अनदेखा प्रेम
(Love And Sex Story: Andekha Prem)
अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार!
भगवान की दया से सब ठीक होंगे और अपनी अपनी लाइफ में मज़े ले रहे होंगे. जो शादीशुदा हैं वो अपनी पत्नी की चुदाई का मज़ा ले रहे होंगे और जो मेरे जैसे भी हैं, वो लगे होंगे चूत चुदाई की तलाश में और जिनकी गर्लफ्रैंड है वो अपनी गर्लफ्रैंड को मना रहे होंगे, चुदाई के लिए और चुदाई का प्लान बना रहे होंगे।
आप सभी लोगों ने मेरी पिछली कहानी को पढ़ा और काफी तारीफ भी की, बहुत लोगों के मेल भी आये और कहानी की तारीफ की. जिन लोगों ने मेरी पिछली कहानी को पढ़ा था वो मेरे बारे में जानते हैं। और जो नहीं जानते उनको मैं बता देता हूँ कि मेरा नाम जितेन्द्र है और पर मुझे जीतू नाम से ज्यादा बुलाते हैं, मैं राजस्थान के एक छोटे से गाँव से हूँ पर अपनी पढ़ाई के लिए जयपुर रहता हूं.
मैंने आपको अपनी पिछली कहानी में मेरी गर्लफ्रेंड सपना (नाम बदला हुआ) का जिक्र किया था.
जिन लोगों को नहीं पता, वो मेरी पिछली कहानी
इक तरफा प्यार और चुत चुदाई का मज़ा
ज़रूर पढ़ें!
अब मैं आपका ज्यादा समय बर्बाद नहीं करते हुए सीधे कहानी पर आता हूँ. इस कहानी में पढ़ें कि सपना मेरी गर्लफ्रेंड कैसे बनी.
बात 2015 की जनवरी महीने की है, मेरा एक दोस्त है जो किसी लड़की से बात करता था तो उसने मेरी भी उस लड़की से एक दो बार बात करवाई थी तो मैं कभी कभी उसको फ़ोन कर लेता था जब मन नहीं लगता था क्योंकि उस टाइम पर मेरी कोई गर्लफ्रैंड नहीं थी.
वो लड़की गाँव में रहती थी और गाँव में लड़कियों के पास अलग से फ़ोन नहीं होता है तो वो भी घरवालों से छिप पर फ़ोन रखती थी. एक दिन मैं बैठा हुआ था मन नहीं लग रहा था तो मैंने उसको कॉल किया पर पर उधर से किसी ने कॉल अटेंड नहीं किया फिर मैंने 1-2 बार और कोशिश की पर किसी ने फ़ोन नहीं उठाया फिर मैंने नहीं किया।
फिर शाम को उस नंबर से कॉल आया… पर यह वो लड़की नहीं थी कोई और लड़की थी. उसने मुझ से पूछा- किससे बात करनी है?
तो मैंने कहा- जिसका यह फ़ोन है, उससे बात करनी है.
तो उसने कहा- यह फ़ोन तो मेरा है!
मैंने कहा- यार मज़ाक मत करो, जिसका फ़ोन है, उसको फ़ोन दे दो!
पर उसने बात नहीं करवाई।
मैंने सोचा ‘चलो कोई बात नहीं, अगर ये बात नहीं करवा रही तो अपना क्या जाता है इसी पर लाइन मारते हैं शायद चूत का जुगाड़ हो जाये।
वो एक कहावत है ना कि ‘अंधे को क्या चाहिए बस दो आंखें!’
और मुझे क्या चाहिए बस बात करने के लिए लड़की और उसकी चूत चोदने को मिल जाये तो मज़ा आ जाये!
बस यही सोच रहा था मैं!
फिर मैंने उसको वापिस फ़ोन किया और कहा- देखो, अगर तुम बात नहीं करवा रही हो तो कोई बात नहीं, पर यह तो बता दो कि तुम कौन हो और तुम्हारा नाम क्या है?
उसने कहा- मैं तुम्हें अपना नाम क्यों बताऊँ?
मैंने प्यार से कहा- अरे यार बता दो, नाम ही तो पूछ रहा हूं?
उसने अपना नाम सपना बताया
मैंने पूछा- क्या करती हो?
तो उसने बताया कि बी ए के दूसरे साल में पढ़ती है.
फिर ऐसे ही थोड़ी बहुत नॉर्मल बातें हुई थी.
अब मैं उस से बाते करने के बहाने ढूंढता था हमेशा ये ही सोचता कि उसको फ़ोन कैसे करूँ? और फोन करूँ तो क्या बोलूं, क्या बात करूं की वो मुझे गलत ना समझे और मेरे बारे में ऐसा ना सोचे कि ये लड़का तो पीछे ही पड़ गया.
अगर मेरा उससे बात करने का मन करता था तो मैं उसको कुछ भी मैसेज करता था और सोचता था कि इस मैसेज का अच्छा रिप्लाई आये और मुझे उस से बात करने का बहाना मिल जाये,
मन में बहुत सारी बातें सोचता था.
दिल में बहुत कुछ ख्याल आते उसके बारे में… उससे बात करने का मन करता था पर अपने आप पे कंट्रोल कर रखा था क्योंकि सीधे ही तो हम किसी लड़की को बोल नहीं सकते कि तुम मुझे पसंद हो और मेरी गर्लफ्रैंड बनोगी क्या।
किसी लड़की के बारे में पहले पता लगाते हैं कि वो हमारे बारे में क्या सोचती है, हमारे बारे में किस तरह सोचती है, उसके दिल में हमारे लिए क्या फीलिंग्स हैं, क्या वो भी मुझे पसंद करती है, क्या वो भी ऐसा ही सोचती है जैसा मैं उसके बारे में सोचता हूं. क्या वो भी मुझसे बात करने के बहाने ढूंढती है?
मैं इन्हीं सब ख्यालों में खोया रहता था.
उस लड़की की आवाज़ बहुत प्यारी थी जो मुझे बहुत पसंद आई थी तो मैंने उससे कहा- अगर आपको कोई प्रॉब्लम ना हो तो हम नॉर्मली बात कर सकते है फ्रेंड बनकर?
तो उसने कहा- सिर्फ फ्रेंड बनकर ही बात कर सकते हैं, इससे ज्यादा कुछ सोचना मत!
मैंने कहा- ठीक है, हम फ्रेंड बनकर ही बातें करेंगे.
दोस्तो, मैं आपको बता देता हूँ कि जो भी लड़की मुझसे 2-4 दिन बात कर ले उसको मेरी बातें और खासकर मेरी आवाज इतनी पसंद आती है कि वो लड़की खुद मुझे आगे से मेरी आवाज सुनने के लिए फ़ोन करती है.
तो मेरी कहानी में भी कुछ ऐसा ही हुआ.
एक दिन मैं अकेला बैठा हुआ था, दोपहर का समय था, वो खेतो में गयी थी तो उसने मुझे कॉल किया और हम ऐसे ही नॉर्मली बातें करने लगे.
उस समय सर्दियों का मौसम था तो सरसो में फूल आ रहे थे पीले पीले जो कि देखने में बहुत प्यार लगते हैं. जो लोग गाँव में रहते हैं, वो जानते होंगे कि उस टाइम सब तरफ फूल ही फूल दिखाई देते हैं.
तो उसने मुझसे कहा- मैं तुम्हें फूल दे सकती हूं क्या?
यह सुनकर मैं सन्न रह गया, मैंने फिर से पूछा- क्या बोल रही हो?
तो उसने कहा- मैं तुम्हें फूल दे सकती हूं क्या?
मैंने अनजान बनते हुए पूछा- फूल तो प्यार करने वालों को दिया जाता है.
तो उसने कहा- हम दोस्त हैं ना… तो दोस्तों को भी फूल दे सकते हैं.
मैंने कहा- ठीक है, दे दो!
फिर मुझे लगा कि इस लड़की के दिल में भी मेरे लिए कुछ है अगर कोशिश कि जाए तो लडक़ी जल्दी ही पट जाएगी और मेरी सारी ख्वाहिशें पूरी हो जाएगी. फिर हमने बहुत सारी बातें की।
और ऐसे ही रोज़ाना बातें करने का सिलसिला चालू हो गया. कई महीने बीत गए.
फिर एक दिन करवा चौथ थी और उसका व्रत था तो रात के टाइम उसने मुझे फ़ोन किया और कहा- चाँद को देखो निकला है अभी या नहीं?
मैंने छत पर जाकर देखा तो चाँद नहीं निकला था, मैंने उसको बोल दिया कि अभी नहीं निकला.
फिर मैंने उससे पूछा- ये व्रत तो अपने पति के लिए करती हैं औरतें… फिर तुमने किसके लिए किया है?
उसने कहा- मैंने भी किसी के लिए किया है.
मैंने पूछा- किसके लिए किया है?
पर उसने मुझे कुछ नहीं बताया.
तो मैंने मन ही मन सोचा कि मेरे लिए ही किया होगा और अंदर ही अंदर खुश हो रहा था कि मेरे लिए किया होगा, तब ही तो मेरे से चाँद दिखवा रही है.
फिर जब चाँद निकला तो मैंने उसको बता दिया.
ऐसे ही हमारी बातें दिन प्रतिदिन ज्यादा होती गयी, हम अपनी बातें एक दूसरे को बताने लगे और दोनों बहुत खुश थे और मुझे लगा कि उसको भी मुझसे प्यार है.
एक दिन हम बाते कर रहे थे तो मैंने उससे पूछा- एक बात पूछूँ?
उसने कहा- पूछो!
मैंने कहा- जो पूछूँगा वो सच बताओगी?
तो उसने हाँ कहा.
फिर मैंने कहा कि दिल से जवाब दोगी जो भी पूछूँगा?
तो उसने हाँ बोल दिया.
फिर मैंने पूछा- कि तुम्हारे दिल में मेरे लिए क्या फीलिंग्स हैं?
उसने कुछ सोचा फिर बताना शुरु किया- जब मैं आपसे बात करती हूं तो मैं सब कुछ भूल जाती हूं, ऐसा लगता है कि मुझे सब कुछ मिल गया, ज़िन्दगी में बस तुम पास हो तो मुझे ज़िन्दगी से कुछ नहीं चाहिए. जब मैं आपसे बात करती हूं तो मैं अपने आपको भूल जाती हूँ, मुझे किसी भी बात की फिक्र नहीं रहती, सोचती हूं कि ज़िन्दगी यही रुक जाए! जब तुम्हारी आवाज़ सुनती हूँ तो ऐसा लगता है कि ये आवाज़ सुनती ही जाऊँ!
वो बोलती गयी- मैं पहले ज़िन्दगी में इतनी खुश कभी नहीं रही जितनी खुश तुमसे बातें करके रहती हूं. जब तुमसे बात नहीं होती तो एक अजीब सी घबराहट होती है, दिल बैचैन रहता है, हमेशा तुम्हारे ही ख्याल दिल में आते हैं, यह सोचती हूं कि काश तुम पहले मिल गए होते! तुमसे बात करके मैं अपना खाना पीना सब भूल गयी हूँ, बस ऐसा लगता है कि कोई मुझे खाना पीना ना दे और सिर्फ तुमसे बातें करने के लिए बोल दे.
मैं तुमसे बहुत कुछ बोलना चाहती थी पर कभी बोलने की हिम्मत नहीं हो पाती थी, सोचती थी कि पता नहीं तुम मेरे बारे में क्या सोचते हो! यह सोचती थी कि अगर मेरे किसी बात का तुम्हें बुरा लग गया तो तुम मुझ से बात करना बंद तो नहीं कर दोगे? मैं तुम्हें बहुत पसंद करने लगी थी, मुझे तुमसे प्यार हो गया लेकिन डरती थी इस बात से कि कहीं तुम मुझ से दूर ना चले जाओ! मैं तुमसे बहुत बहुत बहुत ज्यादा प्यार करती हूँ. आई लव यू जीतू!
और ये सब बोल कर वो रोने लगे गयी.
ये सब सुन कर मेरी आँखों में भी आंसू आ गए और सोचने लगा कि क्या कोई किसी को इतना प्यार कर सकता है.
फिर मैंने उससे कहा- पागल, रो क्यों रही है, मैं भी तुमसे बहुत प्यार करता हूं।
उस दिन हम दोनों खुशी में रोये थे क्योंकि हम दोनों को अपना प्यार मिल गया था.
यहाँ से हम दोनों की प्रेम कहानी शुरु हो गयी. हमने एक दूसरे को कभी देखा नहीं था ना ही रियल में और ना ही फ़ोटो में फिर भी हम एक दूसरे को बहुत प्यार करते थे.
अब हम रोजाना बातें करते थे, जब बातें नहीं होती थी तो कुछ भी अच्छा नहीं लगता था. हमें बातें करते करते बहुत दिन हो गए, फिर एक दिन हमने मिलने का प्लान बनाया, उसका कोई एग्जाम था तो उसको जयपुर आना था. उसी दिन हमने मिलने का प्लान बनाया!
हम दोनों ही एक दूसरे से मिलने के लिए बेताब थे, एक दूसरे से मिलने के लिए तड़प रहे थे.
आखिर वो दिन भी आ गया जिस दिन हमको मिलना था. मैं बहुत खुश था, उस रात को मुझे नींद नहीं आई थी और बस उसी के ख्याल आते रहे थे.
फिर जिस दिन मिलना था, मैं तैयार हुआ अच्छे से और उससे मिलने चला गया, हमने एक पार्क में मिलने का प्लान बनाया था.
मैंने वहाँ जाकर उसको फ़ोन किया और पूछा- कौन सी जगह हो?
उसने बता दिया और यह भी बताया कि उसने कैसे कपड़े पहन रखे हैं. तो मैं उसको ढूंढने लग गया. फिर आखिर में मुझे वो दिख गयी और मैं उसके पास चला गया और उसको हेलो बोला.
उसने भी हेलो बोला!
मैं उसको देखते ही देखता ही रह गया… क्या कयामत लग रही थी… क्या मस्त लड़की थी!
उसको देख कर मैं पागल हो गया, उसकी पतली सी कमर कयामत ढा रही थी, उसके सीने पर उसके बूब्स ऐसे लग रहे थे जैसे कोई नारंगी छुपा पर रख रखी हो किसी ने… उसकी गांड की तो यारो बात ही क्या! उसकी गांड देख कर मन कर रहा था कि अगर ये पार्क नहीं होता तो अब तक पता नहीं क्या क्या हो जाता!
फिर हमने थोड़ी देर बातें की और फिर कहा- यार, मूवी देखने चलते हैं!
मैंने उसका हाथ पकड़ा, क्या मुलायम हाथ थे उसके!
हम चल दिये मूवी देखने… और हमने लास्ट की सीट ली!
मूवी चालू हो गयी लोग मूवी देखने लगे गए और हम दोनों का ध्यान मूवी पर कम और एक दूसरे पर ज्यादा था, मैंने उसका हाथ पकड़ा हुआ था, मैं धीरे धीरे उसका हाथ सहलाने लग गया, उसने कुछ भी नहीं कहा तो मेरी हिम्मत और बढ़ गयी और मैं उसके हाथ को दबाने लगा फिर अपने हाथ को धीरे धीरे उसके पेट पर ले गया और हाथ को पेट पर फेरने लगा तो उसको कम्पकपी लगने लगी.
फिर मैं अपना हाथ उसके सीने पर बूब्स पर ले गया, उसके बूब्स बहुत ज्यादा मुलायम थे, ऐसा लगा जैसे मक्खन हो! मैं सपना के बूब्स को सहलाने लगा. हम दोनों धीरे धीरे गर्म होने लगे और कब हम दोनों के होंठ एक दूसरे से मिल गए, पता ही नहीं चला और हम एक दूसरे को किस करते हुए एक दूसरे में खो गए! हम भूल गए थे कि हम सिनेमा हॉल में हैं.
किस करते करते मैं अपना हाथ उसकी पैन्ट में ले गया और चुत पर रख दिया, उसकी चुत पूरी गीली हो रही थी, मैंने चुत को सहलाना शुरु किया और मेरे लंड का तो हाल ही ऐसा हो रहा था कि अभी पैन्ट को फाड़ देगा और बाहर आ जायेगा.
उसने मेरे लंड को छुआ तो मुझे करंट सा लगा. फिर उसने मेरे लंड को अपने हाथ में लिया और सहलाने लगी. हम दोनों की काम वासना पूरी तरह से जाग गयी थी और एक दूसरे के ऊपर कंट्रोल नहीं रहा.
उसने कहा- जीतू, अब कंट्रोल नहीं हो रहा मुझसे!
तो मैंने कहा- यह तो हॉल है, यहां कुछ नहीं हो सकता, हम किसी होटल में चलते हैं!
पहले तो वो मना करने लगी, फिर मेरे जोर देने पर वो मान गयी और हम मूवी बीच में ही छोड़कर पास की ही एक होटल में चले गए और एक रूम बुक करवाया और उसमें चले गए.
रूम में जाकर मैंने दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया और दोनों एक दूसरे के गले लग गए जैसे हम दोनों जन्मों के बिछड़े आज मिले हों!
काफी देर तक हम एक दूसरे के गले लगे रहे, फिर हम बेड पर आ गए और एक दूसरे को किस करने लगे. हम पागलों की तरह एक दूसरे को किस कर रहे थे. हम दोनों एक दूसरे से ऐसे चिपके हुए थे कि दोनों के बीच से हवा भी नहीं गुजर सकती थी.
हम दोनों ऐसे ही एक दूसरे से लिपटे रहे और कब हमारे कपड़े हमारे बदन से अलग हो गए, हमें पता ही नहीं चला, हम दोनों पूरी तरह से नंगे बिस्तर पर पड़े थे.
मैं उसके बूब्स को चूसने लगा और उसकी आंखें बंद थी. मैं कभी उसके होंठों पर किस करता तो किस करते करते उसकी गर्दन पर किस करने लग जाता, उसके पूरे जिस्म पर किस करने लगता. किस करते करते मैं उसकी चुत पर पहुच गया और चुत पर मुह रख दिया.
जैसे ही मैंने सपना यानी मेरी गर्लफ्रेंड की चुत पर मुंह रखा वो बिना पानी की मछली की तरह तड़पने लगी और मैं उसकी चुत को चाटने चूसने लगा. मैंने उससे लंड चूसने को कहा तो उसने पहले तो मना कर दिया लेकिन फिर कहा- मेरी जान के लिए कुछ भी कर सकती हूं.
हम दोनों 69 की अवस्था में आ गए, वो मेरे लंड को चूसने लगी और मैं उसकी चुत को!
मेरे चूसने से उसकी चुत पूरी तरह गीली हो गयी थी और लंड लेने के लिए तैयार थी तो मैंने सोचा लोहा गरम है हथौड़ा मार देना चाहिए.
वो बिस्तर पर लेट गयी, मैंने उसकी टांगों को फैलाया तो उसकी चुत मेरे सामने थी, मैंने अपने लंड को चुत के ऊपर रगड़ा, उसकी चुत के पानी से मेरा लंड पूरा गीला हो गया.
उसने कहा- अब और मत तड़पाओ!
तो मैंने अपना लंड धीरे से उसकी चुत में डाल दिया, उसकी चुत बहुत कसी हुई थी तो लंड अंदर नहीं जा रहा था, फिर मैंने एक ज़ोर से धक्का दिया तो लंड चूत को चीरता हुआ पूरा अंदर चला गया और वो रोने लगी.
तो मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और थोड़ी देर रुक गया. जब थोड़ी देर बाद उसका दर्द कम हुआ तो मैंने लंड को अंदर बाहर करना चालू किया और अपने धक्कों की गति बढ़ा दी और वो भी सिसकारियां भरने लगी और चुत चुदाई के पूरे मज़े ले रही थी, आहें भर रही थी.
मैंने उसको कई तरीक़े से चोदा, हमने कई बार सेक्स किया उस दिन और हम दोनों की प्यास बुझ गयी थी.
फिर सेक्स करने के बाद वो रोने लगी और कहने लगी- तुम मुझसे कभी दूर मत जाना… मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं, मैंने तुम्हारे लिए सब कुछ किया है.
और वो मेरे गले लगकर रोने लगी.
दोस्तो, मैं आपको एक बात बताना चाहूंगा कि जिससे भी आप सच्चा प्यार करते हो, उसके साथ कभी उसकी मर्जी के खिलाफ सेक्स मत करना!
तो दोस्तो, कैसी लगी आपको मेरी लव और सेक्स स्टोरी? मुझे मेल करके ज़रूर बतायें!
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