भाभी की ननद और मेरा लण्ड-2
दलबीर सिंह मैंने ट्यूब बुझा कर नाइट बल्ब जला दिया, और आकर मैं भी अपनी रजाई में घुस गया और आँखें बंद कर लीं। पर नींद का तो दूर-दूर तक पता नहीं था। मन ही मन मैं कुढ़ रहा था कि यह माला कहाँ दाल भात में मूसलचंद आन पड़ी। इस बात को वो ही […]