जिस्मानी रिश्तों की चाह -22
उनके गुलाबी मम्मों पर हरी नीली रगों का जाल था और एक-एक रग साफ देखी और गिनी जा सकती थी। आपी ने अंगड़ाई लेने के अंदाज़ में अपनी टाँगें सीधी कीं और पाँव ज़मीन पर टिकाते हुए टाँगों को थोड़ा खोल लिया..
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उनके गुलाबी मम्मों पर हरी नीली रगों का जाल था और एक-एक रग साफ देखी और गिनी जा सकती थी। आपी ने अंगड़ाई लेने के अंदाज़ में अपनी टाँगें सीधी कीं और पाँव ज़मीन पर टिकाते हुए टाँगों को थोड़ा खोल लिया..
यह मेरी ज़िंदगी का सबसे हसीन तरीन नज़ारा था… मेरी आपी.. मेरी वो सगी बहन.. जिसकी हया.. जिसके पर्दे.. जिसकी पाकीज़गी.. की पूरा खानदान मिसालें देता था.. वो मेरे सामने बगैर क़मीज़ के खड़ी थीं… उसके मम्मे मेरी नजरों के सामने थे।
मैं भी धड़ल्ले से बोली- वो मैं सम्भाल लूंगी, तुम बेफिक्र रहो! लेकिन उस रात भाभी को चोदने के बाद तुम मुझको आखिरी बार ज़रूर उसी कमरे में चोदोगे, वायदा करो??
'अब मुझे ये बताओ कि बाजी के जिस्म में ऐसी कौन सी चीज़ है.. जिसे देख कर तुम्हें बहुत मज़ा आता है और तुम्हारा जी चाहता है बार-बार देखने का?' आपी सवालिया नजरों से मुझे देखने लगीं।
'अच्छा जी तो मेरे सोहने भाई की कहाँ-कहाँ नज़र पड़ी है.. और क्या-क्या देखा है जनाब ने.. अपनी सग़ी बाजी और सग़ी खाला का?' आपी ने ये कह कर सोफे से पाँव उठाए और टाँगें सीधी करते हुए पाँव ज़मीन पर टिका दिए।
वो बोली- अरे भैया, तब मैं थी भी कितनी, अब तो दो बच्चे हो गए हैं, और तीन जानों ने चूसे हैं, इनको तो खुद बहत पसंद हैं, बहुत दबाते हैं और बहुत पीते हैं।
मेरी मौसी की लड़की 15 साल बाद हमारे घर आई, शादी हो चुकी है. कोई समय था जब हम दोनों आपस में काफी आगे बढ़ गए थे. मैं बार बार उसे पुराने वक़्त की यादें दिला रहा था और वो बार बार बचती जा रही थी।
आपी आज भी सिर्फ़ गाउन में थीं और हालात कल शाम वाले ही थे। मैंने आपी के मम्मों पर एक भरपूर नज़र डाली और ठंडी आह भरते हुए टेबल से उठ खड़ा हुआ।
मैंने अपनी बहन को लंड पकड़ने को कहा तो वो मना करने लगी लेकिन फ़िर पकड़ लिया, कहने लगी कि अब तुम क्या करना चाहते हो। वो भी चाह रही थी पर डर रही थी।
मैंने उसको अपनी टांगों के बीच में बैठने के लिए कहा और उसके लण्ड को हाथ से पकड़ कर अपनी चूत के मुंह पर रख कर ज़ोर का धक्का मारने को कहा और उसने वैसे ही किया।
दीदी की मालिश करते हुए मैंने उसकी ब्रा और नाइटी उतरवा कर नंगी कर लिया और उसकी चूचियों की मालिश करने लगा। दीदी की कामुकता शिखर पर पहुंच गई थी, अब वो चुदने को आतुर थी।
अंधेरा होने के कारण मेरा हाथ उसकी जाँघ को छू गया, उसकी नंगी जांघ बहुत ही नरम और चिकनी थी। मैं उसे सहलाने लगा.. मुझे बहुत मज़ा आने लगा और शायद दीदी को भी मज़ा आ रहा था क्योंकि वो कुछ नहीं बोल रही थी और ना ही मुझे रोक रही थी..
मेरी बड़ी बहन की शादी तय हुई तो उसे दुल्हा पसन्द नहीं था। हम दोनों शॉपिंग करने गये तो लोकल ट्रेन में भीड़ के कारण हम दोनों आपस में सट गए और उत्तेजित हो गये।
टी-शर्ट पहनते समय मैंने अपनी ब्रा निकाल दी थी। मुझे पता है कि मेरी बड़ी चूचियाँ हैं.. जो टी-शर्ट में पूरी नहीं आ पा रही थीं। इसी वजह से मैं और हॉट लगने लगी।
शिखा बोली- आ जा भाई, आ जा… मैंने काफी देर से तेरी आँखों में मेरे बदन के लिए हवस देखी है… तू आजा मेरे ऊपर और नोच डाल अपनी सगी बहन के बदन को!
राहुल- हमें भरोसा नहीं है, ब्रा खोल कर दिखाओ। नेहा गुस्से में अपना हाथ पीठ के पीछे डाला और ब्रा खोल कर बिना कोई और कपड़ा निकाले, निकाल कर हमारी ओर फेंक दी।
झड़ने के बाद वो मेरा सारा माल पी गई और लंड को चाट कर साफ़ कर मेरे बदन पर उंगली फिराने लगी। मैं उठा और उसके लहँगे को घुटनों तक उठा दिया और उसके पैरों को चूमने लगा।
मुंह बोली बहन की बेटी मेरी दोस्त जैसी थी, हर तरह की बात कर लेती थी. मैं अक्सर उसे घुमाने ले जाता और उसके बदन से खेलता लेकिन चोदने का मौक़ा नहीं मिला. बाद में उसकी मम्मी मुझसे चुद गई !
सोनम भी दबे पाँव रोहन के कमरे के दरवाजे पर आ गई और कान लगा कर अन्दर की बातें सुनने लगी, अंदर से आती सिसकारियों की आवाज सुन कर सोनम की चूत में हलचल होने लगी
नहाने गई तो बाथरूम में जब वो अपनी चूत धोने लगी तो एक बार फिर से उसे रोहन का लंड याद आया। उसने अपनी उँगलियों से अपनी चूत चौड़ी करके देखी और मन ही मन बोली- नहीं, रोहन का लंड बहुत मोटा है, वो मेरी चूत में नहीं घुस सकता।