गर्लफ्रेंड के बिना उसकी सहेलियों संग थ्री-सम –8
पता नहीं कितनी देर बाद साली सुरभि नशे में मेरे पास आई और उसने मेरे लण्ड को अपने मुँह में ले लिया और मेरे लौड़े पर लगा हुआ सारा माल चाट गई..
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पता नहीं कितनी देर बाद साली सुरभि नशे में मेरे पास आई और उसने मेरे लण्ड को अपने मुँह में ले लिया और मेरे लौड़े पर लगा हुआ सारा माल चाट गई..
मैं बाहर आई तो देखा- तीनों नंगे मेरे बिस्तर पर चूमा-चाटी में भिड़े थे। दोनों लड़के मुझे देखकर मेरी ओर लपके.. दो गैर मर्दों को एक साथ नंगा मैं पहली बार देख रही थी.
उसने मेरे पैंट का बटन खोल दिया। उसकी साँसें तेज हो रही थीं और उसकी चूचियाँ फूलने लगी थीं। उसने जैसे ही अन्दर हाथ डाला और मेरा साढ़े आठ इंच का लौड़ा.. उसके हाथ में आया.. तो उसके चेहरे पर एक चमक और एक अजीब सी ख़ुशी थी।
मैं एक उंगली उसकी चूत के पानी से गीली करके उसकी गुदा पर फेरने लगा, चूत का पानी बह कर उसकी गुदा के छेद पर आ चुका था तो मैंने उंगली को उसकी गांड में सरका दिया
वो मेरे निप्पल सहलाने लगी। मैंने उसकी जांघों के जोड़ों को चाटना शुरू कर दिया, कभी हल्के दाँतों से काटता और कभी उसकी रेशम जैसी जांघों को चूसने लगता।
लेटे लेटे आँख लग गई और शायद 10-12 मिनट बाद वो थोड़ी सी हिली जिससे मेरी खुमारी भी टूट गई। यह एक ऐसी खुमारी होती है जो दुनिया के किसी भी नशे में नहीं मिलती।
सेक्स के लिए मैं तैयार हूँ, यह बात मैने उसे फ़ोन करके बता दी और हमने मिलने का समय तय कर लिया। वो मुझे अपने घर ले गई और अब उसकी नारी सुलभ लज्जा आड़े आ रही थी।
मुझे काफ़ी टाइम हो चुका था किसी के साथ करे हुए पत्नी तो 7- 8 साल से ना के बराबर ही रूचि लेती थी, इसलिए मुझे भी सेक्स की भूख तो थी ही और बिना मेहनत के कोई खुद ही राज़ी हो जाए तो फिर तो क्या ही कहना।
पूजा मेरे लंड को मसलते हुए बोली- यार, मेरी चूत में आग लगाकर तुम यहाँ आ गए.. चलो अब जल्दी से मेरी इस टपकती चूत को अपने लंड से शांत कर दो.. क्योंकि इस चूत ने बहुत लौड़े खाए हैं.. इसकी आग सिर्फ़ लौड़े से ही बुझेगी।
मुझे मम्मी के कराहने की आवाज़ आई। मैं उठ गई। मेरे लिए जानी पहचानी आवाज़ थी। मैं समझ गई कि मम्मी की चुदाई हो रही है। मैंने हिम्मत करके हाथ से थोड़ा सा पर्दा हिलाया और देखने लगी।
होली पर मथुरा जाते समय ट्रेन में एक लड़की मिली जो मेरे पास ही बैठी थी। थोड़े ही समय में वो मुझसे पट गई तो मैंने उसे टॉयलेट में चलने को कहा मगर उसने मना कर दिया।
मेरा क्लासमेट रोज मेरी तरफ देख कर गंदे-गंदे इशारे करता था, जैसे बाहें फ़ैलाना, होंठों को गोल करके चुम्बन का इशारा करना, चूतड़ आगे पीछे करके चुदाई के इशारे करना…
मैं आधार कार्ड बनाने एक गाँव के स्कूल में काफ़ी दिन रहा। वहाँ खाना बनाने वाली एक आंटी ने मुझे पटा कर अपनी गांड और चूत मरवाई, पढ़ें इस कहानी में!
इंस्टिट्यूट में मेरी मुलाकात एक प्यारी सी लड़की से हुई. मैं उसे पसंद करने लगा था.. पर मैंने कभी उसे बताया नहीं। धीरे-धीरे हम दोनों में नज़दीकियां बढ़ने लगी।
मैं परीक्षा देने भोपाल गई तो मुझे अपने ममेरे भाई के पास रुकना था। भाई को देख कर मेरे मन मे कुछ कुछ होने लगा और रात को सोने के बाद मैं भाई के बदन पर हाथ फ़ेरने लगी।
शन्नो भाभी की आँखें बंद थी और होंठ खुले हुए थे और वो बड़ी मुश्किल से सांस ले पा रही थी लेकिन उसके चूतड़ हर मेरे धक्के का जवाब ऊपर उठ कर दे रहे थे
यह कहानी नहीं सच्चाई है, मैंने शादीशुदा पड़ोसन भाभी के साथ सम्भोग किया है और वो भी पूरे मज़े के साथ और खुल कर ! असल में वो भाभी अपने पति की बेरुखी से दुखी थी.
अब तक आपने मेरी डायरी में लिखे मेरे उस कामोत्तेजक अंश को जाना जो मैंने अपने दोस्त और अपनी बीवी के साथ सेक्स करते हुए लिखे थे.. कि चाँद की रोशनी में मैंने अपनी बीवी नंगी चूचियों को देखा तो मस्त हो गया।
पूनम को पता था कि मैंने किसी फ़िल्म में काम किया है, वो और काफ़ी जने मेरे साथ फ़िल्म देखने गई। वहाँ पर पूनम को मैंने बॉक्स में ले जा कर चोदा।
दोस्तो.. ये मेरी डायरी के कुछ पन्ने थे जो मैंने अपनी कामवासना के चलते आज फिर खोल लिए थे.. इसमें मेरी बीवी और मेरे दोस्त के साथ हम तीनों की चुदास का वर्णन लिखा है.. उसे पढ़ कर आप सब को सुना रहा हूँ.. आनन्द लीजिए।