पति ने मुझे पराये लंड की शौकीन बना दिया- 9

(Pussy Juice Lick Story)

नीना राज 2024-10-10 Comments

पुसी जूस लिक स्टोरी में कई दिन की कोशिश के बाद मैं अपने पति का इलाज करने वाले एक सरल स्मार्ट डॉक्टर को पटाने में सफल हुई. मैं उसके फ्लैट में उसके बेड पर थी.

कहानी का पिछला भाग: मैं डॉक्टर के हाथों नंगी हुई

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अब आगे पुसी जूस लिक स्टोरी:

“तुम मुझे जितना जी चाहे, जहां जी चाहे, जैसे जी चाहे प्यार करो ना यार! मैं भी तो यही चाहती हूँ।” मैंने डॉक्टर अतुल को आँखें मटका कर कहा।
मैंने ‘जैसे चाहें, जहां चाहें’ यह कह कर इशारे से कह ही दिया कि वे अगर चाहें तो मेरी गांड भी मार सकते हैं।

गांड को चूमते हुए कभी वह अपनी उंगली पहले मुंह में रख कर उसे अपनी लार से स्निग्ध कर गांड के छेद में डालकर उसे अंदर बाहर करते तो कभी मेरी गांड पर कस कर एक चपेट मार कर मेरी गोरी गांड को लाल लाल कर देते। मुझे दर्द होता तो भी मैं चुप रह कर उसे सहन कर लेती थी।

मुझे लगा कि डॉक्टर अतुल कहीं मेरी गांड तो नहीं मारना चाहेंगे?
अगर वे मेरी गांड भी मारना चाहेंगे तो मैं उन्हें ख़ुशी ख़ुशी मारने दूँगी, यह मैंने पहले से ही तय किया था।

मुझे उनको आज पूरा आनन्द देना था।
पर मैं मन ही मन डर भी रही थी क्योंकि उनका इतना लंबा और इतना मोटा लण्ड अगर उन्होंने मेरी गांड में घुसेड़ने की कोशिश भी की तो मुझे पूरा यकीन था कि मेरी गांड फट जायेगी और उसमें से खून निकलने लगेगा।

कुछ देर तक मेरी गांड से खेलने के बाद डॉक्टर अतुल ने मुझे फिर से पलट कर मेरी टाँगों को चौड़ी कर अपना सर उनके बीच में डालकर मेरी चूत को चूमना और चाटना शुरू किया।

जिस डॉक्टर अतुल को देखने से ही मेरी चूत में रस रिसना शुरू हो जाता था, सोचो कि वही मेरा सेक्सी पार्टनर जब मेरी चूत को चूमने लगे, चूत के अंदर अपनी जीभ डालकर उसे अपनी जीभ से कुरेदने लगे.
तो पुसी जूस लिक से मेरा क्या हाल हुआ होगा?

उन्माद के मारे मेरा सर घूमने लगा।
मेरी चूत में तो जैसे रस की बाढ़ ही आ गयी हो ऐसे बहने लगी।

डॉक्टर अतुल खुद डॉक्टर होते हुए मेरी चूत के रस को अपनी जीभ से ऐसे लपक लपक चाट रह थे जैसे कोई स्वादिष्ट डिस्टिल्ड पानी हो।
इतने बड़े हृदय विशेषज्ञ डॉक्टर इस तरह एक कुत्ते की तरह अपनी जीभ लपलपाकर मेरी चूत चाट रहे थे यह देख कर मैं लाज की मारी मचल रही थी।

सच कहा गया है कि एक नारी की काया की माया के आगे बड़े बड़े संत महात्मा भी लाचार हो जाते हैं।

मैंने अपना सिर उठा कर डॉक्टर अतुल की ओर देख कर थोड़ा सा मुस्कुराते हुए पूछा- डॉक्टर साहब, क्या इस रस में इतना स्वाद है कि आप जैसे डॉक्टर भी उसको चाटते हुए थक नहीं रहे?
डॉक्टर साहब ने कहा- क्यों? डॉक्टर लोग इंसान नहीं होते क्या?

मैंने डॉक्टर के बालों में अपनी उंगलियों से कंघी करते हुए कहा- डॉक्टर तो स्त्री के हर अंग को अच्छे से जानते और देखते हैं। आप तो हर रोज कई नंगी स्त्रियों का नंगा शरीर देखते रहते हैं। उसको छूते भी हैं। तो क्या आपका मन उस समय विचलित नहीं होता?
डॉक्टर ने मुस्कुराते हुए कहा- तुम्हारा यह प्रश्न एकदम सही है। देखो नीना, सेक्स एक शारीरिक प्रक्रिया जरूर है. पर इंसानों के लिए वह उससे भी कहीं अधिक मानसिक विचार शक्ति से जुड़ी हुई प्रक्रिया है। हमारे भाव एक स्त्री को माँ के रूप में, पत्नी के रूप में प्रियतमा के रूप में, बहन के रूप में अलग अलग होते हैं। एक स्त्री चाहे कितनी ही खूबसूरत क्यों ना हो, जब हमारे सामने ऑपेरशन थिएटर में नंगी लेटी हुई होती है तब हमारे लिए वह सिर्फ एक मरीज ही होती है। उस समय हम उसको एक मरीज के रूप में ही देखते हैं। हमारे जहन में उस समय उसकी बिमारी, उसके शरीर के अंगो में जो विषमता है वही हावी होती है। उसको स्वस्थ कैसे करना है, वही विचार होता है। हमारे ह्रदय में कोई वासना का संचार ही नहीं होता। पर जब हम उसी शरीर को इस तरह देखते हैं जैसे मैं तुम्हें अब देख रहा हूँ तब भाव अलग आते हैं।

डॉक्टर को देख मुझे बहुत प्यार आ रहा था।
इतने मासूम और इतने सरल इंसान को उनकी पत्नी क्यों नहीं समझ पायी और क्यों अपने वश में नहीं कर पायी यह मेरे लिए एक गुत्थी थी।

पर उस समय डॉक्टर अतुल का लण्ड देखने के बाद और उसे छूने का आभास होने के बाद मेरी चूत में बवाल मचा हुआ था।
जब से मेरे पति अस्पताल में दाखिल हुए थे और डॉक्टर अतुल से मेरा पाला पड़ा था तब से मेरा और ख़ास कर मेरी चूत का बड़ा बुरा हाल हो रहा था।

उसके ऊपर मेरे पति ने खुद ही सामने चलकर मुझे आगे बढ़ने के लिए उकसाया।
इसके बाद तो मुझे डॉक्टर अतुल की बांहों में समाने और उनके नीचे नंगी सोकर उनका वह जबरदस्त लण्ड मेरी बेचैन चूत को मशीनी हथोड़े की तरह चोदे और घंटों तक चोदता ही रहे इस के अलावा कुछ और सूझ ही नहीं रहा था।

मैंने शरारत भरी मुस्कान दिखाते हुए होंठ मरोड़ कर पूछा- तो इस वक्त आप के मन में मेरे लिए क्या विचार आ रहे हैं?

अतुल ने अपनी पोज़िशन बदल कर अपने घुटनों के बल बैठ कर अपनी जांघों के बीच में लटकते अपने विशालकाय लण्ड को मेरी चूत के ऊपर लहराते हुए कहा- अभी मेरे मन में मेरे इस लण्ड से तुम्हारी चूत को चोदने का पूरा आइडिया है। मैंने जब से पहली बार तुम्हें देखा तभी से तुम्हें चोदने की इच्छा मेरे मन में जाग उठी थी। पर चूँकि हम अस्पताल में थे और हमारा कोई निजी रिश्ता नहीं था तो मैं अपने आप को रोक रहा था। सच बताना, क्या तुम्हारे मन में ऐसी इच्छा नहीं जगी थी?

डॉक्टर अतुल मेरे नंगे बदन पर पूरी तरह लेट कर मेरी नाक से अपनी नाक रगड़ते हुए, अपनी बाजुओं का सहारा लेकर मेरे स्तनों को अपने बदन के तले पिचकने से रोकने की कोशिश करते हुए करते हुए, थोड़ा सर उठाकर मेरी आँखों में आँखें डालकर मेरे जवाब का इंतजार करने लगे।

मैंने अतुल को उसी कानाफूसी के लहजे में शर्माते, हिचकिचाते हुए कहा- मैंने पहली बार जब तुम्हें अपने काले घने घुंघराले बालों को झटकते, मुस्कराते हुए, बड़े ही प्यार से मुझे दिलासा देते समझाते हुए देखा, तब से मेरी बेचैनी बढ़ने लगी थी, मेरी रातों की नींद हराम हो गयी थी। मैं तुम्हें बार बार देखना चाहती थी, मिलना चाहती थी। तुम उस रात जब प्यार से मेरा हाथ थाम कर मुझे मेरे कमरे में ले आये तब मेरी धीरज जवाब दे गयी। मैंने तुम्हारा सर मेरी छाती से चिपका दिया ताकि तुम मेरे दिल की धड़कनों को महसूस कर सको। मैंने जब तुम्हारी नजर मेरे बदन, मेरे बूब्स पर, मेरी गांड पर बार बार घूमती हुई देखी, तब मैं जान गयी कि आग दोनों तरफ लगी है। मैं उसी वक्त तुमसे चुदवाना चाहती थी। मैं तुम्हें अपना बदन समर्पित कर वह आनन्द देना चाहती थी जो मैं दे सकती थी। मैं खुद तुम्हारे इस माँसल और आकर्षक मर्दानगी भरे नंगे बदन को मेरे नंगे बदन से रगड़ता हुआ महसूस करना चाहती थी और तुम्हारे लण्ड को मेरी चूत में लेना चाहती थी।

अतुल ने मेरे होंठों को बड़ी ही शिद्द्त से चूमते हुए कहा- तो फिर फेंक दो सारी लाज शर्म! अब मुझसे बिल्कुल बेशर्म बन कर तुम मुझ से वह कहो जो तुम्हारा मन, तुम्हारा यह नंगा बदन और सबसे ज्यादा तुम्हारी यह बेचैन पानी बहा रही चूत कह रही है। तभी आएगा असली मजा!

जब मेरा कानूनी पति और जिसे मैं पति मान बैठी थी वह दोनों ही मुझे बेशर्म होने को कहे तो फिर शर्म काहे की?

मैंने डॉक्टर अतुल को मेरी बांहों में भर कर उनका पूरा बदन मेरे बदन से कस कर चिपकाते हुए कहा- तो फिर मेरी जान, मुझे जम कर चोदो। मुझे पर कोई रहम मत करना। मुझे बेरहमी से चोदते ही रहना। मैं दर्द होने पर चिल्लाऊंगी, तुमसे रुकने को कहूँगी। पर तुम मत रुकना जब तक तुम थक ना जाओ और तुम्हारा दिल भर ना जाए। आज मेरी यह चूत तुम्हारे इस डरावने लम्बे मोटे लंड से चोद कर फाड़ डालो। मेरी इस नाजुक चूत का चोद चोद कर भोसड़ा बना डालो। तुम जितनी देर कहोगे मैं यहां तुम्हारे नीचे चुदवाती रहूंगी। तुम ऊपर से, नीचे से, पीछे से, मुंह में, मुझे ऊपर उठा कर ,खड़े खड़े, साइड में से जैसे चाहो मुझे चोदो।

मैंने कहते हुए कह तो दिया पर जब मेरी बात सुन कर डॉक्टर अतुल बहुत ज्यादा ही उत्तेजित हो गए और अपना इतना मोटा तगड़ा लण्ड मेरी चूत में घुसेड़ने लगे तब मेरे होश उड़ गए।
अब मेरी तगड़ी ठुकाई का वक्त आ गया था।

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मैंने डॉक्टर अतुल की और बड़ी ही करुणा भरी नज़रों से देखा।
डॉक्टर अतुल ने मेरी आँखों में उनके इतने बड़े लण्ड को मेरी चूत में घुसेड़ने पर जो दर्द होगा उसका आतंक मेरी आँखों में देखा।

मैंने उनकी आँखों में अपनी दया याचिका मांगती हुई करुणा से भरी आँखें डालकर अपनी आवाज में नर्मी लाते हुए कहा- देखो, मैं तुमसे एक वादा करती हूँ। आगे जब भी तुम्हारा मुझे चोदने को मन करे, मुझे बता देना, मैं ख़ुशी ख़ुशी भागती हुई तुम्हारे पास चुदवाने के लिए आ जाऊंगी।

जोश में आकर मैंने कह तो दिया पर अब इस पहली बार तुम तुम्हारे इस महाकाय लण्ड को मेरी चूत में सम्भाल कर डालना। मेरी चूत की गुफा छोटी सी है। मेरी चूत का प्रवेशद्वार उससे भी कहीं छोटा है। मेरे पति का लण्ड भी मेरी चूत में बहुत मुश्किल से जाता है। मेरी चूत में घुसेड़ने के लिए उन्हें भी बड़ी मशक्क्त करनी पड़ती है। तुम्हारा लण्ड तो इतना बड़ा है कि अगर जोर से डाला तो मेरी चूत तो फट ही जायेगी। तो प्लीज तुम उसे सम्भाल कर डालना।

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