मेरा गुप्त जीवन- 156
दोनों औरतों ने फ़ौरन अपने कपड़े उतार दिए और अपनी झांटों भरी चूतों की नुमाइश मेरे सामने लगा दी। मैंने हुक्म दिया- अब पीछे मुड़ कर दोनों अपने चूतड़ों के दर्शन करवाओ। उसके बाद एक दूसरी के मम्मों को चूसो।
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दोनों औरतों ने फ़ौरन अपने कपड़े उतार दिए और अपनी झांटों भरी चूतों की नुमाइश मेरे सामने लगा दी। मैंने हुक्म दिया- अब पीछे मुड़ कर दोनों अपने चूतड़ों के दर्शन करवाओ। उसके बाद एक दूसरी के मम्मों को चूसो।
भाभी मेरे ऊपर बैठ कर चुदवा रही थी, बल्कि मुझे चोद रही थी। साथ ही हम दोनों बातें भी कर रहे थे। मैं भाभी की चूत की तारीफ़ करते हुए उनकी गान्ड में उंगली करने लगा तो…
भाभी के क्या कमाल के मखमली चूतड़ हैं… और उस पर गाण्ड की पागल कर देनी वाली दरार.. क्या कमाल का नजारा होता है दोस्तों.. जब भाभी मुझे अपना पिछवाड़ा दिखाती हैं!
कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा कि कैसे मुझे भाभी की खूबसूरत चूत नसीब हुई। अब कहानी के इस हिस्से में भाभी के साथ कैसे संयोग बना और पूरी रात भाभी की जी भर कर चुदाई हुई!
वह कोशिश कर रहा था कि मेरी मुनिया दिखे.. मैंने भी संतोष की यह कोशिश जरा आसान कर दी। मैंने पूरी तरह सोफे पर लेटकर पैरों को चौड़ा कर दिया। मेरा ऐसा करने से मानो संतोष के लिए किसी जन्नत का दरवाजा खुल गया हो.. वह आँखें फाड़े मेरी मुनिया को देखने लगा।
मेरे ताऊ के बेटे की पत्नी यानि मेरी भाभी ने मुझे जगाने के लिये मेरी रजाई हटाई पर एकदम वापिस डाल लर चली गई। बाद में उन्होंने मेरे ऊपर जो प्यार बरसाया उसकी यह कहानी है।
तभी जेठ धीरे-धीरे चूमते हुए मेरी चूत तक पहुँचे और मेरी चूत पर जीभ घुमाते हुए मेरी चिकनी बुर को बेदर्दी से चाटने लगे। मैं तड़प उठी, मेरी मस्ती से अब जेठ ने भी मेरी चूत के निकलते रस को चाटते हुए जैसे ही मेरी चूत के फांकों को मुँह में भर कर खींचकर चूसा.. मैं दोहरी हो उठी।
दोस्तों के साथ गांड मराई का खेल खेलने से मुझे गांड में कुछ लेने की आदत पड़ गई, मैं डिलडो ले आया. एक दिन मैं नंगा हो कर डिलडो गांड में घुसा रहा था कि भाभी ने देख लिया.
एक दिन भाभी ने मुझे मुठ मारते पकड़ लिया. भाभी ने पूछा कि यह काम गर्लफ्रेंड के साथ क्यों नहीं करते. मैंने भाभी से मदद मांगी तो उन्होंने मेरा लंड चूस कर मुझे मज़ा दिया और अपनी चूत भी चटवाई.
नायर मेरे चूतड़ों को सहलाते हुए बोला- जानेमन वाकयी आप एक गरम और जबरदस्त चुदक्कड़ माल हो.. अगर आप इजाजत दें तो आप की करारी गदराई गांड को भी चोद लूँ।
भाभी मेरे पास आकर बैठ गई.. और बोली- कोई फ़्रेंड बना रखी होगी.. उसी में मस्त रहता होगा। सच बता कि अब तक किसी के साथ कुछ.. मेरा मतलब है कि किसी के साथ सेक्स किया है?
मैं मदहोश होकर अपनी चूत उठा उठा कर चुदवाने लगी, मेरे हिलते उरोजों को जेठ जी बेरहमी से मसलते हुए लम्बे-लम्बे धक्के मारते हुए मेरी चूत को चोदते जा रहे थे
मैं झूठा प्रतिरोध जो कर रही थी, बंद कर दिया लेकिन मैं शर्म के कारण जेठ का साथ नहीं दे पा रही थी, बस जिस्म को ढीला छोड़ दिया- मैं आपके छोटे भाई की बीवी हूँ।
मेरे प्यारे मित्रो.. क्या आप पैन्टी खोजने में मेरी मदद करोगे.. कि मेरी पैन्टी गई कहाँ.. पति ले गए कि कहीं छिपाकर गए हैं.. या फिर मेरे सोने के बाद जेठ जी आए और वो ले गए..
मैं खुद को छुड़ाने को जितना छटपटाती.. उतना ही वह मेरे जिस्म को दबोच रहे थे, लगभग सारे हिस्सों को स्पर्श कर रहे थे। मैं बोली- मैं आपकी बहू हूँ.. छोटे भाई की बीवी हूँ.. कोई जेठ अपनी बहू को छूता तक नहीं है और आप तो..
मेरे एक विधुर जेठ हमारे साथ ही रहते थे. वे रोज मुठ मार कर अपनी अन्तर्वासना शांत करते थे. मुझे लगता था कि वे मेरे बदन को घूरते हैं. कहानी पढ़ के देखिए मैंने क्या किया?
मैं मामा के घर गया, ममेरी भाभी ने बिल्कुल टाइट फिटिंग वाला सूट पहना हुआ था.. उन्हें देखते ही मेरा लंड खड़ा होने लगा और मुझसे रुका नहीं गया, मैंने जाते ही उन्हें गले से लगा लिया।
मेरा वीर्य उनकी जांघों से रिस कर बाहर आने लगा, देख कर भाभी बोलीं- देवर जी आप कितना झड़ते हो.. तुम्हारे भैया की तो कुछ बूँदें ही बाहर आती हैं.. वो भी कभी-कभार ही! मैंने कहा- इसे चख कर देखो भाभी..
वे मुझे अपनी और खींचते हुए बोलीं- आ जाओ मेरे अन्दर मेरे चोदू देवर जी। मैं इस पर खुश होकर भाभी को सोफे पर गिरा कर उन पर चढ़ गया और जोर से उनको भींच लिया।
मैं तो उनकी गुलाबी गली देखता ही रह गया.. एकदम गुलाबी और छोटा सा छेद। मैं यह सोच रहा था कि एक शादीशुदा और दस साल की बेटी की माँ की चूत का छेद इतना छोटा कैसे हो सकता है।