अधूरी ख्वाहिशें-2
हमारे समाज ने सेक्स को टैबू बनाया हुआ है, सौ में से नब्बे लोग इन समाजों में यौनकुंठित और दुखी ही हैं। जबकि पश्चिमी सभ्यता में यह रोजमर्रा का आम व्यवहार है और वे सेक्स को खुल कर जीते हैं और हमारे मुकाबले वे ज्यादा खुश और खुशहाल हैं।