बोरिंग दोपहर को रंगीन बनाया दो अंकल ने-1
(Boring Dopahar Ko Rangeen Banaya Do uncle ne- Part 1)
This story is part of a series:
-
keyboard_arrow_right बोरिंग दोपहर को रंगीन बनाया दो अंकल ने-2
-
View all stories in series
नमस्ते दोस्तो, मैं नीतू पाटिल फिर से आई हूँ मेरी सेक्स स्टोरी हिंदी में लेकर!
मेरी पिछली सारी कहानियों को पढ़ने और पसंद करने के लिए धन्यवाद। आपके ढेर सारे मेल्स मुझे नई नई कहानी लिखने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। आप मेरी सभी कहानियाँ ऊपर मेरे नाम पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं।
मैं अपने माँ पापा की इकलौती संतान हूँ, मेरे पापा का गांव में खुद का बहुत बड़ा बिज़नस है और मेरे चाचा का भी शहर में बिज़नस था जिसे चाचा और चाची दोनों मिलकर संभालते हैं। मेरे चाचा चाची की कोई संतान नहीं है तो वो दोनों भी मुझे अपनी बेटी की तरह ही प्यार करते हैं। अकेली संतान होने से मेरी परवरिश बहुत ही लाड प्यार से हुई थी, किसी बात की पाबंदी नहीं थी। कॉलेज लाइफ में भी मैं एकदम बिंदास थी और मेरे 1-2 अफेयर्स भी हुए थे।
मेरी हाइट 5’4″ है, रंग गोरा है, आँखें नशीली हैं, गुलाबी उभरे हुए गाल है, मखमली होंठ है, मेरे बाल लंबे हैं, लंबी नुकीली नाक है, छाती 34 की कमर 28 और नितम्ब 35 के हैं।
मैं अपनी कमर में एक चांदी की चैन पहनती हूँ, पैरों में पायल और नाक में छोटी सी नथ पहनती हूँ।
हाल ही में मैंने अपने बारहवीं के एग्जाम दिए थे और आगे बहुत लंबी छुट्टी थी। अप्रैल महीना ख़त्म होने को था, और अपने चाचा के पास शहर में जाने के लिए तैयारी कर रही थी। हर बार की तरह इस बार भी मैं स्कूल की छुट्टियों में अपने चाचा के यहाँ जा रही थी।
मेरे चाचा का शहर से बाहर बहुत बड़ा घर था जिसमें जिम, स्विमिंग पूल सब सुविधा है, मुझे वहाँ रहना बहुत अच्छा लगता है।
मैं सुबह ट्रेन से निकली और रात को अपने चाचा के घर पहुँच गई। हर बार की तरह चाचा और चाची ने मेरा स्वागत किया, मुझे शहर घुमाया और बहुत सारी शॉपिंग भी कराई। मैं और चाची पार्लर में भी जाकर आये और वैक्सिंग, फेशीयल, पेडीक्योर करवाया.
चार पांच दिन के बाद मेरे चाचा और चाची को बिज़नस के सिलसिले में अचानक देश के बाहर जाना पड़ा। मैं घर में अकेली कैसे रहूंगी, उनको चिंता होने लगी थी। पर मैंने उनको विश्वास दिलाया कि बस 2 दिन की ही तो बात है। मैं अकेली रह लूंगी, तो वो जाने को तैयार हो गए।
वो बुधवार को सुबह के प्लेन से निकल गए। उनके जाने के बाद मैंने गार्डन में थोड़ी देर वक्त गुजारा, फिर थोड़ी देर किताब पढ़ी, टीवी देखा। फिर खाना खाने के बाद अपने चाची की साड़ी
पहन कर देखी, पर मेरा मन किसी में भी नहीं लग रहा था।
फिर मैंने सोचा क्यों न एक फिल्म देखी जाए तो मैं फट से रेडी होके थिएटर पहुंची। दोपहर के चार बजे का शो था। एक तो बुधवार ऊपर से फिल्म इंग्लिश में थी, इसलिए भीड़ बहुत कम थी।
मुश्किल से 10% सीट्स ही भरी थी। उनमें भी दो कपल्स थे जो आगे की कॉर्नर सीट पर चले गए। मैं अकेली एकदम लास्ट के लाइन में बैठ गई।
मैंने उस दिन घुटनों तक लॉन्ग स्कर्ट पहनी थी और ऊपर एक स्लीवलेस लूज़ टीशर्ट पहनी हुई थी। मैं फिल्म देखने लगी।
दोनों कपल्स अपने काम में व्यस्त थे।
आधे घंटे के बाद दो लोग मुझे मेरी ओर आते हुए दिखे। मैं थोड़ा डर गई पर चेहरे पर कुछ महसूस नहीं होने दिया।
फिर एक अजीब बात हुई, वो दोनों में से एक मेरी दाई साइड में तो दूसरा मेरी बाई साइड मैं बैठ गया। मैं तो अंदर से बहुत डरी हुई थी। मेरे मन में ख्याल आया कि झट से उठ कर बाहर चली
जाऊँ लेकिन सोचा पब्लिक प्लेस में वो कुछ गलत नहीं कर सकते।
तो मैं फिल्म देखने लग गई।
दोनों दिखने में अच्छे थे, बॉडी बिल्डर लगते थे। लगभग 35-40 के आसपास दोनों की उम्र होगी, दोनों ने जीन्स और टीशर्ट पहनी हुई थी।
मैं बिना डरे अपने दोनों हाथ कुर्सी पे रख कर बैठी।
थोड़ी देर के बाद दाईं तरफ मेरे हाथ पर किसी ने हाथ रखा। मेरी तो जैसे सांस ही रुक गई।
‘ओह सॉरी…’ उस अंकल ने कहा और अपना हाथ मेरे हाथ पर से हटा दिया।
‘इट्स ओके!’ मैंने कहा, मैं ना डरने का नाटक कर रही थी पर अंदर से बहुत डरी हुई थी।
थोड़ी देर बाद फिर से उसका हाथ मेरे हाथ से टच हुआ। पर इस बार उन्होंने अपना हाथ पीछे नहीं लिया और वैसे ही रहने दिया। मेरी साँस बहुत तेज चल रही थी। और हाथ को पसीना भी आ रहा
था, पर मैं न डरने का नाटक करती रही।
मेरी और से कुछ रिस्पांस न पाकर फिर उस अंकल ने अपना पूरा हाथ मेरे हाथ से सटा लिया और अपना हाथ मेरे हाथ पे हल्के से घिसने लगे।
थोड़ी देर बाद मुझे मेरे दूसरे हाथ पर भी किसी के हाथ का टच महसूस हुआ। शायद दोनों ने इशारों से एक दूसरे को बताया होगा।
मुझे बहुत अजीब लग रहा था, दोनों मेरे चाचा की उम्र के थे और मेरे साथ अजीब हरकत कर रहे थे।
फिर दाईं तरफ बैठे अंकल ने अपना बायाँ हाथ उठाया और मेरे कुर्सी के पीछे वाले हिस्से पे रख लिया, फिर धीरे से मेरे बायें कंधे को टच किया।
तेज डर की एक लहर मेरे दिमाग से मेरे पैरों तक दौड़ गई।
इतने में फिल्म का इंटरवल हुआ और वो दोनों अंकल उठ के बाहर चले गए, मुझसे सदमे से उठा भी नहीं जा रहा था।
ऐसा नहीं की किसी ने मुझे पहले टच नहीं किया था। पर दो अंजान लोगों के साथ किसी अनजान जगह पर मेरे साथ लाइफ में पहली बार हो रहा था।
मैंने थिएटर में नजर दौड़ाई तो सिर्फ दो कपल ही थे, वो भी किसिंग में बिजी थे। मैंने भी अपने बॉयफ्रेंड के साथ बहुत दिन हुए सेक्स नहीं किया था तो मेरे मन में भी हलचल पैदा होने लगी थी।
‘चल नीतू घर चल!’ मेरा दिल मुझे बोलता।
‘रुक जा नीतू, पब्लिक प्लेस है। वो दोनों थोड़े ही तुझे नुकसान पहुँचाएंगे। थोड़े मजे ले ले!’ तभी दूसरा मन कहता।
इतने में इंटरवल खत्म हो गया और लाइट बुझ गई।
थोड़ी देर बाद एक अंकल अंदर आये और मुझे चेक किया। मैं वहीं बैठी हूँ, जान कर फिर बाहर गये और दो मिनट बाद दोनों वापस आये और पहली वाली जगह पर बैठ गए।
मेरे रुकने से उनकी हिम्मत बढ़ गई थी और अपनी जगह बैठते ही दोनों ने अपने अपने हाथ मेरे हाथों पे रखे और सहलाने लगे।
मैं जरूर अपनी मर्जी से रुकी थी लेकिन मेरे होंठ अब सूखने लगे थे, मेरे मन में अजीब सी उथल पुथल हो रही थी, मुझे देखना था कि वो दोनों और कितने आगे बढ़ सकते हैं।
फिर एक बार दाईं साइड में बैठे हुए अंकल ने अपना हाथ कुर्सी के पीछे से मेरे बाये कंधे के पास रखा और फिर मेरे स्लीवलेस कंधे को टच करने लगे। थोड़ी देर बाद वो अपना पूरा हाथ मेरे कंधे पर रखा, उनका मर्दाना हाथ मेरे नाजुक कंधे को दबोच रहा था, सहला रहा था।
बाईं साइड के अंकल ने भी हिम्मत करके अपना दायाँ हाथ मेरे हाथ से उठाकर मेरे जांघ पर रखा और हल्का सा दबा दिया।
मुझे यों लगा कि मेरे पैरों से जान निकल गई हो.
फिर वो धीरे धीरे मेरे जांघ को मेरे स्कर्ट के ऊपर से सहलाने लगे। मेरे दूसरी साइड में बैठे हुए अंकल भी कहाँ पीछे रहने वाले थे, उन्होंने भी अपना हाथ मेरे कंधे से सरका कर मेरे दाईं चूची पर रख दिया और हल्के से दबा दिया।
मेरे मुंह से ‘आहह…’ निकल गई, जिंदगी में पहली बार मुझसे दुगने उम्र वाला आदमी मेरी चूची दबा रहा था। मेरे निप्पल अब खड़े होने लगे थे। वो अब मेरे निप्पल कपड़ों के ऊपर से फील कर सकते थे।
उसने मेरे निप्पल को अपने अंगूठे से छेड़ा। मैंने उत्तेजना में अपने दोनों हाथों से जोर से कुर्सी को पकड़ लिया और अपनी आँखें बंद कर ली।
उनका मेरे बदन को सहलाना बदस्तूर जारी था।
थोड़ी देर बाद उन्होंने अपना हाथ मेरे टीशर्ट के गले से अंदर घुसा कर ब्रा के अंदर डाल दिया और मेरी कड़क चूची को दबाने लगे। उधर दूसरे अंकल मेरी दोनों जांघों को सहला रहे थे, कभी कभी उनका हाथ मेरी चुत के बहुत नजदीक चला जाता।
मेरी साँस तेजी से चलने लगी थी और मेरी चुत अब गीली होने लगी थी।
फिर दायें वाले अंकल ने अपना दूसरा हाथ कपड़ों के ऊपर से ही मेरी चूची पर रख दिया, अब वो दोनों हाथ से मेरी दोनों चूची को दबा रहे थे।
तो दूसरे अंकल ने भी अपना हाथ नीचे से मेरी टीशर्ट के अंदर डाल दिया और मेरा पेट को सहलाने लगे।
मैं जैसे आसमान में उड़ने लगी थी, मैंने अपना सर पीछे चेयर पे टिका कर आँखें बंद करके मजा लेने लगी थी।
दाईं तरफ बैठे अंकल ने भी अपना हाथ नीचे से मेरी टीशर्ट में ब्रा के अंदर डाल दिया और वो मेरी दोनों चूचियों को एक साथ सहलाने लगे। वो कभी मेरी चूची को दबाते कभी मेरे निप्पल को उंगली से छेड़ते।
तभी दूसरे अंकल ने मेरा पैर पकड़ के सामने वाले कुर्सी पे रखा और धीरे धीरे मेरी पूरी टांग को सहला रहे थे।
मुझे इस स्पेशल ट्रीटमेंट पर बहुत मजा आ रहा था।
फिर अंकल अपना हाथ मेरे घुटनों तक ले गए और मेरे स्कर्ट को धीरे धीरे ऊपर सरकने लगे। उन्होंने स्कर्ट ऊपर सरका दी और मेरी नंगी जाँघों पर हाथ घुमाने लगे। फिर धीरे धीरे उन्होंने मेरा स्कर्ट जांघों में ऊपर चूत तक ऊपर सरका दिया तो मेरी जांघें फिल्म की हल्की रोशनी से चमकने लगी।
दाईं तरफ के अंकल ने भी अपना हाथ मेरी टीशर्ट से निकाल दिया और मेरी नंगी जांघ को सहलाने लगे।
अब आलम यह था कि वो दोनों अंकल लगभग खाली थिएटर में एक हाथ से मेरी नंगी जांघें सहला रहे थे और दूसरे हाथ से मेरी एक एक चूची पकड़ के सहला रहे थे।
मेरे दिमाग ने अब काम करना बंद कर दिया था, वासना अब मुझ पे हावी होने लगी थी, वो जो करना चाहते थे, मैं उन्हें करने दे रही थी।
तभी एक अंकल ने पीछे से हाथ डालकर मेरी ब्रा का हुक खोल दिया और सामने से मेरी टीशर्ट और ब्रा को मेरे गले तक ऊपर सरका दिया तो मेरी दोनों चूचियाँ दोनों के सामने नंगी हो गई।
मैंने अनजाने में मेरा हाथ उनकी जांघ पर रख दिया। वो दोनों मेरी नंगी चूचियों को देखने में व्यस्त थे।
फिर एक अंकल नीचे झुके और मेरे एक निप्पल को अपने मुंह में लिया, मेरे मुंह से ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ निकल गई।
उधर दूसरे अंकल ने अपनी जीन्स की ज़िप नीचे करके अपना लंड पैंट से बाहर निकाल लिया और मेरा हाथ पकड़ के अपने लंड पे रखा।
मैंने शॉक से अपनी आँखें खोली तो मुझे मेरा हाथ उनके लंड पे दिखा। मैंने झट से अपना हाथ पीछे खींच लिया और शर्मा कर फिर से अपनी आँखें बंद कर दी। उन्होंने फिर से मेरा हाथ पकड़ के उनके लंड पर रखा। इस बार मैंने अपना हाथ नहीं हटाया, बस लंड के ऊपर रहने दिया।
फिर दाईं तरफ के अंकल ने अपना मुंह मेरे निप्पल से हटा लिया, तो ए सी की ठंडी हवा मेरे गीले निप्पल को छूने लगी। उसकी वजह से मेरे निप्पल और कड़क हो गए।
उन्होंने अपना हाथ मेरे चेहरे पे रखा और मेरा सिर अपनी तरफ घुमाया। वो धीरे धीरे अपने होंठ मेरे होंठों के पास लाने लगे, मुझे मेरे होंठों पे उनकी गर्म साँस महसूस होने लगी।
उनके होंठ मेरे होंठों से छू गये तो मैंने शर्मा के अपना मुंह दूसरी तरफ फेर लिया।
वो मेरे गले को किस करने लगे, धीरे धीरे गाल पे और कान पे किस करने लगे। मैं मजे से मेरे सिर को इधर उधर घुमाने लगी।
उन्होंने फिर अपनी किस रोक दी और अपना लंड अपनी पैंट से बाहर निकाल कर मेरा दूसरा हाथ अपने लंड पर रख दिया।
तभी दूसरे अंकल ने नीचे झुक कर मेरा एक निप्पल को अपने मुंह में लिया और पहले अंकल ने मेरा दूसरा निप्पल अपने मुंह में डाला।
मैंने उत्तेजित होकर उन दोनों के लंड को अपने हाथों में भीच लिया। वो दोनों अपनी अपनी स्पीड से मेरी गोरी चूचियों का रस पी रहे थे। कभी कोई मेरी चूची को चूसता, तो कोई दांतों से हल्के से काटता, तो कोई अपनी जीभ से मेरे निप्पल को छेड़ता।
मैं जैसे वासना के समंदर में गोते खा रही थी, मेरे हाथों की पकड़ उनके लंड पर बढ़ने लगी थी।
तभी एक अंकल ने अपना हाथ मेरी स्कर्ट के अंदर डालकर मेरी चुत को दबा दिया। मैंने अपना हाथ उनके लंड पर से निकालकर मेरी चुत की तरफ बढ़ रहे हाथ पर रख दिया लेकिन उन्होंने फिर से
मेरा हाथ अपने लंड पर रख दिया, और अपना हाथ मेरी पैंटी के अंदर में डालकर मेरी चुत के दाने को छेड़ने लगे।
तो दूसरे अंकल भी अपनी 2 उंगलियाँ मेरी चुत में डालकर अंदर बाहर करने लगे।
मेरे मुंह से दबी दबी चीत्कार निकलने लगी थी। वो दोनों मेरी एक एक चूची को चूस रहे थे और एक हाथ से मेरी चुत को छेड़ रहे थे। मैं भी जोश मैं अपनी गांड उठा के उनका साथ देने लगी थी।
उनकी हरकतों से मेरी चुत का बांध टूटा और मैं ‘आह… उम्म… हाह’ करके जोर से झड़ गई। मेरी झड़ने की तीव्रता इतनी थी कि जैसे मुझे चक्कर ही आ गया।
दो मिनट बाद मुझे होश आया तो देखा की वो अब भी मेरी चूची चूस रहे थे।
‘ये मैंने क्या कर दिया!’ मैंने अपने आप से कहा। झड़ने के बाद अब वासना की जगह अपराध भावना ने ले ली थी।
‘अब बस हो गया!’ मैंने अपने हाथों से उनके सर को अपनी चूची पे से उठाते हुए कहा।
‘तेरा तो हो गया, हमारा क्या होगा जानेमन!’ एक अंकल ने कहा।
‘थिएटर में इतना ही हो सकता है।’ मैंने अपनी ब्रा का हुक लगाते हुए कहा।
उन्होंने भी मेरी बात को मान लिया और अपने कपड़े ठीक करने लगे। मैंने भी अपने कपड़े ठीक किये।
थोड़ी देर बाद फिल्म खत्म हो गई और हम तीनों थिएटर के बाहर आ गए।
तभी मैंने पहली बार दोनों को रोशनी में ठीक से देखा। दोनों बहुत हैण्डसम लग रहे थे, हाइट लगभग 6 फीट, चौड़ी छाती, मजबूत कंधे… दोनों को देख कर मेरे मन में फिर से हलचल होने लगी थी।
‘तुम्हारा नाम क्या है बेटी?’ एक ने कहा।
‘न… नीतू, नीतू नाम है मेरा!’ मैंने जवाब दिया।
‘मेरा नाम सुनील है, और ये आसिफ है!’ उन्होंने दूसरे अंकल का परिचय कराया।
‘तो नीतू, चलें मेरे घर?’ सुनील अंकल ने कहा।
मैं तो मरी जा रही थी चुदाई को… पर डर भी लग रहा था।
एक तो अंजान लोग, दूसरे अंजान जगह पे जाना… कुछ गलत हो गया तो?
‘नहीं अंकल, मैं आपके साथ नहीं आ सकती!’ मैंने उनसे कहा।
तो वो मुझे समझाने लगे, पर मैं नहीं मानी तो वो नाराज होकर जाने लगे।
मन तो मेरा भी बहुत कर रहा था कि दोनों के साथ चली जाऊं।
दोस्तो, मैं आगे भी लिखूँगी, आप अन्तर्वासना पर मेरी सेक्स स्टोरी हिंदी में पढ़ते रहिये.
[email protected]
What did you think of this story??
Comments