टास्क गेम: बारिश के मौसम में 4 नंगी चूतें
(4 Nude Girls Group Walk)
4 न्यूड गर्ल्स ग्रुप वाक का टास्क उन्होंने खुद लिया बारिश वाली रात में! उन्होंने तय किया कि वे चारों पूरी नंगी होकर अपनी सोसाइटी के 4 ब्लॉक्स की सीढ़ियों में चक्कर लगाएंगी.
यह कहानी सुनें.
दोस्तो, मैं रीता एक बार फिर से हाज़िर हूं आप सबके बीच अपनी नई कहानी लेकर!
मेरी पिछली कहानी
नंगे बदन पर जेवेलरी के साथ फोटोशूट
पर आपका जो प्यार मिल रहा है, वह क़ाबिले तारीफ है, ऐसा प्यार आज तक हमें कभी नहीं मिला.
आपके प्रतिसाद भी हमें उतनी ही चरमसुख की प्राप्ति का आनंद देते हैं जितने हमें हमारे किये गए टास्क या फिर यूं कहें कि कांड देते हैं।
लेकिन फिर से मैं वही कहना चाहूंगी कि ये सब हमारे दिल की दबी हुई इच्छाएँ है जो मैं अन्तर्वासना के मंच पर साझा कर रही हूं।
मैं और सीमा कोई बाज़ारू लड़कियां नहीं हैं.
उस कहानी में मैंने एक सर्राफ की दूकान में नंगे बदन सोने के खूब सारे गहने पहन कर फोटो शूट किया था.
दुकान के मालिक को बदले में हमने उसका लंड चूस कर, उसकी मुठ मार कर मजा दिया था.
उसने हमें एक एक सोने की अंगूठी भी उपहार में दी थी.
रवि के अंगूठी देने के बाद हमने रवि की मुठ मार मार कर उसे 3-4 बार निढाल कर दिया उसके लंड में अब ताक़त भी नहीं बची थी कि वो हमें चोद सके.
और सच कहें तो हम रवि से चुदवाना चाहती भी नहीं थी।
लेकिन आज जो कहानी में आपको बताने जा रही हूं वो रवि के बारे में नहीं है।
अब आगे 4 न्यूड गर्ल्स ग्रुप वाक का टास्क:
यह कहानी है मेरी मामी यशोधरा (बदला हुआ नाम) और उसकी छोटी बहन रीमा की … जिनके साथ मिलकर हमने एक टास्क किया या फिर यूं कहो तो कि एक कांड किया।
हमारे पूरे परिवार में मेरी सिर्फ मेरी मामी से ही बनती है.
हम जो जो कारनामे करती, उनके बारे में मैं मेरी मामी यशोधरा को ज़रूर लिखती.
जिस पर वे भी कभी मेरे साथ ऐसे हसीन हादसों को अंजाम देने का मन बना लेती.
लेकिन बाद में खुद को उंगली कर शांत कर इरादे पर पानी फेर देती।
रवि के साथ किये हुए फोटोशूट को दो महीने से ज़्यादा का समय बीत चुका था.
अब जन्माष्टमी आने को थी।
मामा अपने दोस्तों के साथ बाहर घूमने जा रहे थे तो मामी हमें उनके घर पर छुट्टियां बिताने बुला रही थी।
मामी की यह बात सुन सीमा ने मुझसे मामी के घर जाने को कहा और कहा कि अगर मौका मिलता है तो मामी के साथ कोई कांड भी मिलकर करेंगी।
सीमा की इस बात पर में खुश हो गयी और मामी के घर जन्माष्टमी को जाने का प्रोग्राम बना लिया।
जन्माष्टमी के दो दिन पहले हम दोनों मामी के घर पहुंची।
जहां मामा रहते थे वो 5 विंग वाला अपार्टमेंट था यानि कि, ए, बी, सी, डी और ई!
मामी सी विंग के पहले माले पर रहती थी.
जब हम घर पर पहुंची तो हमने पाया कि मामी की छोटी बहन रीमा भी वहां छुट्टियां बिताने आयी हुई थी।
वैसे तो रीमा मामी से 2 या 3 साल ही छोटी थी लेकिन अभी तक हमारी तरह कुंवारी थी।
जो कांड करने के ख्वाब लेकर हम मामी के घर आयीं थी, रीमा को मामी के घर देख उन पर पानी फिर गया।
हम उदास हो गयी.
लेकिन अब कर भी क्या सकती थी।
हम दोनों ने एक दूसरे की ओर देखा और एक गहरी सांस ली।
हमारी इशारों की भाषा को मामी ने अच्छी तरह से समझ लिया- अरे! इतना भी मुरझाया न करो! अभी अभी तो आयी हो जरा रिलैक्स हो जाओ. बाद में बाद की सोचना।
मामी की बात सुन के हम ख्यालों की दुनिया से बाहर आई और सामान्य होने का प्रयास करने लगी ताकि रीमा को यह ख़्याल न आ जाये कि उसका मामी के घर और आना हमें पसंद नहीं आया।
शाम को पहुंचने के बाद इधर-उधर की बातों में रात हो गयी।
बातें करते करते सीमा ने रीमा को शादी के बारे में पूछा.
जिस पर उसने बताया कि अभी तक उसकी शादी नहीं हुई थी और उसे अपने ही पड़ोस में रहने वाले एक लड़के पर क्रश था।
फिर रीमा ने हमारी शादी के बारे में पूछा।
रीमा ने जो सवाल किया, उससे मुझे एक हल्की सी उम्मीद की किरण दिखी कि शायद कपि कांड अभी भी किया जा सकता है.
और तो और मामी के साथ साथ शायद रीमा को भी अपने इस कांड का हिस्सा बनाया जा सकता है शायद!
रीमा की बात को थोड़ा अनसुना करते हुए मैंने मामी को एक मैसेज भेजा जिसमे पूछा कि क्या वे और रीमा हमारे साथ कोई टास्क करेंगी? या नहीं?
“मैं कोई भी टास्क करने के लिये तैयार हूं, अगर रीमा तैयार होती है तो! गर रीमा नहीं मानती तो मैं उसकी नज़रों में गिरना नहीं चाहती, मैं फिर कभी तुम्हारे साथ ट्राय करूँगी। आल दी बेस्ट!”
मामी का मेसेज पढ़कर मेरे अंदर एक उत्तेजना की लहर दौड़ पड़ी।
मेरा खुराफाती दिमाग ‘रीमा को कैसे पटायें’ इसके बारे में सोचने लगा।
“हां, रीमा, तुम क्या पूछ रही थी? दरअसल मेरे कलीग का कोई काम का मैसेज आया था तो उसको रिप्लाई करने में मैंने तुम्हारी बात को ठीक से सुना नहीं।” मैंने बहाना बनाकर बात आगे बढ़ाने की कोशिश करते हुए कहा।
मामी समझ चुकी थी कि मेरे दिमाग में क्या क्या चल रहा था।
“मैं यह पूछ रही थी कि क्या आप दोनों की शादी हो चुकी है?”
“हां, हम दोनों की शादी हो चुकी है।”
जितना रीमा ने पूछा उतना ही सीमा ने जवाब दिया.
सीमा भी मेरे दिमाग में क्या खिचड़ी पक रही थी, जान चुकी थी और उसी खिचड़ी को पकाने में वह मेरा साथ दे रही थी।
“रीमा, इन दोनों की शादी हो चुकी है इसका अलग मतलब है।” मामी ने अपनी छोटी बहन से कहा।
“भला शादी का अलग मतलब कैसे हो सकता है?” रीमा ने कुछ समझ न आते हुए पूछा।
“मेरे कहने का मतलब है कि इन दोनों की शादी एक दूसरे के साथ हुई है। यही दोनों एक दूसरे के पति-पत्नी हैं।” मामी को भी हमारी हवस की भनक लग चुकी थी और वे भी अब इसी हवस में सुलग रही थी और रीमा को कोई कांड करने में तैयार करने के लिए हमारा पूरा पूरा साथ दे रही थी।
“यह कैसे हो सकता है? दो लड़कियों की आपस में शादी कैसे हो सकती है?” रीमा ने आश्चर्य के साथ पूछा।
रीमा के इसी सवाल ने हमें हमारी बात रखने का मौका दे दिया।
हमने उसे हमारी सारी बातें बताई और जो जो करतूत हमने एक साथ कि थी वह भी बताई।
रीमा हमारी बातें सुनकर हैरान ही रह गयी- फिर तो तुम दोनों की अच्छी कट रही है. लेकिन एक बात बताओ कि इतनी हिम्मत कैसे होती है तुम दोनों की यह करने की? तुम्हें डर नहीं लगता?” रीमा ने सवालो की बौछार कर दी।
“डर तो लगता है, मेरी जान!” यह कहते हुए सीमा ने बाजुओं से रीमा को पकड़ लिया।
“लेकिन ऐसे टास्क करके मज़ा भी बहुत आता है। कभी मन करे तो बताना … हम सब साथ मिलकर कोई ऐसा टास्क करेंगी।” सीमा ने बात की नींव रख दी।
“तुम्हारी बड़ी बहन भी हमारे साथ ऐसा कोई कारनामा करने के लिये उत्सुक है. अगर तुम हां करती हो तो हम सब यह एक साथ करेंगी।”
रीमा सीमा की बातें सुनकर हैरान थी और अपनी बहन के बारे में सीमा से सुन उसकी और सवाल भरी नज़रों से देखने लगी।
“नहीं नहीं रीमा, तुम जैसा सोच रही हो वैसा बिल्कुल भी नहीं है. मैं इनके टास्क के बारे में कभी कभी सुन सुनकर इतनी उत्साहित हो जाती हूँ कि मैं भी सोचती हूं कि ज़िन्दगी में एक बार तो ऐसा रोमांच करना ही चाहिए।
अपनी बहन की बात का रीमा ने कोई जवाब नहीं दिया और जैसे तैसे यूँ ही रात हो गयी और हम सब सो गये।
लेकिन मेरी और सीमा की आंखों से नींद कोसों दूर थी।
ख़ैर, दो दिन ऐसे ही व्यर्थ गुज़र गये.
अब हम बस एक दिन ही रुकने वाली थी.
वैसे तो हम उसी दिन ही निकल जाती लेकिन बारिश इतनी तेज थी कि हम चाहकर भी नहीं निकल सकी।
हमने जैसे सोचा था, वैसा कुछ भी नहीं हुआ।
पूरे मूड की तो हालात ही खराब थी।
“मामी, हम कल निकल रही हैं।” उसी दिन दोपहर का खाना खाते हुए सीमा ने कहा।
“इतनी जल्दी? मैं सोच रही थी आपके साथ मिलकर कोई हिम्मत वाला टास्क करूँगी।” इससे पहले कि सीमा आगे और कुछ कह पाती … मामी की छोटी बहन रीमा ने हमारी मुरझाई हुई ख्वाहिशों को हवस की चिंगारी की आग लगाते हुए कहा.
“क्या कहा तुमने?” मैं इतना ही बोलते हुए रीमा के होंठ पर होंठ रख कर किस करते हुए पूछ बैठी.
मैं रीमा की बात सुन इतनी उत्साहित हो चुकी थी कि मुझे यह अंदाजा ही नहीं रहा कि यह सब रीमा के लिये अभी भी बिल्कुल ही नया था और तो और मामी की छोटी बहन को उनके सामने लिप किस करना थोड़ी अलग बात थी।
ख़ैर अब क्या फर्क पड़ता था रीमा ने हामी जो भर दी थी।
“देखो, सोच लो रीमा, फिर आधे रास्ते में मुकर मत जाना, वरना सारे टास्क की किरकिरी हो जाएगी।” सीमा ने अपनी बात पर ज़ोर देते हुए वह पूरी तरह से अपने फैसले पर अटल थी कि नहीं यह निश्चित करने की कोशिश करते हुए पूछा.
जिस पर मामी भी सवाल भरी नज़र से रीमा की ओर देखने लगी.
अब जो भी था, वो सब रीमा के ऊपर था।
“नही नहीं, मैंने पक्का मन बना लिया है। मुझे भी कम से कम एक बार ज़िन्दगी में ऐसा रोमांच करना है।”
“तो फिर ठीक है।” सीमा ने कहा।
“लेकिन, अब करेंगे भी तो क्या?” मामी ने सीधा-सीधा सवाल पूछा।
“कुछ सोचते हैं! अभी तो वक़्त ही वक़्त है।” खाना खाते हुए मैंने कहा।
कुछ ही देर में खाना खत्म हो गया.
हमने साथ मिलकर बर्तन मांजे ताकि हर कोई, कोई न कोई आईडिया सोच सके.
लेकिन मैं भलीभांति जानती थी कि सोचने का काम या तो मेरा है या फिर सीमा का है.
मामी और रीमा तो इस खेल में अभी कच्ची खिलाड़ी थी।
क्या करेंगे … यह सोचते सोचते मैं खिड़की से बाहर रास्ते की ओर देख रही थी.
बारिश बहुत ही तेज़ थी, वक़्त का अंदाज़ा लगाना ना मुमकिन से था, दूर दूर तक कोई नहीं दिखाई पड़ रहा था.
और इसी सुनसान रास्ते को देख मेरे दिमाग में एक खुराफाती विचार ने जन्म लिया।
लेकिन इसके लिए बारिश का इसी तरह बरसना बहुत ही ज़रूरी था।
अगर बारिश किसी भी हाल में रुकती तो हमारा यह आईडिया काम नहीं आने वाला था।
“मामी एक कागज़ और एक पेन मिलेगा क्या?” मैंने सहसा ही पूछ लिया।
“लेकिन, अभी तो हम किसी ओर बारे में सोच रहे है न! अभी तुम्हें पेन और पेपर क्यो चाहिए भला?” मामी ने पूछा।
“अरे! आप दीजिये तो सही!” मैं अपनी बात पर अटल रही।
जब मामी ने मुझे पेपर दिया तो मैंने उसमे से एक कागज फाड़ा और चार पर्चियां बनाने लगी।
‘रंडी’, ‘कुलटा’, ‘चुदक्कड़’, ‘वेश्या’ ऐसे नाम से मैंने चिठ्ठियां बनाई।
पर्चियों पर लिखे नाम से सीमा के अलावा मामी और उनकी बहन दोनों हैरान थी।
इससे पहले की मामी और रीमा पर्चियों पर लिखे इन नामों के बारे में पूछती, मैंने उनको मेरा प्लान बताया।
मेरा प्लान सुनकर वे दोनों काफी डर गयी लेकिन उत्साहित भी उतनी ही थी।
अब बस हम यही दुआएं कर रही थी कि यह बारिश रुके नहीं और जल्द से जल्द रात हो जाये ताकि हम अपने इस कारनामे को अंजाम दे सकें।
रात के 8 होते होते बारिश कमज़ोर हो चुकी थी, हमारे सारे अरमान भी उसी बारिश के साथ कमज़ोर होते जा रहे थे.
हड़बड़ाहट में हम चारों ने खाना खाया.
ख़ाना खत्म होते होते बारिश बिल्कुल न के बराबर हो गयी थी और फिर कुछ देर में रुक गयी.
पूरे दिन लगातार बारिश गिरी थी और अब उसने विराम लिया था.
लेकिन उसके रूकने से हमारे सारे अरमानों और सारी हसरतों पर पूर्णविराम लग चुका था।
अब हम कुछ नहीं कर सकती थी।
हमने जो कुछ भी सोच कर रखा था वो सब अब व्यर्थ था।
हम फिर ऐसे ही मन मार के सो गई.
लेकिन कहते हैं न जो भी चीज़ तुम दिल से चाहो, वो पूरी ज़रूर होती है.
रात के करीब 11 बजे बारिश फिर शुरू हुई, उतनी ही तेज़ जितनी पूरे दिन थी.
हम अब तैयार थी.
लेकिन अब एक और ख्याल हमें सता रहा था कि यदि बारिश चालू टास्क के दौरान रुक गयी तो?
लेकिन हमारे पास कोई चारा नहीं था, हम सिर्फ यह कर सकते थे कि टास्क करें या न करें!
आखिरकार हमने हिम्मत जुटाई और यह सोच कर कपड़े उतारने लगी कि बाद में जो भी होगा देखा जायेगा।
मैंने और सीमा ने तुरंत ही कपड़े निकाल दिये.
हमारे लिये कपड़े उतारने कोई बड़ी बात नहीं थी.
लेकिन मामी और रीमा के लिये बहुत बड़ी और हिम्मत वाली बात थी।
हमें नंगी देख उन्होंने भी अपने कपड़े निकाल फेंके।
फिर हमने पर्चियां निकाली और एक एक कर सब ने अपनी पर्चियां खोली।
मेरी पर्ची में रंडी, सीमा की पर्ची में कुल्टा, मामी की पर्ची में चुदक्कड़ और रीमा की पर्ची में वेश्या लिखा था.
हमने अलमारी से लिपस्टिक निकाली और सबकी पीठ पर उनकी पर्ची में आये हुए नाम की तरह नाम लिखे.
अब हमें करना यह था कि मामी के सी विंग के माले से नंगे ही ग्राउंड फ्लोर पर जाना था और फिर ए विंग से शुरू करते हुए उसकी छत पर जाना था.
वहां हममें से कोई एक बारिश में नहाकर अपनी पीठ से वो नाम धोएगी.
और फिर ए विंग की छत से बी विंग की सीढ़ियां लेकर ग्राउंड फ्लोर पर आना था.
फिर सी विंग की छत पर चढ़कर किसी एक को बारिश में नहाकर अपनी पीठ पर लिखा हुआ नाम मिटाना था।
मतलब कि हम सब को एक साथ पूरे अपार्टमेंट की सारी मंज़िलों का एक नंगा सफर तय करना था।
हमने धीरे से अपने कमरे का दरवाजा खोला और जैसे कोई चोर चोरी करने से पहले हर देखकर मुआयना करता है, ठीक वैसे ही हमने चारों ओर देख कर यह निश्चित किया कि कोई देख तो नहीं रहा।
खैर, किस्मत साथ थी सारे घर के मुख्य दरवाजे बंद थे।
लेकिन इसका यह मतलब नहीं था कि हम बेफिक्र हो जायें.
हमको हर जगह सावधानी बरतनी थी क्योंकि यह केवल हमारी ही नहीं मामी और रीमा की इज़्ज़त का भी सवाल था।
हम धीरे से दरवाज़े के बाहर निकले, मूसलाधार बारिश की वजह से ठण्ड काफी बढ़ चुकी थी.
और कोई देख न ले, यह सोच कर दिल भी ज़ोर से धक-धक कर रहा था.
हम सभी के रोंगटे खड़े हो गये थे।
मामी और रीमा दोनों कांप रही थी लेकिन वे हर संभव प्रयास कर रही थी कि वे डरे हुई प्रतीत न हों.
लेकिन सिर्फ वे ही नहीं, अंदर से डरी हुई तो हम भी थी क्योंकि 100 मकानों से छुपते-छुपाते जाना और टास्क करना यह हमारे लिये भी पहली ही बार था।
धीरे-धीरे कर कर हम ग्राउंड फ्लोर पर आयी.
हम सब तरफ देख रही थी और कांप रही थी.
हम जल्दी से ए विंग की ओर भागी और सीढ़ियाँ चढ़ने लगी.
लेकिन किस्मत उतनी भी महरबान नहीं थी.
ए विंग की पहली ही मन्ज़िल पर एक दरवाज़ा खुला हुआ था और लाइट भी जल रही थी।
एक बुढ़िया यूँ ही कुछ बड़बड़ा रही थी.
सबसे आगे मैं थी और अंत में सीमा थी और हमारे बीच में मामी और रीमा थी।
मामी मेरी जगह आयी और उन्होंने उस बुढ़िया को पहचान लिया.
उसकी दूर की नज़र बेहद ही कमज़ोर थी।
हमने सोचा कि कितनी देर तक हम इंतज़ार करेंगी.
और यहीं रूक भी जाती हैं तो कोई नीचे से आ जायेगा और हमें देख लेगा तो?
हम हिम्मत जुटाकर कर एक एक कर के आगे बढ़ी.
बुढ़िया ने हमें देखा लेकिन कुछ बोली नहीं।
थोड़ी और सीढ़ियाँ चढ़कर हमने राहत की सांस ली.
दिल तो मानो ऐसे धड़क रहा था कि मानो अभी बाहर निकल आएगा।
यूँ ही छिपते-छिपाते हम छत पर पहुंच गई.
इतनी बारिश के कारण बहुत ठण्ड हो चुकी थी.
सबसे पहले रीमा ने बारिश में नहाकर अपनी पीठ पर लिखे हुए वेश्या शब्द को मिटाया क्योंकि उसका हाथ ठीक से अपनी पीठ पर नहीं पहुंच रहा था तो सीमा ने उसकी नाम मिटाने में मदद की.
अब रीमा और सीमा दोनों भीग चुकी थी और ठण्ड के मारे कांप रही थी।
अब हमने बी विंग की छत से नीचे उतरना शुरू किया.
कोई भी नीचे तक नहीं मिला.
अब एक बार और हम ग्राउंड फ्लोर पर थी.
ठण्ड के मारे रीमा और सीमा का हाल बुरा था.
हमने सोचा कि अब की बार छत पर सीमा बारिश में नहाकर अपनी पीठ पर लिखे कुलटा नाम को मिटा देगी और उसमें उसकी मदद मैं करूँगी।
हम ऐसा सोच ही रही थी कि तभी लाइट चली गयी.
अब घोर अंधेरा था.
हमारा दिल और भी घबराने लगा.
लेकिन अब टास्क तो करना ही था.
हम सी विंग से चढ़ते हुए छत की ओर बढ़ने लगी.
तीन माले चढ़ने पर हमने देखा कि एक हमारी उम्र का लड़का दरवाज़े पर बैठ कर सिगरेट फूंक रहा था.
हम उसे चोरी छिपे देख रही थी.
अंधेरा होने के कारण वह हमें नहीं देख सकता था.
लेकिन अगर हम वहां से गुजरती तो वह हमें यक़ीनन देख लेता।
मैंने उसे अच्छे से देखने की कोशिश की.
उसने शायद सिर्फ कच्छा ही पहन रखा था.
ऊपर से उसका लंड अधिक मोटा हो चुका था जो उसके कच्छे को फाड़कर निकलने की तैयरी में था.
वह अपने लंड को सहला रहा था.
लग रहा था कि वह कोई पोर्न वीडियो देख रहा था.
अब हम यह सोच रही थी कि आखिरकार क्या करें?
कितनी देर तक उसके वहां से हटने का इंतजार करें?
हम कुछ देर तक उधर ही खड़ी रही.
करीब दस पंद्रह मिनट … वो दस पंद्रह मिनट हमारे लिए सालों जितने बड़े थे.
आखिरकार वो वक़्त आया जब वह लड़का अपना कच्छा नीचे कर अपने लंड को हिलाने लगा.
उसने आनन्द में अपनी आंखें मूंद ली थी.
और इसी बात का फायदा उठाते हुए मैंने मामी और रीमा को ऊपर भेज दिया.
अब बारी सीमा की थी.
सीमा भी धीरे धीरे ऊपर की ओर बढ़ गयी.
लेकिन मेरी नज़र उसके बड़े लंड और सुपारे से हट ही नहीं थी।
उधर वे तीनों मेरे आने का बेसब्री से इंतज़ार कर रही थी और इधर मैं थी कि बिना किसी भय और बिना किसी की परवाह किये उसको लंड हिलाते हुए देख रही थी.
कुछ ही पलों में उसका ज्वालामुखी फ़ट चुका था जिसमें से श्वेत लावा बह रहा था.
मैं चाह रही थी उसका सारा लावा पी जाऊं … लेकिन इतने में ही वह अपनी कल्पनाओं की दुनिया से बाहर आया और कच्छा पहनकर कर अंदर चला गया.
और मैं भी उसके वहाँ से जाते ही सीढ़ियाँ चढ़ गई।
फिर एक-एक करके 4 न्यूड गर्ल्स ग्रुप टास्क को अंजाम दिया और फिर देर रात होने के कारण कोई हमें मिला भी नहीं.
मेरी बारी आते-आते बारिश भी खत्म हो चुकी थी तो मैं बिना नाम मिटाये ही घर पर चली गयी।
जब हम घर पर पहुंची तो बहुत ही उत्तेजित थी और खुश भी थी कि हमने टास्क खत्म किया.
हम बिना अपने शरीर को पौंछे ही बिस्तर पर गिर पड़ी.
मैं मामी के बाजू में, और मेरे बाजू में सीमा और फिर कोने में रीमा थी.
मैंने मामी को अपने आगोश में भर लिया और उनके होंठ पर होंठ रखकर बेतहाशा चुम्बन करने लगी.
कुछ देर बाद न जाने कब हम चारों सो गई, पता ही नहीं चला।
अगली सुबह हमने क्या किया?
मौका मिलेगा तो वो फिर कभी लिखूंगी.
तब तक के लिये गुड बाई!
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आपकी रीता
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