अन्तर्वासना फ़ैन इंडियन कॉलेज गर्ल के साथ-3

(Antarvasna Fan Indian College Girl Ke Sath- Part 3)

This story is part of a series:

आपने अब तक पढ़ा..
स्नेहा को चूत में खुजली होना शुरू हो गई थी और वो मुझसे एकांत और सेफ जगह में मिलने की बात कह रही थी। मैं ऐसी जगह के बारे में सोचने लगा।
अब आगे..

तभी मेरे दिमाग़ में बात आई कि मेरे दोस्त का घर खाली है। उसके घर वाले बाहर गए हैं और वो मुझे इस काम में मदद भी कर सकता है।

मैंने दोस्त को कॉल किया, उसको बताया। मेरे थोड़े मनाने के बाद वो तैयार हो गया.. पर उसने मुझसे कहा कि पार्टी देनी पड़ेगी। मैंने ‘हाँ’ कहा और डिसाइड हुआ कि कल हम पार्टी करेंगे और रात को मैं उसके घर पर ही रुक जाऊँगा।

मैंने ये बात बताने के लिए स्नेहा को मैसेज किया क्योंकि उसने मुझे कॉल करने के लिए मना किया है। इसलिए मुझे अगर कभी बात करने का मूड होता तो मैं सिर्फ़ मैसेज करता और वो मुझे कॉल करती। मेरे मैसेज के कुछ देर बाद ही उसका कॉल आया।

मैंने उसे प्लान के बारे में बता दिया और उसको अपने दोस्त के घर का पता भी बता दिया ताकि हमें कोई परेशानी ना हो। मैंने उसे ये भी समझा दिया कि अगर उसे कोई परेशानी हो तो वो मुझे कॉल करे.. मैं उसे पिक करने आ जाऊँगा।

वो बहुत खुश हो गई। अगले दिन मैंने घर पर बोल दिया कि आज मैं अपने दोस्त के घर जा रहा हूँ और रात को वहीं पर रुकूँगा।

उस रात को हम बाहर गए.. हम दोनों दोस्तों ने थोड़ी ड्रिंक की, खाना खाया।

मेरा दोस्त बार-बार मुझसे पूछता रहा कि वो कौन है और कैसे मिली.. पर मैंने उससे कहा- ये मेरा सीक्रेट है और इसके बारे में मैं नहीं बता सकता।

बाद में मैं दोस्त के साथ उसके घर जाके सो गया। सो क्या गए रात भर यही दिमाग़ में चल रहा था कि कल कैसा होगा।

सवेरे हम दोनों उठकर तैयार हुए, उसने मुझे कौन सी चीज कहाँ रखी है.. ये सब बताया और वो अपने काम पर चला गया।
अब मैं स्नेहा के कॉल का इंतजार कर रहा था। करीब 20 मिनट बाद उसका कॉल आया।
उसने बताया- मैं इस एरिया में तो आ गई हूँ मगर मुझे घर नहीं मिल रहा है।

मैंने उससे वहीं खड़े रहने को कहा और मैं उसे लेने चला गया।

कुछ देर बाद हम दोनों साथ में घर पर आए। मैंने अन्दर आते ही दरवाजा लॉक कर दिया। अब हम दोनों के चेहरे पर शरारत भरी मुस्कान थी।

मैंने उसे चाय के लिए पूछा.. तो वो कहने लगी- एक तो अपने घर पर नहीं बुलाया और यहाँ दोस्त के घर पर फॉरमॅलिटी निभा रहे हो।
मैंने उससे कहा- यार, कम से कम चाय तो पीते हैं.. तुम्हारे चक्कर में मैंने तो सवेरे की चाय भी नहीं पी।
उसने कहा- ठीक है पर चाय मैं बनाऊँगी।

मैंने उसे किचन दिखाया और कौन सी चीज कहाँ है ये बताया।
वो चाय बना रही थी तो मैं भी वहीं खड़ा था, उसके टाइट जीन्स से उसके चूतड़ों का उभार साफ नजर आ रहा था।

मैं एग्ज़ाइटेड तो था ही.. मैंने उसे पीछे से पकड़ लिया और गर्दन पर किस करने लगा। उसके गालों पे अपने गाल सहलाने लगा। उसके बालों से खेलने लगा, उसके मम्मों को दबाने लगा।

उसने कहा- लगता है तुमने इसी लिए चाय नहीं पी थी ताकि मैं आऊँ और तुम मेरे साथ ऐसी हरकत करो।
मैंने भी कहा- क्या फर्क पड़ता है.. आख़िर हम यहाँ इसी लिए तो आए हैं कि एक-दूसरे की प्यास बुझा सकें।

वो भी अब पलट कर मेरा साथ देने लगी। हम एक-दूसरे को चूम रहे थे। वो मेरी पीठ पर हाथ सहला रही थी और मैं उसके पूरे शरीर को अपने हाथों से नाप रहा था।
कभी मैं उसकी पीठ पर हाथ घुमाता तो कभी उसके चूतड़ दबाता.. तो कभी मम्मों को दबाता।

हमारी गर्मी से चाय भी जल्दी तैयार हो गई, फिर हम बैठकर चाय की चुस्की लेने लगे।
मैंने उससे पूछा- घर पर क्या बताके आई हो?
उसने कहा- पहले सहेली के घर जा रही हूँ.. फिर वहाँ से कॉलेज जाऊंगी और आते वक़्त थोड़ा लेट हो सकता है। सहेली को भी आज घर की तरफ आने के लिए मना कर दिया है।

अब हम फिर से एक-दूसरे में खोने को बेताब थे। मैंने उसे अपनी बांहों में उठाया और दोस्त के बेडरूम के बेड पर लिटा दिया। मैं खुद उसके बाजू में लेटकर उसे चूमने लगा।
हम एक-दूसरे को चूम रहे थे, मस्ती में एक-दूसरे को काट रहे थे।

मैंने उसका टॉप उतार दिया। फिर जीन्स उतार दी, अब वो मेरे सामने सिर्फ़ ब्रा और पेंटी में थी।
उसने कहा- तुम भी तो अपने कपड़े उतारो।
मैंने कहा- तुम ही उतार दो।

फिर उसने मेरी शर्ट उतारी.. पैंट को भी खोल दिया जिससे मेरा लंड उछलकर बाहर आ गया।
वो थोड़ा शरमा गई मैंने भी उसके मम्मों को आज़ाद कर दिया और उनके साथ खेलने लगा, उन्हें ज़ोर-ज़ोर से मसलने लगा।

मैं कभी उसके मम्मे को दबाता.. तो कभी मुँह में लेकर चूसता.. तो कभी उनको काटता, जिससे वो उछल पड़ती। साथ ही साथ मैं अपना लंड भी उसकी चूत पर रगड़ रहा था.. जिससे वो तड़प जाती। उसके गोरे-गोरे मम्मे एकदम लाल हो गए थे।

वो बोली- मत तरसाओ यार.. जल्दी से मेरी चूत की आग शांत कर दो, मुझसे और नहीं सहा जा रहा!
मैंने कहा- इतनी जल्दी नहीं.. थोड़ा सब्र करो, हमें तो आज पॉर्न मूवी की तरह चुदाई करनी है।

फिर मैंने उसकी पेंटी उतार दी और उसकी चूत को सहलाने लगा। उसकी चूत चिपचिपे पानी से पूरी गीली हो गई थी मैंने उसे अपना लंड चूसने के लिए कहा तो उसने बड़े प्यार से मेरे लंड को पकड़ कर मुँह में लिया। पहले तो सिर्फ़ लंड का टोपा ही चूस रही थी.. पर बाद में पूरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगी।

मैंने तो खड़े-खड़े सिर्फ़ बालों में हाथ घुमा रहा था। फिर मैंने कहा- मुझे भी तुम्हारी चूत का मजा चाहिए।
कुछ ही पलों में हम दोनों 69 की पोज़िशन में आकर एक-दूसरे को मज़ा दे रहे थे। हम दोनों उत्तेजना में एक बार झड़ चुके थे पर हमारा चुदाई का मैं प्रोग्राम तो अभी बाकी था।

मेरा लंड झड़ने के बाद भी वैसे ही खड़ा था। दोस्त के घर जाते वक़्त मैंने कन्डोम का पैकेट ले लिया था। मैं कोई रिस्क भी नहीं लेना चाहता था।

मैंने कन्डोम का पैकेट निकाला और उसे मेरे लंड पर कन्डोम पहनाने को कहा। उसने मुझे कन्डोम पहनाया। फिर हम दोनों शुरू हो गए। हम दोनों ने एक-दूसरे के शरीर का हर हिस्सा चूमा।

अब मैंने अपना लंड उसकी चूत के मुँह पर रखा और अन्दर डालने की कोशिश करने लगा। पर टाइट होने की वजह से लंड अन्दर ही नहीं जा रहा था.. तो मैंने उसकी चूत पर वैस्लीन लगाकर चूत सहलाता रहा।

फिर मैंने उसकी चूत में अपनी एक उंगली डाली और उसको अन्दर-बाहर करने लगा, थोड़ी चूत खुली तो दो उंगली डाल दीं।
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उसे हल्का सा दर्द हो रहा था.. वो सिसकारियां ले रही थी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ पर आज उसे अपनी प्यास बुझानी थी इसलिए वो हर दर्द बर्दाश्त करने के लिए तैयार थी।

जब उसी चूत लिसलिसी हो गई.. तब मैंने अपना लंड उसकी चूत पर लगा दिया, मैंने उससे कहा- तुम्हें थोडा दर्द बर्दाश्त करना होगा।
यह कहते ही मैंने एक झटका लगा दिया.. जिससे उसकी चीख निकल गई। मेरा आधा लंड तो अन्दर चला गया था.. पर रुका रहा और उसे चूमता रहा।

थोड़ी देर बाद जब वो नॉर्मल हुई तो मैंने और एक झटका दिया, जिससे मेरा पूरा लंड अन्दर चला गया।
मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू किए। कुछ वक़्त बाद उसे भी मजा आने लगा.. तो वो भी मेरे धक्कों का जवाब धक्कों से देने लगी और ज़ोर-ज़ोर से सिसकारियां लेने लगी।

उसके कंठ से ‘आहह.. आई..’ की आवाज निकलने लगी, वो कहने लगी- आज मेरी प्यास बुझा दो और ज़ोर से चोदो मुझे.. आह्ह.. आज इस चूत की पूरी खाज मिटा दो.. ओह.. बहुत तड़पी है ये.. आज इससे मत छोड़ो..
‘आह्ह.. बहुत तरसाया है तेरी चूत ने.. आज तुम कहोगी.. तो भी इसे नहीं छोड़ूँगा.. ले..’

इस तरह हम दोनों एक-दूसरे को जोश दिलाते हुए चुदाई का मजा ले रहे थे।
कुछ वक़्त बाद उसने मुझे कसके पकड़ लिया, कुछ ही देर की चुदाई के बाद वो बोल रही थी- मैं झड़ने वाली हूँ।

तो मैंने भी अपने धक्के तेज कर दिए, उसके बाद वो झड़ गई.. पर मैं रुका नहीं और उसे चोदता रहा।

उसके झड़ने की वजह से चुदाई करते वक़्त ‘पच-पच’ की आवाज हो रही थी। थोड़ी देर बाद मैं भी आने को हुआ.. तो मैंने अपनी स्पीड बढ़ाई और अन्दर ही झड़ गया। मैंने कन्डोम पहना था इसलिए डर भी नहीं था।

हम एक-दूसरे को किस करते हुए बेड पर ही लेटे हुए थे। हम एक-दूसरे के अंगों से खेल रहे थे.. जिसका परिणाम हम वापस गर्म हो गए और हमने फिर चुदाई का कार्यक्रम शुरू कर दिया।

पर इस बार अलग तरीके से चुदाई करनी थी। सो मैंने उसे घोड़ी बनने को कहा और पीछे से उसकी चूत में अपना लंड डालकर उसे चोदने लगा।

फिर मैंने उसे गार्डन वाली याद दिलाई और हमने फिर उस स्टाइल में चुदाई करने लगे। उस दिन हमने अलग-अलग तरीके से चुदाई की।

कुछ समय बाद हम दोनों तृप्त हो गए और घर से निकल गए।

यह थी मेरी पाठिका की चूत चुदाई की सच्ची कहानी.. दोस्तो, आपको मेरी सेक्स कहानी कैसी लगी जरूर बताएं।
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