बेटी की सहेली पापा के साथ अकेली-1
(Beti Ki Saheli Papa Ke Sath Akeli- Part 1)
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‘क्या हुआ मेघा क्यों उदास है तू?’ हॉस्टल के रूम में अपना क्लास करके आई मेरी सहेली जीनत ने पूछा।
‘अरे यार.. जब भी मैं हॉस्टल से घर जाती हूँ.. मम्मी-पापा के बीच झगड़ा ही हो जाता है। दरअसल उनको मेरे और पापा के बीच जो रिश्ता है.. उसको लेकर थोड़ा बहुत शक हो गया है।’
‘मतलब तेरी मम्मी को मालूम पड़ गया है कि तेरा सौतेला बाप तुझे चोदता है?’
‘हाँ यार..मम्मी ने रात को पापा को मेरे रूम में देख लिया था। पापा मेरे ऊपर चढ़े हुए चादर के अन्दर मुझे चोद रहे थे। शराब के नशे में उन्होंने लापरवाही कर दी थी.. जिससे कि मम्मी को मालूम पड़ गया है।’
‘मम्मी को अचानक मालूम पड़ जाने की वजह से हम दोनों की कामुक गतिविधियां रुक गई हैं। मैं तो कॉलेज में लाइन लगाए हुए किसी भी लड़के को टाँगों के बीच ले लेती हूँ.. लेकिन पापा मेरे बिना बहुत तनाव में आ जाते हैं। तू मेरी बेस्ट फ्रेंड है.. मेरा एक काम करेगी?’
‘क्यों नहीं करूँगी यार.. तू बोल तो सही?’
‘अगले हफ्ते मेरे पापा का बर्थ-डे है.. मैं उनको ऐसा गिफ्ट देना चाहती हूँ कि वह कभी भूल न सकें।’
‘ओह.. ऐसा क्या..! बोल मैं कैसे तेरी इसमें हेल्प करूँ?’
‘मेरे पास पापा को खुश करने का एक प्लान है। बस तुझको मेरे लिए थोड़ी सी एक्टिंग करना होगी। मेरे पापा का बर्थ-डे है.. मैं उनको ऐसा गिफ्ट देना चाहती हूँ कि जैसा आज तक किसी ने नहीं दिया होगा।’
इसके बाद मैंने जीनत को अपना सारा प्लान समझा दिया।
आगे की कहानी मेरे पापा के मुँह से सुनिए कि कैसे मैंने पापा को उनके बर्थ-डे पर सरप्राइज गिफ्ट दिया।
मेरी पत्नी राधिका को मेरे बेटी के साथ सेक्स संबंधों के बारे में मालूम पड़ गया था। हम दोनों में इस बात को लेकर खूब लड़ाई हुई थी। राधिका के साथ चुदाई में मुझे अब कोई दिलचस्पी नहीं रह गई थी। वह भी अपने ऑफिस के काम से घर में कम और टूर पर ज्यादा रहती थी।
उसके बॉस के साथ कुछ ऐसे फोटो थे कि जिससे मुझे पक्का यकीन था कि वह अपने आयरिश ब्लोंड बॉस से ज़रूर चुदवा रही है.. लेकिन मैंने इस बारे में कभी उससे कोई बात नहीं की थी।
ऐसे ही एक दोस्त से इस विषय में बात की तो उसने एक दलाल के ज़रिए एक कॉलगर्ल बुलवा ली.. जिसे हम दोनों यारों ने शराब पीकर उसको बारी-बारी से हचक कर चोदा। मगर यह तो ऐसा काम है कि भूख की तरह फिर से जाग जाता है।
तो 4-5 दिन बाद मेरा फिर से किसी फ़ुदिया को चोदने का दिल करने लगा। उस दलाल का मोबाइल नम्बर तो मेरे पास था ही, मैंने नंबर मिलाया और उससे बात की।
मैंने उसके ज़रिये कई रंडियों को चोदा। लेकिन जल्द ही उनसे मेरा दिल भर गया।
अब मुझे एक कमसिन मासूम कली की तलाश थी.. जो रंडी न होकर प्राइवेट में रहकर यह काम करती हो।
एक दिन फेसबुक पर टाइम पास करते हुए मैंने देखा कि मुझे एक लड़की की फ्रेंड रिक्वेस्ट आई है। मेरी नज़र एक मासूम कमसिन लड़की की प्रोफाइल पर गई.. जिसने मुझे फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी थी।
पहले तो समझ नहीं पाया फिर कई फोटो देखने के बाद समझ आया कि यह तो मेरी बेटी की सहेली जीनत है। मतलब मेरे दोस्त सलीम की बेटी है।
कच्ची उमर की मासूम गोरी-चिट्टी जीनत को देखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया। वह अक्सर छुट्टियों में मेरे घर आकर मेरी बेटी के साथ रहती थी।
एक दिन वह घर पर आई तो मेरी बेटी नहीं थी।
‘अंकल मेघा है क्या?’
‘मेघा बस आने ही वाली है, आप अन्दर आकर उसका इंतज़ार कर लो।’
मैंने उसको अन्दर बुला लिया.. वह मेघा के कमरे में चली गई।
‘आप मेघा का कंप्यूटर इस्तेमाल कर लो तब तक मैं आपके लिए कोल्ड ड्रिंक लेकर आता हूँ।’
मैं उसको कमरे में बिठा कर किचन की तरफ बढ़ गया।
मैंने दो गिलास में पेप्सी डाली.. तभी मेरे दिल में एक ख़याल आया और मैंने वहीं रखी वोदका की बोतल से दोनों गिलास में एक पैग वोदका डाल दी।
यह वोदका भी सलीम ही लाया था। वो अपनी पत्नी के डर से मेरे साथ मेरे घर में आकर पीता था।
मैंने धीरे से कमरे में झांका.. जीनत कंप्यूटर पर एक ब्लू-फ़िल्म देख रही थी। दरअसल यह ब्लू-फ़िल्म मैंने ही अपनी बेटी के कंप्यूटर के डेस्कटॉप पर डाली थी। मेरी आहट पाकर जीनत ने फ़िल्म बंद कर दी।
‘यह लो बेटा कोल्ड ड्रिंक पियो।’
जीनत ने घूँट भरा ‘बहुत कड़वी है यह तो अंकल?’
‘हा हा हा.. बेटा यह इंडिया की नहीं है, मैं या तुम्हारे पापा जब बिज़नस के टूर से अमेरिका या थाईलैंड जाते हैं तब लाते हैं.. मेघा को बहुत पसंद है।’
जीनत बोली- हां पापा मम्मी के डर से आपके घर आकर ड्रिंक करते हैं.. लेकिन यह कड़वी है.. मुझे नहीं अच्छी लग रही है।
‘पी लो बेटा, नखरे नहीं करते।’
मैंने गिलास ज़बरदस्ती उसके मुँह को लगाकर पेप्सी में मिलाई गई वोदका उसको पिला दी।
‘जीनत तुम मेघा से बड़ी हो या छोटी?’ मैंने उसका हाथ अपने हाथ में लेकर पूछा।
‘बड़ी हूँ.. अंकल.. लेकिन मेघा के बराबर की ही दिखती हूँ।’
‘ओह.. तुम्हारे के जिस्म पर निखार आ गया है।’
‘जी अंकल, मैं उससे सिर्फ दो साल बड़ी हूँ।’
‘तुमको मालूम है, मेघा मेरी इकलौती लाड़ली बेटी है.. इसलिए वो बहुत बिगड़ गई है। घर हो या बाहर हमेशा मिनी स्कर्ट-टॉप, मिडी और शॉर्ट्स ही पहनती है, तुम हमेशा ऐसे ही सलवार-कमीज पहने रहती हो.. या तुम भी स्कर्ट-टॉप पहनती हो?’
मेरा हाथ उसकी सफ़ेद सलवार के ऊपर से ही उसकी जांघों को सहला रहा था।
वह थोड़ा कसमसाई ‘मैं पहनना चाहती हूँ लेकिन मध्यम परिवार से हूँ.. इसलिए घर पर अलाउड नहीं करते हैं। हॉस्टल में कभी-कभी मेघा के पहन लेती हूँ।’
‘मैं तुमको लेकर दूँ तो पहनोगी? आखिर तुम भी मेरे लिए मेघा जैसी ही हो।’
‘मुझे पसंद है अंकल कि मैं भी मेघा की तरह कॉलेज को शॉर्ट्स या स्कर्ट पहन कर जाऊं.. लेकिन संभव नहीं है।’
‘तुम ऐसा करो मेघा कार से कॉलेज जाती है.. तुम सुबह को आ जाया करो और यहीं से ड्रेस बदल का उसके साथ ही कॉलेज जाया करो, मैं तुमको मेघा के जैसी ड्रेस लेकर दूंगा।’
‘ओह थैंक्स, अंकल!’ वह चहक कर मेरे सीने से लग गई, उसके छोटे-छोटे नर्म चूचे मेरे सीने में गुदगुदी कर रहे थे।
‘क्यों नहीं हम दोनों मिलकर मेघा को सरप्राइज दें, तुम उसकी कोई ड्रेस पहन लो।’
‘लेकिन अंकल..’
‘लेकिन-वेकिन कुछ नहीं, तुम पहन कर तक देखो.. मेघा आएगी तो हिल जाएगी। मैं लेकर आता हूँ।’
मैं अपनी बेटी के कमरे में जाकर उसकी वॉर्डरोब से कपड़े निकालने लगा.. जहाँ आमतौर से सारे मिनी स्कर्ट और मिडी और शॉर्ट्स थे।
मैंने एक बहुत ही छोटा ब्लू कलर का जीन्स का शॉर्ट्स और टॉप निकाल लिया- यह लो पहन कर दिखाओ।
‘ठीक है आप बाहर जाओ अंकल!’
‘अरे तू मेरी मेघा के जैसी ही है जीनत, मुझसे क्या शर्माना.. आओ मैं ही पहना देता हूँ।’
यह कहते हुए मैंने जीनत को पीछे से पकड़ लिया और उसकी सलवार का नाड़ा टटोलने लगा.. वह कसमसा रही थी।
‘उफ़्फ़ मैं खुद पहन लूँगी अंकल!’
‘शर्माती क्यों है.. तू भी तो मेरी मेघा के जैसी बच्ची ही है। उसको आज भी मैं खुद कॉलेज का ड्रेस पहनाता हूँ।’
यह कहते हुए मैंने उसकी सफ़ेद सलवार का नाड़ा खोल दिया, सलवार जांघों से सरकती हुई फर्श पर जा गिरी। मेरी बेटी की सहेली जीनत की सफ़ेद दूधिया जांघें मेरे सामने थीं। मैंने दोनों को बारी-बारी से उनको मसला और कुर्ती की पीछे से डोरियाँ खोलने लगा। अगले ही पल मैंने उसकी कुर्ती भी निकाल दी।
अब वह मेरे सामने लोकल सी ब्रा और पैंटी में थी।
‘ओह यार तुम तो अच्छी ब्रा भी नहीं पहनती हो, जानती हो लोकल ब्रा से बॉडी का शेप खराब हो जाता है.. रुको मैं लेकर आया।’
मैं वापस मेघा के कमरे में जाकर उसकी वार्डरॉब से उसके अंडरगार्मेंट्स निकालने लगा।
तभी उसके अंडरगार्मेंट्स के बीच से एक छोटा सा पैकेट नीचे गिरा। मैंने उठाकर देखा तो यकीन नहीं हुआ यह एक कंडोम का पैकेट था और साथ ही उसके अनवांटेड टेबलेट्स का पत्ता भी था।
उफ़्फ़.. मैं समझ गया था कि जिसको मैं बच्ची समझ रहा था.. वह अब बच्ची नहीं रही है, कच्ची उम्र में ही वह कॉलेज के लड़कों के लंड ले रही है। मुझे कानपुर की शादी में लहंगे में हुई उसकी चुदाई याद आ गई।
बिना बाप की बच्ची बिगड़ न जाए.. यह सोचकर मैंने उस पर कभी रोक-टोक नहीं की थी, वरना बिना बाप की बच्ची सोचती कि सौतेले पापा उसको बहुत सख्ती में रखते हैं।
खैर.. मैं उससे इस बारे में बाद में बात करूँगा।
उधर कमरे में जीनत बिस्तर पर बैठी थी.. मैं उधर गया ‘लो यह पहन लो मेरी बच्ची!’
‘अंकल आप प्लीज बाहर जाओ.. वरना मुझे शर्म आएगी।’
वह बिस्तर से उठकर शीशे के सामने चली गई.. पर मेरी साँस रुक गई। मैंने सोचा कि शायद जीनत को मेरे इरादे मालूम हो गए। मैं बाहर चला गया। कमरे में जीनत ने अपने कपड़े बदलने शुरू कर दिए।
उस पर वोदका का नशा चढ़ चुका था.. उसने दरवाजा बंद नहीं किया। मेरी निगाह उनके कमरे पर रुक गई। वो बड़े शीशे के सामने खड़ी थी। मेरे मुँह से तो सिसकारी ही निकल गई, आज से पहले मैंने उस मासूम सी दिखने वाली लड़की को इतना खूबसूरत नहीं समझा था।
वो बिस्तर पर सिर्फ अपनी ब्रा और पैंटी में खड़ी थी।
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दूधिया शरीर, सुराहीदार गर्दन, बड़ी-बड़ी आँखें, खुले हुए बाल और गोरे-गोरे जिस्म पर काली ब्रा.. जिसमें उनके 32 साइज के दो सुडौल छोटे-छोटे उरोज, ऐसे लग रहे थे जैसे किसी ने दो सफेद कबूतरों को जबरदस्त कैद कर दिया हो।
उसकी चूचियाँ बाहर निकलने के लिए तड़प रही थीं। चूचियों से नीचे उनका सपाट पेट और उसके थोड़ा नीचे.. उसकी गहरी नाभि, ऐसा लग रहा था जैसे कोई गहरा कुँआ हो।
उनकी कमर 26 से ज्यादा किसी भी कीमत पर नहीं हो सकती, बिल्कुल ऐसी जैसे दोनों पंजों में समा जाए।
कमर के नीचे का भाग देखते ही मेरे तो होंठ और गला सूख गया ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
जीनत अभी देखने में बच्ची ही थी लेकिन उसकी उठे हुए चूतड़ों वाली गांड का साइज 36 इंच के लगभग का था। एकदम गोल और इतनी ख़ूबसूरत कि उन्हें तुंरत जाकर पकड़ लेने का मन हो रहा था।
कुल मिलाकर वो पूरी सेक्स की देवी लग रही थी।
मेरा दिल अब और भी पागल हो रहा था और उस पर भी बारिश का मौसम जैसे बाहर पड़ रही बूंदें.. मेरे तन शरीर में आग लगा रही थी।
अचानक वह मुड़ी और उसने मुझे देख कर अन्दर बुला लिया और मुस्कुराकर दरवाज़ा को बन्द कर दिया। मुझे उसकी आँखों में अपने लिए प्यार और वासना साफ़ नजर आ गई थी।
अब वह ब्लू शॉर्ट्स और टॉप पहन चुकी थी। मैंने कमरे में जाकर उसको गोद में उठा लिया। फिर मैंने कैमरा निकाल कर उसके बहुत सारे कामुक फ़ोटो निकाले।
‘जीनत एक बात बोलूँ.. तुम बहुत खूबसूरत हो। तुम चाहो तो पढ़ाई के साथ साथ बहुत सारा नाम और पैसा कमा सकती हो। जिससे कि तुम्हारी पढ़ाई भी आसानी से होती रहेगी और परिवार पर खर्चे का बोझ भी नहीं आएगा।’
‘वह कैसे अंकल?’
‘अपने इस खूबसूरत जिस्म का इस्तेमाल करके तुम बहुत पैसा कमा सकती हो।’
‘लेकिन मैं अभी मासूम बच्ची हूँ?’
‘बच्चियों की मुँह मांगी कीमत मिलती है जीनत.. बस तुम हाँ तो करो।’
जब जीनत अन्दर आई थी तो उसने दरवाज़ा लॉक कर दिया और बिस्तर पर जाकर बैठ गई।
अच्छा खासा, रंग-रूप, सुंदर शरीर, टॉप और शॉर्ट्स में जीनत बड़ी प्यारी लग रही थी।
मैं उसके पास जाकर बैठ गया, वो उठ कर खड़ी हो गई, मैंने उसका हाथ पकड़ लिया, मैंने पूछा- जीनत तुमने चुदाई तो पहले ही की होगी?
‘हाँ मेरी मम्मी के दो यार हैं, पहले वह मम्मी को चोदते थे.. फिर एक दिन मुझे भी पकड़ लिया था.. तब से कई बार चुदवा चुकी हूँ।’
अब जीनत मेरे वासना के खेल में शामिल होने के लिए मचल उठी थी।
आप अपने विचार मुझे मेल कीजिएगा मैं अगले भाग में जीनत की उफनती जवानी को अपने लंड के नीचे किस तरह लेता हूँ और साथ ही क्या कुछ ऐसा होता है जो मैंने सपने में भी नहीं सोचा था।
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कहानी जारी है।
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