अठारह वर्षीया कमसिन बुर का लुत्फ़-3

(Atharah Varshiya Kamsin Bur Ka Lutf- Part 3)

चूतेश 2016-07-11 Comments

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थोड़ी देर तक सब लोग गप्पें मारते रहे, करीब साढ़े ग्यारह बजे हम सब सोने चल दिए, अपने रूम में आकर सबसे पहले तो मैंने जूसी रानी की चुदाई की जिसके बाद वो सो गई।

कुछ देर मैंने प्रतीक्षा की ताकि जूसी रानी की नींद गहरी हो जाए।
एक नई कमसिन सी कच्ची कली ऐशुरानी की बुर का उद्घाटन करने के विचार ने मेरी उत्तेजना बेतहाशा बढ़ा दी थी, लण्ड अकड़ अकड़ के पागल सा किये दे रहा था।

मैं दबे पांव उस कमरे की तरफ बढ़ा जहाँ रीना रानी ऐशुरानी के साथ थी।
दरवाज़ा बंद था, मैंने हल्के से दरवाज़े पर हाथ लगाया तो खुल गया, सिर्फ भेड़ा हुआ था भीतर से चिटखनी नहीं लगाई थी।
रूम में एक बहुत मद्धम रोशनी वाले टेबल लैंप के सिवा सब लाइट्स बंद थीं।

भीतर देखा तो एक डबल बेड था जिस पर रीना रानी एक चद्दर ओढ़े हुए लेटी थी, बग़ल में ऐशुरानी भी चादर ओढ़े और एक बांह आँखों पर रखकर लेटी हुई थी।
पता नहीं जगी हुई थी या सो गई थी।

मैंने कमरे को अंदर से लॉक किया, बेड के पास जा कर रीना रानी पर छलांग लगाई।
मैंने पूछा- हरामज़ादी छिनाल…चादर क्यों ले रखी है इतनी गर्मी में?

रीना रानी ने उत्तर दिया- मादरचोद, हम नंगी हैं इसलिए चादर ओढ़ रखी है।

मैंने यह सुनकर आव देखा न ताव, झट से चादर खींच कर एक तरफ को उछाल दी।

ऐशुरानी ने झट से करवट बदल कर हमारी ओर अपनी पीठ कर ली और उसके मुख से घुटी घुटी सी आवाज़ निकली- ताऊजी प्लीज… प्लीज… चादर ढक दीजिये न प्लीज… बहुत शर्म आ रही है!

मैं कुछ पल तो उसके मलाई जैसे चिकने और मुलायम चूतड़ों को निहारता रहा, फिर मैंने उनको ज़ोर से दबाते हुए कहा- हरामज़ादी रांड को शर्म सूझ रही है अब… बहनचोद तो नंगी क्या अपनी मां चुदवाने को हुई थी कमीनी कुतिया?

ऐशुरानी नितम्ब निचुड़वाते हुए चिहुंक उठी मगर कुछ न बोली।

मैंने रीना रानी से कहा- सुन रानी, आज मैं तुझे करवट के बल चोदूँगा… करवट लेकर मुंह इस रंडी की तरफ कर ले!

रीना रानी ने वैसा ही किया और मैंने उसकी एक रेशम जैसी टांग अपने कंधे पर टिका ली और दूसरी टांग पर चढ़ के बैठ गया।
चूत पर हाथ फिराया तो वो रस से भरी हुई थी।

मैंने आगे को सरक के लौड़ा रीना रानी की चूत पर टिकाया और हचक के एक ज़ोरदार धक्का पेला जिस से लण्ड धमाक से पूरा का पूरा भीतर जा घुसा।

रीना रानी ने मस्ती में किलकारी मारी और सी सी सी करने लगी।
हरामज़ादी को बड़ा मज़ा आ रहा था, साली ने तुरंत ही चूतड़ हिलाने शुरू कर दिए।

मैंने ऐशु रानी का कन्धा पकड़ के घसीट कर उसका मुंह अपनी तरफ कर दिया।
मादरचोद ने शर्म से आँखें मींच लीं।
उसका सुन्दर मुखड़ा लाल सुर्ख हो गया था।

उस छोटी सी उम्र में उसने चुदाई के विषय में अपनी सेक्स से अनजान सहेलियों से थोड़ा बहुत सुन रखा होगा और कुछ इस लण्डखोर रीना रानी ने शाम को ब्लू फिल्म्स दिखाकर, कहानियाँ पढ़वाकर और अपनी चूचियाँ चुसवा कर सिखा दिया होगा।
ऐसी हालत में बेचारी का शर्म से लाल होना तो स्वाभाविक ही था।

इधर मैंने हौले हौले धक्के लगाते हुए रीना रानी को चोदना प्रारम्भ किया, उधर रीना रानी ने ऐशु रानी की एक चूची मुंह में ले ली और दूसरी को कस के नोच दिया।

करवट से चुदाई का यही तो मज़ा है कि यदि एक और लड़की भी हो तो चुदने वाली दूसरी लड़की को चूची, चूत या गांड चूस कर मस्त कर सकती है।

ऐशु रानी बिलबिलाई- हाय हाय दीदी, क्या करती हो.. प्लीज मुझको छोड़ दो न.. बहुत गुदगुदी हो रही है!

मैं बोला- बहन की लौड़ी, पहले आँखें खोल के आराम से चुदाई देख… फिर यह तुझे छोड़ देगी… खोल आँखें मादरचोद रंडी… कुतिया तुझे और तेरी मां को एक दूसरे के सामने चोदूँगा कमीनी!

यह कह कर मैंने दनादन आठ दस धक्के तेज़ी से टिकाये तो रीना रानी आनन्द विभोर होकर और अधिक जोश से ऐशु रानी की चूचियाँ चूसने लगी।

मैंने हाथ बढ़ाकर उसकी चूत पर उंगली फिराई, बहुत आराम से धीरे धीरे!बहनचोद वो कुंवारी चूत रस से लबाबब भरी हुई थी।

हरामज़ादी यूँ तो शर्मा रही थी लेकिन उसकी चुदासी बुर उसका साथ नहीं दे रही थी, बुर तो कमबख्त पूरी तरह से चुद जाने को बेकरार थी।

मैंने एशुरानी की बांह पकड़ी और उसको खींच के उठाया तो उसकी चूची जो रीना रानी के मुंह में थी वो भी रानी के दांतों से रगड़ खाती हुई बाहर निकल आई।

थोड़ी सी पीड़ा भी हुई होगी क्यूंकि उसके मुंह से एक ऊई की आवाज़ निकली।

मैंने अब एशुरानी के केश कस के अपने हाथ में जकड़ लिए और उसका मुंह बिल्कुल अपने कटि प्रदेश के सामने ले आया जिससे रीना रानी की रसीली चूत में घुसा हुआ लौड़ा वो अच्छे से देख सके।

मैंने पांच सात धक्के ठोके और बोला- सुन बहन के लौड़ी… अब ध्यान से देख मेरे लण्ड को और इस कमीनी रीना रानी की चूत… बिल्कुल नज़दीक से देख रंडी…

यह कह कर मैंने लण्ड को बाहर निकाल लिया और एशुरानी के मुंह पर फिराया।
लण्ड खूब अच्छे से रीना रानी के चूत रस में लिबड़ा हुआ पूरा गीला था और रस बहता हुआ लण्ड की जड़ की तरफ बह रहा था।

उसके चेहरे पर मैंने अच्छे से लौड़ा फिरा कर उसके मुंह को रीना रानी के चूत रस से सान दिया।
रानी ने अपना मुंह इधर उधर हिला के बचना चाहा लेकिन उसके केश मेरे हाथों में ज़ोर से जकड़े हुए थे तो वो ज़्यादा हिल न पाई।

मैं चुदास से में मदमस्त हुआ घुंटे घुंटे गले से बोला- ले रानी, अब तेरे मुंह पर इस कमीनी रीना रानी की मस्त चूत का रस लगा दिया है। इसको चाटते हुए तू मज़े से चुदाई का नज़ारा बिल्कुल नज़दीक से देख!

इधर रीना रानी चिल्लाई- कमीने राजे के बच्चे… यह तो देखती रहेगी, तू भोसड़ी के चोदना क्यों बंद कर देता है हरामी… अब चोद माँ के लौड़े… आग लगी पड़ी है चूत में!

मैंने ऐशुरानी के बाल छोड़ दिए और कहा- ऐशुरानी… ऐशुरानी… ऐशुरानी… अब तू आराम से चुदाई का दृश्य देख… देख यह हरामज़ादी रीना रानी कितनी व्याकुल हो गई है लौड़े की प्यास से… मैं इसको चोदता हूँ और तू एकदम पास से लण्ड को अंदर बाहर होता हुआ देख!

तब तक रीना रानी ने और भी खूब सारी गन्दी गन्दी गालियाँ बकीं क्यूंकि उससे ज़रा भी सबर नहीं हो रहा था।

मैंने उसको सीधा किया, उसके पैर अपने कन्धों पर टिकाये और धम्म से एक तगड़ा धक्का मारा तो पिच्च की आवाज़ के साथ लौड़ा पूरा का पूरा भीतर जा घुसा।

रीना रानी ने चूत में लण्ड धंसने पर मज़े में एक किलकारी भरी और खूब तेज़ तेज़ अपने चूतड़ हिलाने शुरू कर दिए।
इधर मैंने भी पंद्रह बीस अच्छे ज़ोरदार धक्के पेले।

अब ऐशुरानी बड़े मज़े से यह पूरा नज़ारा देख रही थी।

मैंने कनखियों से देखा साली मस्ती में गरमा कर अपनी टाँगें भी कभी खोल लेती, कभी भींच लेती।

मैंने एक बार फिर से लौड़ा बाहर निकाल के ऐशुरानी से कहा- देख इस छिनाल की चूत को देख… कितनी रसीली रसीली है… क्या मस्त गुलाबी रंग है इसका.. देख मादरचोद, आँखें अच्छे से खोल के देख!

मैंने रीना रानी की चूत को उँगलियों से चौड़ा कर के ऐशुरानी को उस जन्नत के दर्शन करवाए।

साली चूत लप लप लप लप कर रही थी और हर लप लप में थोड़ा सा रस निकाल रही थी।

स्वर्ग की परियों जैसी उस हसीन रसभरी चूत देख के लगा कि ऐशुरानी को चुदास और ज़्यादा चढ़ गई जब उसने थरथराती हुई वाणी में धीमे से पूछा- दीदी मैं इसको छू के देख लूँ?

मैं बोला- छू ले, छू ले कमीनी… छू भी ले और उंगली घुसा के भी मज़ा लूट!

ऐशुरानी ने डरते डरते रीना रानी की चूत में उंगली लगाई।
रीना रानी चिहुंक उठी और आह…आह…आह करने लगी।

भयंकर कामवासना से ग्रस्त रीना रानी ने तुरंत ही चूत से रस का एक छोटा सा फुहारा भी छोड़ा जिस से ऐशुरानी की उंगली पूरी भीग गई।

मैंने कहा- रानी अब इसको मुंह में लेकर इस कुतिया रीना रानी का चूत रस चाट! बहन की लौड़ी, अंग्रेजी दारू से भी अधिक नशा छा जायेगा।
ऐशुरानी ने उंगली मुंह में लेकर चूसी और मस्ता के चटखारा भरा। तब तक मैंने लौड़ा फिर से घुसा दिया था और धक्के पे धक्का ठोकना शुरू कर दिया था।

जब तक ऐशुरानी उंगली चूस के चुकी तब तक मैं बीस बाईस शॉट बिजली की तेज़ी से मार चुका था और रीना रानी सीत्कार पर सीत्कार भरे जा रही थी, उसके बाल तितर बितर हो गए थे और बदन चुदास में तमतमा के सुर्ख हो गया था।

साली, हराम की ज़नी, बदजात रांड का रेशमी बदन यूँ तप रहा था जैसे एक सौ चार का बुखार चढ़ गया हो, चूत से रस की वर्षा हो रही थी, पिच्च पिच्च पिच्च पिच्च पिच्च की आवाज़ हर धक्के में आती जो कामोत्तेजना को सैकड़ों गुना बढ़ा देती।

ऐशुरानी उंगली चूसते हुए सब देख रही थी।

मैंने धक्के पेलने हल्के कर दिए और ठुड्डी पकड़ के ऐशुरानी का चेहरा ऊपर उठाया।
साली की आँखों में लाल लाल डोरे तैर रहे थे, चेहरा तमतमा कर लाल हो गया था, स्पष्ट था कि वो इस समय कामेच्छा के पूरे वश में आ चुकी थी और भरपूर उत्तेजना से ग्रसित हो गई थी।

मैंने उसके होंठों पर एक चुम्मी ली तो रानी ने कस के मेरी पीठ पर हाथ गड़ा दिए। मैंने कहा- बस थोड़ा सा सबर और कर रानी, ज़रा रीना रानी की चुदाई पूरी कर लूँ। लौड़ा छू के देखेगी?

ऐशुरानी ने कुछ कहा नहीं मगर धीरे से सिर हिला के हामी भरी।

इधर रीना रानी ने गुहार लगाई- राजे माँ के लौड़े, तेज़ तेज़ चोद कमीने! आह… हाय हाय हाय.. बहनचोद क्यों सता रहा है?
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उसको मस्त रखने के लिए मैंने फिर से कई दन दनादन दन दन दन धक्के टिकाये जिसने रीना रानी की मज़े की पराकाष्ठा से भरी हुई चीखें निकाल दीं।

रानी ने बार बार आहें भरना शुरू कर दिया, कभी आह आह करती तो कभी सी सी सी करती, कभी हाय हाय हाय करती तो कभी ऊँऊँऊँऊँऊँ करती।

ऐशु रानी एक टक ये सब नज़ारा देखे जा रही थी। चुदाई होते देख और रीना रानी की आनन्द से पुलकित आवाज़ें सुन कर वो भी बहुत ज़्यादा गरमा चुकी थी, उसके माथे पर पसीने की बूँदें चमकने लगी थीं।
उसके हाथ अनायास ही अपने चूचुक सहलाने लगे थे और वो बार बार टाँगें रगड़ने की कोशिश कर रही थी।

मैं धक्के के पीछे धक्का ठोके जा रहा था। मेरे शॉट इतने पावरफुल थे कि हर धक्के पर रीना रानी का बदन सिर से पैर तक हिल जाता और वो मदमस्त होकर किलकारी मार उठती।

रीना रानी की अति उत्तेजित चूत से रसप्रवाह बदस्तूर जारी था।
हम दोनों की झाँटें और जांघें भी उस मादक और चिकने चूतरस के तेज़ बहाव से पूरी तरह से भीग चुकी थीं।

मैं समझ गया था कि रीना रानी अब चरम सीमा के निकट ही थी।
बस आठ दस धक्के और लगे तो वो खलास हो जाने वाली थी।

मैं जानता था कि रीना रानी को चुदाई के अंत में चूतड़ों पर पिटाई खाने में बेहद मज़ा आता था। यह उसको मेरी साली रेखा रानी ने सिखाया था, सिखाया ही नहीं, उसको इसकी लत ही लगवा दी थी।
साली कमीनी कुतिया रेखारानी !!!

रीना रानी को पूरा आनन्द देने के इरादे से मैंने रानी की टाँगें कन्धों से नीचे कर दीं।
उसने फ़ौरन ही टाँगें मेरी टांगों से कस के लपेट लीं।

उसकी मुलायम चिकनी टांगों के स्पर्श से मेरे बदन में उत्तेजना की लहरें तेज़ तेज़ दौड़ने लगीं। फिर मैं रानी के ऊपर लेट गया और उसके होंठ चूसते हुए उसको ज़ोर से लिपटा लिया।

यूँही लिपटे लिपटे मैंने एक गुलाटी मारी और रानी को अपने ऊपर ले लिया।रीना रानी ने धकाधक उछल उछल के धक्के आरम्भ कर दिए- पिच्च पिच्च पिच्च… पिच्च पिच्च पिच्च… पिच्च पिच्च पिच्च… पिच्च पिच्च पिच्च।

अब वो बुरी तरह से हाँफ रही थी और झड़ जाने को बेताब हो गई थी।

अब मैंने ऐशुरानी से कहा- ऐशुरानी सुन कमीनी… इस रंडी को चूतड़ों पर चांटे खा के चुदाई खत्म करने की आदत है… जब तक इसके चूतड़ लाल न होंगे इसे पूरा मज़ा नहीं आएगा… अब तू मार इसके नितम्बों पर खटाखट चांटे… खूब ज़ोर ज़ोर से मारियो बहनचोद!

वो शर्मा गई और बोली- आप ही मार लीजिए.. दीदी को चांटा मारना मुझे अजीब सा लगता है।

मैंने ज़्यादह बहस नहीं की और खुद ही तड़ातड़ चांटे ठोकने लगा।
वैसे भी उस बेचारी के नाज़ुक फूल से हाथों से रीना रानी की तसल्ली करने लायक थप्पड़ तो क्या लगते उलटे ऐशुरानी के हाथ और दर्द करने लगते।

मैंने पूरी ताक़त से रीना रानी की गांड पर चांटों का तबला बजना शुरू कर दिया।
वो हरामज़ादी तो धक्के पेले जा रही थी।

नितम्ब पर चांटे लगे ही साली एकदम से बौरा सी गई, न सिर्फ उसके धक्के और तेज़ हो गए बल्कि उसके मुख से अजीब अजीब से आवाज़ें और गालियों की बौछार निकलने लगी।

इधर चांटा पड़ता उधर चूत से जूस की पिचकारी सी छूटती।

मैं भी बड़ी तेज़ी से स्खलन की ओर बढ़ रहा था, मेरे अंडे एकदम टाइट और भरे भरे से लगने लगे थे, मेरी रीढ़ में एक तेज़ लहर ऊपर नीचे दौड़ने लगी थी।
मैंने रीना रानी के चूचे थाम लिए और उनका मर्दन करते हुए ज़ोरदार धक्के बड़ी तेज़ी से मारने लगा।
मेरा बदन इतना गर्म महसूस होने लगा था कि लगता था मैं फुंक जाऊँगा।

तभी रीना रानी ने एक गहरी सीत्कार भरी और धड़ाम से झड़ी, रस की धारा चूत से बह चली और रीना रानी पछाड़ खाकर मेरे ऊपर ढह गई।

तभी मैंने भी रानी के मम्मे भींचे भींचे बिजली की तेज़ी से कुछ शॉट टिकाये और फिर मैं भी झड़ा।
गर्म गर्म गाढ़े वीर्य का फव्वारा रीना रानी की चूत में बरस पड़ा, स्खलित होकर हम दोनों अर्धमूर्छित से बेड पर ढेर हो गए।

कुछ देर पश्चात मैंने आँखें खोलीं तो देखा कि ऐशु रानी मंत्रमुग्ध सी हमें देख रही है।
कहानी जारी रहेगी।

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