पापा मम्मी की दूसरी सुहागरात -8
मम्मी के चेहरे से लग रहा था कि वो आज बहुत खुश है पर उनका भी मन अभी भरा नहीं था चुदाई से और अभी और मज़े लूटना चाहती है और केवल ऐसे ही न नुकर कर रही थी क्योंकि शायद वो चाहती थी कि आज हर बार पहल पापा ही करें।
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मम्मी के चेहरे से लग रहा था कि वो आज बहुत खुश है पर उनका भी मन अभी भरा नहीं था चुदाई से और अभी और मज़े लूटना चाहती है और केवल ऐसे ही न नुकर कर रही थी क्योंकि शायद वो चाहती थी कि आज हर बार पहल पापा ही करें।
धक्के लगाते लगाते पापा को पता नहीं क्या सूझा, अपना चुम्बन तोड़ा, मम्मी के चेहरे की ओर देखकर मुस्कुरा कर बोले- सुरभि, एक बात बताओ, जब अंदर जाता हैं जो पता चलता है? मम्मी मुस्कुराई और बोली- मुझे नहीं मालूम!
जब मौका मिला तो पहले तो मैंने उसे उसके होंठों पर किस किया फिर उसके गालों को चूमा। मैं उसके उरोजों को भी दबाने लगा था, अपना लंड उसके हाथ में दिया!
भाभी बोली- सोमू, अगर तुम तैयार हो तो तुम और कम्मो हम दोनों के सामने चुदाई करके दिखाओगे? और भैया को समझा दोगे कि चुदाई का सही तरीका क्या है?
जैसे ही फैजान की नज़र अपनी बहन की नंगी खूबसूरत चूचियों पर पड़ी तो उसने अपने दोनों हाथ मेरे सिर के दोनों तरफ रखे और मेरे सिर को पकड़ कर धक्के लगाते हुए मेरे मुँह को चोदना शुरू कर दिया।
उसकी चूत के दोनों लबों को खोलते हुए मैं बोली- जाहिरा तुम्हारी चूत तो कल की बनिस्बत ज्यादा खुली हुई लग रही है.. जैसे किसी ने अपना मोटा लंड तुम्हारी चूत में डाल दिया हो?
अमर उसकी चूत चाट रहा था, विजय उसके होंठों को चूमे जा रहा था, संतोष और पप्पू उसके दोनों चूचों के पीछे पड़े थे, मधुर और राहुल उसके चूतड़ दबा रहे थे।
अब पापा ने फिर से मम्मी के गालों को, कभी कोमल अधरों को, कभी उरोजों की घाटी, कभी मम्मी की नरम बाँहों को चूमना चूसना शुरु कर दिया। मम्मी भी अब पापा के सुर सुर मिला रही थी और उनका पूरा साथ दे रही थी, कभी वो पापा के गालों को पुचकारती, तो कभी उनके माथे को चूम लेती।
फ़ैज़ान के जाने के बाद मैंने जाहिरा की कुंवारी चूत को चाट कर रस निकाल दिया। शाम को जब फ़ैजान आया तो वो जाहिरा के कमरे में गया और उसे दबोच कर चूमाचाटी करने लगा।
मैं कुछ देर वैसे ही उसके हाथों को अपने हाथों में लिए बैठा रहा, उसकी आँखों में देखता रहा, कभी वो मुस्कुराती, कभी पलकें झुकाती, कभी अपने जुल्फों को हाथों से पीछे करती।
पहले रानी की चूत चोद कर उसको वीर्य से भरा ताकि वो गर्भवती हो सके, उसके बाद कम्मो ने प्रेमा की चुदाई घोड़ी बन कर करवाई कि उसके गर्भ धारण में कमी पूरी हो सके!
थोड़ा सा जोर लगाते हुए मैंने अपनी उंगली की नोक जाहिरा की चूत के सुराख के अन्दर दाखिल की, तो जाहिरा ने एक तेज सिसकारी के साथ अपनी दोनों जाँघों को खोल दिया।
मैं समझ गई कि जाहिरा की चूत पहली-पहली बार पानी छोड़ रही है। मैंने उसके जिस्म को अपने जिस्म के साथ भींच लिया और थोड़ी ही देर में ही उसका जिस्म मेरी बाँहों की गिरफ्त में बिल्कुल ढीला हो गया।
हम मियां बीवी की प्रेम लीला खूब खुल के चलती थी, जब भी मौका मिलता, हम दोनों मियां बीवी आपस में भिड़ जाते। मैंने अपनी बीवी को मना कर रखा था कि वो साड़ी के नीचे पेंटी नहीं पहनेगी ताकि जब भी मौका मिले, मैं उसकी साड़ी ऊपर उठाऊँ और ठोक दूँ।
अगले दिन शाम को चार लड़कियाँ मेरे घर आई। खाना खाकर सभी नाचने लगे तो एक लड़की मुझे कोने मे।म ले गई तो मैंने उसे चूम लिया क्योन्कि उस पर मेरा दिल आ गया था।
अगली दोपहर को फ़ैजान आ गये और हम तीनों ए सी वाले बेडरूम में लेट गये। तभी मैंने देखा कि फैजान ने अपना हाथ मेरे ऊपर से होता हुआ जाहिरा की नंगी बाज़ू पर रख दिया
मेरी एक पड़ोसन भाभी शायद मेरी जवानी देख मचल गई, मैं भी सेक्स की चाहत के कारण उसके जाल में आ गया। एक दिन वो मुझे किस करके बोली- देवर जी.. बुरा तो नहीं लगा?
अगले दिन मैंने गीति से बात करके परी को लंच पर बुलाया और फिर खेल खेल में तीनों से चूमाचाटी की. परी को चोदने की इच्छा थी मेरी, वो भी चाह रही थी पर शायद वो डर रही थी.
मेरी एक महिला मित्र मारीशस में रहती है, वो जब भारत आई तो मैं उससे मिला। वो अपने परिवार के साथ थी। बात कुछ ऐसी बनी कि हम दोनों होटल के कमरे में अकेले रहे।
पहली चुदाई को उत्सुक मैं एक साइट पर एस्कोर्ट देख रहा था कि एक शीमेल को देखा। उससे फ़ोन पर तय करके मैं उसके घर गया। मेरे अनुमान के विपरीत वो बहुत सुन्दर थी।