पति ने मुझे पराये लंड की शौकीन बना दिया- 4

(Want To Fuck With Doctor)

नीना राज 2024-10-05 Comments

आई वांट टू फक विद डॉक्टर … मेरे पति अस्पताल में हैं, उनका इलाज करने वाले हॉट डॉक्टर को मैं अपने पति के कहने पर ही पटाने की कोशिश कर रही थी.

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कहानी का पिछला भाग: डॉक्टर मेरी सुंदरता से आकर्षित हो गए

अब आगे:

मैंने यह देखा कि जब भी मैं घर में अकेली होती थी, अभिनव को किसी ना किसी तरह पता लग जाता था और वह कभी सब्जी तो कभी कुछ और ले कर कुछ ना कुछ बहाना कर घर पहुँच जाता था।

बाद में मुझे पता चला कि मेरे पति ही उसे इशारा कर देते थे कि मैं घर में अकेली रहूंगी।
मैं क्या करती?
मेरे पति ही अभिनव को मुझे छेड़ने के लिए प्रोत्साहित करते रहते थे।

जब यह सब देखा तो मैंने अभिनव की प्यार भरी छेड़खानी और शरारत पर ऐतराज और शिकायत करना बंद कर दिया।
इसके कारण अभिनव की शरारतें बढ़ती चली गयी।

अभिनव था भी ऐसा मीठा मनचला!
मुझे भी अभिनव की हरकतें भाने लगीं।

मैंने कभी असहायता दिखाते हुए तो कभी मुस्कुरा कर तो कभी हँस कर तो कभी अभिनव की टांग खींचते हुए उसकी छेड़खानी का सकारात्मक जवाब देना शुरू कर दिया।

अभिनव मुझे अकेले में छेड़ने के मौके ढूंढता रहता था और बड़ी ही चतुराई से मेरे स्तनों, गांड, जांघें इत्यादि छूने और मसलने का मौक़ा नहीं चूकता था और कामुकता भरी बातें कर मेरी सुंदरता, मेरे कपड़ों, मेरी बुद्धिमता, मेरे घर की सफाई और सजावट वगैरा के बार बार बखान कर मुझे बहुत उत्तेजित करता रहता था।

एक बार हंसी मजाक में उसने मेरा हाथ पकड़ कर उसकी पतलून पर उसकी जाँघों के बीच उसके लण्ड पर रख दिया और मेरी हथेली को दबा कर मुझे उसके लण्ड को महसूस कराया और जबरदस्ती ऊपर ऊपर से हल्के से सहलवाया भी।
उसका लण्ड वाकई में बड़ा था।
मेरे लिए वह बड़ी ही अजीबो-गरीब फीलिंग थी।

उसकी बातें सुन कर और छेड़खानी करने से मेरी चूत में से पानी रिसने लगता था।

मेरे पति भी रात को मुझे चोदते हुए बार बार उसके तगड़े लण्ड के बारे में बताने का मौक़ा नहीं जाने देते थे।
मैं समझ गयी थी की मेरे पति मुझे अभिनव से चुदवाने पर आमादा थे।

होली के दिन जब अभिनव की पत्नी मणिका छुट्टियों में उसके पिता के पास छुट्टियां मनाने गयी हुई थी तब मेरे पति और अभिनव ने मिल कर मरे साथ शाम को एक रात भर के हास्य कवि सम्मेलन में जाने का प्रोग्राम बनाया।
उस रात पहले कार में और बाद में अभिनव के घर ले जा कर मुझे दोनों ने मिल कर ड्रिंक पिलाया।

फिर अपनी कामुक बातों से मुझे बहकाने और उकसाने लगे।
मैं समझ गयी कि मेरे पति और अभिनव दोनों मिल कर मुझे उकसा कर, पूरे मूड़ में ला कर चोदने का प्रोग्राम बना रहे थे।

मैंने भी जब यह देखा कि मेरे पति ही सामने चल कर मुझे अभिनव से चुदवाना चाहते थे तो फिर मैं क्यों बीच में अड़ंगा डालूं?
मैं भी दिखावा करने लगी जैसे नशे की हालत में मैं उनके बहकावे में आ गयी थी।

उसके बाद अभिनव के घर में मेरी दोनों मर्दों ने मिल कर जम कर तगड़ी चुदाई की।

मुझे जब दोनों से चुदना ही था तो मैं भी उस रात पूरी नंगी होकर उन दोनों मर्दों को भी नंगा कर उनसे दिल खोल कर अच्छे से चुदी और उनका पूरा साथ दिया।
उस रात मैं अभिनव के तगड़े लण्ड से खूब चुदी।
मैंने उन दोनों का लण्ड खूब चूसा, मेरी चूत को अच्छे से चुसवाया और भी बहुत कुछ किया।

यह पूरी कहानी आप मेरी अन्य कहानी ‘बड़ी मुश्किल से बीवी को तैयार किया’ में देख सकेंगे।

अभिनव के साथ मेरी उस रात की और उसके कई बाद कई बार हुई तगड़ी चुदाई को ना सिर्फ मैंने खूब एन्जॉय किया बल्कि उस वाकये ने मेरा चुदाई के बारे में नजरिया ही बदल दिया।
मैं यह समझ गयी कि अगर पति चाहता हो और मौक़ा मिले तो पत्नी को जरूर किसी गैर मर्द से चुदवाने में परहेज नहीं करना चाहिए।

मेरा अनुभव बहुत जबरदस्त रहा।
मैंने या मेरे पति ने उस बात को लेकर हमेशा एन्जॉय ही किया, एक दूसरे की बड़ाई ही की एक दूसरे को कभी भी दोषी नहीं माना।

उस अनुभव के बाद मेरे और मेरे पति का प्यार और भी मजबूत हुआ।

इस सारी घटना के बाद मैं मेरे पति की यह मुझे किसी गैर मर्द से चुदवाने की अजीब सी तृष्णा समझ गयी थी।
राज को जब भी कोई तगड़ा आकर्षक मर्द नजर आता, तब वह मुझे उसको दिखा कर मेरी राय जानने की कोशिश करते।

पर उस वाकये के बाद जब तक डॉक्टर अतुल से मुलाक़ात नहीं हुई थी तब तक कोई ऐसा दूसरा पसंदीदा मर्द ही नहीं मिला।

अब मेरे पति का साफ़ साफ़ गर्भित संकेत यही था कि मेरा डॉक्टर अतुल के साथ भी कुछ वैसा ही वाकया हो।
मेरे पति राज की शरारत भरी मुस्कान और आँखों की चमक वही कह रही थी।

राज के मन में मेरे और डॉक्टर अतुल के बीच की नोंकझोंक की बातें सुन कर वही शरारत जाग उठी थी।
मुझे उनके वाक्य और उनके चेहरे के भाव देख कर कोई शक नहीं रहा कि राज मुझे डॉक्टर अतुल से चुदवाना चाहते थे।
पर एक अच्छे पति की तरह उन्होंने सारी बात मुझ पर छोड़ दी थी।
अब यह मुझ पर था कि मैं आगे बढूं या नहीं।

उस रात डॉक्टर अतुल की रात की ड्यूटी थी।
मैंने रात को करीब ग्यारह बजे स्टाफ नर्स को कहा- मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा, जब डॉक्टर अतुल फ्री हों तो उनको मेरे कमरे में भेजना।
यह कह कर मैं सारी लाइटें बंद कर के, सिर्फ एक डिम लाइट चालू रखकर दरवाजा बंद करके मेरे बिस्तर पर लेट गयी।

कुछ देर में डॉक्टर अतुल ने कमरे के दरवाजे पर दस्तक दी।
मैंने लेटे हुए ही उन्हें अंदर आने को कहा।

धक्का मार कर दरवाजा खोल कर जब वह अंदर आए तो मुझे पलंग पर लेटी देख कर मेरे पास आये।

मैंने लेटे हुए ही उन्हें ‘गुड इवनिंग डॉक्टर’ कहा।

उन्होंने अपना सर हिलाते हुए मेरा हाथ थाम कर मेरी नब्ज़ देखते हुए पूछा- क्या बात है नीना? क्या हुआ?
मैंने कहा- मुझे ठीक नहीं लग रहा है। कुछ नर्वसनेस जैसा लग रहा है, दिल की धड़कन तेज हो गयी हो ऐसा लगता है।

डॉक्टर अतुल ने अपना स्टेथेस्कोप ले कर मेरी छाती पर रख कर जब देखना शुरू किया।

मैंने उनके स्टेथेस्कोप वाले हाथ को पकड़ कर मेरी छाती पर स्तनों के ऊपर दबाते हुए कहा- डॉक्टर साहब, मेरे पति राज का हाल देख कर मैं नर्वस फील कर रही हूँ। आप देखिये मेरा क्या हाल हो रहा है। मेरा दिल कैसे धड़क रहा है।

डॉक्टर अतुल ने दबी हुई आवाज में ब्लाउज के ऊपर से मरे स्तनों को अपने हाथों में महसूस करने के बाद कुछ हिचकिचाहट के साथ मेरा हाथ हटाते हुए कहा- नीना यार, यह क्या कर रही हो? यह अस्पताल है! तुम्हारा या मेरा घर नहीं! यहां के कुछ नियम हैं, एक आचारसंहिता है जिसे मुझे एक डॉक्टर के नाते फॉलो करनी है।

डॉक्टर अतुल की बात सुन कर मेरे स्वाभिमान को एक तगड़ी ठेस पहुंची।
ऐसा पहली बार हुआ था कि मैंने किसी मर्द को आकर्षित करने की कोशिश की थी और पहली कोशिश में ही मुझे उसने नकार दिया।

वैसे भी मैं मेरे पति की बिमारी के कारण परेशान थी; ऊपर से इस तरह मेरा डॉक्टर अतुल के द्वारा ठुकराये जाने के सदमे को सह नहीं पायी।
उद्वेग के अतिरेक में मुझे एकदम रोना आ गया।

अपना विरोध जताने के लिए मैं गुस्से में डॉक्टर अतुल से कुछ हट कर बैठ गयी और बरबस ही रोने लगी।

मेरा रोना सुन कर अतुल बहुत ही उलझन में फँस गए।
डॉक्टर ने मुझ से कुछ उलझन में पूछा- क्या हुआ? रो क्यों रही हो?

मैंने रोते हुए अतुल की कमीज़ पकड़ कर उनको हिलाते हुए कहा- आज तक मुझे कभी किसी ने इस तरह दुत्कारा नहीं! आप मुझे इस तरह धक्के मार कर जलील क्यों कर रहे हो?

डॉक्टर अतुल के चेहरे पर तो काटो तो खून ना निकले ऐसे भाव दिखने लगे।
वे एकदम घबड़ाते हुए बोले- पर मैंने कहाँ तुम्हें धक्के मार कर दुत्कारा या जलील किया?

मैंने रोते हुए कहा- अगर आपको मैं अच्छी नहीं लगती तो मुझे कह देते कि मैं आपको अच्छी नहीं लगती। इस तरह दुत्कारते तो नहीं मुझे?

डॉक्टर अतुल ने कुछ लड़खड़ाती आवाज में कहा- किसने कहा कि तुम मुझे … अच्छी … नहीं लगती? तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो। मैंने तो बस यही कहा की यह अस्पताल है, फ़्लर्ट करने की … मेरा कहने का मतलब है … हर चीज़ के लिए सही जगह और वक्त होता है। मतलब …

मैं एकदम चुप हो गयी और रोनाधोना बंद करके घूम कर डॉक्टर अतुल के एकदम करीब खिसक कर उनके हाथ थाम कर उनके बदन को पूरा हिलाते हुए बोली- क्या कहा? दुबारा बोलो तो। सच सच बताओ कि क्या मैं आपको वाकई में अच्छी लगती हूँ?

मेरे रोना धोना एकदम बंद हुआ देख डॉक्टर अतुल अपनी मुस्कान रोक नहीं सके।
उन्होंने कुछ उलझन से पूछा- तुम पागल तो नहीं हो गयी? मेरी बीवी मेरे साथ नहीं है इसलिए तुम कह सकती हो कि मैं शादीशुदा हूँ भी और नहीं भी हूँ। पर तुम? तुम तो शादीशुदा हो। तो तुम यह क्या कर रही हो?

मैंने डॉक्टर अतुल को खींच कर उनके हाथ अपने स्तनों पर रख ताकत से दबाते हुए कहा- मैं सिर्फ शादीशुदा नहीं, मैं डेढ़ शादीशुदा हूँ। मैं मेरे पति की पूरी बीवी हूँ और आपकी बहू होने के नाते आप की आधी बीवी तो हूँ ना? मैं आपकी बाकी की आधी बीवी की कमी पूरी करना चाहती हूँ। जहां तक मेरे शादीशुदा होने की बात है तो उसकी आप चिंता मत करो। मेरी मेरे पति से खुल कर सारी बात हो चुकी है। हमारी अंडरस्टैंडिंग है। वह सब आप मुझ पर छोड़ दो। वे भी तुम्हें उतना ही चाहते हैं जितना मैं!

यह कह कर बात बात में मैंने डॉक्टर अतुल को कह ही दिया कि मैं उनको चाहने लगी थी।

मेरी बात सुन कर डॉक्टर अतुल थोड़ा सा तनावमुक्त होकर मुस्कुराये।
उन्होंने मेरी बांहों में से निकलने का प्रयास बंद कर दिया।

मुझे लगा कि डॉक्टर अतुल ने ना सिर्फ अपने आपको मेरे हवाले कर दिया बल्कि अपने आप पर लगा रखा अपना संयम का काबू भी हटा लिया।

मैंने उनको अपनी बांहों में भर लिया था तो उन्होंने भी मुझे अपनी बांहों में मेरी गांड को दबा कर अपनी तरफ खींच कर अपनी छाती से सटा दिया और मेरे दोनों स्तनों को अपनी छाती पर दबाते हुए अतुल शरारत भरे अंदाज में मेरी आँखों में आँखें मिला कर बोले- ठीक है बाबा! मैं हार गया तुम जीत गयी। तुम जो मनवाना चाहती हो, वह मनवा ही लेती हो। मैं जानता हूँ तुम्हें अपने पति की बहुत चिंता है। पर इसके लिए तुम्हें मेरे लिए कुछ भी करने की कोई जरूरत नहीं। हाँ, यह बिल्कुल सच है कि तुम मुझे वाकई में बहुत प्यारी लगती हो। पर तुम मेरे एक पेशन्ट की बीवी भी हो। यह अस्पताल है, मेरा या तुम्हारा घर नहीं। यहां हमें सम्भल कर चलना पड़ता है। यहां बिल्कुल कोई गड़बड़ नहीं! समझी?

मैंने कहा- ठीक है डॉक्टर साहब, मैं समझ गयी। पर मुझे रात को कुछ हो गया तो? मैं बहुत नर्वस फील कर रही हूँ।

डॉक्टर अतुल ने मेरी और देख कर चेहरे पर शरारत भरी मुस्कान लाते हुए कहा- कोई बात नहीं, अभी तुम आराम करो। मैं रात को फिर से आऊंगा। तुम दरवाजा खुला रखना। मैं तुम्हें देखूंगा। अगर तुम्हें कोई परेशानी होगी तो फिर देखते हैं।

फिर मेरी और शरारत भरी पैनी नजर कर मुझे फॉयल में पैक्ड दो गोलियों को देते हुए बोले- अभी तुम इन में से एक गोली पानी के साथ निगल लो। और यह एक और गोली कल मुझे पूछ कर ले लेना। तुम्हारा सिर दर्द, दिल की धड़कन सब ठीक हो जाएगा।

यह कह कर डॉक्टर अतुल खड़े रहे जब तक मैंने वह गोली पानी के साथ निगल नहीं ली.
उसके बाद वह मुस्कुराते हुए चलते बने।

मुझे डॉक्टर अतुल की शरारत भरी मुस्कुराहट कुछ अजीब सी लगी।

मुझे लगा कि कहीं ना कहीं मेरे पति की मेरे बारे में कुछ ना कुछ बात डॉक्टर अतुल से जरूर हुई थी।
वरना वह इतना ज्यादा रिलैक्स नहीं होते।

डॉक्टर अतुल दुबारा मुझे देखने रात को आएंगे, यह बात सुन कर मेरी नींद गायब हो गयी।
मैंने अपने ब्रा और पैंटी सहित सारे कपड़े निकाल कर सिर्फ नाइटी पहन ली।

मुझे कोई सिर दर्द या दिल की धड़कन की दिक्क्त तो थी नहीं, बस मेरा मन तो बार बार अतुल के बारे में ही सोच रहा था।
ऐसे ही बड़ी मुश्किल से रात के करीब दो बजे तक कभी सोती तो कभी हड़बड़ा कर उठ जाती, यह सोच कर कि कहीं डॉक्टर अतुल मुझे नींद में देख कर चले ना जाएँ।

मेरी इस स्टोरी पर अपने विचार मुझे मेल और कमेंट्स में बताते रहिएगा.
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