बोरिंग दोपहर को रंगीन बनाया दो अंकल ने-2
(Boring Dopahar Ko Rangeen Banaya Do uncle ne- Part 2)
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मेरी सेक्स स्टोरी हिंदी में आपने पढ़ा कि सिनेमा हाल में मिले दो अंकल मेरे शरीर से खेलने के बाद मुझे अपने घर ले जाने की जिद करने लगे.
मैं डर रही थी.
तभी मुझे एक बात सूझी,
‘सुनील अंकल मैं तो आपके यहाँ नहीं आ सकती। पर क्या आप मेरे घर पर आ सकते हो?’ मैंने उनसे कहा।
‘पर बेटी, तुम्हारे घर वाले?’ उन्होंने पूछा।
‘मेरे चाचा चाची आज रात के लिए बाहर गये हुए हैं, कल शाम को लौटेंगे.’ मैंने जवाब दिया।
वो खुश होकर राजी हो गए।
आसिफ अंकल अपनी कार लेकर आ गये, हम सब कर मैं बैठ गए और मैं आसिफ अंकल को अपने घर का रास्ता बताने लगी। दो लोगों से एक साथ चुदने की मेरी ख्वाहिश अब सच होने जा रही थी.
रास्ते में हम तीनों बात करते रहे. अब हम तीनों एक दूसरे से पूरा घुल मिल गए थे, जैसे मानो कई साल की दोस्ती हो!
लगभग आधे घंटे बाद हम सब मेरे घर पहुंचे.
मैं उन दोनों को अपने घर के अंदर ले आई, आसिफ अंकल ने घर मैं आते ही मेन गेट को लॉक कर दिया.
मैं किचन में जाकर उनके लिए दो ग्लास पानी लेकर आ गई.
वो हॉल में अभी तक खड़े ही थे, मैंने उनको पानी दिया.
हॉल में ऐसी के वजह से बहुत ठंडक थी, मेरे गोल गोल कबूतरों की चोंच भी हवा की वजह से नुकीली हो गई थी.
आसिफ अंकल ने पीछे से अपना हाथ मेरे कंधों पे रख लिया, मैं बस अपनी नजरें झुकाकर खड़ी रही.
तभी सुनील अंकल ने मेरे आगे आकर अपना हाथ मेरी कमर पर रख दिया.
एक नाजुक सी जवान लड़कीदो मजबूत सांडों के बीच में फंसी थी, यह बात और है कि वो लड़की खुद ये चाहती थी.
‘जानेमन थिएटर में लिए मजे के बदले में हमें क्या मिलेगा?’ आसिफ अंकल ने पूछा।
मैं तो वैसे भी बहुत चुदासी हो चुकी थी, मैं बोली- जो आपको चाहिए अंकल, आप मांग के तो देखो!
मेरी तरफ से ग्रीन सिग्नल पाकर आसिफ अंकल ने मेरा मुँह उनकी तरफ घूमते हुए मेरे होंठों पे अपने होंठ रख दिए, उनके बड़े होंठों का स्पर्श होते ही मेरी आँखें बंद हो गई और मेरे होंठ अपने आप ही खुल गए।
आसिफ अंकल ने अपने होंठों का दबाव बढ़ाते हुए अपनी जीभ मेरे गुलाबी होंठों में घुसा दी। वो अपने अनुभव का पूरा इस्तमाल करते हुए मेरे होंठों को चूस रहे थे।
उधर सुनील अंकल ने अपना हाथ कमर से ऊपर सरकना शुरू कर दिया और उनका हाथ मेरी टीशर्ट पे मेरी चूचियों पे आकर के रुक गया, मेरी मुँह से आअह्ह्ह्ह निकल गई। मैं भी अब गर्म होने लगी थी, मेरी डिज़ाइनर पैंटी अब मेरी चूत के रस से पूरी गीली हो गई थी। सुनील अंकल अब मेरी पतली टीशर्ट और मुलायम ब्रा के ऊपर से ही मेरे दोनों कड़े मम्मों को दबाने लगे। मैंने अपने दोनों हाथ उनके कन्धों पे रख दिए, अब उन्होंने मेरा टीशर्ट को ऊपर उठाना शुरू कर दिया और मेरी ब्रा को भी ऊपर खींच दिया। मेरे गोरे स्तन अब आजाद हो गए थे और सुनील अंकल उनके साथ खेल रहे थे। वो कभी मेरे मम्मों को जोर से दबाते तो कभी मेरे निप्पल्स को उंगलियों में पकड़ क़र जोर से खींचते।
आसिफ अंकल ने अपने हाथ मेरे कंधों पे से हटा दिए और मेरी टीशर्ट को पकड़ लिया, फिर किस रोकते हुए उन्होंने मेरी टीशर्ट को ऊपर खींचना चालू कर दिया, मैंने भी अपने हाथ ऊपर करके टीशर्ट उतारने में उनकी मदद की।
फिर उन्होंने पीछे से मेरी ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा को उतार कर नीचे फेंक दिया।
आगे से सुनील अंकल ने झुक कर मेरा एक निप्पल अपने मुँह में लिया और चूसने लगे, मैंने अपने दोनों हाथ उनके सिर पर रखे और उनके बालों में हाथ घुमाने लगी। आसिफ अंकल ने फिर से मेरा मुँह उनकी तरफ घुमाया और अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए, वो कभी मेरा निचला होंठ चूसते तो कभी ऊपर का… उनका हाथ भी मेरे गोरे नंगे पेट पर चल रहा था।
सुनील अंकल मेरी दोनों मम्मों को बारी बारी बड़े प्यार से चूस रहे थे।
थोड़ी देर बाद आसिफ अंकल ने किस करना छोड़ दिया और अपने घुटनों के बल बैठ गए। उन्होंने अपनी उंगलियाँ मेरी स्कर्ट की इलास्टिक में डाल दी और मेरी स्कर्ट को मेरी पैंटी के साथ नीचे
खींचा।
मैंने भी पैर उठा के स्कर्ट को पैरों में से निकाल दिया, अब उनके सामने मेरी गोल गोल गांड थी। वो अब मेरी गांड पर हाथ फेरने लगे, चूमने लगे। मैंने मजे से एक हाथ से सुनील अंकल के
सिर को अपने चूची पर दबाया, तो एक हाथसे आसिफ अंकल के बालोको सहला रही थी।
फिर दोनों अंकल मुझसे कुछ दूर खड़े हो गए और अपने कपड़े निकालने लगे। उन्होंने अपनी टीशर्ट निकाली, मैं तो बस देखती ही रह गई। दोनों का शरीर कसरती था, सुनील अंकल थोड़े गोरे तो आसिफ अंकल साँवले से थे, उनकी छाती पे बहुत सारे बाल थे।
उन दोनों ने अपनी जीन्स भी उतारी, उनके अंडर गारमेंट्स में बड़ा सा टेंट बना हुआ था। उन्होंने देर न करते हुए अपनी अंडर गारमेंट्स भी उतार दी और पूरे नंगे हो गए।
मुझे उनको देख कर बड़ी शर्म आ रही थी पहली बार मैं दो आदमियों के सामने नंगी खड़ी थी और उं दो आदमियों को नंगा देख रही थी, उन दोनों के लंड मेरे बॉयफ्रैंड्स से बहुत बड़े थे। उनके लंड को देखकर अब मुझे डर लगने लगा था।
तभी वो दोनों फिर से मेरे पास आ गये और दोनों तरफ से मुझे भींच लिया, आसिफ अंकल पीछे से मेरे चूचियों को दबा रहे थे, उनका लंड पीछे से मेरी पीठ में चुभ रहा था।
सुनील अंकल ने मेरा हाथ पकड़कर अपने लंड पर रख दिया और नीचे झुक कर मुझे किस करने लगे। उनकी मूंछें एक अलग ही गुदगुदी करने लगी थी।
मैं भी अपने हाथों से उनके लंड पर मूठ मारने लगी। धीरे धीरे मेरा डर खत्म हो गया और मैं मजे लेने लगी.
तभी आसिफ अंकल के मोबाइल की रिंग बजी और वो फोन लेकर बात करने के लिए किचन में चले गए।
सुनील अंकल ने मुझे पीछे धकेलते हुए मुझे सिंगल सोफ़ा चेयर पे बिठा दिया। उन्होंने मुझे थोड़ा नीचे खींचा और मेरी चूत को सोफ़ा सीट के कोने पर ला दिया। मेरी कमसिन चूत को देखकर उनके
मुँह में पानी आने लगा था, मेरी चूत की पिंक मुलायम पंखुड़ियाँ उनको आकर्षित करने लगी थी।
पानी छोड़कर गीले हुए मेरी चूत के होंठों के बीच में ऊपर के कोने में चेरी के आकार का चूत का दाना बहुत ही मस्त लग रहा था।
सुनील अंकल ने मेरे पैर को फैलाते हुए पकड़ कर कुर्सी के हैंडल्स पे रखे और नीचे बैठ गए।
फिर नीचे झुक कर मेरे चूत के होंठों पर एक चुम्बन जड़ दिया और अपनी जीभ को नुकीला करके चूत की दरार के बीच नीचे से ऊपर की तरफ घूमने लगे। फिर अपने दोनों हाथों की उंगलियों से मेरी चूत की पंखुडियों को हल्के से खोलते हुए अपनी जीभ अंदर घुसा दी। मेरी कमर एक झटका खा कर ऊपर की तरफ उछली।
सुनील अंकल अपनी जीभ मेरी चूत में घुसा कर मेरी चूत की चुदाई कर रहे थे, चूत से निकल रहा पानी चाट चाट कर पी रहे थे। बीच में अपनी जीभ ऊपर की ओर ले जाकर के मेरे दाने को चाट रहे थे तो कभी दाने को दांतों में पकड़ कर प्यार से काट भी रहे थे। मैं उनके हर वार पर सिसकारियाँ निकाल रही थी।
आसिफ अंकल अपना कॉल खत्म करके हॉल में आ गए और दूर से ही हमारा खेल देखने लगे थे। मैंने अपनी नशीली आँखों से उनकी तरफ देखा तो वो मुझे देख कर मुस्कुराने लगे।
मैंने अपने होंठों को दांतों तले दबाते हुए उन्हें उंगलियों से मेरे पास आने का इशारा किया, पर उन्होंने ना में सर हिलाया और हमारे पास ही दूसरे सोफे पे बैठते हुए लाइव ब्लू फिल्म का मजा लेने लगे।
तभी सुनील अंकल ने जीभ के साथ ही अपने दायें हाथ की उंगली को नीचे से मेरी चूत में डाल दिया और मेरी चूत पर दो तरफा हमला करना शुरू कर दिया।
जीभ से चाटते समय वो अपनी उंगली को मेरी चूत में अंदर बाहर करने लगे। उनके हर एक्शन से मैं और चुदासी हो रही थी और मैं कुर्सी पे तड़प रही थी- मत तड़पाओ न अंकल… अब सहन नहीं हो रहा… कुछ करो ना अंकल…
मैं बड़बड़ाने लगी!
मुझे और सताने के लिए सुनील अंकल ने अपना मुँह मेरी चूत से हटाते हुए पूछा- क्या सहन नहीं हो रहा? तकलीफ हो रही है क्या… बंद करूं क्या… क्या करूं तुमको मैं… ठीक से बताओ ना… प्लीज…
उनके बोलने का आशय समझ कर भी मैं शर्म के मारे खुल कर नहीं बोल पा रही थी- क्यों सता रहे हो अंकल… जो उंगली से कर रहे हो, वैसे ही करो ना आपके उससे…
पर सुनील अंकल मेरे मुँह से सुने बिना कहाँ मानने वाले थे- मेरे किस से? और क्या करना है? मुझे समझ में नहीं आ रहा… तुम ठीक से बोलोगी नहीं तो मैं कुछ भी कर नहीं सकता!
‘उफ़… अंकल… प्लीज आपका वो ल..ल…लंड… वो… डाल दो ना मेरी चूत में… मुझे सहन नहीं हो रहा!’ मैंने सीधे सीधे बोल दिया।
उधर आसिफ अंकल मेरी बात सुनकर जोर से मुस्कुराने लगे, मैंने उनकी तरफ देखा तो वो अपना मुसल जैसा लंड हिला रहे थे और हम दोनों की चुदाई देख रहे थे।
उनके हंसने से मैं और शर्मा गई, मेरे गाल अब लाल हो गए थे।
सुनील अंकल ने अपना मुँह मेरी चूत पर से हटा लिया और मेरे पैरों के बीच घुटनों के बल बैठ गए। थोड़ा आगे झुकते हुए उन्होंने अपने लंड का सुपारा मेरी चूत की दरार पे सेट कर दिया फिर मेरी जाँघों को पकड़ते हुए अपनी कमर से हल्का सा धक्का दिया। मेरी पानी छोड़ती बुर ने वो हल्का सा धक्का सहन कर लिया और अंकल का आधा लंड अंदर घुस गया लेकिन अब मुझे मेरी चूत के अंदर तनाव महसूस होने लगा था- अंकल… जरा धीरे करो… आप का लंड बहुत बड़ा है, तकलीफ होगी!
मैं इतना बोल पाती, तभी उन्होंने अपनी कमर पीछे की और ले जाते हुए एक जोर का धक्का दिया, दर्द की तेज लहर मेरी चूत से होते हुए मेरी दिमाग तक पहुंची ‘उउउउई… माँअ…’ मेरी तेज चीख निकल गई।
खिड़की, दरवाजे बंद होने की वजहसे मेरी आवाज घर के बाहर नहीं गई। सुनील अंकल भी मेरी चीख सुनकर शॉक हो गए।
मैं उनके सामने तड़प रही थी और मेरी आँखों से आंसू निकलने लगे थे। सुनील अंकल का बड़ा सा लंड मेरी टाइट बूर को चीरता हुआ मेरी बच्चेदानी तक पहुँच गया था।
सुनील अंकल थोड़ी देर वैसे ही रुके रहे, फिर थोड़ी देर बाद आगे झुकते हुए मेरी एक चूची को चूसने लगे और दूसरी को सहलाने लगे। मेरी चूत में गहराई में धंसे हुए लंड को उन्होंने वैसे ही रखा था। बीच बीच मैं वो मेरे निप्पल को मुँह में से निकालते और मेरे होंठों को चूसते।
‘सॉरी जानेमन… मुझे लगा तुम बहुत खेली हुई हो… इसलिए जोर से धक्का दिया… पर अब तुम जैसा बोलोगी वैसा ही मैं करूँगा!’ वो मुझे समझाते हुए बोले।
तभी आसिफ अंकल भी उन्हें डांटने लगे।
सुनील अंकल फिर से मेरे निप्पल चूसने लगे, बहुत देर लंड वैसे ही रखने के वजह से मेरी चूत अब उनके लंड के आकार को अपनाने लगी थी। मेरी दर्द की जगह फिर से वासना ने ले ली थी.
सुनील अंकल जरा पीछे हुए तो उनका लंड मेरी चूत के बाहर निकला। मुझे मेरी चूत में नई बनी हुई जगह में वैक्यूम बनता महसूस हुआ मैंने अपनी टांगों से उनकी कमर को भींच लिया और अपने
करीब खींचने का प्रयास करने लगी।
सुनील अंकल अब धीरे धीरे अपना लंड अंदर बाहर करने लगे। उनका लंड धीरे धीरे से मेरी टाइट चूत में जगह बनाने लगा, हर धक्के के साथ उनका लंड मेरी बच्चेदानी को टकरा जाता था।
मेरी चूत भी अब खुल गई थी, मैं उनके हर धक्के का जवाब नीचे से अपनी कमर उठा के दे रही थी।
उन्होंने अब अपनी स्पीड बढ़ा दी थी। एक हाथ से मेरी चूची को पकड़े हुए वो तेजी से धक्के दे के मेरी चूत की चुदाई कर रहे थे। उनके हर धक्के के साथ मैं उछल रही थी, प्यार और दर्द का
अनुभव मुझे एक साथ हो रहा था।
उस दर्द मैं भी बहुत सुकून था उनके हर धक्के के साथ मैं सिसकारियाँ ले रही थी- आह… आह उम्म्ह… अहह… हय… याह… फ़क मी… फ़क मी हार्ड… सुनील… आह!
सुनील अंकल भी कहाँ पीछे रहने वाले थे, उनको भी मेरी टाइट चूत मारने में मजा आ रहा था। मेरी चूत उनके लंड को भींच रही थी, वो मेरी चूत में दनादन धक्के दे रहे थे।
वो करीब आधे घंटे से मेरी चूत का कचूमर बना रहे थे, इस आधे घंटे में मैं चार बार झड़ गई थी, मेरी चूत से रस की नदियाँ बह रही थी।
जब सुनील अंकल को लगा कि उनका अब होने वाला है तो उन्होंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी- नीतू मेरा अब होने वाला है… कहाँ चाहिए तुम्हें मेरा पानी… अंदर निकालूं या बाहर?
मैं भी वासना की आगोश में डूबी हुई थी- अंदर ही छोड़ दो अंकल… बहुत प्यासी है मेरी चुत… भीगा दो मेरी चूत को आपके रंग से…
अब अंकल पागलों की तरह मेरी चूत को चोदने लगे। बीस पच्चीस धक्कों के बाद उन्होंने अपना लंड मेरी चूत की गहराई में डाल दिया और झड़ने लगे। उनके गर्म गर्म वीर्य मेरी चूत को अजीब सा
सुकून दे रहा था। मेरी चूत ने भी उसी समय फिर से झड़ गई।
हम दोनों शांत होकर अपना और्गास्म एन्जॉय कर रहे थे।
अंकल थक कर मेरी ऊपर गिर गए और मेरी छाती पर सर रख कर हाँफने लगे। उसी समय उनका लंड मेरी चूत से बाहर निकल गया। लाइफ में पहली बार इतनी देर चुदने के बाद मैं मिले हुए सुख को महसूस करते हुए आँखें बंद करके उनके बालों में हाथ फेर रही थी।
मेरी चूत से हम दोनों का पानी नीचे बहकर कुर्सी के कुशन को भिगो रहा था।
थोड़े देर के बाद अंकल मेरे ऊपर से उठ कर फ्रेश होने बाथरूम चले गए। मैंने आँखें खोल कर देखा तो आसिफ अंकल मेरी चूत से टपकते पानी को देखते हुए मुठ मार रहे थे।
फिर मेरी नजर आपस में मिली तो हम दोनों मुस्कुरा दिए।
तभी सुनील अंकल बाथरूम से बाहर आ गए और सीधे बेड पर जाकर सो गये, मैं भी उठकर बाथरूम चली गई। बाथरूम में जाकर मैंने अपनी चूत को ठीक से साफ़ किया, फिर हाथ मुँह धोकर बाहर आ गई।
मेरी सेक्स स्टोरी हिंदी में जारी रहेगी.
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