एक्टिवा वाली लड़की की मदद के बाद चूत चुदाई
(Activa Vali Ladki Ki Madad Ke Bad Chut Chudai)
मैं एक शरीफ और शर्मीला किस्म का लड़का हूँ। मेरा रंग गोरा है.. लड़कियों को पटाने में थोड़ा ढीला ज़रूर हूँ.. लेकिन एक बार जो पट जाए.. तो वो किसी और की नहीं हो सकती.. वो शारीरिक और मानसिक रूप से मेरी ही बनी रहती है।
अब मैं मेरी सेक्स स्टोरी पर आता हूँ।
बात करीब 9-10 साल पुरानी है.. जब मैं क्लास 12 में पढ़ता था। मैं और मेरा दोस्त बाइक पर मस्ती करने निकले थे। उस दिन हम घूमते हुए ज्यादा आगे आ गए थे.. वहाँ पर जंगल शुरू हो गया था। मुझे मालूम था कि वहाँ पर अक्सर बाइकर्स खतरनाक स्टंट्स आदि की प्रैक्टिस किया करते थे।
उस समय भी वहाँ पर कुछ लड़के ऐसे ही प्रैक्टिस कर रहे थे। हम थोड़ा आगे चले गए.. वहाँ पर एक लड़की एक्टिवा चला रही थी। उसके एक्टिवा चलाने के अंदाज से साफ़ मालूम हो रहा था कि वो अभी नई-नई चलानी सीखी थी.. ऐसा इसलिए लगा क्योंकि उसका हाथ काँप रहा था.. जिसके कारण उसकी एक्टिवा का हैंडल काँप रहा था।
हम वहीं रुक गए.. और कुछ देर बाद जब हम दोनों दोस्त वहीं बैठे उसे एक्टिव चलाते हुए देख रहे थे.. तभी यही कोई 15-20 मिनट बाद एक बाइकर स्टंट मारता हुआ आया। वो लड़की घबरा गई.. उसका हैंडल कांप गया.. और उस लड़के की बाइक साइड से कट मारती हुई निकल गई।
वो लड़की इस हादसे की कारण दूर जा कर गिरी.. हम जल्दी से वहाँ पहुँचे। हमने देखा कि उसके पैर में फ्रॅक्चर हो गया था और वो बाइकर तो भाग गया था।
अब हम डर गए.. हमें लगा कि कहीं हम फंस ना जाएं.. हम उधर से निकल भागने की सोचने लगे। लेकिनवो लड़की रो रही थी उसे रोता देख कर मुझे लगा कि यहाँ कोई नहीं है तो हमने उसकी मदद करनी चाही।
मैंने उसे उठाया.. मैं बाइक पर था.. उसको अपने पीछे बिठाया और मेरे दोस्त ने उसकी एक्टिवा उठा ली। हम हॉस्पिटल पहुँच गए.. उसका इलाज करवाया और उसके घरवालों को सूचना दी।
उसने हमें बहुत थैंक्स कहा। उससे बातों- बातों में हमने उससे उसका नाम पता आदि पूछ लिया था। उसका नाम चिंकी था। (यह नाम बदला हुआ है)
अब मैं रोज उससे मिलने जाता था.. हम दोस्त बन गए थे। उसके मम्मी-पापा भी मुझे जानने लगे थे। कई बार जब उसके मम्मी-पापा नहीं होते थे तो भी मैं उसके घर जाने लगा था क्योंकि मेरे मन में उसके लिए ऐसा कुछ भी गलत नहीं था।
एक दिन उसके मम्मी-पापा घर पर नहीं थे.. उन्हें किसी शादी में बाहर जाना था.. लेकिन क्लास 12 के बोर्ड के एक्जाम होने की वजह से वो उनके साथ नहीं जा पा रही थी।
वो घर पर अकेली थी.. उसके मम्मी-पापा ने मुझसे बोला था कि कोई दिक्कत हो तो चिंकी की मदद कर देना।
उस दिन कोई 4-5 बजे उसका फोन आया.. वो बोली कि उसे गणित में कुछ पूछना है.. मैं उसके घर पहुँच गया।
वैसे तो वो सूट पहनती थी.. लेकिन उस दिन उसने काले रंग का एक लॉन्ग गाउन पहना हुआ था। इस गाउन में वो इतनी सुन्दर लग रही थी कि क्या बताऊँ.. कोई भी देखे.. तो बस पागल ही हो जाए।
गहरे गले का गाउन.. जिसमें से उसके मम्मों की दरार साफ़ दिख रही थी। मेरा तो लंड वहीं खड़ा हो गया था.. लेकिन करीब आधा घंटा मैंने उसे गणित समझाता रहा।
फिर अचानक मेरे हाथ से पेन्सिल गिर गई.. मैं उठाने झुका ही था कि मुझसे पहले वो झुक गई.. और मेरी टाँगों के बीच से लंड को टच करते हुए जैसे ही उसने पेन्सिल उठाई.. मैं बस अपना आपा खो चुका था.. लेकिन शर्मीला स्वभाव होने की वजह से मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी।
करीब 10-15 मिनट बाद मैंने गौर किया कि उसका ध्यान पढ़ाई में नहीं था।
मैंने पूछा.. तो बोली- कुछ समझ नहीं आ रहा है..
दरअसल मेरा ध्यान भी भटक गया था.. मैं भी उसे अच्छे से समझा नहीं पा रहा था।
मैंने किताब एक तरफ रखी और अपने घुटनों के बल बैठ कर उसे ‘आई लव यू’ बोल दिया।
उससे बहुत अच्छा लगा.. मैंने उसे बाँहों में ले कर किस कर दिया।
उसने भी मेरा साथ दिया.. और हम गले लग गए। कोई 4-5 मिनट बाद हम अलग हुए.. हम दोनों एक-दूसरे को प्यार करने लगे।
उस दिन घर पर कोई ना होने की वजह से हमें कोई डर नहीं था.. उसने किस के बाद बताया- जिस दिन से तुमने मेरी मदद की है.. तभी से मैं तुमसे प्यार करती हूँ।
यह सुनते ही मैंने उसके रसीले होंठों पर एक और किस किया और इस बार मैंने उसके मम्मों को दबाना शुरू कर दिया।
वो भी मचलने लगी थी।
फिर मैंने उसके मम्मों की दरार पर मुँह रख कर चूमना शुरू कर दिया।
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वो भी मेरा सिर अपने मम्मों में दबाए जा रही थी। फिर मैंने धीरे से उसका गाउन ऊपर को कर दिया। उसने नीचे लाल रंग की पेंटी पहनी हुई थी.. जो कि थोड़ी गीली हो चुकी थी।
अब मैंने उसका गाउन पूरा उतार दिया.. उसने ब्रा नहीं पहनी थी।
मैं उसके मम्मों पर टूट पड़ा.. जो कोई 32 के होंगे.. अब तो मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था, मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए और बिस्तर पर लेट गए।
मैं उसको चोदने के मूड में आ गया था.. उसने मुझे मना किया.. लेकिन मैंने उसे बातों में बहका दिया और धीरे से उसकी टाँगों को फैला कर चूत के मुहाने पर लौड़े को टिका दिया.. और अन्दर डालने लगा।
उसने पहले कभी सेक्स किया नहीं था.. तो उसे दर्द हो रहा था। उसने मना कर दिया कि बहुत दर्द हो रहा है।
मैंने थोड़ी देर के लिए अपना लौड़ा निकाल लिया.. फिर कुछ ही पलों बाद दोबारा एक जोरदार झटके में सील तोड़ता हुआ पूरा अन्दर पेल दिया। वो दर्द के मारे बिलबिला रही थी।
मैं वहीं उसके ऊपर चढ़ा रहा.. ना अन्दर और ना बाहर किया.. जब उसका दर्द थोड़ा कम हुआ.. और उसके चूतड़ों ने हरकत की.. तो मैंने झटके देने शुरू किए।
थोड़ी देर बाद उसे भी मजा आने लगा और वो भी नीचे से मेरा साथ देने लगी, उसके मुँह से ‘आअहह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… उउम्मह..’ की आवाजें आने लगी थीं।
धकापेल चुदाई के बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए और एक-दूसरे की बाँहों में लिपट गए।
उस रात हमने 3 बार सेक्स किया.. साथ नहाए.. नंगे ही रहे.. दोनों ने ही भी किसी को कपड़े नहीं पहनने दिए।
आज उसकी बहुत याद आ रही थी.. तो उसके साथ हुई चुदाई को लिख दिया है।
मित्रो, मुझे उम्मीद है कि आप सभी को मेरी सेक्स स्टोरी पसंद आई होगी। आपके ईमेल का इन्तजार रहेगा।
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