अठारह वर्षीया कमसिन बुर का लुत्फ़-5
(Atharah Varshiya Kamsin Bur Ka Lutf- Part 5)
This story is part of a series:
-
keyboard_arrow_left अठारह वर्षीया कमसिन बुर का लुत्फ़-4
-
keyboard_arrow_right अठारह वर्षीया कमसिन बुर का लुत्फ़-6
-
View all stories in series
चूत में जीभ की कलाकारी से ऐशु रानी मस्ती से हिल उठी, रीना रानी उसके स्तनों का मजा लूट रही थी।
मैंने चूत से मुंह हटा के धीमी आवाज़ में पूछा- मज़ा आ रहा है ना रानी?
रानी ने सिर हिला कर हामी भरी।
मैंने अब पूछा- अब करूँ चुदाई मेरी जान? बना लूँ तुझको अपनी रानी?
रानी ने इस बार भी सिर तो हिला दिता परन्तु तुरंत ही शर्मा के नज़रें झुका लीं।
शर्म से उसका हसीन मुखड़ा लाल सुर्ख हो गया था, वो समझ नहीं पा रही थी कि अब आगे क्या होने वाला है।
इस आयु में चुदाई के ज़िक्र से ही शर्मसार होना और नर्वस होना बिल्कुल स्वाभाविक है।
खैर कोई नहीं, कुछ ही दिनों में सब शर्म भूल जाएगी, हरामज़ादी कूल्हे उछाल उछाल के चुदा करेगी, चुदाई करते हुए गन्दी गन्दी गालियाँ भी बका करेगी।
कुछ गालियाँ तो कमीनी को आज चोदते चोदते ही सिखा दूंगा।
मैंने फूल सी हल्की फुलकी नाज़ुक बदन वाली रानी को गोदी में उठाकर बिस्तर पर आराम से लिटा दिया।
माँ की लौड़ी का भार 47-48 किलो से अधिक न होगा।
फिर रीना रानी से कहा कि जब मैं इसके चूत पर लौड़ा रखूं तभी से तू इसकी चुम्मी लेते हुए इसकी जीभ मुंह में लेकर के चूसियो। ऐशु रानी तू भी इसके मुंह में जीभ पूरी दाल दियो। फिर लेती जाना चूत में लण्ड का मज़ा और जीभ में रीना रानी की चुसवाई का।
वैसे ये सब करवाने के पीछे मेरी योजना यह थी कि ऐशुरानी चूत फटने पर दर्द से चीख न पाए।
कई लड़कियाँ बड़े ज़ोर से चिल्ला पड़ती हैं क्यूंकि उनको बेहद तेज़ पीड़ा होती है।
यह खतरा यहाँ उठाया नहीं जा सकता था।
रीना रानी तो मादरचोद खेली खिलाई महा चालू थी, वो समझ गई और एक शरारत भरी मुस्कान उसके चहरे पर आ गई, उसने मुझे आँख मारी और सिर हिला के ज़ाहिर किया कि वो समझ गई है उसको क्या करना है।
मैंने तनतनाया हुआ लण्ड चूत से छुआ कर धीमे धीमे गोल गोल घुमाना शुरू किया।
बहती हुई चूत ने फौरन ही सुपारी को तर कर दिया।
रीना रानी योजना के अनुसार ऐशु रानी की बगल में लेट गई और ऐशु रानी का मुंह अपनी तरफ करके उसके होंठ चूसने लगी।
मैंने कुछ देर इंतज़ार किया जिससे रीना रानी को ऐशुरानी की जीभ मुंह में लेने का समय मिल सके।
इसके बाद मैंने थोड़ा सा लण्ड चूत में बहुत ही धीरे धीरे घुसाया, जब तक कि रानी के कौमार्य के परदे से लण्ड छू नहीं गया।
लण्ड के उस झिल्ली के साथ स्पर्श होते ही रानी के शरीर में झुरझुरी दौड़ी, उसने जल्दी जल्दी टाँगें इधर उधर झुलाईं।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
तब मैंने एक गहरी सांस ली और एक ज़बरदस्त धक्का पेला।
लण्ड रानी की रसीली चूत के बारीक परदे को फाड़ता हुआ बड़ी तेज़ी से उसकी बच्चेदानी से टकराया।
कौमार्य के अंत होने पर निकले गरम गरम लहू ने लण्ड भिगो डाला और शायद कुछ रक्त चूत से छलक के बाहर भी निकल आया क्यूंकि मुझे लण्ड की जड़ में भी एक गरम चिपचिपापन महसूस हुआ।
ऐशु रानी बड़े ज़ोर से कांपी और चिल्लाने की नाकाम चेष्टा भी की किन्तु उसकी जीभ तो रीना रानी के मुंह में फंसी हुई थी इसलिए गले से अजीब अजीब से घूँ घूँ घूँ के अतिरिक्त कुछ न निकला।
दर्द से तड़पते हुए ऐशुरानी ने चूत पीछे खींचने का प्रयास किया परन्तु उसके मैंने इतना टाइट जकड़ रखा था, लण्ड चूत में पूरा सूता हुआ था कि वो एक इंच भी न हिल सकी।
बिना कोई हरकत किये मैं एकदम शांत पड़ा रहा और रानी की छटपटाहट शांत होने की प्रतीक्षा करता रहा।
अपने तीस वर्ष के अनुभव से मैं जानता था कि एक बार यह तड़प, ये छटपटाहट हर कन्या को झेलनी ही पड़ती है। इस समय चुपचाप इसके समाप्त होने में जो चार या पांच मिनट लगेंगे उनका इंतज़ार करते रहना ही सबसे उत्तम उपाय है।
और जैसा मैंने लिखा वैसा ही हुआ, ऐशुरानी की बौखलाहट थोड़ी देर में ठंडी हो गई, शायद उसकी चूत में दर्द भी काफी घट गया होगा।
उसने रीना रानी में मुंह से जीभ छुड़वाने का प्रयत्न भी बंद कर दिया और चूतड़ फटकारने भी रोक दिए।
अब वो आराम से अपनी जीभ चुसवा रही थी।
मैं लंड चूत में घुसाये बिल्कुल बिना हिले डुले पड़ा था।
रानी की कुमारी चूत बेहद टाइट थी।
यूँ तो सभी कुमारी चूतें टाइट होती ही हैं मगर 18 साल की चूत की टाइटपने के क्या कहने यारों !!!
लंड उसमें फंसा हुआ था और एसा लगता था कि लौड़े को गीली गरम मुलायम सी मुठ्ठी में दबाके मुट्ठी को कस लिया गया हो।
यारो इतनी संकरी चूत को लेने का मज़ा भी बेइंतिहा आता है और यह चूत तो एक 18 साल की नवयुवती की थी, सो सोने पर सुहागा!
जब देखा कि रानी अच्छे से शांत हो गई है, तो मैंने रीना रानी से कहा- अब तू हट जा मैं इस लण्डखोर को सेट करूँगा।
रीना रानी बड़े अनमनेपन से हट गई और मैं रानी के ऊपर धीरे से लेट गया।
कहीं यह कोमल सी कन्या मेरे पिच्चासी किलो के वज़न से पिस न जाए, इसलिए मैंने अपने आपको एकदम से उसके ऊपर नहीं चढ़ाया बल्कि अपनी कुहनियों पर टिक गया।
थोड़ी देर यूँही रहने के बाद जब रानी मेरा भार का कुछ हिस्सा सहन कर गई तो मैंने कुहनियाँ सीधी करके सारा का सारा वज़न ऐशु रानी पर सरका दिया जिसे वो बिना किसी समस्या के झेल गई।
इसके पश्चात मैंने उसे बड़े प्यार से चूमना शुरू किया, उसके होंठ चूमे, चेहरा जगह जगह पर चूमा, कान की लौ मुंह में लेकर चूसी, गर्दन पर जीभ फिराई और फिर दोबारा होंठ चूसे।
इतनी चूमा चाटी से उसका डर और दर्द दोनों काम होने लगे और उसके बदन ने प्रतिक्रिया देनी शुरू कर दी।
रानी के मुंह पर एक मुस्कान सी दीखने लगी और बुर में फिर से रस बहने लगा जिससे लंड को भी मज़ा आने लगा।
काफी देर एसा प्यार करने के बाद मैंने बहुत धीमे धीमे धक्के मारने आरंभ किये।
पहले तो वह फिर कुछ दर्द से कराही लेकिन फिर चूत में आते हुए मज़े ने उसको सब दर्द भुला दिया, अब वह भी चुदाई का आनन्द उठा रही थी।
मैंने अपना मुंह उसकी चूचियों पर जमा दिया और एक एक करके चूसने लगा।
सम्भोग की प्यास ने मस्त चूचुक को सख्त कर दिया था इसलिये अब मैं चूची चूसते हुए दान्त भी गाड़ने लगा और दूसरी चूची को नींबू की भांति निचोड़ने लगा।
अब उसके मुंह से चीत्कार नहीं बल्कि सीत्कार की आवाज़ें आ रही थीं, उसके नितंब भी अपने आप ऊपर नीचे होने लगे थे।
रीना रानी लगातार ऐशु रानी का हौसला बढ़ा रही थी।
ऐशु रानी का सिर सहला कर बोली- ऐश्वर्या मेरी बहन… अब कम हो गया ना दर्द… अब हल्का हल्का मज़ा भी आ रहा है ना?
रानी ने धीरे से सिर हिलाकर हाँ में जवाब दिया।
‘देख मैंने कहा था ना मज़ा आयेगा… अभी देखे जा… कितना ज़्यादा मज़ा आने वाला है।’
मैंने पूरे ज़ोर से उसकी दोनों उरोजों को दबाया, अपने अंगूठे और उंगलियाँ चूचुक में गड़ा दीं, फ़िर उनको सहलाया और बारी बारी से चूसने का काम चालू कर दिया।
मैं लगातार धक्के भी हौले हौले लगाये जा रहा था।
मैंने रानी के फिर से होंठों को चूसा, इस दफा उसने भी अपनी जीभ मेरे मुंह में घुसा दी।
उसका मुंह चूसते चूसते ही मैंने धक्कों की रफ़्तार थोड़ी सी तेज़ की, चूट में खून और चूत के रस के कारण बड़ी पिच पिच हो रही थी और हर धक्के पर फच फच की आवाज़ आती।
ऐशु रानी ने अपने चूतड़ ऊपर नीचे हिला हिला के धक्कों में मेरा साथ देना शुरू कर दिया था, उसने अपनी टांगें मेरी जाँघों पर कस के लपेट ली थीं।
उसके चूचुक मेरी छाती में गड़े जा रहे थे लेकिन उनको मैंने जो अच्छे से निचोड़ा था इसलिये उनकी अकड़न अब घट चुकी थी, सिर्फ निप्पल सख्ताये हुए थे क्योंकि ऐशु रानी पर अब चुदास पूरी तरह चढ़ चुकी थी और चुदासी लड़की के निप्पल सख्त हो ही जाते हैं।
जब स्खलित होगी तो दुबारा मुलायम हो जायेंगे।
यह सबसे पक्की निशानी है कि लड़की गर्म हो गई है या नहीं।
मेरे लंड की गर्मी भी अब बहुत ज़्यादह बढ़ गयी थी, मैं जानता था कि इतनी देर से उत्तेजित लौड़ा अब झड़ने की पुकार कर रहा है।
मैंने धक्के और भी तेज़ स्पीड से मारने शुरू किये, मैं लंड को सुपारी तक बाहर खींचता और फिर धमाक से वापस चूत में घुसा देता।
एक बड़े ज़ोर से फच की आवाज़ होती और साथ ही लौड़े का टोपा चूत के आखीर में ऐशु रानी की बच्चेदानी में जाकर ठुकता।
बुर अब दबादब रस का प्रवाह करे जा रही थी इसलिये लंड अब बड़े आराम से इतनी तंग चूत में भी अंदर बाहर हो रहा था।
ऐशुरानी बहुत कसमसा रही थी, उसका सुन्दर मुखड़ा तीव्र कामावेग में लाल हो गया था, माथे पे पसीने की बूंदें छलक आई थीं, उसके नाखून मेरी पीठ पे गड़े जा रहे थे और वह बार बार सी सी कर रही थी, उत्तेजना से भरपूर रानी अपना मुंह कभी दायें करती और कभी बायें।
मैंने थोड़ा सा अपने को उठाया और एक बार फिर से उसकी मस्त चूचुक कस के मसलने कुचलने लगा।
मैंने दोनों निप्पलों को अंगूठे और उंगली के बीच में जकड़ कर बड़े ज़ोर से उमेठा, एक गहरी हिचकी उसके मुख से निकली और फिर उसने अपने नितम्ब बहुत तेज़ तेज़ ऊपर नीचे किये, चूत कई बार लपलपाई और फिर झड़ गई।
रस की एक फुहार मेरे लंड पे सब तरफ से गिरी और ऐशु रानी ने मुझे पूरी ताक़त से भींच डाला।
उसके बाद वो धड़ धड़ करके अनेक बार झड़ी।
मेरा लंड तो काफी देर से झड़ना चाहता था जिसे मैंने बड़ी मुश्किल से कंट्रोल किया हुआ था।
मैंने उसके कंधे पकड़े और दनादन बीस पचीस धक्के बहुत तेज़ी से मारे, लंड बड़े ज़ोर से झड़ा, मेरा गर्म गर्म लावा बड़े बड़े थक्कों के रूप मे निकला और काफी देर तक निकलता रहा।
मुझे ऐसा लगा जैसे मेरी रीढ़ की हड्डी पिघल गई हो और मैं मूर्छित सा होकर रानी के ऊपर ढेर हो गया।
वो भी झड़ के बेसुध सी पड़ी थी।
कहानी जारी रहेगी।
What did you think of this story??
Comments