मेरी चालू बीवी-66
वो खुद झुक गई, उसको चुदाई का अच्छा अनुभव था, ऋज़ू ने झुककर अपनी गांड को ऊपर को उठाकर अपने दोनों छेद खोल दिए कि चाहे किसी में भी डाल दो...
जिस पति को अपनी पत्नी की गैर मर्द से चुदाई करवाने, देखने में मज़ा आता हो
वो खुद झुक गई, उसको चुदाई का अच्छा अनुभव था, ऋज़ू ने झुककर अपनी गांड को ऊपर को उठाकर अपने दोनों छेद खोल दिए कि चाहे किसी में भी डाल दो...
अन्तर्वासना के प्रिय पाठको, आप सब को मेरा नमस्कार ! मैं भारत की राजधानी दिल्ली से सटे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के एक छोटे शहर में रहता हूँ। मैं अन्तर्वासना का एक नियमित पाठक हूँ और मुझे उस पर प्रकाशित कहानियाँ पढ़ना अच्छा लगता है। आज मैं अपने जीवन में घटने वाली एक सच्ची कहानी का […]
मैं जल्दी से उधर लपका और बाथरूम का दरवाजा खोल दिया और मुझे सलोनी मिल गई वो सामने कमोड पर बैठी थी... पूरी नंगी... उसने एकदम से मुझे देखा.. हम दोनों की नजरें आपस में मिली...
मैं सिर्फ तौलिये में ही बाथरूम से बाहर आ गई, मैंने जानबूझ कर अपना बदन भी नहीं पोंछा। मैं शीशे में देखकर अपने बाल ठीक करने लगी, मुकुल पीछे से मेरी गोरी टांगों को मेरी पिंडलियों को मेरी जांघों को लगातार घूर रहा था।
मजदूरी करते रज्जो थकी नहीं थी क्योंकि यही उसका पेशा था। बस सड़क की सफाई करते ऊब सी गई थी। अब वह किसी बड़े काम की तलाश में थी जहाँ से ज्यादा पैसा कमा सके जिससे वह अपने निठल्ले पति का पेट भरने के साथ ही उसकी दारू का भी इंतजाम कर सके। शहर से […]
आशीष लगातार मेरे स्तनों को दबा रहे थे, मेरे निप्पलों से खेल रहे थे परन्तु चूंकि मैं आशीष की टांगों के बीच में थी तो उनको बार बार मेरे स्तनों को सहलाने में परेशानी हो रही थी।
ऋज़ू- अरे वो नंगी रण्डी.. जिसने कच्छी नहीं पहनी थी, तेरे साथ थी? ..उसी के साथ तो था वो कमीना... चल छोड़ उसको, उसकी चूत से कहीं मजेदार है मेरी चूत.. चल आज मुझे अपना मूत पिला... उसको चुदने दे किसी और से...
जूजा जी अब तक आपने पढ़ा कि मेरी बातों को सुन कर पंकज हंस पड़ा और बोला- विभा, मैं तो तुम्हें एक चुदक्कड़ औरत समझ रहा था लेकिन तुम तो गाण्डू भी हो। चलो अब मैं तुम्हारी गाण्ड मारता हूँ। इतना कहकर पंकज ने अपना लण्ड मेरी गाण्ड में एक झटके से ठूँस दिया और […]
उन्होंने मुझे खींचकर अपनी छाती से चिपका लिया और एक मीठा सा चुम्बन दिया। मैं तो शर्म से धरती में गड़ी जा रही थी पर उनकी छाती से चिपकना बहुत अच्छा लग रहा था।
कथा रूपांतरण : डॉ. दलबीर सिंह प्रेषक : करण दोस्तो नमस्कार, मैं आपका दोस्त डॉ. दलबीर आपके सामने फिर से हाजिर हूँ। मेरी कहानियाँ पढ़ कर काफ़ी दोस्त बन रहे हैं और कहानियों को भी सराह रहे हैं, उसके लिए आप सबका धन्यवाद। आपके विचारों से और सराहना और आलोचना से लेखक को आगे और […]
मैं अपना एक हाथ उसके चूतड़ों से हटा उस लेडी के आगे लाया और सीधा उसकी टांगों के बीच चूत पर रख दिया.. उसकी स्लैक्स कच्छी के साथ ही उतर गई थी इसलिए चूत पूरी तरह नंगी थी...
मैंने अब सलोनी की ओर ध्यान दिया... ओह ! वो भी अब उस लड़के की बाहों में थी... वो लड़का भी सलोनी की स्कर्ट में अपना हाथ घुसाये था... उसने सलोनी के चूतड़ों के बीच अपनी उँगलियाँ डाली हुई थी...
जरा सी मस्ती करने में चूत या लण्ड घिस नहीं जाते… अच्छा तुम बताओ, अभी जब वो लड़की मेरी गोद में बैठी तो मेरा लण्ड उसकी गांड के स्पर्श से खड़ा हो गया... इसका मतलब मैं गलत हूँ या मेरे लण्ड या उसकी चूत का कुछ घिस गया...
उसने मेरे सामने ही सलोनी की चूत को अपने दोनों अंगूठों से खोलते हुए कहा- देखा साहब कितनी टाइट और पूरी लाल चूत है... और खुशबू भी ऐसी जैसी कुंवारी लड़की की चूत से आती है...
सलोनी अभी भी बिस्तर पर लेटी थी, उसकी नंगी चूचियाँ अपने साथ हुए हर जुल्म की दास्ताँ सुना रही थी... उसकी चूत पूरी तरह से खुली पड़ी थी... उसकी स्कर्ट जो वैसे ही बहुत छोटी थी और इस समय उसकी कमर के नीचे दबी थी...
अरे वो गोरी सी छमिया... जो स्कर्ट के नीचे नंगी थी... अरे बहुत कसा हुआ माल है यार... उसको तो वो साला श्याम बराबर वाले कमरे में ले गया है... चोद रहा होगा साला... क्या चिकनी और कसी हुई चूत थी उसकी यार... उंगली तक अंदर नहीं जा रही थी...
यह कहानी किसी और ने मुझे भेजी है, आप उसी के शब्दों में इस कहानी का आनन्द लें। मेरा नाम विभा है, मेरे पति नरेन एक इंजीनियरिंग कंपनी में अच्छे पद पर हैं। हम लोग वैसे तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं, पर पिछले 15 सालों से नई दिल्ली में रह रहे हैं। […]
सलोनी खूब मस्ती से मेरे साथ बैठी थी... वो शायद भूल गई थी कि उसकी स्कर्ट बहुत छोटी है और उसने कच्छी तक नहीं पहनी है, जरा भी हिलने डुलने से बाकी लोगों को बहुत कुछ दिख जाने वाला था।
एक पैर सीट के ऊपर रख जब उसने जीन्स चूतड़ों से उतार दी और उसको पैरों से निकालने लगी, तभी मेरी नजर उसके नंगे साफ़ सफ्फाक चूतड़ों पर पड़ी... ओह यह क्या...?? उसने अभी भी कच्छी नहीं पहनी थी...
सलोनी बिस्तर के किनारे पीछे को लेटी थी... उसके दोनों पैर मुड़े हुए किनारे पर रखे थे और पूरे चौड़ाई में खुले थे.. एक नजर में मुझे केवल सलोनी की नंगी टाँगें और हल्की सी चूत की भी झलक मिल गई थी..