पति ने मुझे पराये लंड की शौकीन बना दिया- 2
(Hot Married Woman Story)
हॉट मैरिड वुमन स्टोरी में मैं अपने पति के कहने पर उनके ही डॉक्टर को अपने जिस्म की आग में झुलसाने की कोशिश कर रही हूँ. लेकिन डॉक्टर की शालीनता आड़े आ रही है.
यह कहानी सुनें.
कहानी के पहले भाग
शर्मीली पत्नी को सैक्सी नारी बनाने की चाह
में आपने पढ़ा कि मेरे पति अंदर का शर्मीलापन भगाकर मुझे सेक्स नारी बनाना चाहते थे. एक रात उन्होंने मुझे अपने दोस्त के सामने चोदा और फिर मुझे अपने दोस्त से चुदवा कर मेरी झिझक दूर कर दी.
उसके बाद बीमारी के चलते मेरे पति को अस्पताल में दाखिल करवाया तो मेरे पति मुझे वहां के डॉक्टर को पटाने के लिए बोलने लगे.
डॉक्टर मुझे भी अच्छा लगा तो मैंने भी कोशिश शुरू कर दी.
अब आगे हॉट मैरिड वुमन स्टोरी:
मेरी खिली हुई जवानी पूर जोश में डॉक्टर अतुल के सामने खुल कर दिख रही थी।
मुझे उस हाल में देख कर उनकी आँखें बार बार बरबस ही मेरे उजागर बदन पर इधर-उधर घूम रही थी।
कहीं ना कहीं वह शायद डॉक्टर अतुल के जीवन में स्त्री संग की कुछ ना कुछ कमी की चुगली खा रही थी।
मैं उस समय साड़ी पहने हुइ थी जिसका पल्लू नीचे गिरा हुआ था, मेरे केश कुछ बिखरे हुए थे, मेरे सिर पर कुमकुम का टिका भी पसीने के कारण फ़ैल गया था और मांग में से सिंदूर की एक पतली सी धार बह कर छोटी सी रेखा सी कपाल पर दिख रही थी।
भारतीय नारियों के हिसाब से मैं कद काठी में काफी आकर्षक हूँ।
करीब 5 फुट चार इन्च लंबा कद, घने काले लम्बे बाल जो खोल देने पर मेरे सुआकार भरे हुए गोल कूल्हों को भी ढक देते थे, मांग में बिखरा हुआ सिन्दूर और कपाल पर कुछ फैली हुई लाल बड़ी बिंदी की लालिमा मेरे चेहरे की कामुकता को अनेक गुणा बढ़ाता था।
मेरा गोल सुन्दर खूबसूरत चेहरा, लालिमा से भरे हुए गाल, एक होंठ के निचले वाले कोने में एक कामुक सा दिख रहा काला तिल, बालों की लट जो कान के पीछे से पूरी घूम कर आगे की ओर दिख रही थी.
और इतना रोने के बाद आँखों की पलकों में से बाहर फैला हुआ काजल, डॉक्टर अतुल देखते ही रहे।
मेरे नीचे की तरफ झुकने से मेरे ब्लाउज के अंदर काफी गहराई तक मेरे स्तन अपनी निप्पलों की भी झांकी शायद करा रहे होंगे।
डॉक्टर अतुल की उलझन भरी प्रतिक्रिया देख कर उस बड़े ही संकट भरे हालात में भी अचानक से अनायास ही रोते रोते मेरे होंठों पर हल्की सी शरारत भरी मंद मुस्कान झलक गयी।
मैं जानती थी कि ऐसी मुस्कान किसी भी मर्द के मन में ग़लतफ़हमी पैदा कर सकती थी।
वैसे भी मैं हमारी फॅमिली में सब मुझे चुलबुली कहते रहते थे।
मैं साफ़ साफ़ बोलने में झिझकती नहीं थी।
इसके अलावा कई बार मैं कोई ना कोई बात पर खिलखिला कर हंस पड़ती थी या किसी के साथ बात करते हुए वजह बेवजह मुस्कुरा देती थी।
मेरे मन में कुछ ना होते हुए भी इसके कारण कई बार लोगों में कुछ ग़लतफ़हमियाँ पैदा होने पर जो उनकी हालत होती थी, उसे देख मजे लेती थी।
मैं ज्यादातर साड़ी ही पहनती थी जो नाभि के काफी नीचे बंधी हुई थी, जिसकी गांठ का स्थान देखकर किसी भी मर्द के मन में यह उम्मीद जगती थी कि काश वह गांठ थोड़ी और नीचे होती तो या ढीली पड़ जाए जिससे वह खिसक कर नीचे आये और शायद मेरी नाभि के नीचे स्थित मेरा रति क्षेत्र का उभार दिखाई पड़े।
मेरे बदन का सब से ज्यादा आकर्षक मेरे भरे हुए सुआकार गोल नुकीले दो नितम्ब के गालों का कामुक घुमाव था जिसके बीच में जो दरार का निशान साड़ी में भी दिख रहा था वहाँ से किसी भी मर्द के लिए नजरें हटाना बड़ा ही मुश्किल होता था।
डॉक्टर अतुल के इतना ढाढस देने के बावजूद मेरे आँसूं रुकने का नाम नहीं ले रहे थे।
मैंने बड़ी मुश्किल से अपने आप पर नियंत्रण रखते हुए डॉक्टर अतुल से कहा- डॉक्टर साहब, मैं पहली बार इतने बड़े अस्पताल में आयी हूँ। आप प्लीज हमारा ख्याल रखना!
डॉक्टर अतुल ने स्नेह पूर्वक मेरे कंधे पर हाथ रखा और बोले- मैडम, आप उसकी चिंता ना करें। यहां का स्टाफ सब हेल्प करेगा। फिर भी आपको कोई दिक्कत हो या किसी चीज़ की जरुरत पड़े, मुझे फ़ोन कर देना!
यह कह कर उन्होंने अपना विजिट कार्ड मुझे थमा दिया।
मैंने डॉक्टर अतुल का हाथ थाम कर उन को अपने करीब खींच कर आंसू भरी आँखों से कहा- डॉक्टर साहब अब आप मेरे जेठ हो। मेरे पति की जिंदगी आप के हाथों में है। भगवान आपका भला करे।
मेरे पति का ऑपेरशन करीब साढ़े चार घंटे तक चला।
ऑपेरशन ख़त्म होने के बाद जब डॉक्टर अतुल बाहर आये.
तब डॉक्टर ने मेरे पास आकर कहा- मिसेज राज, ऑपेरशन मुश्किल था, पर कामयाब रहा।
तभी नर्स ने मुझे कुछ दवाइयां लाने को कहा.
मुझे दवाइयां कहाँ से लेनी है यह सब कुछ पता नहीं था।
मुझे उलझन में वहीं खड़ी हुई देख डॉक्टर अतुल ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे दवाई के काउंटर पर ले गए और दवाइयां दिलायीं।
मेरे पति को बेहोशी की हालत मैं वहाँ से ICU में ऑपेरशन के बाद की देखभाल और निगरानी के लिए शिफ्ट किया गया जिसमें मुझे दिन में सिर्फ आधा घंटा हीं मेरे पति से मिलने की इजाजत थी।
ICU में ले जाने के दो दिन बाद अचानक राज की तबियत बिगड़ने लगी।
मैंने ग्लास की दिवार में से देखा की सब नर्स और डॉक्टर अतुल भी दिन रात भागते हुए उनकी देखभाल में जुटे हुए थे।
नर्स को बारबार पूछने पर उन्होंने बताया कि मेरे पति की हालत नाजुक हो रही थी।
पर मेरे इस तरह शीशे से झाँकते रहने के कारण नर्सों बड़ी परेशान रहती थी।
ख़ास तौर से रात को कई बार मैं नर्सों को राज के इलाज के बारे में तीखे सवाल पूछती।
नर्सों के संतोषजनक जवाब ना मिलने पर मैं गुस्सा हो जाती और रात के सन्नाटे में जोर से नर्सों को डाँटने लगती थी।
डॉक्टर अतुल की उन दिनों रात्रि शिफ्ट थी।
शायद नर्सों ने परेशान होकर डॉक्टर अतुल से मेरी शिकायत की होगी।
क्योंकि रात जब मैं ICU के बाहर खड़ी राज को देख रही थी तब डॉक्टर अतुल मेरे पास आये।
उन्होंने मेरे कंधे पर धीरे से हाथ रखा और बड़े प्यार से मेरा एक हाथ पकड़ कर मुझे मेरे प्राइवेट वार्ड के कमरे में ले गए।
वहाँ बेड पर बिठा कर डॉक्टर अतुल मुझे समझाने लगे कि अस्पताल का पूरा स्टाफ और वे खुद भी मेरे पति पर 24 घंटे ध्यान रख रहे हैं। मुझे चिंता करने की कोई जरूरत नहीं।
पर मुझ से बात करते हुए डॉक्टर अतुल की नजर चोरी चोरी कई बार मेरी छाती पर मेरे स्तनों पर चली जाती तो वे बीच में रुक जाते थे और क्या बोलना है वह भूल जाते थे।
डॉक्टर अतुल अपने आप को बहुत रोकने पर भी अपनी आँखों को मेरे बदन को जगह जगह से चोरी छिपके से घूरने के लिए रोक नहीं पा रहे थे।
मैं उनकी दुविधा भलीभांति समझ रही थी।
पर उस समय मेरा खुद का ध्यान मेरे पति की सेहत की ओर था।
मैंने डॉक्टर अतुल के दोनों हाथ मेरे हाथों में पकड़ कर कहा- ठीक है डॉक्टर साहब, मैं आपकी बात समझ सकती हूँ। पर मैं क्या करूँ, राज का ऐसा हाल और उनके पूरे शरीर पर इस तरह इतनी सारी नलियां लगी हुई मुझसे देखा नहीं जाता।
डॉक्टर अतुल मेरी बगल में पलंग पर बैठ गए और अपने आप को सम्हालते हुए मेरे दोनों हाथ अपने हाथों में थाम कर बहुत ही प्यार और सौजन्य से बोले- मिसेज राज, आप बिल्कुल फ़िक्र ना करें। यह चंद दिनों की बात है। कुछ दिनों के बाद यह सब हट जाएगा।
यह कहते हुए वे मेरी आँखों से आँखें मिला नहीं पा रहे थे।
शायद उन्हें डर था कि कहीं फिर से उनकी नजर मेरे मादक अंगों पर ना चली जाए और मैं उन्हें अपना बदन झांकते हुए पकड़ ना लूँ।
फिर मेरी आँखों में आँखें डाल कर मेरे एकदम करीब आ कर बड़ी ही विनम्रता और प्यार से धीमी आवाज में मुझे ढाढस दिलाते हुए बोले- मिसेज राज, आप रात रात भर जाग कर ICU के बाहर खड़े खड़े अपने पति को देखना बंद कीजिये। वे होश में आकर कभी आपको इस तरह बाहर खड़े हुए देखते हैं तो काफी परशान हो जाते हैं और आप का हाल पूछने लगते हैं। देखिये, आपने मुझे अपना जेठ माना है ना? तो मैं आपको वचन देता हूँ कि मैं खुद आप के पति की एक सगे भाई की तरह दिन रात देखभाल करूंगा। आप मेहरबानी करके अपने इस कमरे में ही रात भर आराम से सो जाइये और रिलैक्स कीजिये। मैं रेगुलरली आपको उनके बारे में बताता रहूँगा। आप उनकी चिंता मुझ पर छोड़ दीजिये, प्लीज!
मैंने कहा- डॉक्टर साहब, दिन में तो मैं खुद ही पता लगा लूंगी आप को बताने की जरुरत नहीं। पर रात को उनका हाल कैसे जानूँगी? ये नर्स रात को या तो अपने काम में लगी रहती हैं या सोती रहती हैं; कुछ नहीं बताती। कहती हैं कि सुबह रिपोर्ट मिलेगी तब सब पता चल जाएगा।
डॉक्टर अतुल मेरी और बड़ी हैरानगी से देखते रहे।
कुछ देर चुप रह कर सोचने के बाद बोले- ठीक है, आप अपने इस कमरे में ही रहिये। मैं खुद रात को आपको हर दो तीन घंटे में मिल कर बताता रहूंगा। ठीक है? पर आप नर्सिंग स्टेशन पर मत चली जाना। उनको डिस्टर्ब होता है। ओके?
मैंने अपना सर हिला कर हामी भर दी।
मुझे अच्छा लगा कि ऐसे मुझे मेरे पति का हाल भी मालूम होगा और डॉक्टर अतुल को भी रात में अकेले में मिलने के कुछ मौके मिलेंगे।
डॉक्टर अतुल को देख कर मेरे दिल में पता नहीं क्या हो रहा था।
मेरा दिमाग में कश्मकश का भूचाल सा उमड़ रहा था।
रात रात भर जागने के कारण मुझे चक्कर से आ रहे थे।
मैंने कहा- डॉक्टर साहेब, मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा।
मैं अचानक ही पलंग पर लुढ़कने लगी.
तब लपक कर डॉक्टर अतुल ने मुझे पकड़ कर पलंग पर लिटा दिया और बोले- आपकी तबियत ठीक नहीं लग रही।
ऐसा कह कर झुक कर वे अपना स्टेथेस्कोप मेरी छाती पर लगा कर मुझे चेक करने लगे।
डॉक्टर अतुल का हाथ मेरे स्तनों के ऊपर महसूस कर और उनका इस तरह का प्यार भरा व्यवहार देख कर मैं कुछ ज्यादा ही भावुक हो उठी।
मैंने अपने हाथ लम्बे कर डॉक्टर अतुल को खींच कर बिना कुछ सोचे समझे उनके गले में अपनी बांहें डालकर बैठते हुए कहा- डॉक्टर साहब, देखिये मेरा दिल कितनी तेजी से धड़क रहा है।
यह कह कर मैंने उनके सर को अपनी छाती से लगा लिया।
डॉक्टर अतुल मेरी भावुकता देख कर स्तब्ध से मुझे देखते रहे।
शायद यह उनका पहला ऐसा अनुभव था जब किसी अनजानी हॉट मैरिड वुमन ने उन्हें इस तरह से अपनी छाती पर लगा लिया हो।
डॉक्टर अतुल का मुंह मेरे स्तनों के ऊपर ही था।
उनके गाल मेरे स्तनों को दबा रहे थे।
उनकी आँखें मेरे स्तनों के बीच की बड़ी खाई पर केंद्रित हो गई होंगी।
शायद उतने करीब से वह मेरी निप्पलेँ भी देख सकते होंगे।
उनके गाल मेरे बड़े सख्त भरे हुए स्तनों को उस कदर दबा रहे थे, यह महसूस कर मेरी टांगें ढीली हो रही थीं।
मेरी जाँघों के बीच में से मेरा प्रेम रस रिसने लगा था; मेरी चूत पूरी गीली हो चुकी थी।
उस आवेश में मैं अपने आप को रोक नहीं पा रही थी।
मैं आवेग और उद्वेग के द्वन्द में फँसी यह समझ नहीं पा रही थी कि मैं उस वक्त उत्तेजित ज्यादा हो रही थी या ज्यादा दुखी थी।
मेरी आँखों से आंसू की धारा बह रही थी।
डॉक्टर अतुल भौंचक्के से मेरे इस भावद्वन्द को देख रहे थे।
धीरे से शायद बड़े ही कचोटते हुए मन से वह मुझसे खिसक कर अलग होने की कोशिश करने लगे।
मैंने अपना सर नीचा कर डॉक्टर अतुल की ठुड्डी पकड़ कर ऊपर उठा कर उनकी आँखों में आँखें डालकर कहा- डॉक्टर साहब, मैं और मेरे पति एक ही तरह से सोचते हैं। वे आपको मेरा ख्याल रखने को कहते हैं और मैं आपको उनका ख्याल रखने के लिए कहती हूँ। आप मेरे जेठ हैं तो मैं आपकी बहू के हक़ से आप से मेरे पति के जीवन की भीख मांगती हूँ। मेरी समझ में नहीं आता मैं क्या करूँ। डॉक्टर साहब, आपका इस बहू पर पूरा हक़ है। आप मुझे बताइये, मैं वही करुँगी। आप कहते हो कि मैं रात को ICU के बाहर खड़ी रह कर मेरे पति को ना देखूं, तो मैं नहीं देखूंगी। पर आप मेरे पति को बचा लीजिये।
डॉक्टर अतुल ने मुझे ढाढ़स देते हुए बोले- मिसेज राज, हम सब पूरी कोशिश में लगे हैं कि आपके पति एकदम पूरी तरह स्वस्थ हों। मैं खुद उनकी देखभाल कर रहा हूँ। मुझे पूरी उम्मीद है कि वे इस लड़ाई को जीतेंगे और जल्दी आपके साथ होंगे। आप धीरज रखें और हमारा साथ दें।
अतुल के प्यार और सहानुभूति के शब्द सुन कर मुझे कुछ शान्ति मिली।
तब मैंने उनकी तरफ घूम कर उनकी आँखों में आँखें मिलाते हुए शरारत भरे लहजे में कहा- डॉक्टर साहब, मैं घुमा फिरा कर नहीं बोलूंगी। मुझे सीधा बोलने की आदत है। यह बार बार आप मुझे मिसेज राज क्यों कहते हैं? मैं आप से बहुत छोटी हूँ। जेठ का भी बहू पर एक पति के जैसा ही अधिकार है। सबसे पहले आप मुझे मेरे नाम से नीना कह कर ही बुलाइये और मुझे तुम या तू कहिये। मेरे पति ने मुझे बिना कोई पाबंदी के जो करना चाहूँ, दिल खोल कर बेरोकटोक करने की हिदायत दी है। मैं आपके लिए सब कुछ मतलब सब कुछ कर सकती हूँ। मेरी एक ही विनती है। आप प्लीज मेरे पति को बचाने में कोई कसर ना छोड़ें।
मैंने दो बार ‘सब कुछ मतलब सब कुछ’ कह कर मेरी बात को और ज्यादा बल दिया और फिर मेरी बात डॉक्टर अतुल समझे या नहीं यह देखने के लिए मैंने उनकी और बारीकी से देखा।
डॉक्टर अतुल मेरे इस तरह के बर्ताव से काफी अजीब से संकोच के साथ कुछ सहजता महसूस करते हुए मेरे दोनों हाथों को थाम कर बोले- ठीक है बाबा, तुम बिल्कुल चिंता मत करो और कुछ मत कहो। जब तुमने मुझे अपना जेठ बना दिया है और अपने पति के समान ओहदा दिया है तो फिर मुझ पर भरोसा रखो। तुम मैं कुछ ख़ास कर रहा हूँ ऐसा कह कर मुझे शर्मिन्दा मत करो। मैं जो कुछ भी कर रहा हूँ वह मेरा कर्तव्य है। मैं तुम्हें वचन देता हूँ कि राज को कुछ नहीं होगा। राज बहुत जल्द पूरी तरह स्वस्थ और तंदुरस्त हो जाएंगे।
मैंने देखा कि डॉक्टर अतुल ने तब मुझे तुम कहना शुरू कर दिया था।
इस हॉट मैरिड वुमन स्टोरी में सेक्स कम है पर कहानी रोचक है.
अपने विचार मुझे मेल और कमेंट्स में बताते रहिएगा.
[email protected]
हॉट मैरिड वुमन स्टोरी का अगला भाग: पति ने मुझे पराये लंड की शौकीन बना दिया- 3
What did you think of this story??
Comments