सिनेमा हॉल में गर्लफ्रेंड और उसकी सहेली -1
गर्लफ़्रेंड के साथ ज़िस्म-2 मूवी देखने गया। ढीले कपड़े पहन कर गये थे दोनों, वहाँ हम शुरु हो गए और मेरी गर्लफ़्रेंड ने लन्ड चूसना शुरु कर दिया। इन्टरवल हुआ तो देखा कि पीछे उसकी सहेली बैठी थी।
खुले स्थान पर जैसे छत पर, समुद्र तट या बाग बगीचे में चुदाई की कहानियाँ
Khuli jagah par jaise garden, beech, road side, chhat par chudai ki kahaniyan
Stroies about sex fucking in the garden, at the beech, or on the roof
गर्लफ़्रेंड के साथ ज़िस्म-2 मूवी देखने गया। ढीले कपड़े पहन कर गये थे दोनों, वहाँ हम शुरु हो गए और मेरी गर्लफ़्रेंड ने लन्ड चूसना शुरु कर दिया। इन्टरवल हुआ तो देखा कि पीछे उसकी सहेली बैठी थी।
वह रात मेरे लिए जैसे सपनों की रात थी.. मेरी पसंद का जवान लड़का जो एक असली मर्द था, मुझे उसके साथ सोने का मौका मिला था और उसके वीर्य को चखने का सौभाग्य भी..
मैं माँ के साथ ही खेतों में हगने के लिए जाता था। वहीं सभी गाँव की औरतें भी हगने जाती थीं। हगने के लिए माँ मुझे अपने पास ही बिठाती थीं, हमेशा अपनी माँ की चूत गाण्ड रोज देखता था।
अब तक आपने मेरी डायरी में लिखे मेरे उस कामोत्तेजक अंश को जाना जो मैंने अपने दोस्त और अपनी बीवी के साथ सेक्स करते हुए लिखे थे.. कि चाँद की रोशनी में मैंने अपनी बीवी नंगी चूचियों को देखा तो मस्त हो गया।
पूनम को पता था कि मैंने किसी फ़िल्म में काम किया है, वो और काफ़ी जने मेरे साथ फ़िल्म देखने गई। वहाँ पर पूनम को मैंने बॉक्स में ले जा कर चोदा।
मुझे लड़कों में रुचि है, मेरी मौसी के लड़के की शादी में उसके एक दोस्त, जो बांका जवान था, पर मेरी नजर टिक गई, मेरा मन उसका लण्ड लेने को करने लगा.
दोस्तो.. ये मेरी डायरी के कुछ पन्ने थे जो मैंने अपनी कामवासना के चलते आज फिर खोल लिए थे.. इसमें मेरी बीवी और मेरे दोस्त के साथ हम तीनों की चुदास का वर्णन लिखा है.. उसे पढ़ कर आप सब को सुना रहा हूँ.. आनन्द लीजिए।
गाँव की पड़ोसन भाभी एकदम मक्खन जैसी गोरी और वो अपने मोटे चूतड़ मटका कर चलती थी.. भाभी की निगाहें नशीली थीं शायद वो मुझे अपनी हवस मिटाने के लिए लाइन देती थी.. पर मैं समझ ना पाता था।
अन्दर उसने पैंटी पहनी हुई थी.. जिसकी वजह से मैं उसकी चूत को खुलकर नहीं सहला पा रहा था.. और इधर मेरा लंड अपने पूरे शवाब पर था। मैंने एक हाथ से उसकी सलवार को खोला, दूसरे हाथ से लंड बाहर निकाला.
मैं थोड़ी देर तो दोनों हाथ दिवार पर टिकाये, झुका हुआ, कूंकता हुआ चुदवाता रहा, लेकिन फिर मुझसे रहा नहीं गया। मैंने फिर एक हाथ से अपनी गांड थाम ली।
मैं थोड़ा झिझका लेकिन फिर घुटनों के बल बैठ कर उसका लण्ड चूसने लगा, उसके लण्ड की खुशबू मेरे नथुनो में भर गई। मैं उसका और उसके लण्ड का दीवाना था।
मैं जोर-जोर से सोनी की चुदाई करने लगा। क्या मौसम था यार.. और ठण्ड का समय.. खुले आसमान में सोनी की चुदाई की गर्मी मैं धकापेल करे जा रहा था.. क्या मस्त मजा आ रहा था।
यह कहानी दो समलैंगिक लड़कों के सेक्स पर आधारित है। इसमें मैंने पहली बार सामूहिक यौन क्रीड़ा का प्रयोग किया है। अपनी प्रतिक्रिया ज़रूर लिखियेगा। रंगबाज़
मैं अपनी सलहज को छोड़ने जा रहा था तो रास्ते में भाभी ने अपना हाथ मेरे हाथ पर रखा, उनके छूते ही मैंने कहा- आपका हाथ कितना गर्म है। उन्होंने कहा- तुम्हारी भाभी भी तो गर्म है।
इन दिनों में उसके चूत इतनी बार चुद चुकी थी कि जोर से धक्का देने का कोई फ़ायदा नहीं रहा, आसानी से चूत ने गपक लिया और अब चूत और लंड की थाप सुनाई दे रही थी और दोनों के मुँह से आह-ओह आह-ओह की आवाज आ रही थी।
मौसम खराब था और आधे रास्ते में ही बारिश शुरु हो गई थी, छतरी के नीचे कोई लड़की खड़ी किसी की मदद पाने के लिए वहाँ बारिश में खड़ी हुई है। उसने मुझे हाथ के इशारे से रोका..
मेरी बस निकल जाने के कारण मुझे एक ट्रक में लिफ़्ट लेनी पड़ी। रास्ते में वो जंगल की तरफ़ मुड़ गये और पैसे मांगने लगे। मेरे पास पैसे नहीं थे तो मुझे अपना बदन उनके हवाले करना पड़ा।
मैं गाँव आया तो घूमने निकल पड़ा, गेहूँ के खेत तक पहुँचा, मुझे चरचराहट की आवाज़ सुनाई दी, कोई औरत गेहूँ काट रही थी, पीछे से गांड बहुत मोटी थी, पसन्द आ गई…
कॉलेज की एक खिलाड़ी लड़की से मेरी दोस्ती हुई और उसे मैं मूवी दिखाने ले गया। मूवी सेक्सी थी तो हम दोनों की अन्तर्वासना जागृत हो गई। आगे की बात कहानी में पढ़िए!
नमस्कार पाठको.. मेरा नाम दीपक है, मैं पच्चीस साल का साधारण सा दिखने वाला लड़का हूँ.. मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ.. जिसकी कहानियाँ पढ़कर मुझे बहुत मुझे आनन्द मिलता है क्योंकि ये कहानियाँ मेरी जिंदगी से जुड़ी होती हैं इसलिए अन्तर्वासना का मैं बहुत बहुत धन्यवाद करता हूँ जो हमें मौका देती है अपनी […]