सहकर्मी महिला की होटल में चुदाई- 1
(Unsatisfied Girl Lund Chusai Kahani)
अनसैटिस्फाईड गर्ल लंड चुदाई कहानी में मेरे ऑफिस की शादीशुदा लड़की ने मेरा लंड ऑफिस में चूसा. वह तो पूरी चुदाई का मजा लेना चाहती थी पर मैंने उसे नहीं चोदा.
साथियो नमस्कार, मेरी पहली कहानी
जवान साली ने कुंवारी बुर चुदवा कर मजा दिया
को आप लोगों ने अपना प्यार दिया, उसके लिए धन्यवाद.
सेक्स एक ऐसा कार्य है, जिसके लिए सभी चूत और लंड को तैयार रहना चाहिए. क्या पता कब हमारी चुदाई हमारी खुशी का कारण बन जाए या दूसरे की.
इसलिए मेरा मानना है कि हमेशा लंड और चूत के लिए तैयार रहें.
खासकर घरेलू महिलाएं चुदाई में बहुत शर्माती हैं और इसी शर्म के कारण चुदाई का असली आनन्द नहीं ले पाती हैं. मेरी सलाह है कि खुल कर चुदाई करो. चोदने वाले को भी मजा दो और चुदने का भी मजा लो.
दोस्तो, मैं एक सरकारी नौकरी में हूँ. एक छोटे से गांव में मेरा ऑफिस है, जहां हम सिर्फ दो लोग ही हैं. मेरी सहकर्मी एक महिला है.
हमारे पास काम बहुत कम रहता था और दिन भर सिर्फ बातें होती थीं.
मेरी सहकर्मी का नाम सोनल है. उसकी उम्र 34 साल की है. रंग इतना साफ नहीं है कि उसे गोरी बोला जाए. मगर उसमें चमक और आकर्षण दोनों ही बहुत हैं.
सोनल की फिगर भी इतनी मस्त कि देख कर मुट्ठ मारने का मन करे.
उसके 34 सी के बूब्स, कमर 32 की और 38 का पिछवाड़ा देख कर ही ऐसा लगता है कि दो गोल पहाड़ मटक रहे हों.
सच में सोनल बहुत ही शानदार देह की मालकिन है.
उसका पति एक व्यापारी है, जिसे पैसा कमाने से फुर्सत नहीं है. उन दोनों की एक 8 साल की बेटी भी है.
हमारे बीच घर परिवार को लेकर बहुत सारी बातें होती थीं. मगर कभी सेक्स पर खुलकर बात नहीं हुई.
यह अनसैटिस्फाईड गर्ल लंड चुदाई कहानी इसी सोनल की है.
कुछ दिनों से मैंने नोटिस किया कि वह कुछ ज्यादा परेशान लग रही थी.
एक दिन मैंने पूछ ही लिया- कुछ दिन से आप काफी परेशान दिख रहे हो, क्या बात है? यदि मुझे बता सको तो बता सकती हो.
सोनल- नहीं सर, कुछ खास नहीं. बस बच्चे को लेकर है. मुझे दूसरा बच्चा चाहिए मगर …
मैं- मगर क्या?
सोनल- कुछ हो नहीं रहा. डॉक्टर को भी दिखाया, झाड़ फूंक भी कराया. बहुत सी दवाइयां भी लीं मगर कुछ हो नहीं रहा.
मैं- मैडम, अब डॉक्टर या झाड़-फूँक वाला इसमें क्या कर सकता है. मेहनत तो आपके पति को करना है. क्या वे मेहनत नहीं कर रहे हैं?
सोनल मेहनत शब्द सुनकर हंसने लगी. फिर बोली- नहीं, ऐसी बात नहीं है. हम लोग कोशिश तो कर रहे हैं, पर कुछ हो नहीं रहा है.
मैं- डॉक्टर ने क्या बोला?
सोनल- मेरे पति में कुछ कमी है इस लिए … मेरा तो सब ठीक है. उन्हीं की दवा चल रही है.
मैं- ओह तो ये बात है. चिंता मत कीजिए सब ठीक हो जाएगा.
सोनल- सर चिंता तो इसी बात की है कि यदि वह ठीक नहीं हुए तो!
इतना बोलकर वह उदास हो गई.
मैंने उसके हाथों को अपने हाथ में लिया और कहा- आप टेंशन मत लो, मैं हूँ न!
सोनल मुझे घूर कर देखती हुई बोली- मतलब क्या है आपका. क्या मैं आपको ऐसी वैसी लग रही हूँ?
उसे ये तेवर देख कर मेरी तो गांड ही फट गई.
मैंने उसे समझाया कि मेरा कहने का वह मतलब नहीं था. बस यदि आप खुल कर मुझसे बातें करेंगी तो शायद कोई रास्ता निकल आए.
उसने हम्म कहा और मुस्कुराने लगी.
मैं- एक बात पूछ सकता हूँ आपसे … बुरा तो नहीं मानेंगी?
सोनल- नहीं सर, मुझे बस बच्चा चाहिए. मैं बच्चे के लिए कुछ भी कर सकती हूँ … और आप तो मेरी हेल्प ही कर रहे हैं. कौन सा आप मुझे …
बस इतना बोल कर वह मुस्कुराने लगी.
मैं- आप दोनों के बीच सेक्स कैसा होता है?
मेरी इस बात पर सोनल पहले तो कुछ चुप थी.
फिर उसने लंबी सांस भर कर कहा- काहे का सेक्स सर … महीने में दो बार भी हो जाए तो बहुत है. वे हमेशा दुकान की वजह से थके रहते हैं. फिर जब कभी सेक्स होता भी है तो 5 मिनट में ही लुढ़क जाते हैं.
मैं- तो क्या आपका मन नहीं होता. आप अपने पति को फोर्स नहीं करती सेक्स के लिए?
सोनल- मैं एक औरत हूँ सर, ज्यादा नहीं बोल सकती. इसको तो एक मर्द को समझना चाहिए कि उसकी पत्नी को क्या चाहिए. इन दस सालों में एक भी बार मैं सही से …
मैं- मैं समझ गया कि आप एक बार भी कंप्लीट नहीं हुईं?
सोनल- हां.
मैं- ओह तो आप प्यासी हैं. मैडम आप बच्चे के लिए अपने किसी बॉयफ्रेंड का सहारा क्यों नहीं लेती हैं?
सोनल- सर सच बोलूं तो वह भी किसी काम का नहीं. शादी के 3 साल बाद उससे मिली थी. पता चला वह भी किसी काम का नहीं है … वह भी टांय टांय फिस्स निकला.
यह कह कर वह हंसने लगी.
मैं- इसका मतलब आपकी किस्मत में ही फुस्स लोग हैं.
सोनल- सर, प्लीज मजा मत लीजिए!
मैं- किसी और से सहयोग नहीं लिया आपने?
सोनल- सर एक औरत के लिए बहुत बड़ा फैसला होता है यह … और मैं किससे सहायता लेती? मुझे अपनी बदनामी का डर भी है. यदि किसी ने बदनामी कर दी या मेरी ससुराल में पता चल गया तो क्या होगा? फिर कौन है ऐसा जो मेरी इज्जत को अपनी इज्जत समझेगा … ना बाबा ऐसा करने में तो मुझे बहुत डर लगता है.
मैं ओके बोलकर चुप हो गया.
कुछ देर बाद सोनल ने चुप्पी तोड़ी और मुझसे कहा- सर आपके और मैडम के बीच सेक्स कैसा होता है?
इतना सुनते ही मेरे लंड में हरकत हुई.
मैंने मन ही मन सोचा कि अब शायद लौंडिया फंस गई.
कई दिनों से इसको चोदने की तमन्ना जल्द ही पूरी होने वाली थी.
मैं- हमारे बीच सेक्स बहुत खुल कर होता है. हम सेक्स के समय शर्माते नहीं हैं … खुलकर सेक्स करते हैं.
सोनल- सेक्स तो सेक्स है, इसमें खुल कर करने वाली क्या बात है?
मैं- लगता है आपने आज तक सेक्स ही नहीं किया!
सोनल- मैंने आपको बताया न कि हमारे बीच बहुत कम सेक्स होता है. मुझे सेक्स के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है.
मैं- क्या आपने ब्लू फिल्म नहीं देखी कभी?
सोनल- देखने का क्या फायदा सर … जब आग भड़कती है, तो उसे बुझाने वाला भी कोई चाहिए. हमारे फायर ब्रिगेड में पानी कम है.
उसकी इस बात से हम दोनों ही जोर जोर से हंसने लगे.
सोनल अब खुल गई थी.
शायद उसके मन में भी कुछ था.
सोनल- सर, बताइए ना … आप लोग कैसे करते हैं?
मैं- हमारा महीने में कम से कम 25 बार सेक्स होता है. अक्सर हमारा सेक्स दिन में दो बार भी हो जाता है. हम खूब एंजॉय करते हैं.
इतना सुन सोनल कुछ उदास हो गई.
मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो उसने कहा- मैडम की किस्मत कितनी अच्छी है … और एक हमारी कि हम सूखे ही रह जाते हैं.
मैं कुछ नहीं बोला.
वह आगे बोली- और बताइए सेक्स को नया कैसे बनाते हैं. आप लोग कभी बोर नहीं होते हैं?
मैं- मैडम सेक्स में हमेशा नयापन होना चाहिए. हर बार कुछ नया. सेक्स सिर्फ बिस्तर में रात को करने की चीज नहीं है … सेक्स तो कभी भी, कहीं भी करने की चीज है. जैसे किचन में, सोफे में, बाथरूम में, जंगल में, कार में खुले आसमान में … यानि हमेशा कुछ न कुछ नया होता रहना चाहिए.
सोनल का मुँह खुला का खुला रह गया.
वह बोली- तो क्या मैडम भी उतना एंजॉय करती है सर?
मैं- कभी कभी तो मैडम की ही अपनी इच्छा होती है कि किचन में, या हॉल में या आज छत में करेंगे.
सोनल- वाह सर, सच में मैडम कितनी नसीबों वाली हैं. सर और बताइए ना … आप दोनों के बीच क्या क्या होता है?
मैं समझ गया कि सोनल और ज्यादा खुला सुनना चाहती है.
अब मैंने भी बिंदास कहना शुरू कर दिया- मैं मैडम को खूब चूमता हूँ. पहले पूरे बदन पर हर जगह किस करता हूँ. फिर धीरे धीरे नीचे बढ़ता हूँ. उनके दोनों आम को खूब चूसता हूँ … और मैं और वह एक दूसरे के प्राइवेट पार्ट को खूब चूमते और चूसते हैं.
इतना बोल कर मैं चुप हो गया.
ये सुनते हुए सोनल की आंखें लाल हो गई थीं.
मैंने गौर किया था कि वह अपने पैरों को आपस में चिपका कर रगड़ रही थी.
कुछ कुछ ऐसा हाल मेरा भी था.
मेरा लंड पूरा खड़ा हो चुका था.
सोनल- वाह सर, पति तो आप जैसा होना चाहिए. सर आपकी टाइमिंग कितनी है?
मैं- मैडम से पूछ लीजिए, फोन लगा देता हूँ.
इस पर सोनल शर्मा गई.
मैंने कहा- फिर भी बताऊं तो मैं लगभग 20 से 30 मिनट तक लगातार लगा रहता हूँ.
सोनल की आंखें खुली की खुली रह गईं- बाप रे … मुझे तो विश्वास ही नहीं होता कि कोई इतनी देर भी कर सकता है.
मैं- मैडम या आप तो मेरी पत्नी से पूछ लीजिए या फिर आजमा लीजिए.
इतना बोलते हुए मैंने उसका हाथ पकड़ लिया.
वो भी शर्मा गई.
अब मुझे उसे चोदने की हरी झंडी मिल गई थी मगर फिर भी सोच रहा था कि शुरू कहां से करूं.
मैं- मैडम, आपके सर का पेनिस कितना बड़ा है?
सोनल ने मुँह फाड़ा और कहा- हाआआअ … वो तो छोटा सा ही है.
मैं- क्या उनका पेनिस आपके बच्चेदानी तक जाता है?
सोनल- सही बताऊं तो आज तक कभी नहीं गया. अब तो मुझे पता भी नहीं चलता कि उनका घुसा भी है या नहीं.
मैं- ओह तो ये आपके बच्चे पैदा होने में समस्या है.
सोनल- मतलब?
मैं- अरे एक बच्चा होने के बाद आपकी बच्चेदानी गहरी हो गई है और अन्दर को घुस गई है. दूसरे बच्चे के लिए वीर्य बच्चेदानी तक जा ही नहीं पा रहा है.
ये मैंने उसे चोदने के हिसाब से बोला था.
असल में मुझे लंड ज्ञान नहीं था.
सोनल- तो सर अब कैसे होगा?
मैं- आपको बड़ा पेनिस चाहिए जो आपकी बच्चेदानी तक जाकर उसमें अपने वीर्य की उल्टी कर सके.
सोनल- सर ये तो बड़ा खतरे वाला काम है. अब मैं बड़ा पेनिस कहां से लाऊं!
मैं- अपने आस-पास देखिए, आपके जीजा, आपका देवर, आपके जेठ, आपका कोई दोस्त, जो आपकी इज्जत को अपनी इज्जत समझे.
सोनल- मैं अपनी रिश्तेदारी में सेक्स नहीं कर सकती और मेरा कोई दोस्त भी नहीं है. आप ही कुछ बताइए कि इतने लंबे पेनिस का इंतजाम कहां से और कैसे होगा?
मैं- मैं क्या बताऊं मैडम, फैसला आपका है, तो सही इंसान भी आपको ही पसंद करना है!
सोनल- वाह सर अब मैं कहा खोजूं बड़े पेनिस वाले को. आप ही कुछ करें ना!
मैं- मैं तो तैयार हूँ, मैं अपनी गारंटी भी ले सकता हूँ. दूसरे की नहीं मैडम. आप मेरी बातों को अन्यथा मत लीजिएगा. डिसाइड आपको करना है कि जिसके साथ आप करने वाली हैं, उसका बड़ा है या नहीं!
इतनी बात करते हुए मेरा लंड एकदम लोहे की तरह होकर अपनी पूरी औकात पर आ गया था और मेरा यकीन था कि सोनल की बुर भी पनिया गई थी.
सोनल कुछ संकोच में थी और शर्मा रही थी.
मैंने उसके हाथों को हाथों में लेकर कहा- घबराइए मत, मैं आपका हूँ. आपकी सहायता कर सकता हूँ. यदि पसंद न आए तो इस बात को हम यहीं खत्म कर देंगे.
वह तैयार तो थी मगर शर्मा रही थी.
हम दोनों कुर्सी पर बैठे थे और टेबल सामने थी.
मैंने एक हाथ से अपनी पैंट खोल कर अपने लंड को बाहर निकाला, जिसे सोनल नहीं देख पा रही थी.
मैंने उसकी आंखों में देखा, पूरी वासना से भरी थीं मानो कह रही हों कि मुझे पूरा निचोड़ लो और मेरी प्यास बुझा दो.
सोनल- सर अब मैं क्या कहूं, कुछ समझ नहीं आ रहा. एक तरफ डर भी है कि घर में पता न चल जाए और दूसरी तरफ …
इतना बोलकर सोनल चुप हो गई.
मैंने सोनल से कहा- मर्जी आपकी, यदि पसंद न आए तो आप पीछे हट जाना मगर मेरी बातों को गलत मत समझना. मैं बस आपकी हेल्प करना चाहता हूँ.
इतना कह कर मैंने सोनल के एक हाथ को टेबल के नीचे करवा कर उसके हाथ को अपने लोहे जैसे कड़क हो चुके लंड पर रख दिया.
जैसे ही उसने मेरे लंड को स्पर्श किया, उसकी आंखें बड़ी हो गईं और उसके मुँह से निकल गया ‘बाप रे … ये क्या है?’
उसके हाथ के स्पर्श से मेरी भी सिसकारी निकल गई.
मैं- केला पसंद आया? क्या ये आपके पति से बड़ा है … आपको ऐसा ही चाहिए?
सोनल ने कोई उत्तर नहीं दिया और ना ही आंखें मिलाईं.
मैं- लगता है आपको पसंद नहीं आया. यदि आपको बुरा लगा तो सॉरी.
ये कह कर मैं उसके हाथ को लंड से हटाने लगा.
सोनल- नहीं, मुझे बुरा नहीं लगा … और नापसंद की तो बात ही नहीं है. मैं तो हैरान हूँ कि किसी का इतना मोटा और इतना बड़ा कैसे हो सकता है. ये जिसे भी मिलेगा, उसका तो जीवन ही धन्य है.
यह कह कर उसने मेरे लंड को दबाना शुरू कर दिया.
मैं- अब से ये आपका ही है. जैसा उपयोग करना है, आप कर सकती हो.
मैंने जानबूझ कर बोलते हुए बोतल के ढक्कन को नीचे गिरा दिया, जिससे वह नीचे सर करके मेरे लंड को देख सके और हुआ भी वही.
सोनल नीचे झुकी और काफी देर मेरे लंड को सहला सहला कर देखती रही.
मैंने पूछा- केला कैसा लगा?
‘ये तो रसभरा गन्ना है सर … बहुत ही शानदार … मैं तो धन्य हो गई इसे पाकर. अब देर ना करें और जल्दी से इसको अन्दर बाहर करने का कोई जुगाड़ करें.’
‘क्या, इसे प्यार नहीं करोगी?’
मेरा इतना बोलना क्या हुआ … जैसे वह इसी ताक में बैठी थी कि मैं कब लंड चूसने के लिए कहूँ.
उसने मेरे सामने बैठ कर लंड को मुँह में ले लिया और चूसना शुरू कर दिया.
आह सच में सोनल जैसी माल मेरे लौड़े को चूस रही थी ये सोच कर ही मेरे लवड़े की नसें फूलने लगी थीं.
दोस्तो, अनसैटिस्फाईड गर्ल लंड चुदाई कहानी में अभी आगे चुदाई का मजा भी आना बाकी है.
आपको कहानी कैसी लग रही है, प्लीज मेल करें.
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अनसैटिस्फाईड गर्ल लंड चुदाई कहानी का अगला भाग: सहकर्मी महिला की होटल में चुदाई- 2
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