोशनी ने अपनी चुत को उंगली से फ़ैला लिया और एक हाथ से लंड को पकड़कर चुत पर टिका लिया। फ़िर रोशनी चाचा के लंड पर धीरे-धीरे बैठने लगी। चाचा अपने दोनों हाथों से उसकी चूचियों को दबाने लगे। रोशनी ने मजे में अपनी आँखें बन्द कर लीं.. और छत की ओर देखते हुए धीरे-धीरे ऊपर-नीचे होने लगी।

रोशनी अपने हाथ से साथ-साथ अपनी चुत को भी सहला रही थी और वो अपने मुँह से ‘आह उइ..’ करके बहुत ही कामुक आवाजें निकाल रही थी। चाचा कभी चूचियों को मसलते तो कभी कमर को दबाने लगते।

इधर हमें भी उनको देख कर एक डर के साथ-साथ एक अन्जान सा मजा आने लगा था। मैं भी धीरे से सुमन को आगे करके उसके पीछे आ गया और सुमन की कमर को पकड़ लिया। सुमन ने मुझे पलट कर देखा और मेरी ओर मुस्कुरा कर वापिस से उनका खेल देखने लगी।

शायद सुमन की हालत भी मेरी जैसी ही थी। इधर मैं सुमन कि कमर को धीरे-धीरे दबा रहा था और उधर उनका खेल पूरे जोरों पर था। रोशनी बड़े जोश में चाचा के लंड पर कूद रही थी।

उधर वो अपनी चुदाई का भरपूर आनन्द ले रहे थे और इधर हम भी उनकी चुदाई का पूरा मजा ले रहे थे।

उनका ये खेल लगभग 10 मिनट तक चलता रहा। तभी रोशनी ने पहले से अपनी स्पीड बढ़ा दी और 8-10 धक्कों के बाद एकदम से रुक गई.. फिर उसने लंड को चुत से बाहर निकाल दिया।

शायद रोशनी का पानी निकल गया था.. क्योंकि चाचा के लंड पर पानी लगा हुआ था।

तभी चाचा भी स्टूल से उठ कर खड़े हो गए। रोशनी ने अपने घुटने नीचे टिका कर लंड को पकड़ लिया और अपने दोनों हाथों से जोर-जोर से लंड को आगे-पीछे करने लगी।

थोड़ी देर में जब चाचा का पानी निकलने को हुआ तो रोशनी ने लंड को अपने मुँह में ले लिया और लंड का सारा पानी अपने मुँह में लेकर पी गई।
यह हिंदी सेक्सी स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

चाचा ने रोशनी को पकड़कर खड़ा किया और अपने दोनों हाथों से उसके चेहरे को पकड़कर उसके होंठों को अपने होंठों में ले लिया और काफ़ी देर तक एक लम्बा सा किस किया और फ़िर अपनी पैन्ट को पहन लिया।

तब तक रोशनी भी अपनी सलवार पहन चुकी थी और जब वो कमीज पहनने लगी, तो मैंने सुमन को वहाँ से हटा कर धीरे से बाहर निकाल दिया और घर जाने को बोल दिया।

वो चुपचाप निकल घर की ओर चली गई।

जब रोशनी ने कपड़े पहन लिए तो पहले चाचा और उसके 2 मिनट बाद रोशनी भी बाहर चली गई। मैं काफ़ी देर वहीं पर छुपा रहा और काफ़ी देर बाद वहाँ से निकल कर घर चला गया।

तो दोस्तों ये थी मेरे चाचा और मेरे पड़ोस में रहने वाली रोशनी की चुदाई की कहानी.. जहाँ से मुझे चुदाई के बारे में पता चला।

इस कहानी की याद मुझे मेरी सुमन की याद के साथ आई तो सोचा आप दोस्तों के साथ बांट लूँ। ये कोई बनाई हुई चुदाई की कहानी नहीं है ये मेरे बचपन की हकीकत है और मैं हमेशा हकीकत में ही विश्वास करता हूँ.. इसलिए हकीकत ही लिखना भी पसन्द करता हूँ।

तो दोस्तों इस चुदाई की कहानी के लिए मुझे मेल करके जरूर बताना कि कहानी कैसी लगी। अगली सेक्स स्टोरी में मैं आपको अपने पहली चुदाई का अनुभव बताऊँगा, जो मेरा सुमन के साथ रहा।

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