ससुराल में चुदाई की कामुक दास्ताँ- 2
(Bad Xxx Hindi Kahani)
बैड Xxx हिंदी कहानी में मैंने अपने ससुर को अपनी चुदाई के लिए सेट कर लिया था. पर मैं चाहती थी कि मेरी ननद भी अपने पापा से चुद जाये ताकि उसकी मौजूदगी में भी ससुर बहू का खेल चलता रहे.
कहानी के पहले भाग
बेड टी के बदले चूत पिलाई ससुर जी को
में आपने पढ़ा कि रात को ससुर जी से पहली चुदाई करवाने के बाद सुबह उठकर मैं चाय लेकर ससुर जी के कमरे में गयी. वहां उन्होंने मुझे नंगी करके पेल दिया, मेरी गांड भी मारी.
यह कहानी सुनें.
उस दिन के बाद अब अकसर हर सुबह ससुर जी के साथ चुदाई होने लगी।
अब आगे बैड Xxx हिंदी कहानी:
चूंकि दिन में पायल रहती थी तो सुबह का टाइम ही सबसे सेफ रहता था।
हालांकि मौका मिलते ही दिन में भी कुछ ना कुछ हो जाता था।
जब टाइम ज्यादा मिल जाता था तो चुदाई और गांड मारना सब हो जाता था और जब टाइम कम होता था तो लण्ड चूसना, चूत और गांड चाटना ही होता था।
वैसे ससुर जी को गांड मारने का ज्यादा शौक था और मौका मिलने पर वही करते थे।
मैं भी सुबह उनके रूम में ज्यादातर लेगिंग-कुर्ती में या फिर स्कर्ट और टीशर्ट में जाती थी।
जब रोहित घर रहते थे तो ससुर जी के साथ चुदाई नहीं होती थी।
हालांकि रोहित 8-9 बजे से पहले नहीं उठते थे, फिर भी जब भी वे आते थे तो हम ज्यादा कुछ नहीं करते थे.
बस मैं सुबह-सुबह 5.30 बजे के करीब उठकर चाय लेकर उनके कमरे में जाती थी और फिर हम दोनों के बीच जल्दी से लण्ड चूसना या चूत चटवाना ही होता था।
इस बीच मैंने मेरे भाई सोनू को भी ससुर जी के साथ चुदाई वाली बात बता दी थी।
यह सुनकर सोनू बहुत खुश हो गया था और खूब मजे लेता था।
वह बोला- अब जब भी तेरे घर आऊंगा तो दिन में तेरे ससुर के साथ थ्रीसम किया जाएगा और रात में जीजा, मैं और तू थ्रीसम करेंगे।
वैसे भी सोनू की हफ्ते में एक-दो बार ससुर जी से फोन पर बात ज़रूर करता था।
हालांकि वह ये सब बात नहीं करता था लेकिन बात-चीत में हंसी-मजाक खूब करता था ससुर जी के साथ!
ससुर जी को भी अच्छा लगता था उससे बात करना।
वहीं अपने जीजा यानि रोहित के साथ भी उसकी खूब बनती थी।
दोनों दोस्त की तरह बातें करते थे … यहां तक कि गंदे-गंदे जोक्स भी सुनाते थे एक-दूसरे को!
सोनू-रोहित एक दूसरे को पॉर्न क्लिप्स भी को अक्सर गंदे जोक्स भी व्हाट्सअप करता था।
यहां तक कि भाई-बहन, बाप-बेटी और मां-बेटे के रिश्तों को लेकर गंदे-गंदे मीम्स भी शेयर करते थे।
रोहित मुझे भी उसके जोक्स पढ़ाते थे कभी-कभी और हंसकर बोलते थे सोनू हॉस्टल में बिगड़ चुका है।
मैं भी हंसकर बोल देती थी- तो आप ही कौन से बड़े शरीफ हैं।
खैर … ससुर जी के साथ मस्ती का खेल शुरू होने के बाद जिन्दगी में एक बार फिर नमकीन स्वाद आने लगा था … जैसा शादी के पहले घर पर था।
वहां पापा और मम्मी से छुपकर भाई के साथ और भाई और मम्मी से छुपकर पापा के साथ चुदाई होती थी।
इसी तरह कुछ दिन गुजर गये।
अब इतने दिन ससुर जी के साथ चुदाई करते और मजे लेते हुए हो गये थे कि मैं उनसे हर तरह की हंसी-मजाक तक कर लेती थी और वे बुरा मानना तो दूर बल्कि मजे लेते थे।
लेकिन बस पायल वाली बात उनसे करने में अभी भी मुझे थोड़ा डर लगता था।
इस तरह करीब ढाई-तीन महीने बीत चुके थे।
हालांकि इस बीच मैं पायल को भी मानसिक रूप से बाप और भाई से चुदने के लिए तैयार कर रही थी और उससे रोज इसी तरह की बातें करती थी बाप-बेटी, भाई-बहन, माँ-बेटा हर तरह की फेमिली सेक्स मूवी दिखाती थी साथ ही अन्तर्वासना पर कहानी भी पढ़ाती थी।
होली आने वाली थी, मौसम थोड़ा बदल रहा था ठंड की विदाई हो चुकी थी।
सब कुछ ऐसे ही चल रहा था.
एक दिन शाम को मम्मी का फोन आया और वे होली पर घर आने के लिए कहने लगीं, बोलीं- पहली होली ससुराल में नहीं की जाती तो घर आना जाना!
मैंने कहा- ठीक है मम्मी, मैं रोहित (अपने पति) से फोन पर बात करती हूँ।
वहीं पापा का भी मन था कि मैं होली पर घर आ जाऊँ ताकि उन्हें भी चुदाई का मौका मिल सके।
मैं भी शादी के बाद से घर नहीं गयी थी तो मेरा भी घर जाने का मन था वहीं मन ही मन में ये भी था कि लण्ड की कमी तो मायके में भी नहीं है।
पापा तो हैं घर पर … और अपनी सहेली प्रिया से भी मुलाकात हो जाएगी और वहां उसके पापा से भी चुदाई का मजा मिल जाएगा।
मैंने रोहित से मुझे होली पर मायके जाने की बात की.
तो वे तैयार हो गये लेकिन बोले- मुझे तो बिल्कुल भी छुट्टी नहीं मिलेगी. त्यौहार पर तो हम लोगों को छुट्टी तो छोड़ो उल्टा ड्यूटी और बढ़ा दी जाती है। इसलिए अगर तुम्हारे पापा या भाई आकर ले जा सकें तो चली जाओ।
जैसा कि मैंने आपको बताया था कि मेरे पति रोहित रेलवे में जॉब करते थे तो त्योहार में उन्हें छुट्टी जल्दी नहीं मिलती थी।
रोहित की तरफ से मायके जाने की हरी झण्डी मिल गयी थी।
उधर पापा को भी जल्दी मची थी तो उन्होंने रात में ही ससुर जी से फोन पर मेरे होली पर घर आने की बात कर ली थी।
मैं भी खुश थी कि चलो काफी दिनों बाद मेरी चूत को एक बार फिर पापा और भाई के लण्ड का स्वाद मिलेगा।
तय हुआ कि सोनू होली से पहले जल्दी आएगा तो वही मुझे लेकर जाएगा।
अभी होली में अभी दस-पन्द्रह दिन बाकी थे और मैं जाने से पहले ससुर जी और पायल के मामले में बात कुछ आगे बढ़ाना चाह रही थी।
क्योंकि होली में ज्यादा दिन बाद वापस लौटने पर दोबारा सब कुछ शुरू करना मुश्किल होगा।
अगर दोनों राजी हो गये तो बहुत अच्छा रहेगा ताकि मेरे मायके जाने के बाद ससुर जी और पायल दोनों चुदाई के मजे ले सकें।
लेकिन अगर नहीं हुआ तो कम से कम ससुर जी या पायल में से किसी एक को तो राज़ी कर लूँ ताकि वापस आने के बाद सिर्फ एक पर ही मेहनत करनी रहे।
अब मैं अपने अगले प्लान पर काम करना शुरू कर दिया।
लेकिन समझ में नहीं आ रहा था कि कैसे शुरू करूँ।
बदलते मौसम में एक दिन फिर पायल को फिर से वायरल फीवर हो गया था।
पायल को फीवर होते ही मुझे पिछली घटना याद आ गयी।
पिछली बार पायल को जब फीवर हुआ था उसी दिन हमारे और ससुर जी के बीच चुदाई शुरू हुई थी और उसी समय ससुर जी के मन पायल को लेकर जो दबी भावना थी, वह भी पता चली थी।
एक बार फिर संयोग से पायल को बुखार हुआ तो मैंने सोचा कि क्यों पिछली बार की तरह आज भी कुछ प्लान किया जाए।
रोहित एक दिन पहले ही ड्यूटी पर गये थे और तीन-चार दिन तक आने वाले नहीं थे।
मैंने सोचा कि हो सकता है इसी से पायल और ससुर जी वाले मामले में कुछ बात आगे बढ़ जाए।
पहले तो मैंने सोचा कि फिर वही प्लान करूँ जो पहले किया था.
यानि कि पिछली बार की तरह ससुर जी को रात में फिर से पायल की नंगी जांघों के दर्शन करा दूँ।
लेकिन बाद में सोचा कि ज्यादा से ज्यादा क्या होगा एक बार वे और देख लेंगे अपनी बेटी की जांघें … इससे ज्यादा तो कुछ हो नहीं पाएगा।
फिर मेरे दिमाग में दूसरा बैड Xxx आईडिया आया।
मेरे दिमाग में तेजी से चल रहा था कि मुझे क्या करना है।
रात में ससुर जी ने दो-तीन बार पायल से उसकी तबीयत के बारे में पूछा और बोला- तुम खाना खाकर सो जाओ।
मैं समझ रही थी कि ससुर जी के दिमाग में वही चल रहा होगा कि हो सकता है पिछली बार की तरह उन्हें एक बार फिर पायल की नंगी जांघ देखने को मिल जाए।
लेकिन मेरे दिमाग में कुछ और प्लान चल रहा था।
जहाँ पिछली बार मैंने पहले ही पायल को खाना खिलाकर दवाई देकर सुला दिया था, इस बार मैंने ऐसा नहीं किया।
रात में खाना बनाने के बाद मैं मैंने पहले ससुर जी को खाना डायनिंग टेबल पर लगा दिया।
बुखार की वजह से पायल अपने कमरे में लेटी हुई थी।
ससुर जी ने खाना खाते टाइम पूछा- पायल खाना खाकर सो गयी है क्या?
मैंने कहा- जगी है मेरे साथ ही खाना मेरे साथ ही खाएगी।
मेरी इस बात पर सुसर जी थोड़ा मायूस हो गये थे।
वे समझ गये कि इस बार उन्हें अपनी बेटी की जांघें देखने का मौका नहीं मिलेगा।
खाना खाने के बाद ससुर जी अपने कमरे में सोने चले गये।
मैं रसोई का काम वगैरह सब निपटा कर अपना और पायल का खाना लेकर कमरे में पहुंची।
मैंने पायल को जगाया, फिर हम दोनों ने साथ ही खाना खाया।
रात के करीब 10.30 बज चुके थे।
पायल को बुखार तेज था तो वह तुरंत दवाई खाकर सोना चाह रही थी।
लेकिन मेरा प्लान कुछ और था।
मैंने पायल से मुस्कुराकर कहा- तो आज क्या प्लान है?
पायल बोली- कुछ नहीं भाभी … सिर बहुत दर्द कर रहा है बस दवाई खाकर सोऊंगी अब!
मैंने कहा- चल तू कुछ मत कर … लेकिन मुझे बहुत मन कर रहा है आज तेरी चूत चाटने का!
पायल थोड़ा उखड़े मन से बोली- ना … ना … भाभी प्लीज़ … मेरा कुछ करने का एक दम मन नहीं है। मुझे सोना है बस!
मैं मुस्कुराती हुई बोली- तो मैं तुझे कुछ करने को कहाँ कह रही हूँ. तू आराम से सो जा, जो करना है मैं खुद कर लूंगी।
पायल को लग गया कि बहस करने का कोई फायदा नहीं है तो बस बोली- ठीक है भाभी, आपको जो करना है करिए. बस मुझे उठाइयेगा मत!
मैं खुश होकर बोली- ये हुई ना बात!
पायल को बुखार तेज था तो वह दवाई खाकर लेट गयी।
मैं भी दरवाजा वगैरह बंद कर बेड पर आ गयी।
पायल ने स्कर्ट और टीशर्ट पहना था।
मैंने पायल की स्कर्ट को ऊपर किया और उसकी पैंटी को उतारने की कोशिश करने लगी।
लेकिन पायल के लेटे होने की वजह से वे नीचे नहीं हो रही थी।
पायल हल्की नींद में ही बोली- क्या कर रही हो भाभी?
फिर उसने खुद ही अपनी कमर थोड़ा ऊपर उठा दिया ताकि मैं आराम से पैंटी उतार लूँ।
पैंटी उतारने के बाद अब सिर्फ स्कर्ट और टीशर्ट में थी।
मैंने फिर कुछ देर उसकी चूत चाटी।
चूत चाटने के बाद मैंने पायल को दोबारा पैंटी नहीं पहनाई, बस उसकी स्कर्ट को नीचे कर दिया और फिर मैं भी सो गयी।
दरअसल मेरा प्लान पायल की चूत चाटने का नहीं था, बस मुझे उसकी पैंटी उतरवानी थी ताकि वह सिर्फ स्कर्ट में ही सोती रहे।
पायल और मुझे सोते-सोते करीब 11.30 बज गये थे।
अगले दिन हमेशा की तरह अलार्म बजने पर सुबह पांच बजे उठी।
देर रात में सोने की वजह से और बुखार और दवाई के असर से पायल बेसुध सो रही थी।
हाथ-मुंह धोकर प्लान के मुताबिक मैंने जल्दी से आलमारी से पायल की एक स्कर्ट-टीशर्ट और निकालकर पहन लिया।
ससुर जी के पास जाते समय ब्रा-पैंटी तो मैं वैसे भी नहीं पहनती थी।
मैंने पहले ही बताया था कि पायल और मेरी हाइट से लेकर फिजिक तक सब कुछ इतना सेम है कि अगर हम दोनों एक दूसरे के कपड़े पहन लेते हैं तो दूर से या फिर एक झटके में कोई भी धोखा खा जाए कि पायल है या मैं हूँ।
खैर … पायल की स्कर्ट और टीशर्ट पहनने के बाद मैंने चाय बनाया और चाय लेकर कमरे में पहुंची।
तो हमेशा की तरह ससुर जी कमरे में सिर्फ बनियान पहने लण्ड को हिलाते हुए मेरा इंतज़ार कर रहे थे।
मुझे देखते ही ससुर जी थोड़ा चौंकते हुए बोले- एक झटके में लगा कि पायल आ गयी हो कमरे में!
चाय का कप टेबल पर रखा और थोड़ा हिम्मत कर धड़कते दिल हंसते हुए उनका लण्ड पकड़कर बोली- किसी दिन सच में मेरी जगह पायल चली आयी तो क्या करेंगे?
ससुर जी अभी कुछ और कहते … तभी मैं हंसते हुए दोबारा कहा- तो क्या हुआ, वह भी चूस लेती अपने पापा का मस्त लण्ड। आप को भी मस्त जवान चूत चोदने का मौका मिल जाता!
ससुर जी शायद सपने में भी नहीं सोचे होंगे कि मैं ऐसा बोल दूंगी।
वे शॉक्ड हो गये थे. वहीं मैंने रिस्क लेकर ये कह तो दिया लेकिन कहने के बाद मेरा दिल जोर से धड़क रहा था कि ससुर जी का रिएक्शन क्या होगा।
हालांकि मुझे पता था कि जो बात मैं बोल रही हूँ उस पर ससुर जी कभी नाराज हो ही नहीं सकते क्योंकि अन्दर ही अन्दर यही तो वे खुद चाहते हैं.
लेकिन वे ऊपर से तो गुस्सा दिखा ही सकते हैं।
फिर भी मैं नॉर्मल होकर मुस्कुराते हुए उन्हें देख रही थी और उनके चेहरे पर आ रहे भावों को समझने की कोशिश कर रही थी।
मैंने देखा कि मेरी इस बात पर ससुर जी का चेहरा हल्का सा लाल हो गया था और अचानक से उनका खड़ा हुआ लण्ड ठुमके लेने लगा था जिसे मैं हाथ से लगातार सहला रही थी।
मैं समझ गयी कि शायद पायल के नाम पर ससुर जी एक्साइटेड हो गये थे।
हालांकि वे मुझसे अपनी भावनाओं को छिपाते हुए और बस ऊपरी मन से हल्का सा नाराजगी जताते हुए बोले- अरे पागल हो क्या? क्या बोल रही हो? बेटी है वह मेरी!
ससुर जी नॉर्मल होने की कोशिश तो कर रहे थे लेकिन मेरी इस बात पर उनके चेहरे और आंखों में एक अजीब सी चमक आ गयी थी।
वहीं उनकी आंखों की चमक और ज्यादा गुस्सा ना करते देख मेरे अन्दर थोड़ी हिम्मत बढ़ गयी थी।
मैं हंसती हुई बोली- बेटी तो मैं भी हूँ। आप ही तो बोलते हैं ना कि तुम भी पायल की तरह मेरी बेटी ही हो।
ससुर जी बोले- हाँ … हाँ … क्यों नहीं बेटा … तुम भी तो बेटी ही हो। लेकिन फिर भी तुम्हारे और पायल में थोड़ा तो अंतर है ना!
मैं थोड़ा नखरे दिखाती हुई बोली- अच्छा मतलब अब आप मेरे और पायल के बीच में अंतर करने लगे। मतलब आप मुझे नहीं मानते हैं ना अपनी बेटी?
ससुर जी अब तक एक दम नॉर्मल हो चुके थे, बोले- अरे नहीं बेटा, ऐसी बात नहीं. तुम भी मेरे लिए पायल के जैसी ही हो मेरी बेटी की तरह!
मैं जानबूझकर पायल वाली बात को खींच रही थी।
वहीं ससुर जी के चेहरे को देखकर साफ पता चल रहा था कि उन्हें भी इस बैड Xxx बात में मजा आ रहा था।
मैं भी मौका खोना नहीं चाह रही थी।
बैड Xxx हिंदी कहानी के हर भाग पर आप अपनी राय मेल और कमेंट्स ने देते रहिएगा.
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