दारु पी कर चार ने मेरी गाण्ड चोदी
मैं थोड़ा लेट उठा था। बिस्तर से उठने का मन ही नहीं कर रहा था.. बिस्तर पर लेटे-लेटे ही अपने लण्ड को सहला रहा था। पता नहीं कब मेरे अन्दर सुबह ही ठरकपन चढ़ गई और गाण्ड में अजीब सी हलचल होने लगी। लेकिन मन में सोच रहा था कि बुलाऊँ तो किसको बुलाऊँ..