सेक्स को लेकर भारतीय मानसिकता

(What is Sex)

What is Sex … क्या है सेक्स? आप सभी जानते होंगे कि सेक्स के बिना यह दुनिया पानी और पत्थरों का ढेर रह जायेगी. मेरे विचार इस लेख में पढ़ें.

दोस्तो, कैसे हो आप सभी. आशा करता हूं आप सब अच्छे होंगे.

मैं आपका अपना हॉट बॉय अर्जुन सहगल
मेरी पिछली कहानी थी: अकेली औरत की कामवासना का समाधान

आज आपके लिए एक नया विषय लेकर आया हूं. What is Sex
कुछ पुराने विचार और आधुनिक दुनिया से मिला जुला कुछ ऐसा रोचक मसाला, जो आपके मन में छुपे हुए सवालों का जवाब दे सकता है.

प्लीज एक बार ध्यान से पूरा पढ़िएगा जरूर, फिर जैसा भी आपको लगे, आप अपने विचार मुझ तक जरूर भेजें.

आज मैं सेक्स पर बात करना चाहता हूं और इसमें कोई कामुकता भी नहीं छिपी है.
हम केवल और केवल अपने विचारों का आदान प्रदान करेंगे.

सेक्स क्या है?
कुछ बुरा है क्या सेक्स में?
अगर इसमें कुछ बुरा होता तो भगवान इसे क्यों बनाता?
अगर सेक्स को बुरा समझ कर सेक्स करना छोड़ दें तो दुनिया 100 साल में मनुष्य विहीन हो जायेगी.

मैं आपसे पूछना चाहता हूँ कि क्यों हम लोग इज्जत या लाज के चक्कर में रह कर इस मुद्दे से इतना भागते हैं?

ये लज्जा या इज्जत वाली बात सब झूठी शान दिखावा और बकवास है.

अधिकतर लड़कियां और कुछ लड़के सेक्स कर लेने मात्र से अपने आपको इतना गिरा हुआ बना लेते हैं कि वो आत्महत्या तक कर लेते हैं.
यह सही नहीं है. यह इस थोथी मानसकिता के चलते होता है.

क्या शानो-शौकत वाले लोग सेक्स नहीं करते?
उन्होंने क्या कभी जवानी में किसी के साथ सेक्स नहीं किया?
क्या उन्होंने कभी हस्तमैथुन नहीं किया?
क्या उनकी कोई इच्छाएं नहीं थी जो वो अधेड़ उम्र में आकर इतने सभ्य बनने का ढोंग करते हैं?

दोस्तो, मैं किसी भी मुल्क़ की तरक्की के लिए सेक्स को जिम्मेदार मानता हूं.
आपको मेरा ये कहना शायद अजीब लगे, परन्तु कहीं ना कहीं आपको ये मानना ही पड़ेगा कि मैं जो कह रहा हूँ, उसमें सच्चाई है.

पश्चिमी देश विकसित क्यों हैं, क्या कभी आपने सोचा?
क्योंकि वो सेक्स को प्राकृतिक मानते हैं और उम्र के अनुसार इसको खूब मजे से एन्जॉय भी करते हैं.

हमारे यहां सब कुछ उल्टा है. हमारे यहां सेक्स को इज्जत समझा जाता है.
मतलब करो तो बस अपनी घरवाली के साथ … वरना नहीं.

अपने यहां कोई मन लगाकर कुछ कर ही नहीं पाता क्योंकि आधा मन तो सेक्स में ही रहता है, जो बिना शादी के पूरा नहीं होगा.

हमारे देश के 90% लोग शादी के बाद भी खुश नहीं होते क्योंकि वो समाजिक विचारों के नीचे दबे होते हैं कि अपने घरवाले/घरवाली के सिवाए दूसरे के साथ करना गलत बात होती है.
मैं आप लोगों से पूछता हूं कि अगर ये सब सहमति से हो तो इसमें क्या गलत है?

अगर दोनों खुश रहेंगे तो क्या उन दोनों की जिंदगी मस्त नहीं चलेगी?
ये मात्र कुछ चुनिंदा लोगों का एक ढोंग हैं क्योंकि यहां ऐसे लोग दूध के धुले नहीं होते.

अब कोई अपनी लाइफ को सैट करने के लिए मेहनत कर रहा है और उसको अभी शादी नहीं करनी, तो वो क्या सेक्स ही ना करे?
यहां कोई लड़की किसी से लिफ्ट लेकर घर जाने तक में बदचलन साबित हो जाती है, सिर्फ इन जैसे लोगों की वजह से.

दोस्तो, इस बात में कोई दो राय नहीं है कि सेक्स में सभी एक समान नहीं होते.
किसी का इसमें इंट्रेस्ट ज्यादा होता है तो किसी का कम …
पर यदि किसी की घरवाली या घरवाला एक दूसरे को सतुंष्ट नहीं कर पाते, तो क्या वो किसी और के साथ अपनी हसरतें पूरी नहीं कर सकते?

दोस्तो, जिंदगी का अगला सीन क्या होगा किसको पता है.
पर जितनी भी जिंदगी मिली है, क्या हम इसके एक एक पल को जी भरके जी भी नहीं सकते?
या ये जिंदगी भी इन समाजिक लोगों के द्वारा दान में मिली है?

मेरे प्यारे दोस्तो, आज मैं ये सब इसलिए आप लोगों के साथ ये मसला साझा कर रहा हूं क्योंकि मुझे बहुत से ईमेल ऐसे ऐसे आते हैं कि मैं बता नहीं सकता.
कोई मुझे गाली देता है तो कोई कुछ बोलता है.

अब आप ही बताओ क्या मैं मेरा काम छोड़ दूँ?
रोज शाम को पार्लर से जाकर शाम से लेकर रात के एक एक बजे तक चैट करता हूं, ये सोचकर कि मुझसे बात करके मेरी वजह से कोई खुश है.

और ऐसी बात नहीं है कि मेरे सिर्फ दोस्तो में फीमेल ही हैं, बहुत से मेरे पुरुष दोस्त भी हैं, जो मुझसे रोज बात करते हैं.

मैं आज ये इसलिए शेयर कर रहा हूं ताकि हम लोगों में से कोई ऐसा सामाजिक कीड़ा ना बने.
हमें अपनों पर भी ऐसे प्रतिबन्ध नहीं लगाने चाहिये और न ही कभी किसी से अभद्र भाषा का प्रयोग करना चाहिए.

इससे समझ पर बुरा असर पड़ता है.
आप खुद सोचिये कि हम में से ऐसे कितने हैं, जो अपनी यौन इच्छाओं को मारकर समाज में अपना प्रभुत्व स्थापित करने को लेकर सिर्फ झूठा दिखावा करते हैं.

मैं आप लोगों से भी हाथ जोड़कर बोलता हूँ कि सेक्स एक प्राकृतिक क्रिया है, इसे एन्जॉय करें और करने दें … और अपने काम पर ध्यान दें.
मेरे अनुसार सेक्स इच्छाओं को दबाकर कोई भी अपनी जिंदगी में अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकता.

अपने समझ में कितने ऐसे पुरुष और महिलाएं हैं, जो इस तरह के सामाजिक ढोंगियों की वजह से हस्तमैथुन से काम चला रहे हैं.
मैं भी कभी इन्ही में से एक हुआ करता था परंतु अब मैं जिंदगी को खुलकर जीता हूँ.

पता नहीं कब ये शरीर साथ छोड़ जाए, पर मैं अपनी जवानी को जी भरके जी रहा हूं और आप भी मेरी तरह मस्त रहिए.
फालतू में किसी की सुनकर क्या इज्जत कमा लोगे? घंटा कमाओगे यार … ये सब कुछ नहीं होता.

वासना शांत हो, तो काम करने का अंदाज ही अलग होता है. वासना को साथ लेकर आप जिंदगी में आप कभी काबिल बन ही नहीं सकते.

क्या पिछले जमाने में लोग किसी और औरत के साथ सेक्स नहीं करते थे?
ये सब वहम है कि वो पत्नीव्रता या पतिव्रता होते थे क्योंकि अगर ऐसा होता था तो फिर ये वेश्यावृत्ति क्यों होती थी?

वेश्यावृत्ति आदि समय से चलती आ रही है, पर पहले लोगों में बात को उड़ाने वाली मानसिकता नहीं होती थी.
आधुनिक जमाने में सेक्स को एन्जॉय करने वाले कम … और इसका शोर मचाने वाले ज्यादा पैदा हो गए हैं.

इंटरनेट पर इतने एमएमएस भरे पड़े हैं, जिनकी कोई गिनती नहीं है. क्या ये आज के युग के लोगों की एक नीच मानसिकता नहीं है?
एन्जॉय करो, सेक्स करो … पर किसी की निजता को ऐसा उछालना, मेरे हिसाब से बिल्कुल गलत है.

दोस्तो, हमारे देश में पहले सेक्स बहुत होता था पर विदेशी आक्रान्ताओं के शासन, उनकी संकीर्ण मानसिकता के कारण भारत के समाज का खुलापन सीमित होता गया.

पति पत्नी दोनों एक दूसरे को वशीकरण में रखते हैं, भले ही एक दूसरे से सतुंष्ट ना हों, पर जीवनसाथी किसी अन्य के साथ सेक्स न कर लें, बस यही चिंता रहती है.

पुराने जमाने में झाड़ियां, खेतों में पेड़ पौधे इतने होते थे कि कभी उन लोगों को ओयो होटल की जरूरत ही नहीं पड़ी.
वो सेक्स करने में भी जान फूंक देते थे और आजकल के बहुत से युवा तो बस युवा ही रह गए हैं.

चूत दिखी नहीं कि बस पानी निकल गया … और ये इतनी कामुकता आयी है सिर्फ पोर्न फिल्मों की वजह से.
पहले वाले तो ना लंड रहे और ना चूत.

अब तो कोई लड़की जवान होती है तो सारे मुहल्ले में शोर मचवा देती है, पर पुराने जमाने में तो कब चुदवा आयी … पता भी नहीं लगने देती थी.
और लड़कों का तो कहना ही क्या … जवान होते ही सिगरेट, दारू के पीछे शरीर को तबाह कर लेते हैं.

ये तथाकथित युवा भला किसको सतुंष्ट कर पाएंगे?
दोस्तो, आज मैंने थोड़े से शब्दों में बहुत कुछ बोल दिया है. आशा करता हूं आप मेरी भावनाओं को समझ पाएंगे.

ये इज्जत के चक्कर किसी की जिंदगी को दांव पर न लगने दें और खुद की जिंदगी को भी खुशहाल रखें.
लंड और चूत का खूब इस्तेमाल करें क्योंकि ये एकमात्र ऐसे अंग हैं, जो कभी घिसकर छोटे नहीं होते.

धन्यवाद दोस्तो.
What is Sex : इस विषय पर आपके विचार जो भी हों, मुझे ईमेल करके जरूर बताएं.
[email protected]
सदा खुश रहो … आपका दिल से धन्यवाद.

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