महिलाओं में श्वेत प्रदर की समस्या

(Mahilaon Me Swet-Pradar Ki Samasya)

दोस्तो.. आपका प्रिय मैं रितेश शर्मा.. अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा एक बार फिर नमस्कार।
मेरी पिछली पोस्ट को आप सभी के द्वारा बहुत पसंद किया गया, इसके बाद मुझे पूरे भारतवर्ष से बहुत सारा प्यार और मेल प्राप्त हुए। उनमें से बहुत सारी औरतों और पुरुषों के मेल मिले.. जिनमें उन्होंने अपनी सेक्स समस्याओं से अवगत कराया।

दोस्तो, तो मैं आज फिर हाजिर हूँ.. एक और नई सेक्स समस्या के साथ.. जिसका नाम हैं श्वेत-प्रदर..

श्वेत-प्रदर या ल्यूकोरिया या लिकोरिया (Leukorrhea) या ‘सफेद पानी आना’ स्त्रियों का एक रोग है.. जिसमें स्त्री की योनि से असामान्य मात्रा में सफेद रंग का गाढ़ा और बदबूदार पानी निकलता है और जिसके कारण वे बहुत क्षीण तथा दुर्बल हो जाती हैं। महिलाओं में श्वेत-प्रदर रोग आम बात है। ये गुप्तांगों से पानी जैसा बहने वाला स्त्राव होता है। यह खुद कोई रोग नहीं होता.. परंतु अन्य कई रोगों का कारण होता है।

श्वेत-प्रदर वास्तव में एक बीमारी नहीं है.. बल्कि किसी अन्य योनिगत या गर्भाशयगत व्याधि का लक्षण है.. या सामान्यतः प्रजनन अंगों में सूजन का बोधक है।

बचाव एवं चिकित्सा

इसके लिए सबसे पहले जरूरी है साफ-सफाई.. योनि को धोने के लिए सर्वोत्तम उपाय उसे फिटकरी के जल से धोना है। फिटकरी एक श्रेष्ठ जीवाणु नाशक सस्ती औषधि है व सर्वसुलभ है।
बोरिक एसिड के घोल का भी प्रयोग किया जा सकता है और यदि अंदरूनी सफ़ाई के लिए पिचकारी से धोना (डूश लेना) हो तो आयुर्वेद की अत्यंत प्रभावकारी औषधि ‘नारायण तेल’ का प्रयोग सर्वोत्तम होता है।

मैथुन के पश्चात अवश्य ही साबुन से सफाई करना चाहिए।

प्रत्येक बार मल-मूत्र त्याग के पश्चात अच्छी तरह से संपूर्ण अंग को साबुन से धोना चाहिए। बार-बार गर्भपात कराना भी सफेद पानी आने का एक प्रमुख कारण है। अतः महिलाओं को अनचाहे गर्भ की स्थापना के प्रति सतर्क रहते हुए गर्भ निरोधक उपायों का प्रयोग (कंडोम, कॉपर टी, मुँह से खाने वाली गोलियाँ) अवश्य प्रयोग करना चाहिए। साथ ही एक या दो बच्चों के बाद अपना या अपने पति का नसबंदी आपरेशन करा लेना चाहिए।

शर्म त्यागकर इसके बारे में अपने पति एवं डाक्टर को बताना चाहिए।

इस रोग की प्रमुख औषधियां अशोकरिष्ट, अशोक घनबटी, प्रदरांतक लौह, प्रदरहर रस आदि हैं।

इस रोग को खत्म करने के लिए निम्न औषधि का सेवन करना चाहिए।

1) एक ज्यादा पका केला पूरे एक चम्मच देशी घी के साथ खाएं। 15 दिन में ही फ़र्क नजर आएगा। एक महीना प्रयोग करें।

2)आंवला बीज का पावडर बना लें.. एक चम्मच पावडर शहद और सौंफ के साथ प्रातःकाल लें।

3)गिलोय+सतावर को मिलाकर पाउडर बना लें.. फिर उसका काढ़ा बनाएं और रोज सुबह-शाम 1।2 कप लें.. लाभ होगा।

4)पाव भर दूध में इतना ही पानी तथा एक चम्मच सूखा अदरक डालकर उबालें.. जब आधा रह जाए.. तो इसमें एक चम्मच शहद घोलकर पीयें.. ये बहुत गुणकारी है।

5)आयुर्वेदिक औषधि अशोकारिष्ट इस रोग में अत्यंत लाभप्रद सिद्ध होती है.. प्रदरान्तक चूर्ण का भी व्यवहार किया जाता है।

6)भोजन में दही और लहसुन का प्रचुर प्रयोग लाभकारी होता है। बाहरी प्रयोग के लिए लहसुन की एक कली को बारीक कपड़े में लपेटकर रात को योनि के अन्दर रखें, यह कीटाणु नाशक है.. इसी प्रकार दही को योनि के भीतर-बाहर लगाने से श्वेत प्रदर में लाभ मिलता है।

7) दस ग्राम मैथी के बीज.. पाव भर पानी में उबालें.. आधा रह जाने पर गरम-गरम दिन में दो बार पीना लाभकारी है।

8) छाछ 3-4 गिलास रोज पीना चाहिए इससे योनि में बैक्टीरिया और फंगस का सही संतुलन बना रहता है।

9) गुप्त अंग को निम्बू मिले पानी से धोना भी एक अच्छा उपाय है। फिटकरी का पावडर पानी में पेस्ट बनाकर योनि पर लगाने से खुजली और रक्तिमा में फायदा होता है। फ़िटकरी श्रेष्ठ जीवाणुनाशक है और सरलता से मिल जाती है। योनि की भली प्रकार साफ़-सफ़ाई रखना बेहद जरूरी है। फ़िटकरी के जल से योनि धोना अच्छा उपाय है।

10) मांस मछली, मसालेदार पदार्थों का परहेज करें।

11) भोजन में हरे पत्तेदार सब्जियाँ और फल अधिक से अधिक शामिल करें।

आशा हैं कि ये पोस्ट आपको जरूर पसंद आई होगी।

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