छोटी बहन की कामुकता जगा कर बुर चोदन करवाया-1
(Chhoti Behan Ki Kamukta Jaga Kar Bur Chodan Karwaya- Part 1)
मेरे प्यारे दोस्तो, मैं आपकी माया… मेरी पिछली चोदन कहानियों के उत्तर में मुझे आपके ढेर सारे आपके मेल मिले, मैंने सभी मेल पढ़े, लेकिन मैं सभी के जवाब नहीं दे सकी, पर दोस्तो, मैं आपके सभी मेल एकदम ध्यान से पढ़ती हूँ.
मैं आपके समक्ष यह मेरी सच्ची कहानी पेश करती हूं, थोड़ी लंबी है. मेरे प्यारे दोस्तो, आप इस चुदाई की कहानी के अंत तक ध्यान से पढ़ेंगे तो मैं यकीन से कहती हूँ कि आपका रोम रोम ‘खड़ा’ हो जाएगा.
रुको, पहले मैं आपको मेरी बहन वर्षा के बारे में बता दूँ. 18 वर्षीया वर्षा का रंग रूप, वो मुझसे कई गुना गोरी है, उसकी लंबाई मुझसे थोड़ी कम है, वो मेरे कानों तक आती है. वो पतली सी है. वो खुद को लड़की कम और लड़का ज्यादा समझती है. मेकअप करने से उसे चिढ़ छूटती है. वो अभी जवान हुई ही है, पांच छह महीने पहले तो उसका सीना बिल्कुल सपाट मैदान था, पर अब उसके चुचे चीकू जैसे उगने लगे हैं. उसकी गांड मेरी तरह बाहर को नहीं निकली है, बस मीडियम सी है. उसका फिगर भी कुछ खास तो नहीं है, पर फिर भी बता दूँ कि 28 के चुचे, 26 की कमर और 28 इंच की गांड है.
वो अभी ग्यारहवीं में पढ़ती है और हर साल टॉप आती है. वो दिन भर पढ़ाई करती रहती है और दिखने के अलावा हर बात में इतनी स्मार्ट है कि पूछो ही मत. उसके लिए बोलूँ तो जीनियस है. उसकी नजरें बाज नजर जैसी तेज हैं. उसमें एक कमी भी है, वो मिलनसार नहीं है. वो किसी से अच्छे से बात नहीं करती, थोड़ी अकड़ू टाइप की है. वैसे तो वो कम बोलती है, लेकिन जब बोलती है तो जहर ही उगलती है.. और एक खास बात वो खुद कभी भी कोई गलती नहीं करती, लेकिन दूसरों की जल्दी ढूंढ लेती है. सब उससे डरते हैं, गुस्सा तो हमेशा उसकी नाक पर किसी ना किसी बात पर होता ही है.
दोस्तो, ये सब बताना जरूरी था ताकि आपको उसकी शक्ल सूरत और सीरत का पता लग जाए.. अब मुद्दे पर आते हैं.
मेरी पिछली चोदन कहानी
चूत चुदाई का चस्का, चलती बस में चुदाई
में आपने पढ़ा कि कैसे गांव पहुँचने से पहले गांव जाते वक्त मैंने बस में मजदूर लड़के से चुदाई करवाई थी. उस लौंडे को चुदाई का बड़ा अनुभव था.
मैं गांव से पंद्रह दिन में लौट आई.
अभी वो लड़का हमारे ही मकान बनाने का काम करता है, मैंने उसे पटा लिया है. वो 24 साल का है, उसका नाम किशोर है और वो काफी हैंडसम दिखता है और अच्छा चोदता भी है, साले का लंड तन बदन की नसें खोल देता है. मैं किशोर से मिली, तब से मुझे गांड मराने चस्का लग गया. किशोर ने जब से मेरी गांड मारी थी, तब से मैं उसकी दीवानी हो गई थी.
गांव में इतने दिनों बीच में मैंने कई बार फोन पर किशोर से बात की थी. मुझे भी कई दिनों से लंड नहीं मिला था इसलिए चुदने के लिए मेरा बदन तड़प रहा था.
मैंने घर पहुँचते ही वर्षा से पूछा- हमारे घर का काम कहां तक पहुँचा?
वर्षा बोली- दीदी पुराना मकान तोड़ दिया गया है और नए मकान की अभी दीवारें बन गई हैं, अब छत बनेगी.
मैं बोली- मजदूरों को चाय देने कौन जाता है?
वो मुँह बना कर बोली- मजदूर खुद ही होटल से मंगवा कर पी लेते हैं.
मैं बोली- ऐसा नहीं करते वर्षा, घर किसका बन रहा है.. हमारा ना! तो चाय देना हमारा फर्ज होता है. मैं बना कर दे आती हूँ.
हमारा मकान जहां बन रहा था, वहां मैं चाय देने गई, वहां पर पांच मजदूरों के साथ में किशोर भी था. मैंने किशोर को चाय दी.
किशोर ने मुझे धीमे से कहा- बस 5 मिनट बाद मकान के पिछले दरवाजे से आना.
मैं घर से बाहर निकली और पिछले दरवाजे पर रास्ता था. मैं वहां खड़ी हो गई थी. किशोर दूसरे मजदूरों से बोला- तुम सब गोदाम से सीमेंट की बोरी भर कर ट्रैक्टर में लाओ, ट्रैक्टर गोदाम में कब से खड़ा है.
सब मजदूर चले गए. किशोर ने मुझे बुलाया तो मैं पिछले दरवाजे से अन्दर आ गई. किशोर मुझे पकड़ कर चूमने लगा.
मैंने कहा- आज जल्दी कर लो प्लीज़, यहां पर कोई आ जाएगा.
इतना कहते हुए मैंने अपनी सलवार उतार दी और झुक गई. उसने भी अपनी पेन्ट उतार दी, वो बोला- माया, मेरे लंड को थोड़ा थूक से गीला तो करो.
मैंने बैठकर लंड मुँह में ले लिया और थोड़ी देर चूस कर बोली- जल्दी करो.. कोई आ जाएगा.. चूसा चूसी फुरसत में करेंगे, अभी जल्दी से लंड डाल दो.. अपना काम कर लो.
मैं झुक गई और उसने मेरी चूत पर थूक लगाया और एक ही झटके में पूरा लौड़ा पेल दिया. मुझे थोड़ा सा दर्द हुआ, पर मजा आ गया. मैं तो इतनी अधिक चुदासी थी कि बस 5 मिनट में ही झड़ गई. मेरी चूत को असीम शांति मिली. मैंने हाथ पीछे किया, उसका लंड पकड़ कर चूत से निकाला और गांड के छेद पर रख दिया.
उसने कहा- वाह माया, डबल मजा..!
उसने भी मेरी गांड में थूक लगाया और उंगली घुसा कर जगह बनाई और लंड का टोपा सैट करके झटका दे मारा. मेरी चीख निकली- ऊईई ऊईई माँ अह्ह्ह मर गईइइइइ..
मुझे काफी दर्द हुआ, पर मैं सह गई.
दस मिनट उसने मेरी गांड मारी और उसका भी वीर्य निकल गया. मेरी गांड में मुझे गर्म वीर्य से ठंडक सी मिल गई. मैंने जल्दी से सलवार पहनी और एकदम तृप्त होकर ख़ुशी से सीधे घर की तरफ जाने लगी.
मुझे चाय देने के साथ इस मस्त काम में कम से कम पौना घन्टा लगा.
मैं घर पहुँची तो वर्षा मुझे घूर रही थी. मैंने कहा- क्या हुआ वर्षा रानी मुझसे नाराज हो?
वो मुँह फुलाए बैठी थी, आँखें फाड़ कर मुझे और घूरने लगी.
मैं बोली- अब समझी तुम्हें गांव शादी में जाने नहीं मिला इसलिये मुझसे नाराज हो.
वो गुस्से में लाल होकर बोली- तुम मेरा मुँह ना खुलवाओ तो ही अच्छा रहेगा.
मैं बोली- बोल तो सही, तुझे प्रॉब्लम क्या है?
वो गुस्से से बोली- तू छिनाल थी और छिनाल ही रहेगी.
मैंने कहा- पर हुआ क्या.. पहले ये तो बताओ?
तो वो बोली- अभी तेरी सलवार उतार दे, सब पता चल जाएगा.
मैं बोली- हैं.. क्या.. पर क्यों उतारूं?
वो बोली- इसलिये कि तू अभी दस मिनट पहले चूत चुदा कर और गांड मरा कर आ रही है, मैंने अपनी आँखों से तुम्हें एक मजदूर से चुदवाते हुए देखा है और अभी तुम्हारी सलवार के पीछे वीर्य की बूंदें साफ कह रही हैं कि तुम गांड मराकर आई हो.. तेरी गांड अभी भी चिपचपी होगी. तुमने जब चाय की बात की थी, मैं तब ही समझ गई थी कि मजदूरों से इतनी हमदर्दी क्यों? मैंने तेरा पीछा किया और ये सब देखा, मैं ये सब पापा को बताउंगी.. तेरी हड्डी पसली एक करवाऊँगी.
मेरा भांडा पूरी तरह से फूट कर चूर चूर हो गया था.
मैंने वर्षा से माफ़ी मांगी- अबकी बार ऐसा नहीं करूँगी.. प्लीज पापा को मत बताना वर्षा.. मुझसे गलती हो गई, मुझसे रहा नहीं जाता.
वो बोली- क्यों रहा नहीं जाता? पापा ने तुम्हें कितना मारा, फिर भी तू सुधरती क्यों नहीं है?
मैं बोली- तुम जिस्म की भूख को नहीं समझोगी.. तुमने कभी लंड अपनी चूत में लिया नहीं है इसलिए तुझको इसकी खुजली के बारे में पता नहीं है.
वो बोली- तुझे कुछ भी शर्म नहीं आती ऐसा बोलते हुए.. तू अपनी ये बकवास बंद कर.. ये तो मैंने खुद अपनी आँखों से देखा तुझे, कोई कहता तो मैं यकीन नहीं करती, तभी तो सब मोहल्ले की औरतें और लड़कियां सब अन्दर ही अन्दर कहती हैं कि तू चालू है. लेकिन तुम इतनी गिर गई, ये आज देखा. आज तूने ऐसा घिनौना काम किया, मुझे अभी भी यकीन नहीं होता, ऐसा सोचने से भी शर्म आती, बेशरम कहीं की.. और हां चूत मेरे पास भी है, पर मैंने ऐसी हरकत की कभी आज तक? मैंने किसी लड़के को उस नजर से देखा तक नहीं.. और तू! छी: छी: कितनी गन्दी हो.
मैं बोली- आखिरी बार माफ़ कर दे..
और ये कह कर मैं अपनी छोटी बहन के सामने रोने लगी, गिड़गिड़ाने लगी.
तो उसने कहा- अब रो मत.. ये आखिरी मौका दे रही हूं, पापा को नहीं बोलूंगी रोओ मत.. खुद को काबू करो और सुधर जाओ. मैं तुम्हारे भले के लिए कहती हूं.
इतना कह कर वो घर से बाहर चली गई.
मैं सारा दिन सोचती रही कि इस वर्षा का अकड़ घमंड उतार कर ही दम लूँगी. इसको तो कभी लंड की तलब लगती नहीं और मुझे हर वक्त खुन्नस देती रहती है. माया कुछ ऐसा कर कि जिससे तेरी बहन वर्षा को भी रोज लंड की तलब लग जाए और वो लंड के लिए तड़पे.. उसे भी लंड का चस्का लग जाए.
फिर मैंने सोच भी लिया कि ये कैसे होगा. अब मैं मौका ढूंढने लगी. चार पांच दिन बीते होंगे, मम्मी पापा घर पर थे, वर्षा स्कूल गई थी. उस दिन मेरे मामा मामी घर आए.
मुझे देखकर वो दोनों बोले- माया, तुम तो बहुत जल्दी बड़ी हो गई हो.
मैं बस मुस्कुरा दी. मामा मामी का कहना सच था. सब लड़के मेरे चूचों से ज्यादा मेरी उभरी हुई गांड को घूरते हैं.. क्योंकि मेरी गांड बड़ी हो गई थी. शायद इसलिये मैं अपने रिश्तेदारों को भी बड़ी दिख रही थी.
वो पापा मम्मी से मिले और कहा- दीदी कह रही थीं कि आप नया घर बनवा रहे हैं, पैसे की जरूरत हो तो बेहिचक बोलना.
वो दोनों बातें कर रहे थे और मामाजी ने मुझे बोला- माया बेटी, जरा मेरा फोन चार्जिंग में रख दोगी.
मैंने फोन लिया और पापा के अन्दर के रूम गई. मुझे किशोर का नंबर याद था मैंने किशोर को फोन लगाया.
उसने अनजान नम्बर देख कर कहा- हैलो?
मैंने कहा- मैं माया बोल रही हूं.
वो बोला- बेबी तुम मुझसे नाराज हो.. मिलने क्यों नहीं आती?
मैं बोली- वो छोड़ो, तुम्हें मेरा एक काम करना है.. करोगे?
वो बोला- जान भी दे दूँगा तेरे लिए मेरी जान!
मैंने कहा- मुझे एक पावरफुल फीमेल वायग्रा ला दो.
वो बोला- क्यों?
मैंने उसे समझा दिया, वो राजी हो गया. मैंने उससे बोला- तुम मेरे घर पर मत आना, आजू बाजू पर मत फटकना.. सबको शक हो जाएगा.
वो बोला- तो तुम तक वायग्रा कैसे पहुँचेगी?
मैं बोली- रात 12 बजे तुम मेरे घर की चौखट पर रख देना.. मैं सुबह जल्दी उठा लूँगी.. समझे.. अब फोन रखती हूँ और इस पर फोन मत करना, ये मामा का नम्बर है.
मैंने फोन काट दिया और कॉलरजिस्टर में से उसका नम्बर डिलीट करके चार्जिंग में लगा दिया.
मैं बाहर आई, मामा मामी के पास बैठ गई. मामी ने पापा को कहा- अब माया बड़ी हो गई है, अब तक कोई रिश्ता ढूंढा कि नहीं?
मैं शरमा कर अन्दर चली गई और वो बातें करते रहे. मैं सुबह जल्दी उठी गई और दरवाजे की चौखट पर देखा कि एक पैकेट पड़ा था. मैंने लिया वो जापानी फीमेल कैप्सूल का था. अन्दर दस कैप्सूल थे, उसमें लिखा था कि एक से ज्यादा ना खाएं.
अब मैं मौका देखने लगी, मामा मामी चले गए. फिर शाम को मैंने सबको खाना परोसा. मैंने किचन में ही वर्षा की सब्जी में एक कैप्सूल कूट कर पावडर करके मिला दिया, फिर थोड़ा सोच कर एक और कैप्सूल और कूट कर मिला दिया.
वर्षा ने खाना खाया, मैं उसे ही चोरी से देख रही थी, वो खाकर टीवी देखने चली गई, मैं भी पीछे आई.
बाहर वो टीवी देख रही थी और मैं उसे घूर रही थी. कैप्सूल का असर होने लगा, वो सोफे पर अपनी गांड इधर उधर करने लगी. उसको पसीना आने लगा, वो बार बार अपनी चूत के ऊपर से हाथ फेरती, कभी कभी जोर से खुजाने लगती और तिरछी नजर से जब मेरी तरफ देखती कि मैं भी उसे ही देखती होती, तो वो जल्दी से अपना हाथ चूत से हटा लेती. फिर वो जल्दी से अपने रूम में जाने लगी, मैं भी उसके पीछे जाने लगी.
हम दोनों बहनें साथ में ही एक कमरे में एक ही पलंग पर सोती हैं. वो जाकर पलंग पर सो गई और रजाई ओढ़ ली.
मैं भी पलंग पर उसकी साइड मुँह करके सो गई. वो बार बार करवटें बदलती और रजाई के अन्दर थर थर कांपती रही. फिर अचानक उठ गई और टॉयलेट में घुस गई. करीब आधा घन्टा बाद आई थोड़ी देर बिस्तर पर पड़ी रही, फिर करवटें बदलने में लग गई.. मैं उसे देखती रही. वो मुझे देखती तो ऐसा दिखावा करती कि सब नॉर्मल है, मैं भी क्यों उसे पूछती कि तुम्हें क्या हो रहा है, वो खुद बताएगी, मैं नहीं पूछूंगी.
वो हर दस मिनट में दस बार करवटें बदलती और हर आधे घन्टे बाद टॉयलेट में जाती और हर बार बहुत देर बाद वापस आती. मैं उसे तड़पता देखकर अपने मन में बहुत खुश थी, कैप्सूल इतनी पावरफुल होती है, ये मुझे भी पता नहीं था. वो सारी रात अच्छे से सो ना पाई. सुबह नहा कर स्कूल चली गई.
रात को मैंने फिर से किचन में कैप्सूल का पैकेट खोला, उसमें 8 कैप्सूल बचे थे, मैंने दो कैप्सूल को पावडर बना कर वर्षा की सब्जी में डालकर मिला दिया. अब पैकेट में 6 कैप्सूल बचे थे. मैंने पैकेट किचन में छुपा कर रख दिया. खाना परोसा और सबने खाया. मैं वर्षा को देख रही थी कि वर्षा खाकर उठी और टीवी देखने लगी.
थोड़ी देर बाद कैप्सूल का असर होने लगा. वो जल्दी उठी और रूम में जाकर रजाई ओढ़ कर सो गई.
मैं भी पीछे आकर सो गई. वो करवटें बदलने लगी. शायद आज वो अपनी चूत में उंगली डाल कर हिलाने लगी थी, जिससे पलंग हिलने लगा था.
मैंने कहा- क्या हुआ वर्षा?
वो बोली- कुछ नहीं.
उसकी आँखें एकदम लाल हो गई थीं.
मैं बोली- तो पंलग क्यों हिला रही हो.. मुझे नींद नहीं आ रही.
उसने हिलाना बंद कर दिया और वो उल्टी हो कर चूत दबाकर सो गई. दस मिनट बाद कैप्सूल का खतरनाक असर हुआ… असर तो होगा ही.
वो अपनी चूत पलंग पर ऐसे मारने लगी, जैसे कि कोई लड़का जब चोद रहा हो. वो ऐसे पलंग को चोदने लगी और जोर से पलंग हिलने लगा. थोड़ी देर के लिए मैं खुद भी डर गई कि क्या हुआ.
मैंने उसे अपने हाथ से उसे हिलाया- क्या हुआ वर्षा.. तुम ठीक तो हो ना.. क्या हुआ?
वो मुझे देख कर रो पड़ी, मुझे बांहों में भरके काँपते हुए रोते हुए बोली- माया दीदी कुछ भी ठीक नहीं है.. मेरी चूत अन्दर से जल रही है. कुछ करो दीदी मैं मर जाऊँगी, मुझसे ये जलन सहन नहीं होती दीदी.. मेरी चूत झटके मार रही है कल सारी रात में सोई नहीं दीदी.. सारा दिन भी मैं पढ़ाई नहीं कर सकी दीदी.. माया दीदी दो दिन से मेरा चैन चला गया है, दीदी मैं खून के आंसू रोती हूँ.
वो मुझे चिपक के फूट फूट कर रोने लगी. उसके आँसुओं से मेरे कपड़े भीगने लगे.
मैं बोली- वर्षा ऐसा ही होता है जवान होने के बाद..
वो मुझे लड़कों की तरह झटके मारने लगी. वो बोली- दीदी मेरी चूत में तेज जलन हो रही है.. जल्दी कुछ करो.
मैंने उसे पलंग पे सीधा लिटाया. उसकी टी-शर्ट को उतार दिया और उसके चुचे मसलने लगी. वो सिसकारियां भरने लगी ‘दीदीह्ह्ह्ह.. आह्ह्ह आह्ह्ह..’
मैं उसके होंठों पे होंठ लगा कर चूसने लगी. अपनी जीभ उसके मुँह में डालने लगी. वो भी साथ देने लगी, वो मुझे चूसने लगी. वो मेरे पीठ पे हाथ फेरने लगी, मुझे अपने सीने में दबाने लगी. मैं उसके छोटे से चुचे मुँह में भर लेती और चूसती.. दांतों से उसके निप्पलों को काटती तो वो ‘एमह्ह्ह एम्म्म ओह्ह..’ करती. मुझे तो मजा आ रहा था.
वो बोली- दीदी मेरी चूत में बहुत जलन हो रही है.
मैंने देखा कि उसकी जीन्स पर दोनों पैरों के बीच चूतरस झड़ने के कारण बड़ा सा धब्बा उसकी जाँघों तक फैला हुआ था. मैंने उसकी जीन्स उतारी और उसकी पेन्टी उतारने लगी. उसकी छोटी सी पेन्टी जहां चूत होती है, उस जगह से भीग गई थी.
उसके चूत रस से भीगी हुई पेन्टी मैंने उतार फेंकी. फिर उसके मुड़े हुए पैर सीधे किए, उसकी चूत देखी बेचारी की छोटी सी चूत, जिस पर अभी पूरे बाल नहीं उगे थे. बस चूत पे छोटे छोटे बाल थे, जिस पर कभी उसने रेजर नहीं फिराया था. उसकी चूत देखकर मेरी आह्ह निकल गई, उसकी चूत एकदम लाल सूज कर पावरोटी जैसी हो गई थी. बेचारी को दो दिन से वायग्रा का ओवरडोज दिया था, खून का प्रेशर चूत पर ही दबाव कर रह था. उसकी कमसिन चूत उत्तेजित हो हो कर सूज गई थी.
मैंने उसकी चूत को हाथ छुआ, वो एकदम कोयले के जैसी गरम थी और दिल की तरह धड़क रही थी. मुझे उस पर बहुत तरस आया, मुझे उस बेचारी के साथ ऐसा नहीं करना चाहिये था. फिर सोचा यही सही सबक है साली मुझे छिनाल कह रही थी.
तभी वो चिल्लाई- दीदी, कुछ करो मेरी चूत में ज्वालामुखी की तरह धमाके हो रहे हैं, मुझसे सहन नहीं होता.
मैंने उसकी चूत पर जीभ फिराई तो वर्षा की ‘आह्ह्ह उह्ह्ह इह्ह्ह्..’ चालू हो गई मैंने चूत में उंगली घुसाई. आधी उंगली जाकर अटक गई. मैंने फिर से जीभ लगाई और अन्दर तक डालती गई. वर्षा ने ‘उईईइ उईईइ मह्ह्ह्..’ करते हुए पेशाब कर दिया.
मैंने फिर से जीभ लगाई, वो मेरे मुँह पे चूत ठोकने लगी.. फिर अकड़ने लगी ‘आह्ह्ह उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह्ह्ह आह्ह्ह उई माँह..’ करते मेरे मुँह पे चिकना सफ़ेद पानी छोड़ने लगी. मैंने उसका पानी चाटा.. पानी कोरा था.. उसमें अलग सी गन्ध आ रही थी. वो चूत चुसाई से शांत हो गई और जोरों से सांसें लेने लगी.
थोड़ी देर वो चुपचाप पड़ी रही. फिर बोली- दीदी, आज तुम नहीं होतीं तो मैं मर ही जाती. पापा मम्मी को कह नहीं सकती थी कि मेरी चूत अन्दर से जलती है.
ये बोल कर उसने मुझे बांहों भर लिया और कहने लगी- दीदी मुझे माफ़ करना.. मैंने तुमको बहुत भला बुरा कहा है.
मैं बोली- वर्षा तेरी कोई गलती नहीं है और मेरी भी कोई गलती नहीं थी. आज तूने महसूस किया कि चूत की तड़प क्या होती है. अब तू भी जवान हो गई है.. तुझे भी लंड चाहिए, तू नहीं लेगी तो इस तरह बिन पानी की मछली की तरह तड़पेगी. मैं भी रोज तेरी तरह तड़पती थी, फिर चाहे मजदूर हो, भाई हो, किसी से भी चुदवा लेती हूँ. तुम्हें पता नहीं है कि लंड जब चूत में जाता है तो जन्नत जैसा लगता है.
वो बोली- दीदी मेरी चूत में फिर से जलन हो रही है.. कुछ करो.
मैंने उसकी चूत में अपनी उंगली डाल दी और अन्दर बाहर करने लगी.
मैं बोली- वर्षा लंड जैसा मजा इस उंगली में कहां आएगा. अब तुझे रोज ऐसी ही तड़प होगी, तू जवान हो गई है, जवान लड़कियों की शादी इसलिये करनी पड़ती है. लड़का अपना प्यारा सा लंड लड़की की चूत में डालता है तो चूत एकदम शांत हो जाती है.. समझी वर्षा रानी.
वो मुझे देख कर बोली- क्या दीदी मुझे सच में लंड लेने की जरूरत है?
मैं बोली- हां तुझे चुदवाना ही पड़ेगा. देखा आज तुझे लंड की कितनी जरूरत थी.
वो जैसे खुद से बात करते हुए ऐसे ऊपर छत पर देख कर बोली- हे भगवान मुझे तूने लड़की क्यों बनाया.
और मेरी तरफ मुँह करके बोली- कब तक जरूरत रहेगी लंड की?
मैं बोली- सारी उम्र.. जब तक तू बूढ़ी नहीं होगी, तब तक तुझे कम से कम हर 5 दिन के अन्दर चुदाई करवानी ही पड़ेगी, नहीं तो तू इस तरह रोज तड़पेगी.
वो मुझे बांहों में भरकर रोने लगी और कहने लगी- दीदी अब ये लंड में कहां से लाऊं?
मैं उसकी तरफ देखने लगी.
फिर वो रुआँसी आवाज में मुझसे बोली- दीदी उस मजदूर से मुझे भी चुदवा दो ना प्लीज.. ऐसी जानलेवा चूत की तड़प से चुदवाना अच्छा.
मुझे सुकून हुआ कि ये पटरी पर आ गई, बुर चोदन के लिए मान गई.
फिर तो सारी रात वो टागें खोलकर नंगी पड़ी रही.. रात भर मुझे मेरी बड़ी उंगली उसकी चूत में हिलानी पड़ी.
मैं जैसे ही उंगली निकालती, तभी वर्षा बोलती- दीदी मत निकालो.. नहीं तो फिर से जलन होगी.
मैं वर्षा की चूत में उंगली डालकर सारी रात जागी. सुबह 5 बजे मेरी आँख लग गई. फिर सुबह नौ बजे मैं उठी, तो वर्षा स्कूल चली गई थी.
दोपहर को आई तो एकदम खुश लग रही थी. मैं बोली- वर्षा तेरी तबियत कैसी है?
वो बोली- दीदी आज तो मेरा मन पढ़ाई में ही लगा रहा. मेरी चूत को राहत मिली सारा दिन मजा आया.
मैं बोली- तो वर्षा अब हम कब प्लान करेंगे?
वो बोली- कैसा प्लान?
मैंने कहा- तू रात को क्या बोल रही थी मजदूर से चुदने का.
वो बोली- छी: छी: कभी नहीं.. दीदी वो रात गई, बात गई. फिर से कभी मुझे कभी उस रात के बारे में मत कहना. मैं जो भी बोली थी, तब मेरी तबियत ख़राब थी. मैं अपने होशोहवास में नहीं थी. मैं शायद बीमार थी. कल की रात में एक बुरा सपना समझकर भूल चुकी हूँ, दीदी प्लीज मुझे वो मनहूस रात मत याद दिलाओ.. और हां अब मैं बिल्कुल बराबर हूँ.
वो ये कह कर नहाने चली गई.
कमाल है..
मैं गुस्से में सोचने लगी कि ये क्या बात हुई, इससे ऐसा जवाब मिलेगा, ये पता नहीं था. गजब का मनोबल था वर्षा का, वो वर्षा बिगड़ना नहीं चाहती थी. मैंने कभी भूल से भी जो ऐसा वायग्रा का ओवरडोज़ लिया होता, उसकी जगह मैं होती माया तो मुर्दे में जान डाल कर उसके लंड में जान डाल कर चुदवा चुदवा कर उसका लंड निचोड़ निचोड़ कर उसकी फिर से जान ले लेती.. पर खैर.. जाने दो उसका कोई दोष नहीं… क्योंकि उसने कभी लंड चखा नहीं था.
आपके मेल के इन्तजार में हूँ.
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चोदन कहानी जारी है.
कहानी का अगला भाग : छोटी बहन की कामुकता जगा कर बुर चोदन करवाया-2
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